एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें

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मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

UP एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें Defence Expo : भरोसा जीते तभी बंधन

UP Defence Expo

यूपी की धरती पर रक्षा क्षेत्र में निवेश का नया रिकॉर्ड बन गया। 40 देशों के रक्षामंत्री और सैकड़ों देशी-विदेशी उद्यमी, रक्षा विशेषज्ञ इस उपलब्धि के गवाह बने। 50 हजार करोड़ का निवेश और 23 एमओयू से सूबे की तरक्की का नया सूरज निकलेगा। डिफेंस कॉरिडोर में दो दर्जन से अधिक बड़ी कंपनियों के शुरू होने से ढाई से तीन लाख नयी नौकरियों का सृजन होगा। कहीं हवाई जहाज का कारखाना लगेगा तो कहीं विमानों की ओवरहालिंग होगी। अमरीका, अफ्रीका, यूरोप और एशियाई देशों की तमाम कंपनियों के एमओयू जमीन पर उतरेंगे तो पांच लाख से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। उम्मीदों की नयी जमीन सजी है। यूपी के नवनिर्माण का सपना साकार होता दिख रहा है। डिफेंस कॉरिडोर के लिए अभी 12,500 एकड़ जमीन चिन्हित है। बुंदेलखंड से लेकर अलीगढ़ तक कुल 25,000 एकड़ भूमि पर सिर्फ रक्षा इकाइयां ही लगेंगी। यूपी डिफेंस हब बनेगा। किसानों को जमीन अधिग्रहण से भारी-भरकम मुआवजा और नौकरियां मिलेंगी। उनकी माली हालत तो सुधेरगी ही उनकी सामाजिक हालत भी बदलेगी। जाहिर है इससे बुंदेलखंड सहित समूचा यूपी नयी बुलंदियों पर होगा।

रक्षा मंत्रालय ने पहली बार एमओयू को भावनात्मक रूप से जोडऩे की कोशिश की है। कंपनियों से करार नहीं, यह बंधन है। ऐसा बंधन जो एक बार भावनात्मक रूप से जुड़ गया तो फिर कभी टूटता नहीं। रक्षा उपकरणों का व्यापार आज दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में रक्षा उपकरणों के निर्यात से उप्र देश एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें में विदेशी मुद्रा कमाने वाला अग्रणी प्रदेश बनेगा।

लेकिन, ठहरिए। देखने-सुनने में यह सब बहुत अच्छा लग रहा है। हकीकत और सपने में अंतर होता है। यह भी समझिए। पिछले दो सालों में डिफेंस कॉरिडोर को लेकर योगी सरकार ने जो काम किया है उसकी वजह से यूपी में पहली बार एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी आयोजित हुई। देश-दुनिया के नामचीन कारोबारी पहुंचे। यह सरकार की सफलता है। असली चुनौती अब उद्यमियों को औद्योगिक माहौल देना की है। ताकि बिना अड़चन जमीन, बिजली, पानी और उद्योग लगाने का क्लीयरेंस उन्हें मिल सके। लंबे समय से प्रदेश में औद्योगिक निवेश में अस्थिरता का माहौल रहा है। इस जड़ता को तोड़ना मुश्किल भरा काम है।

बिजली, प्रशासनिक अड़चन और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे उद्योगपति के कदम यूपी आने से रोक लेते हैं। वे एमओयू तो करते हैं लेकिन फिर लौटकर नहीं आते। इसके पहले यूपी इन्वेस्टर समिति 2018 का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। इसमें मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, सुभाष चंद्रा, कुमारमंगलम बिड़ला और आनंद महिंद्रा जैसे देश के चोटी के उद्यमियों ने हजारों-हजार करोड़ के निवेश का एमओयू किया था। यह योगी सरकार की पहली इन्वेस्टर समिति थी। 4 लाख करोड़ से ज्यादा की परियोजनाएं लगाने की बात हुई। फिर 2019 की इन्वेस्टर समिति में भी करोड़ों के एमओयू से रक्षा और आइटी परियोजनाओं के करार हुए। इसके पहले अखिलेश सरकार ने भी इन्वेस्टर समिति के जरिए करोड़ों के एमओयू किए। लेकिन, इनमें से 20 प्रतिशत इकाइयां भी नहीं लग सकीं। एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है यूपी को निवेश के अनुकूल बनाना। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक सिर्फ कागजों में ही उद्योग लगते रहेंगे। बंधन भी तभी मजबूत होगा जब उद्योगपतियों को भरोसा होगा। जिस दिन उद्योगपतियों का भरोसा जीतने में योगी सरकार कामयाब हुई न केवल बुंदेलखंड बल्कि एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें समूचा यूपी नयी बुलंदियों पर होगा।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. The post भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा appeared first on The Wire - Hindi.

विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. जून 2018 में व्यापार घाटा नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है.

Reserve Bank Reuters


मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.

इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.

इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.

रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें गईंं.

डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.

समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें अरब डॉलर हो गया.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.

व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर

वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.

जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें रहा.

जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.

हालांकि, इस दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.

जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.

वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.

इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.

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