ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है?

यूपी में कोरोना से 288 मरीजों की मौत, 29,192 नए संक्रमित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से 288 संक्रमितों की मौत हो गई जबकि 29,192 नये मरीज चिन्हित किये गये हैं। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य में कोरोना संक्रमण से पिछले 24 घंटे में 288 संक्रमितों की मौत हो गयी और अब तक कुल 13,447 संक्रमितों ने अपनी जान गंवाई है।
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Driverless Bus: बिना ड्राइवर वाली बस से सफर किया है आपने कभी ? यहां फर्राटा भरती हैं ये बसें
Driverless Bus: ये सारी बसें इलेक्ट्रिक मोड और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) पर चलती हैं.
दुनिया के कई देश जैसे जर्मनी में भी स्पेन की तरह ही इलेक्ट्रिक बसें ऑटो मोड पर चलती हैं. (ज़ी बिज़नेस)
Driverless Bus: क्या आपने कभी बिना ड्राइवर की चल रही बस में सवारी की है? अगर नहीं तो इसके लिए आपको स्पेन जाना होगा. यहां स्पेन के मलागा में साइंस ने कुछ ऐसा ही कमाल कर दिया है. यहां की सड़क पर ऐसी बसें (Driverless Bus in Spain) चल रही हैं जिसे ड्राइवर नहीं चलाता है. यह पूरी तरह से ऑटो पायलट मोड में सड़कों पर फर्राटा भरती है. इसमें सेंसर के जरिए बस की स्टीयरिंग घूमती है. जी हां, यह हम भारतीयों के लिए चौकाने वाली बात जरूर होगी, लेकिन स्पेन (Spain) के लोगों के लिए यह साधारण सी बात है.
ऑटो पायलट मोड में बस चलती है (Bus runs in auto pilot mode)
स्पेन में ऑटो पायलट मोड (Autopilot Mode)में बस चलती है. जब सबसे पहले स्पेन के मलागा शहर में इस सेल्फ ड्राइविंग बस को चलाई गई तो इस अनोखे बस में सवारी करने के लिए लोगों में होड़ मच गई. अब अगर कल्पना करें कि ड्राइवर तो अपनी सीट पर बैठा है, मगर वह कुछ करता न हो, फिर भी बस आराम से चल रही हो तो यह भी बात आपको हैरान कर सकती है.
खास तरह का सेंसर लगा है (Special sensor is installed)
स्टीयरिंग खुद ही घूम रही होती है तो आप भी कहेंगे ये कैसे हो सकता है? लेकिन यह संभव होता है साइंस से. दरअसल, इस बस में सेंसर लगा है. यह एक ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर की मदद से काम करता है. यह सॉफ्टवेयर कहीं और नहीं बल्कि बस में ही लगा हुआ है. दरअसल, ये सारी बसें इलेक्ट्रिक मोड और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) पर चलती हैं.
दुनिया के कई देश जैसे जर्मनी में भी स्पेन की तरह ही इलेक्ट्रिक बसें ऑटो मोड पर चलती हैं. इस बसों का सबसे ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? बड़ा फायदा ये है कि यह वायु प्रदूषण नहीं फैलाती हैं. भारत की भी नजर ऐसी हाईटेक बसों को सड़कों पर उतारने की है.
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दुनिया में अभी 2420 तरह की क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में मौजूद, यह किसी भी बैंक से जुड़ी नही होतीं
यूटिलिटी डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के दो साल पुराने सर्कुलर को रद्द करते हुए क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की इजाजत दे दी। इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। आइए जान लेते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? है और यह कैसे काम करती है।
डिजिटल करेंसी का एक रूप है क्रिप्टोकरेंसी
यह डिजिटल करेंसी होती है और किसी भी सरकार या किसी भी बैंक से जुड़ी हुई नहीं है। एक यूजर दूसरे को क्रिप्टोकरेंसी भेजता है तो इसका रिकॉर्ड एन्क्रिप्शन के जरिए यानी सांकेतिक भाषा में होता है। इसे कोई अन्य डिकोड नहीं कर सकता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
कंप्यूटर सीपीयू से होती है बिटक्वाइन माइनिंग
बिटक्वाइन ट्रांजेक्शन के डेटा को मेंटेन करने के लिए कंप्यूटर के सीपीयू की पावर इस्तेमाल होती है। सीपीयू में बिटक्वाइन से जुड़ा सॉफ्टवेयर इन्सटॉल किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर कॉम्प्लेक्स गणितीय गणना कर बिटक्वाइन के लिए इनक्रिप्शन तैयार करता है। माइनिंग का काम हाई एंड सीपीयू के जरिए कोई भी कर सकता है।
मौजूदा समय में सबसे आगे है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन इस समय सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है। बिटक्वाइन का रिकॉर्ड पब्लिक लेजर में मेंटेन होता है। 2009 से अब तक सभी ट्रांजेक्शन पब्लिक लेजर में सेव होते रहे हैं। ट्रांजेक्शन के सभी रिकॉर्ड कई ब्लॉक में रखे जाते हैं। इसलिए ये ब्लॉकचेन भी कहलाते हैं।
बिटक्वाइन में इस साल 50% तक की तेजी
बिटक्वाइन में इस साल 50% तेजी आ चुकी है। अक्टूबर 2019 के बाद पहली बार बिटक्वाइन पिछले दिनों 10,000 डॉलर पर पहुंचा था। मौजूदा वैल्यू 8,771 डॉलर (6.40 लाख रुपए) है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी इस साल तेजी बनी हुई है। इथेरियम की वैल्यू दोगुनी हुई है।
बिटक्वाइन की इतनी वैल्यू क्यों हो गई
जापान ने बिटक्वाइन को कानूनी रूप दिया। इसके बाद से इसकी वैल्यू 60% से ज्यादा बढ़ गई।
ट्रांजेक्शन के लिए यह काफी सुरक्षित माना जाता है। साथ ही इस पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण न होने के कारण इसमें हाइपर इनफ्लेशन का खतरा नहीं होता है।
रेगुलेशन न होने की वजह से ट्रांजेक्शन की लागत काफी कम।
वोलाटैलिटी अधिक होने से उतार-चढ़ाव बहुत
अब भी कई लोग बिट क्वाइन या डिजिटल करेंसी के बारे में कुछ पता नहीं है। इसमें वोलाटैलिटी यानी उतार-चढ़ाव ज्यादा है। बिटक्वाइन की अभी एक लिमिट है। मौजूदा ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? स्ट्रक्चर के मुताबिक संख्या में 2.1 करोड़ से ज्यादा बिट क्वाइन नहीं हो सकते हैं।
Budget 2022: क्रिप्टो-संबंधित आय पर सरकार कैसे कर लगाएगी? | Tax on Cryptocurrency
भारतीय क्रिप्टो समुदाय को बजट 2022 में क्रिप्टो-संबंधित आय पर कर उपायों का बेसब्री से इंतजार है, जो 1 फरवरी को अनावरण करने के लिए तैयार है। सरकार इस मामले पर विभिन्न कराधान विशेषज्ञों से सलाह ले रही है।
Tax on Cryptocurrency-related Income: केंद्र इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या क्रिप्टो-संबंधित गतिविधियों से होने वाली आय को व्यावसायिक आय या पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाना चाहिए।
भारतीय crypto समुदाय को बजट 2022 में क्रिप्टो-संबंधित आय पर कर उपायों का बेसब्री से इंतजार है, जो 1 फरवरी को अनावरण करने के लिए तैयार है। रिपोर्टों के अनुसार, सरकार इस मामले पर विभिन्न कराधान (taxation) विशेषज्ञों से सलाह ले रही है।
जबकि, क्रिप्टोक्यूरेंसी बिल (cryptocurrency bill), जिसे 2021 में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाना था, में देरी हुई है। केंद्र Cryptocurrencies में trade या investing से अर्जित आय के कर (tax) को परिभाषित करने जा रहा है।
कथित तौर पर, केंद्र इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या क्रिप्टो-संबंधित गतिविधियों से होने वाली आय को व्यावसायिक आय या पूंजीगत लाभ के रूप में माना जा सकता है। बिल क्रिप्टोकुरेंसी को एक वस्तु के रूप में मानता है और उपयोग-मामले के आधार पर आभासी मुद्राओं को अलग करने का प्रस्ताव करता है।
ET के अनुसार, cryptocurrency investor पर टैक्स का बोझ काफी बढ़ सकता है, और क्रिप्टो एसेट्स पर आयकर स्लैब 35 से 42 प्रतिशत के बीच कहीं भी हो सकता है।
इसके अलावा, पिछली रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार क्रिप्टोकुरेंसी एक्सचेंजों (cryptocurrency exchanges) पर 1 प्रतिशत जीएसटी लागू करने की योजना बना रही है, जिसे स्रोत पर एकत्र किया जाएगा, और इस स्थान का नियामक दायित्व सेबी (SEBI) को सौंपने का लक्ष्य है।
यह देखते हुए कि क्रिप्टोक्यूरेंसी से संबंधित लेनदेन पर केंद्र द्वारा उच्चतम आय वर्ग में कर लगाया जा सकता है, सरकार क्रिप्टो व्यापार पर 18% जीएसटी लगा सकती है, ET ने बताया।
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंजों के संभावित वर्गीकरण में तीन श्रेणियां शामिल हो सकती हैं: सुविधाकर्ता; ब्रोकरेज, जो खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ते हैं; और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, मुख्य रूप से प्रकृति में इलेक्ट्रॉनिक, प्रतिभागियों को बाजार की निगरानी और ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करते हैं।
मीडिया पोर्टलों के अनुसार, सरकार द्वारा, अमेरिका द्वारा निर्धारित किए जा रहे नियमों का पालन करने के बाद, भारतीय क्रिप्टोक्यूरेंसी नीतियां अधिक निर्णायक रूप से मजबूत होंगी।
कराधान के दायरे में ऐसे व्यक्ति भी आएंगे जिन्होंने अपने क्रिप्टो निवेशों को वर्ष के दौरान सराहा है, और उन्हें रुपये में परिवर्तित किए बिना अन्य क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए आगे कारोबार किया है।
यह देखते हुए कि कोई भी भुगतान, चाहे वह क्रिप्टो में किया गया हो, रिसीवर के हाथों में एक आय है, निवेशकों को कानूनी शर्तों में, उनकी क्रिप्टो संपत्ति पर किए गए रिटर्न की गणना करने और तदनुसार करों का भुगतान करने की आवश्यकता होगी। एक बार यह हो जाने के बाद, निवेशक फिर से कर निधि के साथ क्रिप्टो परिसंपत्तियों में लेनदेन करने के लिए आगे बढ़ सकता है।
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