विदेशी मुद्रा क्लब

सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है

सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है

वित्तीय योजना क्या है? – What is Financial Plan?

वित्तीय योजना क्या है? – What is Financial Plan? पैसों का निवेश करने से पहले आपको एक सही नीति योजना बनाने की आवश्यकता होती है। एक वित्तीय योजना ब्लूप्रिंट नक्शे की तरह होता है, जिसकी सहायता से हम वह कर पाते हैं जो हम करना चाहते हैं। यानी कि सीधे शब्दों में कहें तो वित्तीय योजना बना करके हम अपने पैसों को सही जवाब निवेश करते हैं। साथ में, योजना बना सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है करके हम एक अच्छा लाभ कमा पाते हैं।

वित्तीय योजना की आवश्यकता क्यों होती है? पैसों की बचत के बारे में सोच रहे हैं तो आप बिना वित्तीय योजना बनाएं अच्छी तरह से पैसों को नहीं बचा पाते हैं। उदाहरण के तौर सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है पर मान लीजिए कि आप एक घर बनाना चाहते हो। घर बनाने के लिए आपको प्लानिंग या एक नक्शा बनाना पड़ता है। नक्शा के अनुरूप ही आप घर की रूपरेखा बनाते हो। तभी जाकर के आपके सपनों का घर पूरा होता है।

इसी तरह भविष्य में अपने पैसों की जगत को ध्यान में रख कर के हम वित्तीय योजना (Financial Planning) करते हैं ताकि भविष्य में हमें निवेश किए गए किसी भी पैसे से अच्छा लाभ मिल सके। तो चलिए आज के हमारे इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि वित्तीय योजना क्या है? – What is Financial Plan?

वित्तीय योजना क्या है? – What is Financial Plan?

वित्तीय’ का अर्थ सीधे शब्दों में पैसों से होता है। वित्तीय यानी कि ‘Finance’ यानी कि ‘Money’ (पैसा) । वित्तीय योजना बना करके हम भविष्य में अपने पैसों की जरूरत को पूरा करने की योजना बनाते हैं।

किसी भी व्यक्ति के लिए भविष्य में उसकी आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग वित्तीय योजना होती है। जैसे कि कोई व्यक्ति भविष्य में बेहतर शिक्षा देने के लिए अपने बच्चों के लिए वित्तीय योजना बनाता है, वित्तीय योजना के अंतर्गत व्यक्तियों की योजना अलग अलग हो सकती है। जैसे कि कोई व्यक्ति वित्तीय योजना बनाकर के अपना एक नया घर बनाना चाहता है, तो कोई गाड़ी खरीदना चाहता है। कोई विदेश घूमना चाहता है, तो कोई रिटायरमेंट के समय बच्चों की पढ़ाई बच्चों की शादी या फिर अपनी जिंदगी की गोल्स (Goals) को पूरा करना चाहता है।

भविष्य में हमें इन सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। इस धन की प्राप्ति के लिए हमें एक सही तरह का निवेश का योजना बनाना होता है। जिससे हम भविष्य में अपने योजनाओं को पूरा कर सके। इसी के अंतर्गत वित्तीय योजना – Financial Plans आते हैं।

और धन एक साथ इकट्ठा करना हमेशा से असंभव होता है। इसलिए हमें समय रहते हुए इन जरूरतों को आसानी से पूरा करने की एक वास्तविक योजना बनानी होती है जिसे हम Financial Plans कहते हैं।

हमारे सभी बड़े वित्तीय योजनाओं को पूरा करने के लिए हमारे पास में अपने कैरियर की शुरुआत से ही पर्याप्त समय होता है। वित्तीय योजना द्वारा इस समय का इस्तेमाल करके हम आसानी से वित्तीय लक्ष्यों को सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है पूरा कर सकने में सक्षम होते हैं।

वित्तीय योजना की आवश्यकता क्यों होती है? Why we need Financial Plans?

जैसा कि हमने इस बारे में ऊपर जिक्र किया है कि हर एक व्यक्ति के लिए भविष्य की आवश्यकताएं अलग अलग होती है। अगर आप एक सही तरीके से वित्तीय योजना बना करके उस पर अमल करते हैं तो निश्चित ही रूप में भविष्य में आपको पैसों से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी नहीं आएगी।

अगर आप एक सही तरीके का वित्तीय योजना एवं रेगुलर निवेश नहीं करते हैं तो आपको भविष्य में होने वाली आवश्यकताओं के लिए धन की कमी हो जाती है। इसलिए हमें एक सही वित्तीय योजना बनाकर के उस पर अमल करना जरूरी हो जाता है।

अगर आपको धन से संबंधित जरूरत है जो आप पूरा करना चाहते हैं। लेकिन आपने अभी तक उसके लिए कोई भी योजना नहीं बनाई है तो उन जरूरतों को पूरा करना, भविष्य में आपके लिए बहुत कठिन हो जाता है। इसलिए समय रहते अपने इन वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आपको एक सही वित्तीय योजना – Financial Plans की आवश्यकता होती है। जिससे कि हम बिना किसी कठिनाई के आसानी से उन लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

वित्तीय योजना बना करके कहां पर निवेश करें?

वित्तीय योजना बना करके आप बहुत सारी जगहों पर निवेश कर सकते हैं। क्योंकि लंबी अवधि पर किया गया निवेश आपको अच्छा खासा रिटर्न देता है। निवेश करने से पहले आप उससे जुड़े जोखिम का अंदाजा भी लगा ले। ऐसा इसलिए क्योंकि निवेश से संबंधित वित्तीय जोखिम हर किसी क्षेत्र पर होते हैं। जिसमें आपके पैसे जहां दोगने से तिगने तक हो जाते हैं वही आपके पैसे डूबने की संभावना भी होती है।

निवेश करते वक्त आप इस बात का भी ध्यान रखें कि कम जोखिम के साथ आप बेहतरीन रिटर्न नहीं पा सकते हैं। वास्तव में जहा रिटर्न अधिक होगा वहां जोखिम भी अधिक होता है।

वित्तीय योजना बना करके आप निम्नलिखित जगहों पर निवेश कर सकते हैं :-

    र में निवेश – lnvestment in share market
  1. म्यूचुअल फंड में निवेश – Investment in mutual fund
  2. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश – Investment in equity Mutual Fund
  3. डेबिट म्यूचुअल फंड पर निवेश – Investment in debit Mutual Fund
  4. नेशनल पेंशन सिस्टम – National payment system (NPS)
  5. पीपीएफ – PPF
  6. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट – Bank fixed deposit
  7. सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम – senior citizen Saving Scheme
  8. रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बॉन्ड्स – Reserve Bank taxable bonds
  9. रियल स्टेट पर निवेश – Investment in real estate
  10. सोना पर निवेश – Investment in gold

वित्तीय योजना बना करके आप ऊपर दिए गए निवेश के माध्यमों पर आप निवेश कर सकते हैं। जब भी इन सारी चीजों के ऊपर निवेश करें तो इस बात का ध्यान रखें कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करें।

लंबी अवधि पर किया गया निवेश आपको अच्छा रिटर्न एवं लाभ देता है। अवश्य रूप से आप अपने वित्तीय योजनाओं को बना करके रेगुलर उन पर निवेश करें। अवश्य ही रूप से आपको भविष्य में अपने फाइनेंसियल गोल को पूरा करने में सहायता मिलेगी।

Admin Desk हम हिंदी भाषा में यहां सरल शब्दों में आपको ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं। ज्यादातर जानकारी है इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा में मौजूद है। हमारा उद्देश्य आपको हिंदी भाषा में बेहतर और अच्छी जानकारी उपलब्ध कराना है।

Money Market और Capital Market क्या होता है?

money market vs capital market

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में उस देश का मार्केट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मार्केट एक ऐसी जगह होती है जहां पर खरीदी और बिक्री होती है जिसके कारण मुद्रा का लेन-देन होता है. इस पूरे सिस्टम को ही हम मार्केट कहते हैं लेकिन हमने कई तरह के मार्केट सुने हैं. जैसे मनी मार्केट, कैपिटल मार्केट, शेयर मार्केट आदि. ये सब एक जैसे नहीं होते हैं और इनमें काफी अंतर होता है. इस लेख में आपको मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट के बारे में काफी सारी बाते पता चलेगी.

वित्तीय बाजार | Financial Market

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में दो तरह के लोग होते हैं. एक तो वो लोग होते हैं जिन्हें पैसों की जरूरत होती है और दूसरे वो लोग होते हैं जिनके पास पैसे ज्यादा होते हैं और वो कहीं निवेश करना चाहते हैं. जब ये दोनों समूह के लोग एक प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो उस प्लेटफॉर्म को Financial Market यानी वित्तीय बाजार कहा जाता है. वित्तीय बाजार को दो भागों में बांटा गया है. 1) मुद्रा बाजार (Money Market) 2) पूंजी बाजार (Capital Market)

मुद्रा बाजार क्या होता है?

What is Money Market? वित्तीय बाजार का वो भाग जहां कम समय के लिए वित्तीय जरूरतों की पूर्ति की जाती है उसे मुद्रा बाजार (Money Market) कहा जाता है. मतलब ऐसी जगह जहां पर कम समय के लिए पैसों का लेन-देन किया जाता है. यहाँ कम समय से मतलब 365 दिन से कम समय से है.

सरल शब्दों में कहे तो ऐसी जगह जहां पर आप किसी को उधारी दे या किसी उधारी लें बिजनेस के लिए वो भी 365 से कम दिनों के लिए तो उसे मुद्रा बाजार कहा जाता है. इसमें ट्रेजरी बिल, नगद प्रबंधन बिल, बचत प्रमाण पत्र, कमर्शियल पेपर, कमर्शियल बिल, म्यूचुअल फ़ंड के माध्यम से पैसों का लेन देन किया जाता है.

मुद्रा बाजार के प्रकार

मुद्रा बाजार दो तरह (Types of money market) के होते हैं. 1) असंगठित मुद्रा बाजार 2) संगठित मुद्रा बाजार

money market types

#1.असंगठित मुद्रा बाजार

इस तरह के बाजार काफी पुराने समय से हमारे बीच चले आ रहे हैं. जैसे आपको थोड़े पैसों की जरूरत किसी चीज को खरीदने के लिए पड़ी तो आपने अपने पड़ोसी से उधार ले लिए. या फिर किसी साहूकार से ले लिए. अब साहूकार की मर्जी वो उस पर कितना भी ब्याज ले. इस तरह के मार्केट में ब्याज को नियंत्रित करने वाली कोई संस्था नहीं होती है.

#2. संगठित मुद्रा बाजार

संगठित मुद्रा बाजार ऐसा मुद्रा बाजार होता है जिसे विनियमित करने के लिए कोई मान्यता प्राप्त संस्था होती है. जैसे भारत में आरबीआई है. यदि आप बैंक से कोई लोन लेंगे तो आरबीआई ये तय करेगा की वो बैंक सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है कितने प्रतिशत तक ब्याज ले सकती है. अगर उससे ज्यादा लिया तो बैंक पर कार्यवाही की जा सकेगी.

पूंजी बाजार क्या होता है?

ऐसा वित्तीय बाजार जहां पर लंबे समय तक के लिए वित्तीय जरूरतों की पूर्ति की जाती है उसे पूंजी बाजार (Capital market) कहा जाता है. यहाँ लंबे समय से मतलब 1 साल से अधिक अवधि के लिए है. कोई भी व्यक्ति जो एक साल से अधिक अवधि के लिए पूंजी जुटाना चाहता है उसे पूंजी बाजार से सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है ही पैसा उठाना पड़ेगा.

आसान शब्दों में कहे तो ऐसा वित्तीय बाजार जहां पर एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए Debt या Equity समर्थित प्रतिभूतियों को खरीदा या बेचा जाता है तो उसे पूंजी बाजार कहते हैं. जैसे भारत में Stock exchange, commercial bank आदि हैं.

पूंजी बाजार एक ऐसी जगह है जो उन लोगों को साथ लाता है जो पूंजी रखते हैं और जो पूंजी की मांग एक साथ करते हैं. अतः ऐसी जगह जहां आप प्रतिभूतियों का आदान प्रदान कर सकते हैं उसे कैपिटल मार्केट कहा जाता है.

इसका सबसे अच्छा उदाहरण शेयर मार्केट है. शेयर मार्केट में लंबे समय के लिए मार्केट से पैसा उठाने के लिए कंपनी के शेयर को बेचा जाता है. लोग इन्हें खरीदकर कंपनी में हिस्सेदारी ले लेते हैं. हालांकि कंपनी में चलेगी उसी व्यक्ति की जिसके पास सबसे ज्यादा शेयर होंगे. असल में वही मालिक होगा. लेकिन जो लोग उस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं वो शेयर मार्केट के जरिये उस कंपनी के शेयर खरीदेंगे. इस तरह कंपनी वालों को पूंजी मिल जाएगी और दूसरे व्यक्ति को पूंजी के बदले कंपनी में हिस्सा मिल जाएगा.

मुद्रा और पूंजी बाजार में क्या अंतर है?

मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार (Difference in Capital market and money market) पूरी तरह अलग हैं. इनमे काफी अंतर हैं.

#1. मुद्रा बाजार में अधिकांश लेनदेन आरबीआई, वित्तीय संस्थान जैसे सिडबी, नाबार्ड आदि के द्वारा होता है. यहाँ निजी तौर पर वित्तीय लेनदेन नहीं होता है. वहीं पूंजी बाजार में लेनदेन वित्तीय संस्थान, बैंक, पब्लिक या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, विदेशी निवेशकों, आम जनता के द्वारा होता है.

#2. मुद्रा बाजार में Instrument के रूप में ट्रेजरी बिल, कमर्शियल बिल, जमा प्रमाण पत्र का इस्तेमाल होता है. वहीं पूंजी बाजार में शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर का इस्तेमाल होता है.

#3. मुद्रा बाजार में लेनदेन के लिए बड़ी मात्रा में धन का होना आवश्यक है लेकिन पूंजी बाजार में धन कम भी होगा तो भी निवेश कर सकते हैं.

#4. मुद्रा बाजार से पैसा 1 दिन से 364 दिन तक के लिए उठा सकते हैं. पूंजी बाजार से पैसा एक साल या उसे अधिक अवधि के लिए उठा सकते हैं.

#5. मुद्रा बाजार जरूरतों को पूरा करता है इसलिए इसमें अधिक रिटर्न मिलने की गुंजाइश कम होती है. वहीं पूंजी बाजार में अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं. लेकिन इसमें रिस्क ज्यादा होता है. आपका पैसा डूब भी सकता है.

मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार का उपयोग

मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार दोनों का ही उपयोग Fund raise करने के लिए किया जाता है. (Use of Money market and capital market) जब भी किसी कंपनी को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए या फिर अपने Regular Operation के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है तो कंपनी इन दोनों मार्केट सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है से पैसा उठाती है. जहां निवेशकों को भी कंपनी के फायदे के आधार पर फायदा दिया जाता है.

यदि आप भी किसी कंपनी को चलाना चाह रहे हैं या फिर शेयर मार्केट में आना चाह रहे हैं तो आपको इन दोनों मार्केट सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए. क्योंकि आप इन दोनों मार्केट के बीच में ही काम करेंगे.

बजट 2022: भारत का आम बजट कैसे तैयार होता है, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प जानकारियां

बजट

इससे पहले 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा. आइए जानते हैं कैसे तैयार होता है बजट और क्या है इससे जुड़ी दिलचस्प जानकारियां.

आम या भारत का संघीय बजट क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक किसी एक खास साल में केंद्र सरकार के वित्तीय ब्योरे को संघीय बजट कहते हैं. संविधान के मुताबिक सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में संसद में बजट पेश करना होता है.

वित्त वर्ष की अवधि मौजूदा वर्ष के 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक होती है. सरकार की ओर पेश वित्तीय ब्योरे में किसी खास वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों (राजस्व और अन्य प्राप्तियां) और खर्चे को दिखाया जाता है.

सरल शब्दों में कहा जाए तो बजट अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना है. दरअसल इसके जरिये यह तय करने की कोशिश की जाती है सरकार अपने राजस्व की तुलना में खर्चे को किस हद तक बढ़ा सकती है.

यह कवायद इसलिए होती है क्योंकि उसे राजकोषीय घाटा का एक लक्ष्य हासिल करना होता है. यह लक्ष्य राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003 ) के तहत तय किया जाता है.

इमेज स्रोत, SOPA IMAGES/GETTY IMAGES

बजट की नींव कैसे रखी जाती है?

देश में किसी साल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा बाजार कीमत को नॉमिनल जीडीपी कहते हैं. इसे बजट की बुनियाद या नींव कहा जा सकता है क्योंकि बगैर नॉमिनल जीडीपी जाने अगले साल का बजट बनाना संभव नहीं होगा.

बजट के लिए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य कितना जरूरी?

राजकोषीय घाटा नॉमिनल जीडीपी के फीसदी में तय किया जाता है. राजकोषीय घाटा का जो लेवल तय होता है, सरकार उस साल वहीं तक कर्ज लेती है. अगर नॉमिनल जीडीपी ज्यादा होगी तो सरकार अपना खर्च चलाने के लिए बाजार से ज्यादा कर्ज ले पाएगी.

नॉमिनल जीडीपी जाने बगैर सरकार यह तय नहीं कर सकती कि उसे राजकोषीय घाटा कितना रखना है और न ही वह यह पता कर सकती है कि आने वाले साल में सरकार के पास कितना राजस्व आएगा.

बगैर राजस्व का अंदाजा लगाए सरकार यह तय नहीं कर पाएगी कि उसे किस योजना में कितना खर्च करना है.

इमेज स्रोत, AlexLMX

कैसे शुरू होती है बजट बनाने की प्रक्रिया?

बजट बनाने की प्रक्रिया संसद में इसे पेश करने से छह महीने पहले शुरू हो जाती है. यह काफी-लंबी चौड़ी प्रक्रिया होती है. इसके तहत अलग-अलग प्रशासनिक निकायों से आंकड़े मंगाए जाते हैं. इन आंकड़ों से पता किया जाता है कि उन्हें कितने फंड की जरूरत है.

इसके साथ ही यह तय किया जाता है कि जनकल्याण योजनाओं के लिए कितने पैसों की जरूरत होगी. इसी हिसाब से अलग-अलग मंत्रालयों को फंड मुहैया कराए जाते हैं.

बजट बनाने में वित्त मंत्री के अलावा वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव अहम भूमिका निभाते हैं. इस दौरान हर रोज कई बार वित्त मंत्री से उनकी बजट के सिलसिले पर बातचीत होती है. बैठक या तो नॉर्थ ब्लॉक ( जहां वित्त मंत्रालय है) में होती है या वित्त मंत्री के आवास पर.

बजट बनाने के दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष का सहयोग मिलता रहता है. अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट भी बजट टीम में काम करते हैं.

बजट पेश करने से पहले विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों और उद्योग संगठनों के लोगों से भी वित्त मंत्री सलाह-मशविरा करते हैं. इन मुलाकातों में ये संगठन अपने-अपने सेक्टर को सुविधाएं और टैक्स राहत देने की मांग रखते हैं.

बजट से पहले तमाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को अंतिम रूप दिया जाता है.

इमेज स्रोत, anand purohit

बजट में क्या-क्या शामिल होता है?

दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

सरकार का आम बजट मूल रूप से उसके खर्चे और राजस्व (रेवेन्यू) का ब्योरा होता है. सरकार के खर्च में जनकल्याण योजनाओं में दिया जाने वाला फंड, आयात के खर्चे, सेना की फंडिंग, वेतन और कर्ज पर दिया जाने वाला ब्याज वगैरह शामिल होता है.

जबकि सरकार टैक्स लगाने के साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के कारोबारों से कमाई और बॉन्ड जारी कर राजस्व इकट्ठा करती है.

इस बजट के दो हिस्से होते हैं- रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट. रेवेन्यू बजट में ही खर्च और राजस्व का ब्योरा होता है. रेवेन्यू प्राप्ति में टैक्स और गैर टैक्स स्रोत से हासिल रकम दिखाई जाती है.

रेवेन्यू खर्च सरकार के हर दिन के कामकाज और नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं में लगा खर्च होता है. अगर रेवेन्यू खर्च रेवेन्यू प्राप्ति से ज्यादा होता है तो सरकार को राजस्व का घाटा होता है.

कैपिटल बजट या पूंजी बजट सरकार की प्राप्तियों और उसकी ओर से किए गए भुगतान का ब्योरा होता है. इसमें जनता से लिया गया लोन ( बॉन्ड के जरिये), विदेश से और आरबीआई से लिया गया लोन शामिल होता है.

वहीं पूंजीगत खर्च में मशीनरी, औजार, बिल्डिंग, हेल्थ सुविधा, शिक्षा पर किया गया खर्च शामिल होता है. जब सरकार के राजस्व से ज्यादा खर्च हो जाता है तो राजकोषीय घाटे की स्थित पैदा हो जाती है.

इमेज स्रोत, CHANDAN KHANNA/ Contributor

स्वतंत्र भारत का पहला बजट

स्वतंत्र भारत का पहला बजट षणमुगम चेट्टि ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. हालांकि इसमें सिर्फ अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई टैक्स नहीं लगाया गया था.

बजट में शामिल प्रस्तावों को संसद के अनुमोदन की जरूरत होती है. संसद की मंजूरी मिल जाने के बाद ये प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू हो जाते हैं और अगले साल 31 मार्च तक जारी रहते हैं. 1947 से लेकर अब तक देश में 73 आम बजट, 14 अंतरिम बजट या सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है चार खास या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं.

षणमुगम शेट्टी के बाद वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पहला संयुक्त-भारत बजट पेश किया था, इसमें रजवाड़ों के तहत आने वाले विभिन्न राज्यों का वित्तीय ब्योरा भी पेश किया गया था.

सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड किसके नाम?

मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा दस बार बजट पेश किया. बाद में वह देश के प्रधानमंत्री भी बने. वित्त मंत्री के तौर काम कर रहे वी.पी सिंह के इस्तीफे के बाद 1987-1989 के बीच राजीव गांधी ने बजट पेश किया था. एनडी तिवारी ने 1988-89 और एसबी चह्वाण ने 1989-90 का बजट पेश किया था. मधु दंडवते 1990-91 का बजट पेश किया था.

Bottom Street - Stock Analysis

'पिटस्टॉप' के साथ सीखें, व्यस्त रहें, अनुकूलन करें
प्रमुख वित्तीय प्रभावितों और विशेषज्ञों से अनुकूली और प्रासंगिक सामग्री के माध्यम से वित्तीय बाजारों और निवेश के बारे में सहज ज्ञान युक्त शिक्षा।
ट्यूटोरियल, पोल, क्विज़ आदि से बाज़ार के संकेतों की पहचान करें।

-विशेषज्ञों की तरह निवेश करें
भारत के प्रमुख वित्तीय स्टॉक ब्रोकरों से फ़िल्टर्ड और वास्तविक स्टॉक अनुशंसाएं प्राप्त करें।

व्यस्त-आप के लिए त्वरित वित्तीय समाचार
चलते-फिरते त्वरित सीखने और शोध के लिए वास्तविक समय में वित्तीय समाचार। शॉर्ट में आपके सामने प्रस्तुत चुनिंदा वित्तीय समाचारों के साथ समय बचाएं। दुनिया भर में हर वित्तीय गतिविधि पर केवल 60 शब्दों में अपडेट रहें।

-अनुसंधान लाइक ए प्रो
हम आपके लिए निवेश अनुसंधान को सरल और स्मार्ट बनाते हैं।
चलते-फिरते बाजारों को ट्रैक करें, चार्ट का अन्वेषण करें और प्रीमियम बाजार अनुसंधान टूल का निःशुल्क उपयोग करें। हम न केवल स्टॉक बल्कि म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, इंडेक्स, क्रिप्टो, फॉरेक्स और कमोडिटीज सहित हर दूसरी वित्तीय संपत्ति के लिए आसानी से समझने वाले अनुसंधान और विश्लेषण उपकरण प्रदान करते हैं।

सब कुछ, कुछ भी विपरीत
बॉटम स्ट्रीट एक सुंदर एकीकृत अनुभव में कई टूल की जगह लेता है
हम देते हैं -

-सोशल मीडिया सामग्री फ़ीड
-रीयल-टाइम न्यूज
-बाजार अनुसंधान उपकरण
-विश्लेषण चार्ट
-कोई अप्रिय विज्ञापन नहीं
विकल्प श्रृंखला और स्टॉक स्क्रीनर

क्या फिनटेक भारतीय वित्तीय बाजार बढ़ रहा है?

fintechs

फिनटेक वह शब्द है जो आपको फाईनेंस और टेक्नोलॉजी के जुड़ाव से मिलता है। सरल शब्दों में, फिनटेक का अर्थ है फाईनेंशियल सर्विसेज को टेक्नोलॉजी की सहायता से लागू करना। फिनटेक तकनीकी रूप से तैयार फाईनेंशियल सर्विसेज प्रदान करते हैं जिनका इस्तेमाल करना ग्राहकों के लिए आसान है। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से, नए फाईनेंशियल प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को ग्राहकों को उनकी फाईनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए पेश किया जा रहा है।

वास्तव में, फिनटेक ने फाईनेंशियल जरूरतों को पूरा करने और फिर उन जरूरतों को पूरा करने के लिए समाधान खोजने के बारे में इन्वेस्टर्स के बीच जागरूकता बढ़ाई है। फाईनेंशियल ट्रांजेक्शन, बैंकिंग, इन्वेटमेंट, सेविंग आदि को आधुनिक समय की फिनटेक कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे डिजिटल सोल्यूशन के द्वारा सरल बनाया गया है। क्या आप जानते हैं कि कैसे फिनटेक इंडियन फाईनेंशियल मार्किट में नए आयाम स्थापित कर रहें हैं?

भारत और फिनटेक

फिनटेक क्रांति में भारत मुख्य भागीदार रहा है जो दुनिया भर में अपना परचम लहरा रहा है। अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा आयोजित फिनटेक एडॉप्शन इंडेक्स के बारे में हाल ही में हुए एक वर्ल्डवाइड सर्वे से पता चलता है कि चीन के बाद भारत 52% @ फिनटेक को अपनाने वाला दूसरा देश है, जो टॉप @ 69% पर है (स्रोत: http://www.yesfintech.com/data /cms/ifor-report-2018.pdf)। कहने को, भारत में 1200 से अधिक फिनटेक फर्म हैं और इनकी संख्या तेज़ी से बढ़ रही हैं (स्रोत: https://taxguru.in/rbi/opportunities-challenges-fintech.html)।

हालाँकि, भारत में फिनटेक सेक्टर में चुनौतियों भी कम नहीं है। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं –

  • ज़रूरी कैपिटल जुटाना
  • सरकारी रेग्यलटॉरी बॉडीज जो फिनटेक के द्वारा फाइनेंशियल सर्विसेज़ को प्रदान करने पर विभिन्न कानूनी प्रतिबंध लगाती हैं
  • साइबर सिक्योरिटी
  • ग्राहकों की ऑनलाइन सर्विसेज़ को लेकर अविश्वास की भावना
  • इंटरनेट की कम समझ

इन चुनौतियों के बावजूद, फिनटेक इंडस्ट्री धीरे-धीरे फलफूल रही है। हालांकि इसको मिल रही चुनौतियां इसके विकास की गति को धीमा कर रही हैं, लेकिन इसका विकास निरंतर जारी है।

फाइनेंशियल इन्क्लूशन में आरबीआई की भूमिका

फिनटेक के बढ़ते प्रभाव को देखकर, भारतीय रिजर्व बैंक भी कंज्यूमर्स के बीच फिनटेक को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहा है। सरकार के नोटबंदी के कदम के बाद, आरबीआई ने बाज़ार को कैशलेस बनाने का लक्ष्य बढ़ा दिया है। डिजिटल पेमेंट मोड को नए और मोर्डन सोल्यूशन के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है जो ग्राहकों के पेमेंट करने के लिए तैयार किया गया है। हाल ही में, आरबीआई ने ‘रेग्यलटॉरी सैंडबॉक्स’ के लिए एक डिज़ाइन पेश किया गया है।

एक रेग्यलटॉरी सैंडबॉक्स एक लाइव और कंट्रोल्ड सिस्टम होगा जो फिनटेक को दुनिया में पेश करने से पहले सीमित पैमाने पर अपने नए प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग की अनुमति देगा। चूंकि टेस्टिंग एक सीमित पैमाने की होगी, ऐसे में एक निगेटिव फीडबैक के मामले में, फिनटेक को कम नुकसान का सामना करना पड़ेगा और लागत भी कम होगी। इससे फिनटेक को अपने प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग के लिए ‘सिक्योर सेक्टर’ भी मिलेगा। यह रेग्यलटॉरी सैंडबॉक्स कॉन्सेप्ट फिनटेक के लिए कॉस्ट इफेक्टिव तरीके से आगे बढ़ने के लिए एक बड़ा समर्थन होगा।

फिनटेक कंपनी में अपना करियर क्यों बनाएं?

जैसा कि पहले कहा गया है, भारत का फिनटेक की स्थिति आने वाले वर्षों में कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में लेनदेन का मूल्य वर्ष 2020 तक $ सरल शब्दों में वित्तीय बाजार क्या है 73 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो 22% की सीएजीआर रिकॉर्ड कर रहा है। फिनटेक और टेक्नोलॉजी के विकास के कारण, लगभग 300 मिलियन भारतीयों को बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंचने और उनकी आय को 5% से 30% तक बढ़ाने की उम्मीद है। (स्रोत: http://www.yesfintech.com/data/cms/ifor-report-2018.pdf)।

जैसे-जैसे आय बढ़ती है, लोगों के पास इन्वेस्ट करने के लिए अधिक डिस्पोजेबल सेविंग होती है जिससे आपको फिनटेक इंडस्ट्री में अपने करियर को बढ़ावा देने का अवसर मिलेगा। जैसे ही उपभोक्ता बाजार में उपलब्ध फाईनेंशियल सोल्यूशन के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं, आप अपने प्रोडक्ट्स के लिए एक अच्छा कस्टमर बेस पा सकते हैं। फिनटेक इंडस्ट्री में तेज़ी का सीधा असर आपके करियर पर पड़ेगा और इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

जैसा कि फिनटेक के लिए आगे का मार्ग उज्ज्वल लगता है, आप अपनी क्षमता के आधार पर एक प्रतिष्ठित फिनटेक कंपनी और बैंक के साथ खुद को जोड़ सकते हैं। टर्टलमिंट जैसे फिनटेक, निवेशकों को पर्सनल और टारगेट ओरिएंटेड सोल्यूशन प्रदान करने में मदद करते हैं और जैसा कि आप इन फिनटेक के साथ साझेदारी करते हैं, आप एक तेज़ी से बढ़ते हुए कैरियर ग्राफ को देख सकते हैं। टर्टलमिंट का उद्देश्य इंश्योरेंस एडवाईज़र को अपने मोबाइल ऐप मिंटप्रो की मदद से फिनटेक के युग में सफल होने में मदद करना है। इसलिए, जब भारत निकट भविष्य में एक आशाजनक फिनटेक हब के रूप में उभरेगा है, तो आप यह सुनिश्चित करें कि आप इस बेहतरीन अवसर का लाभ उठाते हुए एक अच्छा करियर बनाएंगे।

रेटिंग: 4.13
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 226
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *