क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं?

दूसरी तरफ वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी निविदा नहीं बनेगी। सोमनाथन ने कहा कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा जो कभी भी डिफॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगी। हम डिजिटल रुपये के साथ गैर-डिजिटल संपत्ति खरीद सकते हैं जैसे हम अपने वॉलेट या यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान करके आइसक्रीम या अन्य चीजें खरीदते हैं।
क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं?
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमेशा कुछ न कुछ विवाद बना रहता है. इसकी माइनिंग से लेकर इस्तेमाल तक को लेकर हमेशा सवाल उठते रहते हैं. अब इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने फिर से इस मामले में चेतावनी दी है. IMF ने क्रिप्टोकरेंसी अपनाने वाले देशों को एक बार फिर इसके खतरों के बारे में आगाह किया है.
IMF ने इन तमाम को देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को बड़े स्तर पर अपनाने से फाइनेंशियल मार्केट में कई खतरे पैदा हो सकते हैं. बता दें कि IMF इस पहले भी क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी रूप से अपनाने के खिलाफ अपनी राय जाहिर कर चुका है.
IMF ने अपनी ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में कहा, एक क्रिप्टो एसेट को मुख्य राष्ट्रीय करेंसी के रूप में अपनाने के महत्वपूर्ण खतरे हैं होते हैं और यह एक अनुचित शॉर्टकट है. IMF ने क्रिप्टो को अपनाने के जिन खतरों को बताया कि उनमें “बड़े स्तर पर वित्तीय स्थिरता, फाइनेंशियल इंटिग्रिटी, कंज्यूमर प्रोटेक्शन और पर्यावरण” से जुड़े खतरे शामिल हैं.
क्रिप्टो बाजार में भूचाल से सभी क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? करेंसियों में आई गिरावट, बिटक्वाइन का रहा सबसे बुरा हाल
नई दिल्ली। गुरुवार क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? को क्रिप्टो मार्के (Crypto Market)ट में एक बार फिर बड़ा भूचाल (Crash Today ) आ गया। बीते दिनों से गिरावट का दौर झेल रहे क्रिप्टो बाजार में ज्यादातर करेंसियों के दाम में भारी गिरावट (Huge fall in currency prices) आई। दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन (popular cryptocurrency bitcoin) का हाल सबसे ज्यादा बेहाल दिखाई दे रहा है और यह 16 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसके अलावा टॉप-10 में शामिल सभी डिजिटल मुद्राएं लाल निशान पर कारोबार कर रही हैं।
बिटक्वाइन का दाम रह गया इतना
दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को आई जोरदार गिरावट ने निवेशकों को ऐसा झटका दिया कि उससे उबरना हाल-फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। बता दें कि खबर लिखे जाने तक बीते 24 घंटों में बिटक्वाइन का दाम 10 फीसदी या 2 लाख 35 हजार रुपये से ज्यादा गिरकर सिर्फ 22,97,441 रुपये रह गया है।
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इथेरियम 19 फीसदी तक टूटा
बिटक्वाइन के साथ ही टॉप-10 क्रिप्टोकरेंसी में दूसरी सबसे लोकप्रिय इथेरियम ने भी अपने निवेशकों को जोरदार झटका दिया है। इथेरियम का दाम 19 फीसदी या 35,356 रुपये टूट गया और यह क्रिप्टोकरेंसी गिरावट के साथ 1,56,476 रुपये की रह गई। बता दें कि बीते साल नवंबर में बिटक्वाइन और इथेरियम ने अपने ऑल टाइम हाई को छुआ था, और इसके बाद से ही इनमें इक्का-दुक्का दिनों को छोड़कर गिरावट जारी है। बिटक्वाइन की बात करें तो ये फिलहाल, अपने ऑल टाइम हाई से 55 फीसदी तक टूट चुका है।
बिनांस-रिपल-कार्डानो का हाल
गुरुवार क्रिप्टो बाजार के लिए काला दिन बनकर सामने आया है। बिटक्वाइन और इथेरियम के अलावा बिनांस क्वाइन 17.35 फीसदी टूटकर 20,707 रुपये का रह गया है। वहीं रिपल की बात करें तो इसमें 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस भारी कमी के बाद रिपल का भाव 30.69 रुपये रह गया है। यहां कार्डानो का जिक्र भी जरूरी है। कार्डानो में बीते 24 घंटे में 27 फीसदी की कमी आई और यह 36.72 रुपये का रह गया, जबकि सोलाना का दाम 29 फीसदी से ज्यादा टूटकर 3,624 रुपये रह गया है।
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Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।
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पिछले हफ्ते बिटकॉइन क्रैश हो गई। यह ओरिजिनल क्रिप्टोकरेंसी थी। पिछले साल ही इसकी कीमतों में 75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। याद रहे एक समय था, जब बिटकॉइन को गोल्ड या यूएस डॉलर से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया था। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी का हाल तो और बुरा है। उनमें से कई एक ही साल में 80 से 90 फीसदी गिर गईं।
कुछ का तो सफाया ही हो गया। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले अधिकतर को बड़ा घाटा हुआ है। पिछले सप्ताह एफटीएक्स भी धड़ाम से गिरा। यह दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज में से है। क्रैश का कारण था बड़े पैमाने पर कथित अनियमितताएं। जैसे कि कस्टमर डिपॉजिट्स को अनुचित तरीके से इस्तेमाल करके कम्पनी की खुद की क्रिप्टाकरेंसी एफटीटी टोकन को खरीदना।
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Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।