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ADRs का वास्तविक

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Photo:PTI (FILE)

शहर के प्रमुख चौक को उनके वास्तविक नाम से संबोधित करने की उठाई मांग .

राजनांदगांव. संस्कारधानी ADRs का वास्तविक के बौद्ध समाज व मुस्लिम समाज, प्रबुद्ध युवा मंच के सचिव आशीष रामटेके के नेतृत्व में महापौर हेमा देखमुख एवं आयुक्त चंद्रकांत कौशिक से मिलकर समाज के लोगों ने लंबे समय से मांग हो रहे कार्यों को लेकर मुलाकात की जिसमें संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर प्रवेश द्वार पर स्थित चौक का नामकरण आंबेडकर चौंक से किया है। बावजूद कोई जनप्रतिनिधि हमारे शहर आगमन पर उनके प्रोटोकॉल में भदौरिया चौक के नाम से प्रेषित किया जाता है। बकायदा पुलिस महकमे द्वारा भी 112 को सूचना- पाइंट भदौरिया चौक के नाम से चलाया जाता है।

Raised demand to address the city head Chowk with his real name .

वहीं स्थानीय समाचार पत्रों में भी आंबेडकर चौक के नाम पर भदौरिया चौंक प्रिंट किया जाता है। जब कि ऑफिसियल तरीके से आंबेडकर चौक निर्माण किया गया है। इस विषय पर लोगों ने यह मांग रखी की इस चौक का वास्तविक नाम प्रशासनिक तथा सरकारी कार्यों में उपयोग में लाया जाए। साथ ही स्वतंत्रता सेनानी अस्फाक उल्ला खां साहब की प्रतिमा राजनांदगांव के गौरव स्थल में लगाई जाए। ताकि हमारा देश स्वतंत्राता संग्राम में बहुमूल्य योगदान देने वाले खां साहब को हम सभी की ओर आदरांजली होगी। इसी कड़ी में लंबे समय से शंकरपुर प्रवेश द्वारा को भी नया बनाने की मांग की गई।

बौद्ध कल्याण समिति शाखा तुलसीपुर, प्रज्ञा महिला मंड़ल, प्रबुद्ध युवा मंच एवं मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में महापौर और आयुक्त से मिलकर ज्ञापन सौंपा और महापौर एवं आयुक्त ने आवश्वासन दिया की जल्द से जल्द ये काम प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। जिसमें आशीष रामटेके, कन्हैयालाल खोब्रागढ़े, बंटी दीप रामटेके, पार्षद सिद्धार्थ डोंगरे, जेतवन्य बौद्ध विहार अध्यक्ष राजू बारमाटे, पार्षद मधुकर बंजारी,राजा खान, सैय्यद रौशन, अर्जुन सिंह ठाकुर, मनोज सोरटे, राशिद, पायल मेश्राम, पुष्पा ऊके जसवंता रामटेके, महेंद्र लेंझारे आदी उपस्थित थे।

कृषि कानून की वापसी के फैसले का स्वागत, समिति किसानों की आय बढ़ाने में करेगी मदद: PHDCCI

गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 19, 2021 16:03 IST

कृषि कानून पर फैसले. - India TV Hindi News

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कृषि कानून पर फैसले का उद्योग ने किया स्वागत

Highlights

  • समिति किसानों की समस्याओं की पहचान करने में होगी मददगार
  • किसानों की आय बढ़ाने के लिये नीति बनाने में मदद करेगी समिति

नई दिल्ली। तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शुक्रवार को कहा कि कृषि मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय किसानों की वास्तविक पीड़ा की पहचान करने में काफी मददगार साबित होगा और केंद्र को किसानों की आय बढ़ाने के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है और उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों से घर लौटने की अपील की। किसान इन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं।

गुरु नानक जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों, खासकर छोटे किसानों के कल्याण और कृषि जगत के हित में और गांव-गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए ‘‘पूरी सत्य निष्ठा’’ और ‘‘नेक नीयत’’ से तीनों कानून लेकर आई थी, लेकिन अपने तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाई। पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की सराहना करते हैं। मुल्तानी ने कहा, ‘‘कृषि संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति बनाने का निर्णय किसानों के वास्तविक दर्द की पहचान करने में काफी मददगार साबित होगा और किसानों, विशेष रूप से सीमांत किसानों की आय को बढ़ाने के लिए पर्याप्त कृषि नीति बनाने में सरकार की मदद करेगा। ’’

शहर के प्रमुख चौक को उनके वास्तविक नाम से संबोधित करने की उठाई मांग .

राजनांदगांव. संस्कारधानी के बौद्ध समाज व मुस्लिम समाज, प्रबुद्ध युवा मंच के सचिव आशीष रामटेके के नेतृत्व में महापौर हेमा देखमुख एवं आयुक्त चंद्रकांत कौशिक से मिलकर समाज के लोगों ने लंबे समय से मांग हो रहे कार्यों को लेकर मुलाकात की जिसमें संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर प्रवेश द्वार पर स्थित चौक का नामकरण आंबेडकर चौंक से किया है। बावजूद कोई जनप्रतिनिधि हमारे शहर आगमन पर उनके प्रोटोकॉल में भदौरिया चौक के नाम से प्रेषित किया जाता है। बकायदा पुलिस महकमे द्वारा भी 112 को सूचना- पाइंट भदौरिया चौक के नाम से चलाया जाता है।

Raised demand to address the city head Chowk with his real name .

वहीं स्थानीय समाचार पत्रों में भी आंबेडकर चौक के नाम पर भदौरिया चौंक प्रिंट किया जाता है। जब कि ऑफिसियल तरीके से आंबेडकर चौक निर्माण किया गया है। इस विषय पर लोगों ने यह मांग रखी की इस चौक का वास्तविक ADRs का वास्तविक नाम प्रशासनिक तथा सरकारी कार्यों में उपयोग में लाया जाए। साथ ही स्वतंत्रता सेनानी अस्फाक उल्ला खां साहब की प्रतिमा राजनांदगांव के गौरव स्थल में लगाई जाए। ताकि हमारा देश स्वतंत्राता संग्राम में बहुमूल्य योगदान देने वाले खां साहब को हम सभी की ओर आदरांजली होगी। इसी कड़ी में लंबे समय से शंकरपुर प्रवेश द्वारा को भी नया बनाने की मांग की गई।

बौद्ध कल्याण समिति शाखा तुलसीपुर, प्रज्ञा महिला मंड़ल, प्रबुद्ध युवा मंच एवं मुस्लिम समाज के लोग बड़ी संख्या में महापौर और आयुक्त से मिलकर ज्ञापन सौंपा ADRs का वास्तविक और महापौर एवं आयुक्त ने आवश्वासन दिया की जल्द से जल्द ये काम प्राथमिकता के साथ किया जाएगा। जिसमें आशीष रामटेके, कन्हैयालाल खोब्रागढ़े, बंटी दीप रामटेके, पार्षद सिद्धार्थ डोंगरे, जेतवन्य बौद्ध विहार अध्यक्ष राजू बारमाटे, पार्षद मधुकर बंजारी,राजा खान, सैय्यद रौशन, अर्जुन ADRs का वास्तविक सिंह ठाकुर, मनोज सोरटे, राशिद, पायल मेश्राम, पुष्पा ऊके जसवंता रामटेके, महेंद्र लेंझारे आदी उपस्थित थे।

क्या है वास्तविक पूजा, जानें सुभाषचंद्र बोस के इस प्रसंग से

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
उन दिनों बंगाल में भीषण बाढ़ आई हुई थी। समूचा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस उस समय कालेज में पढ़ते थे। वे कुछ स्वयंसेवियों के साथ मिलकर बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री इकट्ठा करने में जुट गए। वह दिन-रात इसमें लगे रहते और बहुत कम आराम करते। एक दिन उनके पिता बोले, ‘‘बेटा, क्या आज भी बाढ़ पीड़ितों की सेवा के लिए जा रहे हो?’’

सुभाष बोले, ‘‘मेरा जाना आवश्यक है। मुझसे लोगों का दर्द बर्दाश्त नहीं होता। ऐसे में इंसान ही तो इंसान की मदद करेगा न। अभी कुछ और करने का कोई अर्थ नहीं है।’’

पिताजी बोले, ‘‘बेटा, मैं तुम्हारी बात से पूरी तरह सहमत हूं। तुम मानव सेवा अवश्य करो लेकिन थोड़ा घर पर भी ध्यान दिया करो। अपने गांव में मां दुर्गा की पूजा का आयोजन किया जा रहा है।

वहां और लोगों के साथ तुम्हारा रहना भी जरूरी है, इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।’’

पिताजी की बात सुनकर सुभाष बोले, ‘‘क्षमा कीजिए पिताजी, मैं आपके साथ नहीं चल सकता। आप सब गांव जाकर दुर्गा मां की पूजा करें। मैं दीन-दुखियों की पूजा करूंगा। उनकी पूजा करके मुझे दुर्गा मां की पूजा का पुण्य मिल जाएगा।’’

बेटे की बात सुनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। वह सुभाष को गले लगाते ADRs का वास्तविक हुए बोले, ‘‘बेटा, सचमुच दुर्गा मां की वास्तविक पूजा तो तुम ही कर रहे हो।’’

इसके बाद वह उन्हें आशीर्वाद देकर अपने गांव के लिए चल पड़े।

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🌷धर्म का

🌷धर्म का वास्तविक स्वरुप🌷 धर्म विरोध का प्रथम कारण है धर्म के वास्तविक स्वरुप को न समझना।धर्म के वास्तवि

🌷धर्म का वास्तविक स्वरुप🌷 धर्म विरोध का प्रथम कारण है धर्म के वास्तविक स्वरुप को न समझना।धर्म के वास्तविक स्वरुप को समझ लेने पर कोई धर्म का विरोध कर ही नहीं सकता। धर्म का वास्तविक स्वरुप- धर्म शब्द 'धृ' धातु से बना ह जिसका अर्थ है धारण करना। धारणाद्धर्म:, अर्थात जो सबको धारण करता है वह धर्म है, अथवा जिसको सब धारण करते हैं, जिसके ADRs का वास्तविक बिना किसी का निर्वाह ही नहीं, जिस बात से कोई संसार का मनुष्य इंकार न कर सके उसे धर्म कहते हैं। जैसे सूर्य उदय होने पर उससे कोई इंकार नहीं कर सकता। दूसरी बात ये है कि धर्म सारे संसार के लिए एक है, ADRs का वास्तविक पृथक-2 नहीं।जैसे सूर्य सबके लिए एक है अलग अलग नहीं। मनु ने क्रियात्मिक धर्म का वर्णन किया है। यथा: धृति: क्षमा दमोअस्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रह:।धीर्विद्या सत्यम क्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ।। १.धृति धैर्य रखना। २.क्षमा - निर्बलों पर दया करना क्षमा है, क्षमा वीरों का भूषण और कमजोरों का दूषण है। ३.दम - मन को वश में रखना दम है, बिना मन को वश में किये कोई कार्य सफल नहीं होता। ४.अस्तेय -सोते मनुष्य की वस्तु उठा लेना, पागल से कोई वस्तु छीन लेना या असावधान मनुष्य से विविध उपायों द्वारा छल करके किसी भी वस्तु को ले लेना चोरी है। वेद का आदेश है कि "मा ग्रद्ध: कस्य स्विद्धनम्" कि किसी के धन का लोभ मत करो। ५.शौच - जल से शरीर की, सत्य से मन की, विद्या और तप से आत्मा की और ज्ञान द्वारा बुद्धि की शुद्धि करना शौच कहलाता है। ६.इन्द्रियनिग्रह -इन्द्रियों को वश में रखना रुप, रस, गन्ध, स्पर्श आदि विषयों के मर्यादा विरुद्ध सेवन से बचना। याद रखो विष को खाने से मनुष्य मरता ADRs का वास्तविक है परन्तु विषयों के स्मरण मात्र से ही मानव का नाश हो जाता है। नाम अमृत को छोडकर करे विषय विष पान। मन्द मति इस जीव को दे सुमति भगवान।। ७.धी -अर्थात बुद्धि के अनुकूल सोच समझ कर काम करना, बुद्धि विरुद्ध कार्यों से बचना। वाणी दूषित विद्या बिन, मन दूषित बिन ज्ञान। प्रभु चिन्तन बिन चित्त, और बुद्धि दूषित बिन ध्यान।। ८.विद्या -अच्छे शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करना और उनके अनुसार आचरण करना विद्या है। ९.सत्य -मन, वचन, कर्म की अनुकूलता का नाम सत्य है। १०.अक्रोध - किसी से वैर विरोध, क्रोध न करना। ये धर्म के दस क्रियात्मक लक्षण हैं। नीति शास्त्र में निम्न लक्षण कहे हैं- इज्याध्ययन दानानी तप: सत्यं धृति क्षमा । अलोभ इति मार्गोऽयं धर्मस्याष्टविध:स्मृत: ।। अर्थात यज्ञ करना, स्वाध्याय करना, दान देना, तप करना, सत्याचरण, धीरज धारण, क्षमा भाव रखना और लोभ न करना ये धर्म के आठ लक्षण हैं। (2) - धर्म का दूसरा लक्षण- श्रूयतां धर्म सर्वस्वं, श्रुत्वा चैवावधार्यताम्। आत्मन: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत।। धर्म का सार सुनो और सुनकर मन में धारण करो, जो व्यवहार तुम्हें अपने लिए अच्छा नहीं लगता, वह दूसरों के लिए भी कभी मत करो। (3) - वेदाज्ञा का पालन करना धर्म है-धर्मादपेतं यत्कर्म यद्यपि स्यान्महाफलम्। न तत सेवेत मेधावी न तद्वित मिहोच्यते।। अर्थात बुद्धिमान व्यक्ति धर्मरहित(वेद विरुद्ध) महाफल देने ADRs का वास्तविक वाले कर्म का भी सेवन न करे, क्योकि धर्म विरुद्ध कर्म कभी भी हितकारक नहीं। वह कर्म पीछे कर्ता का समूल नाश कर देता है। (४) - धर्म का चौथा लक्षण है- सीमानोऽनतिक्रमणं यत्तत् धर्मम्"सीमा या मर्यादा का अतिक्रमण न करना धर्म है।सब अपनी मर्यादा में चलें।स्वकीय कर्तव्य में तत्पर रहें।उसका उल्लंघन कभी न करें। (५ )- पांचवां लक्षण -जो प्राणीमात्र का कल्याण करने वाला कर्म है, जिससे प्राणीमात्र का हित हो, किसी का अहित न हो उसे धर्म कहते हैं। यथा य एव श्रेयस्कर: स एव धर्म शब्देन उच्यते, मीमांसा भाष्य सूत्र १२ जिस काम से सबका कल्याण हो उसे धर्म शब्द से कहा जाता है। इसलिए पुराने लोग प्रात: काल उठते ही ऊंचे स्वर से प्रार्थना करते सुनाई देते थे- हे भगवान सबका भला, सबके भले में हमारा भी भला।। (६) - धर्म का छठा लक्षण है- योग के द्वारा आत्मदर्शन करना, अपने आपको पहचानना। मैं क्या हूं, मैं संसार में क्यों आया हूं मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है। इस जीवन के पश्चात क्या होगा इत्यादि, अत: "अयं तु परमोधर्मोयण्योगेनात्मदर्शनम्" परन्तु आज संसार अन्य वस्तुओं को जानने में लगा है ।अपना पता ही नहीं। (७) - सांतवा धर्म का लक्षण है*-परमात्मा को सर्वज्ञ तथा सर्वव्यापक जानकर सब प्रकार के पापों से बचना, यथाशक्ति अपने आप को सब बुराईयों से बचाना चाहिये यही धर्म है। (८) - धर्म का आठवां लक्षण है*-विश्व की सेवा करना तथा परोपकार करना तथा किसी को किसी प्रकार से भी दु:खी न करना, यथा "परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्" दूसरों का उपकार करना पुण्य और दूसरों को दु:ख देना पाप है। (९) धर्म का नवां ADRs का वास्तविक लक्षण है- वेद स्मृति सदाचार: स्वस्यच प्रियमात्मन:। एतच्चतुर्विधं प्राहु: साक्षाद्धर्म लक्षणम्। मनु -२-१२ जो वेदानुकूल है, वेदानुकूल स्मृर्तियों के अनुकूल है, सदाचारी धर्मात्माओं के आचरणानुकूल है; और अपने को प्रिय लगने वाला व्यवहार है, वह धर्म है। samelan, marriage buero for all hindu cast, love marigge , intercast marriage , arranged marriage rajistertion call-9977987777, 9977957777, 9977967777or rajisterd free aryavivha.com/aryavivha app

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