मोमबत्ती योजना

Updated Mon, 31 Oct 2022 02:06 AM IST
बीजेपी सांसद ने मोमबत्ती जलाकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- अपने राजनीतिक जीवन में बिजली की इतनी गंभीर समस्या नहीं देखी
बीजेपी के रांची सांसद ने बिजली कटौती के खिलाफ मोमबत्ती जलाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है (BJP MP Sanjay Seth held press conference by lighting candle). इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में बिजली की इतनी खराब स्थिति कभी नहीं देखी है.
रांची: BJP सांसद संजय सेठ ने बिजली कटौती के विरोध में मोमबत्ती जलाकर प्रेस कांफ्रेंस की है (BJP MP Sanjay Seth held press conference by lighting candle). सांसद संजय सेठ ने रांची सहित पूरे झारखंड में बिजली संकट गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि बिजली संगट गहराता जा रहा है और हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है. रांची शहर में आठ से दस घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है.
संजय सेठ में रांची और झारखंड में लगातार हो रही बिजली कटौती के विरोध में मोमबत्ती जलाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. उस दौरान उन्होंने कहा कि, 'रांची में 6-8 घंटे बिजली नहीं रहती है, कभी-कभी तो रात में बिजली जाती है और सुबह में आती है. यह स्थिति पिछले ढ़ाई से तीन महीने से है." उन्होंने कहा कि 'मैंने अपनी राजनीति में बिजली की इतनी गंभीर समस्या नहीं देखी. बिहार के समय भी जब हम एक साथ थे, तब झारखंड में बिजली की स्थित इतनी खराब नहीं थी' रांची में बिजली कटौती के विरोध में मोमबत्ती जलाकर प्रेस कांफ्रेंस वार्ता में BJP रांची सांसद संजय सेठ ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पूरी तरह फेल बताया है. सड़क, बिजली की लचर स्थिति के साथ संजय सेठ ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दी जानेवाली मुफ्त राशन में बड़े पैमाने पर घोटाला होने का आरोप लगाया है.
संजय सेठ ने पिछले रघुवर सरकार से तुलना करते हुए कहा कि उस समय ट्रांसफार्मर 24 घंटे के अंदर बदले जाते थे और लोगों को निर्बाध बिजली मिलती थी मगर तीन वर्षों में यह सरकार ने बिजली लोगों से दूर कर दिया. राज्य सरकार से इसे प्राथमिकता के तहत कैबिनेट बुलाकर विशेष नीधि से केन्द्र को पैसों का भुगतान कर राज्य की जनता को बिजली मुहैया कराने का आग्रह किया है.
झारखंड पर बकाया होने की वजह से सेंट्रल पूल से लगातार कई दिनों से बिजली की कटौती की जा रही है. जिसे लेकर विभाग गंभीर नहीं है. हालांकि मुख्यसचिव ने उर्जा विभाग मोमबत्ती योजना के अधिकारी के साथ बैठक कर समाधान का रास्ता निकालने की कोशिश जरूर की है. जेबीवीएनएल बकाया भुगतान के लिए 500 करोड़ लोन लेने की तैयारी में है जिसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
वहीं, दूसरी ओर इस मुद्दे पर समाधान निकालने के बजाय सियासत शुरू हो गई है. जेएमएम ने रांची सांसद संजय सेठ के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि बिजली की समस्या हर राज्य में है. संजय सेठ को पता करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश का क्या हाल है. बिजली कटौती सेट्रल पूल से की जा रही है, इसमें झारखंड सरकार का क्या दोष है. इसके बाबजूद मुख्यमंत्री के निर्देश पर पहल की जा रही है और जल्द ही समाधान का रास्ता निकल जायेगा. उन्होंने केन्द्र सरकार पर समस्याएं खड़ी किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके बाबजूद राज्य सरकार दृढता से काम कर रही है जिससे भाजपा को पेट में दर्द हो रहा है.
बिजली के अलावा रांची सांसद संजय सेठ ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दी जाने वाली मुफ्त खाद्यान्न योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला होने का भी आरोप लगाया है. सांसद संजय सेठ ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ्त खाद्यान्न नागवार गुजर रहा है, जिस वजह से झारखंड में इसे सफल नहीं होने दिया जा रहा है. मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के नाम पर बड़े पैमाने पर अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से घोटाला होने का आरोप लगाते हुए संजय सेठ ने कहा कि गरीबों के पेट पर लात मारने का काम सरकार कर रही है.
रांची सांसद संजय सेठ ने हेमंत सरकार पर जमकर भड़ास निकालते हुए कहा है कि 'इस सरकार ने पिछले 3 वर्षों में जनता को सिर्फ धोखा देने का काम किया है अगर हमसे कोई इस सरकार के बारे में मार्किंग करने के लिए कहे तो कोई भी अंक इस सरकार को मेरे तरफ से नहीं मिलेगा. यानी यह सरकार हर क्षेत्र में पूरी तरह से फेल है. सड़क बिजली पानी स्वास्थ्य सुविधा जैसी ऐसी बुनियादी चीजें हैं जिससे जनता को सीधे लाभ मिलता है, मगर यह सरकार इन सुविधाओं को भी देने में फेल रही है जिस वजह से जनता परेशान हैं और सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है.'रांची सांसद संजय सेठ ने राजधानी रांची के मेन रोड में हुए दंगे के बाद इसकी जांच की फाइल को बंद किए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इतना भीषण दंगा हुआ और उसकी फाइल बंद कर दी गई. यह सरकार तुष्टीकरण में डूबी हुई है जिस वजह से इस घटना में शामिल लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है. आखिर क्या वजह है की इतनी बड़ी घटना के बाद शुरू हुई जांच को बंद कर दी गई और इस घटना में शामिल लोगों के प्रति सरकार नरमी दिखाना शुरू कर दी है.
सूखा राहत पर राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणा को संजय सेठ ने किसानों के साथ धोखा बताते हुए कहा कि पिछली सरकार में किसानों के लिए सहायता राशि की व्यवस्था की गई थी. जिसे यह सरकार आते ही बंद कर दिया. इस वर्ष सुखाड़ को लेकर जब हाय तौबा मचने लगा और सरकार पर दवाब बनने लगी तो यह आनन फानन में घोषणा की गई है. मगर घोषणा के अनुरूप किसानों को लाभ भी मिलेगा कि नहीं यह कहना कठिन है.
रिम्स की लचर स्थिति पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी को सही बताते हुए संजय सेठ ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ उद्घाटन और शिलान्यास करने आते हैं. मगर स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे दुरुस्त होगा इसकी चिंता नहीं है. रिम्स जैसे संस्थान में पैथोलॉजी बंद हैं, लिफ्ट खराब है, अन्य विभागों की स्थिति दयनीय है. ऐसे में मरीज कहां इलाज कराये इससे सरकार को कोई मतलब नहीं है. पैथोलॉजी में किट सप्लाई करनेवाले कंपनी को तीन वर्ष से पैसा नहीं मिला है. इसी तरह अन्य विभागों की स्थिति है. उन्होंने कहा कि वे 06 दिसंबर को होने वाली रिम्स शासी परिषद की बैठक में जोरदार ढंग से बातों को उठाएंगे कि आखिर गरीब को इलाज की सुविधा रिम्स कैसे उपलब्ध करायेगा. इसपर बात हो ना कि प्रस्ताव पास कर कागज पर ही बातें होकर रह जाय.
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना | पूरी जानकारी | msy.uk.gov.in | कैसे करें आवेदन
॥ मुख्यमंत्री स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना | Mukhyamantri Swarojgar Candle Industry Yojana | उत्तराखंड स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना | Swarojgar Candle Industry Yojana | लाभ / पात्रता / उद्देश्य / विशेषताएं | How to apply ॥
उत्तराखंड सरकार दवारा राज्य के युवाओ को अपना विजनेस / व्यापार शुरु करने के लिए स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना को लागु किया गया है। जिसके जरिए राज्य मे वेरोजगार युवाओ की आय मे वढोतरी करने के लिए सरकार दवारा लोन उपलव्ध करवाया जाएगा। जिसकी मदद से लाभार्थी मोमबत्ती उदयोग का बिजनेस शुरु कर सकते हैं। कैसे किया जाएगा बिजनेस, लाभ कैसे प्राप्त होगा और योजना के लिए आवेदन कैसे किया जाएगा। इसके लिए आपको ये आर्टीकल अंत तक पढना होगा। तो आइए जानते हैं – स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के वारे मे।
Swarojgar Candle Industry Yojana
उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री दवारा वेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोडने और उन्हे आत्म-निर्भर वनाने के लिए स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना को शुरु किया गया है। जिसके तहत राज्य मे वेरोजगार / नौकरी की तलाश करने वाले लाभार्थीयो को मोमबत्ती का बिजनेस शुरु करने के लिए लोन दिया जाएगा। इसके अलावा निर्माण क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में अधिकतम 10 लाख के प्रोजेक्ट को 15 से 25% तक सब्सिडी भी लाभार्थीयो को दी जाएगी। मोमबत्ती उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको शुरू करने में बहुत ज्यादा लागत की जरुरत नहीं पड़ती है। इसका प्रयोग होली, दीपवाली, बर्थडे, क्रिसमस-डे , उद्धाटन या धार्मिक स्थलो आदि के अवसरों मे अधिक होता है। जिससे लाभार्थी की आमदनी निरंतर वढती है। इस बिजनेस को लाभुक अपने घर या किराये पर 12 बाई12 की एक छोटे से कमरे के साथ शुरु कर सकते है। इस व्यवसाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको शुरू करने के लिए बहुत बड़ी जगह की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लाभार्थी को केवल इसके रखरखाव का ध्यान रखना पडता है। योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के उपरांत लाभार्थी के बैंक खाते मे लोन की राशि को स्थानातरित किया जाएगा। जिससे वह मोमबत्ती उद्योग का बिजनेस शुरु कर अपनी इनकम को वढा सकता है।
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना का उद्देश्य
योजना का मुख्य उद्देश्य बेरोजगार और नौकरी की तलाश करने वाले लाभार्थीयो को रोजगार से जोडने के लिए सरकार दवारा लोन के तोर पर वित्तिय सहायता उपलव्ध करवाना है।
Swarojgar Candle Industry Yojana के लिए पात्रता
- उत्तराखंड राज्य के स्थायी निवासी
- बेरोजगार युवा वर्ग
- आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग
- शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है।
- आवेदक किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था / सहकारी बैंक या संस्था इत्यादि का चूककर्ता (defaulter) नहीं होना चाहिए।
- लाभार्थी को 5 वर्ष के भीतर भारत तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी अन्य स्वरोजगार योजना का लाभ प्रदान नहीं होना चाहिए।
- लाभार्थी अथवा उसके परिवार के किसी एक सदस्य को योजना के तहत केवल एक बार ही लाभान्वित किया जायेगा।
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के लिए चयन प्रक्रिया
लाभार्थियों का चयन अधिक आवेदन प्राप्त होने पर प्रोजेक्ट व्यवहार्यता देखते हुए “पहले आयें पहले पायें” (First Come First Serve) के आधार पर किया जायेगा।
Age Range
- न्युनतम – 18 वर्ष
- अधिकतम – 35+
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज
- आधार कार्ड
- स्थायी प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- शैक्षिक योग्यता दस्तावेज
- बैंक खाता
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नम्वर
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के लाभ
- स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना का लाभ उत्तराखंड राज्य के स्थायी निवासियो को प्राप्त होगा।
- योजना के जरिए COVID-19 के चलते नौकरी खो चुके/ बेरोजगार युवा / नौकरी की तलाश कर रहे लाभार्थीयो को राज्य सरकार दवारा बिजनेस शुरु करने के लिए लोन दिया जाएगा।
- लाभार्थीयो को दी जाने वाली धनराशि उनके बैंक खाते मे स्थानातरित की जाएगी।
- इसकी मदद से लाभार्थी घर से ही मोमबत्ती का बिजनेस शुरु कर सकेगें।
- इससे लाभार्थीयो का आर्थिक पक्ष मजबूत होगा और उनकी आय मे भी वढोतरी होगी।
- योजना के चलते लाभार्थीयो को नौकरी की तलाश के लिए भागदौड नहीं करनी पडेगी।
- योजना का लाभ लाभार्थी को आवेदन करके ही मिलेगा।
Mukhyamantri Swarojgar Candle Industry Yojana की मुख्य विशेषताएं
- बेरोजगारो को रोजगार से जोडना
- खुद का बिजनेस चलाने के लिए राज्य सरकार दवारा मिलेगी आर्थिक सहायता
- लाभार्थीयो को आत्म-निर्भर वनाना
- लाभार्थीयो की आय मे वढोतरी
स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के लिए कैसे करें आवेदन
- स्वरोजगार मोमबत्ती उद्योग योजना के लिए आवेदन करने के लिए लाभार्थी को अधिकारिक वेब्साइट पे जाना है।
- अब आपको योजना के लिंक की खोजकर आवेदन फार्म भरना होगा।
- आवेदन फार्म मे दी गई सारी जानकारी भरने के बाद आपको आव्श्यक दस्तावेज अपलोड करने होगें।
- सारी प्रक्रिया होने के बाद आपको सबमिट बटन पे किल्क कर देना है।
- यहां किल्क करते ही आपके दवारा मोमबत्ती योजना योजना के लिए आवेदन कर दिया जाएगा।
- आवेदन होने के वाद लाभार्थी को योजना के संवध मे बैंक से लोन की राशि उसके खाते मे स्थानातरित कर दी जाएगी।
- इस राशि के उपयोग से लाभार्थी मोमबत्ती का बिजनेस शुरु कर सकते हैं और योजना का लाभ ले सकते हैं।
Swarojgar Candle Industry Yojana हेल्पलाइन नम्वर
- 1800-270-1213
आशा करता हूं आपको इस आर्टीकल के दवारा सारी जानकारी मिल गई होगी। आर्टीकल अच्छा लगे तो कोमेंट और लाइक जरुर करें।
रात के सन्नाटे में मोमबत्ती की रोशनी में पढ़वाते थे ग्रंथ
मेरठ ब्यूरो
Updated Mon, 31 Oct 2022 02:06 AM IST
रात के सन्नाटे में मोमबत्ती की रोशनी में पढ़वाते थे ग्रंथ
मेरठ। मंगतपुरम में रात के सन्नाटे में मोमबत्ती जलाकर दिल्ली से महेश मास्टर और अनिल पास्टर ग्रंथ पढ़ाया करते थे। पुलिस के मुताबिक लोगों को पैसे का लालच दिया जाता था। इस बार 25 दिसंबर को बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की योजना थी।
मंगतपुरम से पुलिस को जो रजिस्टर मिला है उसमें प्रेयर भी लिखी है। समाजवेसी सचिन सिरोही का कहना है कि यदि आरोपियों की दो दिन के अन्दर गिरफ्तारी नहीं होती तो वह आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। वहीं। दिल्ली से स्पेशल टीम भी मेरठ आई हुई है, जो जांच पड़ताल में जुटी है।
मेरठ। मंगतपुरम में रात के सन्नाटे में मोमबत्ती जलाकर दिल्ली से महेश मास्टर और अनिल पास्टर ग्रंथ पढ़ाया करते थे। पुलिस के मुताबिक लोगों को पैसे का लालच दिया जाता था। इस बार 25 दिसंबर को बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की योजना थी।
मंगतपुरम से पुलिस को जो रजिस्टर मिला है उसमें प्रेयर भी लिखी है। समाजवेसी सचिन सिरोही का कहना है कि यदि आरोपियों की दो दिन के अन्दर गिरफ्तारी नहीं होती तो वह आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। वहीं। दिल्ली से स्पेशल टीम भी मेरठ आई हुई है, जो जांच पड़ताल में जुटी है।
हाथरस में स्वयं सहायता समूह ने दिखाया महिलाओं को रोजगार का रास्ता, कोई अचार बना रहा तो कोई मोमबत्ती
हाथरस में महिला स्वयं सहायता समूह ने मिसाल कायम की है। इस समूह की महिलाओं ने पहले खुद अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा उसके बाद गांव में आठ समूह बनाकर 100 महिलाओ को उससे जोड़कर उनके लिए रोजगार का रास्ता प्रशस्त किया।
योगेश शर्मा, हाथरस। कहावत है जहां चाह है वहां राह है। अगर इंसान में चाह है तो वह हर मंजिल को पा सकता है। मगर महिलाएं चूल्हा-चौका के साथ रोजगार के पथ पर चल पड़ें तो बात ही अलग है। हम बात कर रहे हैं सासनी में पार्वती महिला स्वयं सहायता समूह की। इस समूह की महिलाओं ने पहले तो खुद अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा और गांव में आठ समूह का गठन कर 100 महिलाओं जोड़कर उनके लिए भी रोजगार का रास्ता प्रशस्त किया। अब गांव में कोई समूह अचार बना रहा है तो कोई माेमबत्ती या अगरबत्ती। काम हर महिला के पास है।
महिलाएं बन रहीं स्वावलंबी
बढ़ती महंगाई के दौर में अब परिवार में अगर पुरुष ही कमा रहा है तो ये काफी भर नहीं है। चौका-चूल्हे तक ही रहने वाली महिलाओं को इस बात का अहसास हुआ तो वह भी घर की देहरी से बाहर निकलीं और चल पड़ी गांव में ऐसे रोजगार की तलाश कि चौका-चूल्हा के साथ वह कुछ कमा सकें। उधर, महिलाओं मोमबत्ती योजना को स्वावलंबी बनाने के लिए मोदी सरकार और योगी सरकार आगे आई। यूपी सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूहों के जरिये अब छोटी-छोटी रोजगार के लिए ऋण मुहैया कराने की पहल शुरू कर दी।
महिलाओं को रोजगार के रास्ते खोले
पार्वती स्वयं सहायता समूह सासनी की काेषाध्यक्ष माधवी बताती हैं कि पुरुष प्रधान देश में कोई भी काम करना बड़ा मुश्किल होता है। मगर महंगाई के दौर में हालात बदले और कोरोना के दौरान कमाई के रास्ते बंद हाे गए तब महिलाओं रोजगार करने के लिए कदम आगे बढ़ाया। हमारे समूह ने न सिर्फ अपनी लघु इकाई तैयार की और अचार बनाकर बाजार में सप्लाई कराया। समूह में 11 सदस्य हैं। समूह ने गांव की अन्य महिलाओं को प्रेषित किया। धीरे-धीरे करके आठ समूह और बना लिए गये जिनसे करीब 100 महिलाएं और जुड़ गई। अब कोई मोमबत्ती तो काेई अगरबत्ती बनाने और भगवान जी ड्रेस बना रहा है।
एक नजर इन आंकड़ों पर
- 2200 स्वयं सहायता समूह इन-दिनों क्रियाशील हैं।
- 30 फीसद सहायता समूह के हवाले राशन की दुकानें
- 500 महिलाओं को रोजगार दिलाकर स्वावलंबी बनाने की तैयारी
- 100 महिलाओं को आठ समूह का गठन करके जोड़ा गया
रोजगार के रास्ते सुलभ कर रहा कौशल विकास मिशन
हाथरस में उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन योजना के तहत विभिन्न कलाओं का ज्ञान देने के लिए विभिन्न केंद्रों पर ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि सिलाई,कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयरिंग,फैशन डिजानिंग,पेटिंग,वेंडर आदि का हुनर पाकर बेरोजगारों को रोजगार प्रदान हो सके। इस बारे में योजना के प्रभारी मोहम्मद फैजान बताते हैं यहां 17 केंद्रों पर प्रशिक्षण का काम चल रहा है।