दलाल नुकसान

फंड प्रबंधक कम मूल्यांकन के बावजूद धातु, बिजली और रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनका मानना है कि बाजार में मंदी इन क्षेत्रों के लिए शायद अभी खत्म नहीं हुई है। हालांकि उन्हें इन शेयरों में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं दिख रही है, पर कंपनियों की आय कमजोर बने रहने का अनुमान है। एक यूरोपीय बैंक के स्वामित्व वाले म्युचुअल फंड के प्रबंधक ने कहा, 'कमजोर आय और सुस्त जोखिम पूंजी प्रवाह की वजह से इन शेयरों का प्रदर्शन अगले साल भी सुस्त बना रहेगा।Ó
दलाल नुकसान
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रामपुर : धान खरीद में फर्जीवाड़ा, दलाल-राइस मिलर्स और केंद्र प्रभारी मचा रहे लूट
रामपुर, अमृत विचार। धान खरीद में नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। मंडियों के बाहर समर्थन मूल्य से काफी कम कीमत पर सीधे धान खरीदा जा रहा है, जबकि नियमानुसार मंडी से आठ किलोमीटर के दायरे में सीधी खरीद नहीं की जा सकती। सेंटरों पर दलाल और केंद्र प्रभारी फर्जीवाड़ा करने में लगे हैं। हाल यह है कि मनमानी की वजह से सरकारी केंद्रों पर धान की आवक न के बराबर है। आरोप यहां तक है कि केंद्र प्रभारी हजारों रुपये रोज कमाकर ले जा रहे हैं। आश्चर्य यह है कि रजिस्ट्रेशन के बाद भी कैसे मनमानी की जा रही है, जिसे अधिकारी नजरंदाज कर रहे हैं।
- दलाल किस्म के किसानों ने भी अपनों को ही लूटना शुरू कर दिया
- रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी धान खरीद में चल रही है मनमानी
जिले की मंडियों और धान खरीद केंद्रों पर आवक रफ्तार नहीं पकड़ रही है। हालांकि सरकारी क्रय केंद्रों पर अब तक धान खरीद में फर्जीवाड़ा होने के भी आरोप हैं। धान खरीद ऐसे किसानों के नाम पर की जा रही है जिनके पास धान की खेती ही नहीं है। दूसरी तरफ किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। मंडी एक्ट के तहत नियम है कि मंडी परिसर से आठ किलोमीटर के दायरे में सीधी खरीद नहीं होगी, लेकिन इन दिनों राइस मिलर्स मनमाने तरीके से सीधी खरीद कर रहे हैं। कुछ राइस मिलें हैं, जहां सीधी खरीद की जा रही है। स्वार-टांडा क्षेत्र में सीधी खरीद का सबसे बड़ा खेल चल रहा है। 2040 रुपये समर्थन मूल्य के मुकाबले 1500 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल के दाम ही किसानों को दिए जा रहे हैं। आलम ये है कि मंडियों में कम और मिलों में कई गुना धान पहुंच रहा है। खरीद केंद्रों पर दलाल हावी है, इन दलालों में कुछ किसान टाइप भी लोग हैं, जोकि केंद्र प्रभारियों की साठगांठ से ऐसा काम कर रहे हैं।
दलाल नुकसान
अनवर राणा की रिपोर्ट
जिला प्रशासन द्वारा 2012 से आज तक कि जा रही व्यवस्थाओ की देखरेख में जितना नुकसान इस वर्ष दरगाह की आय को दरगाह प्रशासन द्वारा जानबूझकर ठेकेदारों व कुछ दलालों के जरिये दिया गया जिसमें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को भृमित करते हुवे अपने लालच में नुकसान पहुंचकर उर्स की व्यवस्थाओ में भी अड़ंगा लगाकर चाक चौबंद करने की बजाय धर्मभरम कराया गया उससे ज्यादा नुकसान कभी वक्फ बोर्ड के अधीन भी दरगाह की आय का नुकसान नही हुआ होगा।
दलाल नुकसान
निवेशक इन दिनों दलाल पथ पर निवेश से मुनाफा कमाए जाने के लिए शेयरों के चयन को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। वे इसे लेकर ऊहापोह की स्थिति में हैं कि वे हाल में अच्छा प्रदर्शन कर चुके शेयरों पर दांव लगाएं या फिर गिरावट का शिकार हुए शेयरों में पैसा लगाया जाए। यह चयन आसान नहीं है, क्योंकि पिछले तीन वर्षों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके शेयर ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं।
कोटक इंस्टीट्ïयूशनल इक्विटीज के कार्यकारी दलाल नुकसान निदेशक एवं प्रमुख संजीव प्रसाद ने कहा, 'निवेशकों को इस जोखिम के साथ शेयरों का चयन करना पड़ेगा कि खराब शेयरों में नुकसान हुआ है और यदि मौजूदा प्रतिकूल वृहद आर्थिक परिृदश्य बरकरार रहता है तो अच्छे शेयरों में भी उनका निवेश डूब जाएगा। Ó
पिछले एक साल में निवेशकों को जिन क्षेत्रों में निवेश पर मुनाफा कमाने में मदद मिली है, उनमें सूचना प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र और फार्मास्युटिकल शामिल हैं। धातु, बिजली, रियल एस्टेट और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों को पिछले तीन वर्षों में दबाव का सामना करना पड़ा है।
इस तरह कर सकते दलाल नुकसान हैं रजिस्ट्रेशन
भावांतर योजना में रजिस्ट्रेशन ई-उपार्जन पार्टल पर जाकर किसान करा सकता है। इस पार्टल पर खरीफ/रबी किसान पंजीयन का कॉलम दिया गया है। इस पर जानकारी भरकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन के लिए कौन-कौन से दस्तावेज होंगे देने
- इसमें किसान को अपना आधार नंबर देना होगा।
- किसान के पास बैंक खाता होना जरूरी है। सरकार की तरफ से इसी खाते में भावांतर भुगतान किया जाएगा।
- किसान को अपना मोबाइल नंबर देना होगा। इससे एसएमएस से किसानों को भावांतर की राशि के भुगतान की सूचना मिलती रहेगी।
- रजिस्ट्रेशन के बाद पावती प्रिंट अवश्य ले, क्योंकि फसल की खरीद के समय पावती ले जाना आवश्यक है।
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