ईजी मार्केट्स

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लंबे समय तक ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा: HSBC
हितेंद्र दवे एचएसबीसी इंडिया में ग्लोबल बैंकिंग और मार्केट्स के हेड हैं, जो यहां ब्रिटिश बैंक के सबसे बड़े बिजनेस हैं। दवे का डिविजन डेट ट्रेडिंग, .
हितेंद्र दवे एचएसबीसी इंडिया में ग्लोबल बैंकिंग और मार्केट्स के हेड हैं, जो यहां ब्रिटिश बैंक के सबसे बड़े बिजनेस हैं। दवे का डिविजन डेट ट्रेडिंग, इक्विटी कैपिटल मार्केट्स, डेट कैपिटल मार्केट्स का कामकाज देखने के साथ कॉरपोरेट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को सेवाएं भी देता है। कंपनियों और इनवेस्टर्स के बीच अभी क्या चल रहा है, दवे ने ईटी को दिए इंटरव्यू में इस बारे में बात की। पेश हैं खास अंश:
भारत की मैक्रो-इकनॉमिक सिचुएशन बिगड़ी है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इस पर आपका क्या कहना है?
मुझे लगता है कि महंगाई में कमी आएगी। यह पहले 4.4 पर्सेंट तक जाएगी, फिर 5 पर्सेंट पर पहुंचेगी। पिछले साल क्रूड ऑयल का दाम 40 डॉलर प्रति बैरल था। तब किसी ने नहीं सोचा था कि सालभर में यह 60 डॉलर तक पहुंच जाएगा। फिर एचआरए में बढ़ोतरी हुई, कमोडिटी प्राइसेज में तेजी आई और ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ तेज हुई जिनसे महंगाई में तेजी का दबाव बना। इन सबके बावजूद पिछले एक ईजी मार्केट्स ईजी मार्केट्स साल में महंगाई औसतन 4 पर्सेंट से कम रही है लेकिन पिछले तीन महीनों से 5 पर्सेंट के करीब बनी हुई है। मुझे लगता है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना चाहती है, लेकिन वह इसके लिए जिस डेटा का इंतजार कर रही है, नहीं मिल रहा है। मुझे लगता है कि लंबे समय तक ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा।
क्या इसका मतलब यह है कि यील्ड में कमी आएगी?
सिस्टम में कैश बढ़ने और उसमें सरकार के कैश डालना शुरू करने के बाद यील्ड में कमी आनी चाहिए। 10 साल के बॉन्ड्स की यील्ड अभी 7.70 पर्सेंट है, जो गिरकर 7.25-7.50 पर्सेंट तक आ सकती है।
ट्रेड वॉर से करेंसी पर क्या असर होगा?
पिछले 6 महीने में जो डेटा आए हैं, वे रुपये के लिए मुनासिब नहीं रहे हैं। मंथली ट्रेड डेफिसिट 10 अरब डॉलर से बढ़कर करीब 16 अरब डॉलर हो गया है। इसलिए अगर एफडीआई या विदेशी निवेश में बढ़ोतरी नहीं होती है तो भारत के पास सरप्लस डॉलर नहीं बचेगा। इससे रुपये की वैल्यू कम होनी चाहिए। इस साल रुपये डॉलर के मुकाबले 2-4 पर्सेंट कमजोर हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक डोमेस्टिक कंजम्पशन पर निर्भर करती है। इसलिए ग्लोबल ट्रेड वॉर का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
लोकल ट्रेजरी मार्केट के लिए भी ईजी मनी कंडीशन का दौर खत्म हो गया है। आप इसे किस तरह से देखते हैं.
क्रूड ऑयल की कीमत और अमेरिकी ट्रेजरी का असर डोमेस्टिक फिक्स्ड इनकम मार्केट पर पड़ा है, लेकिन मुझे लगता है कि पिछले तीन से चार महीने में जो हुआ है, उसमें डोमेस्टिक फैक्टर्स का बड़ा रोल रहा है। सरकारी बॉन्ड्स का वॉल्यूम बहुत कम हो गया है और इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह मार्केट की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। सरकारी बॉन्ड्स के वॉल्यूम में कमी आने पर आप कॉरपोरेट बॉन्ड ईजी मार्केट्स मार्केट का अंदाजा लगा सकते हैं, जो इसका 10 पर्सेंट है। ऐसे में कंपनियों के लिए बॉन्ड मार्केट से फंड जुटाना मुश्किल हो जाएगा। अगले साल केंद्र और राज्य सरकारें बॉन्ड बेचकर 10 लाख करोड़ रुपये जुटाएंगी। जब प्राइमरी मार्केट में इतनी अधिक सप्लाई हो, तब सेकेंडरी मार्केट में भी वॉल्यूम अधिक होना चाहिए।
डोमेस्टिक मार्केट में क्या बदलाव आया है?
कंपनियां पिछले 7-8 साल से अपनी बैलेंस शीट को ठीक करने में जुटी थीं। अब वे निवेश के लिए तैयार हैं। विदेश में एक्विजिशन भी सस्ता बना हुआ है। फार्मा और इंडस्ट्रियल गुड्स सेगमेंट में कुछ हलचल दिख रही है। डोमेस्टिक मार्केट में सीमेंट सेक्टर में सौदे हो रहे हैं। हम इंडियन इंश्योरेंस सेक्टर में भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
कोरोना से आईपीओ योजना पर असर
कोरोनावायरस के फैलने की वजह से इस वित्त वर्ष में कंपनियों की पूंजी जुटाने की गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं। मामले के जानकार तीन लोगों ने बताया कि भारतीय कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र, खास तौर पर सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में आयोजित होने वाले रोडशो को रद्द कर रही हैं या उसे टाल रही हैं। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये विदेशी निवेशकों को प्रवर्तकों से मिलने और कंपनी की संभावनाओं के बारे में सवाल-जवाब करने का मौका मिलता है। कोष जुटाने की गतिविधि से एक महीने पहले या कुछ हफ्ते पहले कंपनियों की ओर से इस तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा हॉन्ग कॉन्ग भारतीय कंपनियों के लिए अहम क्षेत्रों में हैं क्योंकि कई बड़े संस्थागत निवेशक इन देशों से ही अपने कारोबार का परिचालन करते हैं। एक वरिष्ठ निवेश बैंकर ने कहा, 'कंपनी के अधिकारी स्वास्थ्य जोखिमों के चलते फिलहाल इन इलाकों की यात्रा नहीं करना चाह रहे हैं। इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर रोडशो रद्द किए जा सकते हैं, वहीं कोष जुटाने की योजना में भी कुछ देरी हो सकती है।'
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से विभिन्न कंपनियों के करीब 17,300 करोड़ रुपये के आईपीओ को मंजूरी मिल चुकी है और करीब 24,000 करोड़ रुपये के आईपीओ की मंजूरी लंबित है। सरकार भी 2019-20 के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए शेयरों की बिक्री करने की योजना बना रही है। आईपीओ लाने की कतार में शामिल कंपनियों में एसबीआई काड्र्स ऐंड पेमेंट सर्विसेस, होम फर्स्ट फाइनैंस, बजाज एनर्जी, ईजी ट्रिप प्लानर्स, इक्विटास स्मॉल फाइनैंस बैंक, श्रीराम प्रॉपर्टीज, मझगांव शिपबिल्डर्स, ईएसएएफ स्मॉल फाइनैंस बैंक और आईआरएफसी प्रमुख हैं। एवेन्यु सुपरमाट्र्स भी प्रवर्तक हिस्सेदारी कम करने के लिए इस महीने 7,000 करोड़ रुपये का क्यूआईपी ला सकती है। लेकिन कोरोनावायरस की वजह से कुछ कंपनियों करी पूंजी जुटाने की समयसीमा प्रभावित हो सकती है।
येस सिक्योरिटीज में मर्चेंट बैंकिंग की ग्लोबल हेड और समूह अध्यक्ष अमिशी कपाड़िया ने कहा कि पहले हॉन्ग कॉन्ग में विरोध-प्रदर्शन की वजह से पहले ही इस इलाके में रोडशो प्रभावित हुआ था और अब कोरोनावायरस के कारण कार्यक्रम रद्द करने पड़ सकते हैं। कपाड़िया ने कहा कि सिंगापुर में हमने अभी तक रोडशो रद्द नहीं किए हैं लेकिन स्थिति पर करीबी नजर है और अगले कुछ दिनों में इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'हम अपने निवेशकों के लिए कॉन्फ्रेंस कॉल करने का विकल्प भी तलाश रहे हैं।'
इडलवाइस इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में इक्विटी कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख जिबी जैकब ने कहा, 'हम हॉन्गकॉन्ग में रोडशो से परहेज कर रहे हैं पर सिंगापुर, अमेरिका ईजी मार्केट्स और ब्रिटेन में निवेशकों से मिलना जारी रखेंगे। कुछ बैठकों को वीडियो कॉन्फ्रेंस में बदला गया है। इसलिए समयसीमा पर असर नहीं पड़ेगा।' विशेषज्ञों ने कहा, '1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक पूंजी जुटाने वाली कंपनियों के लिए वीडियो कॉल का विकल्प व्यवहार्य नहीं है।'
एक वरिष्ठ निवेश बैंकर ने कहा, 'निवेशक प्रवर्तक का समर्थन कर रहे हैं और कंपनी के आंकड़ों से ज्यादा प्रवर्तकों से आमने-सामने मुलाकात करने को इच्छुक हैं। वे देखना चाहते हैं कि प्रवर्तक किस तरह से खुद को प्रस्तुत करते हैं और अपने दृष्टिकोण को कैसे समझाते हैं। ये सब चीजें आप वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये नहीं कर सकते हैं।' इससे केवल कोष जुटाने की गतिविधि ही नहीं, बल्कि वैश्विक निवेशकों की बैठकें भी प्रभावित हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी वार्षिक वैश्विक निवेशक बैठक को रद्द कर दिया है जिसका आयोजन इसी महीने सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में होना था। इस तरह ईजी मार्केट्स की बैठक वैश्विक निवेशकों से भारतीय कंपनियों को मिलने का मौका मिलता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने ईमेल से भेजे जवाब में कहा, 'हमने कोरोनावायरस की वजह से अपनी वैश्विक निवेशक बैठक टाल दी और नई तिथि को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।' चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हुआ था जिसका असर दुनिया भर के बाजारों पर पड़ा है। मध्य जनवरी 2020 से एशियाई शेयर बाजार में 4 से 6 फीसदी की गिरावट आई है।
शांघाई स्टॉक एक्सचेंज सोमवार को लगभग आठ फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह पिछले पांच साल की अवधि में सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी प्रमुख वजह कोरोना वायरस को लेकर बढ़ती चिंता है। इस वायरस से अब तक 300 से अधिक मौत हो चुकी हैं। शांघाई कंपोजिट इंडेक्स 229.92 गिरकर 2,746.61 पर और शेनझेन कंपोजिट इंडेक्स 8.41 फीसदी गिरकर 1,609 पर बंद हुआ। चीन में कोरोना वायरस फैलने की वजह से दुनिया भर के बाजारों में गिरावट का रुख बना हुआ है। छुट्टियों के बाद चीन का बाजार खुलने पर इसमें भी तेज गिरावट आई। हालांकि घरेलू बाजार में गिरावट पर लगाम लगी। उतार-चढ़ाव वाले कारोबार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 136.78 अंक मजबूत होकर 39,872.31 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 46.05 अंक चढ़कर 11,707.90 पर बंद हुआ।
आसान हुई CA की पढ़ाई, हटे कई चैप्टर, ये टॉपिक भी जोड़े जाएंगे
CA Course: चार्टेर्ड अकाउंटेंट का कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स के लिए आइसीएआइ की ओर से एक बड़ी राहत की खबर आई है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने सीए फाइनल के कोर्स में बदलाव करते हुए कई चैप्टर हटा दिए हैं। वहीं फाइनल एग्जाम पैटर्न में चेंज कर इसे आसान बनाया जाएगा। सीए इंस्टीट्यूट ने हाल ही में इस संबंध में सर्कुलर जारी किया है। आइसीएआइ के जयपुर चैप्टर के चेयरमैन सीए लोकेश कासट का कहना है कि इंस्टीट्यूट की इस पहल से रिजल्ट इम्प्रूव होगा और बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स सीए बन सकेंगे।
दरअसल अब तक सीए कोर्स में एंट्री तो ईजी है, लेकिन एग्जिट टफ है। स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में सीए कोर्स में एनरोल तो हो जाते हैं और इंटरमीडिएट भी क्लीयर कर लेते हैं। लेकिन फाइनल फाइव परसेंट स्टूडेंट्स भी पास नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि कई साल मेहनत के बाद स्टूडेंट्स इंटर के बाद सीए कोर्स ड्रॉप कर देते हैं। स्टूडेंट्स की इसी परेशानी को देखते हुए इंस्टीट्यूट ने सीए कोर्स में इंटरमीडिएट का स्टैंडर्ड टफ और फाइनल आसान किया है।
इन पेपर्स में घटाए और बढ़ाए टॉपिक्स
आइसीएआइ ने सीए फाइनल के फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, स्ट्रेटेजिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट, एडवांस्ड ऑडिटिंग एंड प्रोफेशनल एथिक्स, कॉरपोरेट एंड इकोनॉमिक लॉ, रिस्क मैनेजमेंट, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड कैपिटल मार्केट्स, इकोनॉमिक लॉ और इनडायरेक्ट टैक्स लॉ पेपर्स में से कई टॉपिक्स हटा दिए हैं। वहीं कॉरपोरेट एंड इकोनॉमिक लॉ, रिस्क मैनेजमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज एंड कैपिटल मार्केट्स पेपर्स में कुछ नए टॉपिक एड ऑन किए हैं। ये सभी बदलाव अगले साल मई में होने वाले एग्जाम्स से लागू होंगे।
आइसीएआइ का यह कदम निश्चित रूप से स्टूडेंट्स के लिए राहत भरा है। इंटर क्लीयर करने वाले करीब-करीब सभी स्टूडेंट्स सीए फाइनल करके ही निकलेंगे। इररेलेवेंट टॉपिक्स को हटा देने से स्टूडेंट्स स्टडी मैटेरियल को लेकर ज्यादा कन्फ्यूज नहीं होंगे।
- सीए लोकेश कासट, चेयरमैन, आइसीएआइ जयपुर चैप्टर