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बाज़ार बेचना

बाज़ार बेचना
अफ़ग़ानिस्तान को भी उसी की ज़रूरत है जिसकी ज़रूरत, दुनिया के किसी भी अन्य देश को बाज़ार बेचना है: महिलाओं को कामकाज करने का मौक़ा मिले, नेतृत्व करने का अवसर मिले, चुनौतियों को अवसरों में तब्दील करने का भी मौक़ा मिले.

कितना बड़ा है दुनिया में ड्राई-फ्रूट्स का बाजार

एक्सपर्ट कमेटी ने Covishield और Covaxin के टीकों को बाज़ार में बेचने की मंजूरी देने की सिफारिश की

By: पीटीआई- भाषा | Updated at : 19 Jan 2022 10:53 PM (IST)

Corona Vaccine News: देश के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को कोविड रोधी टीकों (Coronavirus Vaccine)- कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) को कुछ शर्तों के साथ नियमित विपणन मंजूरी प्रदान करने की अनुशंसा की. आधिकारिक सूत्रों ने ये जानकारी दी. अभी देश में इन टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी है.

फार्मा कंपनियों-सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) को अपने कोविड रोधी टीकों- क्रमश: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के लिए नियमित विपणन मंजूरी की मांग करते हुए आवेदन जमा किए थे.

एसआईआई के निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने इस मामले में 25 अक्टूबर को डीसीजीआई को एक आवेदन दिया था. इस पर डीसीजीआई ने पुणे स्थित कंपनी से अधिक डेटा और दस्तावेज मांगे थे, जिसके बाद सिंह ने हाल ही में अधिक डेटा और जानकारी बाज़ार बेचना के साथ एक जवाब प्रस्तुत किया था.

कितना बड़ा है दुनिया में ड्राई-फ्रूट्स का बाजार

एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में ड्राई-फ्रूट्स के वैश्विक बाजार का आकार 6.10 अरब डॉलर (4.85 खरब रुपये) का था। दुनिया में ड्राई फ्रूट बाजार के 2021 में बढ़कर 6.28 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। वहीं, साल 2028 तक इस बाजार का आकार 8.30 अरब डॉलर तक जा सकता है। इस तरह 2021 से 2028 के बीच इसके 4.1 फीसदी सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

कोरोना महामारी का इस बाजार पर पड़ा बुरा असर

कोरोना महामारी का इस बाजार पर पड़ा बुरा असर

ड्राई-फ्रूट बाजार पर कोरोना वायरस महामारी का बड़ा असर पड़ा है। इससे ड्राई फ्रूट्स की वैश्विक सप्लाई बाधित हो गई। हमने भी देखा था कि कोविड के समय भारत में भी ड्राई-फ्रूट्स काफी महंगे हो गए थे। हालांकि, दुनिया में महामारी के बाद हेल्थ को लेकर अवेयरनेस काफी बढ़ी है। इससे पोष्टिक आहार की डिमांड भी बढ़ी है। यही कारण है कि ड्राई-फ्रूट्स की डिमांड में अब तेजी आ रही है।

लोग तलाश रहे विकल्प

लोग तलाश रहे विकल्प

लोग अब डेली न्यूट्रिशन डाइट पर काफी ध्यान दे रहे हैं। अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों से दूर रहने के लिए ड्राइ-फ्रूट्स ले रहे हैं। साथ ही लोग अपनी न्यूट्रिशन डाइट को बैलेंस करने के लिए नए विकल्प भी खोज रहे हैं। इससे फाइबर, सूक्ष्म पोषक तत्व, प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड युक्त पोषक तत्वों से समृद्ध खाद्य पदार्थों की डिमांड तेजी से बढ़ी है। मिलेनियल्स और कामकाजी वयस्कों के बीच बढ़ी रेडी-टू-ईट स्वस्थ खाद्य पदार्थों की मांग में ड्राई फ्रूट्स भी शामिल हैं।

15-16 सितंबर को रहा एससीओ शिखर सम्मेलन

15-16 सितंबर को रहा एससीओ शिखर सम्मेलन

उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन का सम्मेलन आयोजित हो रहा है। पीएम मोदी गुरुवार शाम इस सम्मेलन के लिए रवाना हो गए हैं। पिछली बार किर्गिस्तान के बिश्केक में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था। एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) हर साल एक बार आयोजित किया जाता है।

क्या है शंघाई सहयोग संगठन

एक्सपर्ट कमेटी ने Covishield और Covaxin के टीकों को बाज़ार में बेचने की मंजूरी देने की सिफारिश की

By: पीटीआई- भाषा | Updated at : 19 Jan 2022 10:53 PM (IST)

Corona Vaccine News: देश के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने बुधवार को कोविड रोधी टीकों (Coronavirus Vaccine)- कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) को कुछ शर्तों के साथ नियमित विपणन मंजूरी प्रदान करने की अनुशंसा की. आधिकारिक सूत्रों ने ये जानकारी दी. अभी देश में इन टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी है.

फार्मा कंपनियों-सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) को अपने कोविड रोधी टीकों- क्रमश: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के लिए नियमित विपणन मंजूरी की मांग करते हुए आवेदन जमा किए थे.

एसआईआई के निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने इस मामले में 25 अक्टूबर को डीसीजीआई को एक आवेदन दिया था. इस पर डीसीजीआई ने पुणे स्थित कंपनी से अधिक डेटा और दस्तावेज मांगे थे, जिसके बाद सिंह ने हाल ही में अधिक डेटा और जानकारी के साथ एक जवाब प्रस्तुत किया था.

खुले बाजार में तूर दाल बेचना क्यों पसंद कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान?

खुले बाजार में तूर दाल बेचना क्यों पसंद कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान?

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सरिता शर्मा

Updated on: Mar 09, 2022 | 3:12 PM

प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे महाराष्ट्र के किसान 2021 से ही फसलों का उचित दाम न मिलने की समस्या से भी परेशान हैं. पहले सोयाबीन, कपास के दामों में गिरावट देखी गई थी. लेकिन बाद में कुछ ही महीनों में तस्वीर बदलने लगी है और अच्छे भाव मिलने लगे. तुअर (Tur) के मामले में भी वही हो रहा है. इस साल उत्पादन में गिरावट के बावजूद शुरुआती भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल था. महज डेढ़ महीने में तुअर की कीमत में 7000 रुपये हो गई इस साल नाफेड के जरिए गारंटी सेंटर शुरू किए गए हैं. इस खरीदी केंद्र (Procurement center) पर तुअर की कीमत 6,300 रुपये तय की गई है. लेकिन खरीदी केंद्र की ओर किसानों (Farmers) का रुझान कम है, क्योंकि केंद्र की स्थापना के बाद बाजार भाव भी बढ़ गए थे. किसानों का कहना है अब बाजार में खरीदी केंद्र से ज्यादा दाम मिल बाज़ार बेचना रहा है. इसलिए सरकारी खरीद केंद्र पर कौन जाएगा.

खरीदी केंद्र पर बेचने नही जा रहे हैं किसान

नाफेड की ओर से राज्य में तुअर गारंटी केंद्र स्थापित किए गए हैं लेकिन नियम-कायदों और एक महीने बाज़ार बेचना बाद खाते में पैसे के कारण, किसान खुले बाजार में तुअर बेचना पसंद कर रहे है क्योंकि अब खुले बाजार में कीमत सरकार की गारंटीड कीमत से ज्यादा है. लातूर की कृषि उपज मंडी समिति में भी तुअर की आवक बढ़ गई है. मंगलवार को 20 हजार तुअर की बोरियां पहुंचीं. कपास के बाद अब तुअर की कीमतों में बढ़ोतरी से किसान संतुष्ट नज़र रहे हैं.

सोयाबीन की कीमतें पिछले कुछ दिनों से 7,300 रुपये पर स्थिर हैं. यह इस सीजन के लिए अच्छा रेट माना जा रहा है.इसके अलावा सोयाबीन के भंडारण से किसानों को बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में मदद मिली है. सोयाबीन की कीमतों में उतार-चढ़ाव कम हो गया है. आगे भी ऐसा ही रहने की उम्मीद जताई जा रही है. इस बाज़ार बेचना समय बाजार में सोयाबीन, तुअर और चने की काफी मांग है. लातूर की मंडी समिति में मंगलवार को 34,000 बोरी सोयाबीन, 20 हजार बोरी तुअर के अलावा 40 हजार बोरी चने की भी पहुंचीं.

आपबीती: ‘अफ़ग़ान औरतें अब भी संघर्षरत हैं. और मैंने उनमें शामिल रहने का रास्ता चुना है.

36 वर्षीय नसीमा* अफ़ग़ानिस्तान में एक शान्ति निर्मात्री और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं. अगस्त 2021 में तालेबान द्वारा देश की सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने के बाद से, नसीमा देश में ही रहकर काम कर रही हैं, जबकि देश के हालात दुनिया की सर्वाधिक जटिल मानवीय आपदाओं में शामिल होते जा रहे हैं. नसीमा की आपबीती.

“15 अगस्त 2021 को मैं अपने दफ़्तर में मौजूद थी. सुबह 8 बजे एक सहयोगी ने भीतर आकर, कार्यालय बन्द करने और सभी महिलाओं को घर वापिस भेजने को कहा. तालेबान राजधानी के दरवाज़े पर दस्तक दे चुके थे. मैं शिक्षारत थी, अपनी मास्टर डिग्री के अन्तिम वर्ष की शिक्षा पूरी कर रही थी; मैं एक सिविल सोसायटी संगठन की अगुवाई कर रही थी; और मैं दो कारोबारी संगठन भी चला रही थी.

उससे पहले, 10 महीने से, मैं अफ़ग़ानिस्तान में एक विशालतम नैटवर्क को तैयार करने के लिये काम कर रही थी जिसने महिलाओं को शान्ति प्रक्रिया के ज़्यादा निकट पहुँचा दिया. हर दिन मेरा काम, अफ़ग़ान महिलाओं की आवाज़ ऐसे मंचों पर बुलन्द करना था जहाँ उनके भविष्य से सम्बन्धित निर्णय लिये जाते थे. मैं लगातार धरातल पर रहती थी, एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त की यात्रा करते हुए, हज़ारों अफ़ग़ान महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए.

‘15 अगस्त को मेरे भीतर कोई चीज़ मर गई’

मुझे याद है कि पिछली बार जब वो सरकार में थे, बस कल की ही बात लगती है – मेरी माँ को बुरक़ा पहनना पड़ता था, मेरे पड़ोसी परिवार की बेटी की शादी 11 वर्ष की उम्र में कर दी गई थी, और जब भी हम अपने घर से बाहर निकलते थे, तो मेरी माँ मेरे ऊपर भी एक बड़ी चादर ढकती थीं. मेरी उम्र 8 वर्ष थी.

15 अगस्त 2021 को मेरे भीतर किसी चीज़ की मौत हो गई, या कम से कम मुझे तो ऐसा ही महसूस होता है: मेरी उम्मीदें चकनाचूर हो गईं, मेरी शिक्षा अप्रासंगिक हो गई, अफ़ग़ानिस्तान में मेरा किया गया निवेश बेकार हो गया.

उसके बाद तो बहुत सी रातें बहुत ज़्यादा स्याह गुज़रीं. महिलाओं से सम्बन्ध रखने वाली मेरी परियोजनाएँ बन्द करनी पड़ीं; मेरी महिला स्टाफ़ में से ज़्यादातर ने इस्तीफ़े दे दिये. मगर मैं जानती थी कि मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा. मैंने समझा कि अब जिस अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान क़ब्ज़ा कर रहे हैं वो 1990 के अफ़ग़ानिस्तान से भिन्न है.

‘मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी’

मैंने ज़मीन पर मौजूद हमारे महिला स्टाफ़ की सुरक्षा के लिये, तालेबान के साथ पैरोकारी की. फिर भी मुझे बहुत से मुद्दों का सामना करना पड़ा: हमारे खाद्य वितरण केन्द्रों के दरवाज़े बन्द कर दिये गए, मेरे स्टाफ़ को पीटा भी गया, मेरा लैपटॉप छीन लिया गया, मेरे फ़ोन की तलाशी ली गई, मुझे ख़ामोश रहने के लिये कहा गया.

मगर मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी. हमारे खाद्य वितरण केन्द्रों पर महिलाएँ, तड़के दो बजे से क़तार में आकर खड़ी हो जाती थीं. एक दिन मैंने एक ऐसी महिला को उस क़तार में खड़े हुए देखा जिसे मैं जानती थी. उसके पास मास्टर की डिग्री थी और वो संस्कृति मंत्रालय में काम किया करती थी.

देश भर में हज़ारों महिलाएँ विभिन्न मंत्रालयों के लिये काम किया करती थीं. अब उनमें से कुछ को, अपने बच्चों का पेट भरने के लिये, आटे की एक बोरी हासिल करने की बाज़ार बेचना ख़ातिर, इस तरह क़तार में खड़ा होना पड़ता है.

अफ़ग़ानिस्तान में UNWOMEN

  • संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन, अफ़ग़ानिस्तान बाज़ार बेचना में ज़मीन पर काम कर रही है, और हर दिन अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों की मदद करने के लिये प्रयासरत है.
  • देश में एजेंसी की रणनीति, महिलाओं में निवेश के इर्द-गिर्द घूमती है — जिन प्रान्तों में उन्होंने पहले कभी काम नहीं किया, वहाँ हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिये समर्थन बढ़ाने से लेकर, आवश्यक सेवाओं के वितरण में महिला मानवीय कार्यकर्ताओं की मदद करने और महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिये प्रारम्भिक पूंजी प्रदान करने तक.
  • अफ़ग़ान महिला आन्दोलन बहाल करने का लक्ष्य, एजेंसी के काम का केन्द्र बिन्दु रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान में UN Women की कार्रवाई और तालेबान के अधिग्रहण के एक साल बाद, देश में महिलाओं की स्थिति के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये यहाँ क्लिक करें.

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