सप्ताहांत पर व्यापार क्यों

बाबा रामदेव ने महिलाओं पर की टिप्पणी पर मांगी माफी
मुंबई। योग गुरु बाबा रामदेव ने महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में महिलाओं पर अपनी कथित टिप्पणी के लिए सोमवार को खेद व्यक्त किया और माफी मांगी। उन्होंने दावा किया कि महिलाओं पर की गयी, उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया।
पिछले हफ्ते ठाणे में महिलाओं के लिए पतंजलि समूह के मुफ्त योग प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र ठाणे सांसद श्रीकांत शिंदे और भारतीय जनता पार्टी के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र की पत्नी अमृता फडणवीस और अन्य प्रमुख सप्ताहांत पर व्यापार क्यों सप्ताहांत पर व्यापार क्यों हस्तियों की उपस्थिति में रामदेव ने कहा था, "महिलाएं साड़यिों में अच्छी लगती हैं, वे सलवार सूट में अच्छी लगती हैं, और मेरे विचार में, वे कुछ भी न पहनने पर भी अच्छी दिखती हैं।"
उनकी इस भद्दी टिप्पणी से राज्य में एक नया विवाद खड़ा हो गया। इसके अलावा, उनके अगले कार्यक्रम के लिए उन्हें धमकाया भी गया।
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (एमएससीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर को समय सीमा के अंदर योगगुरु रामदेव ने तर्क देते हुए जबाव दिया कि उन्होंने राज्य पैनल के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है, और वह हमेशा से ही महिलाओं को सभी क्षेत्रों में सम्मान दिलाते आएं हैं और इसी के साथ ही उन्हें समानता दिलाने के हक सप्ताहांत पर व्यापार क्यों में वैश्विक स्तर पर अभियान चलाया है।
एमएससीडब्ल्यू की अध्यक्ष ने कहा कि आयोग को उसके नोटिस पर रामदेव का जवाब मिल गया है और अगर कोई और आपत्ति या शिकायत है तो आयोग पूरी जांच करेगा और पिछले सप्ताह आयोजित कार्यक्रम की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग भी प्राप्त करेगा।
बाबा रामदेव ने कहा, "मैंने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी सरकार की विभिन्न नीतियों का भी समर्थन किया है, उन्हें प्रोत्साहित किया सप्ताहांत पर व्यापार क्यों है और उन्हें सशक्त करने के लिए कई संगठनों के साथ काम किया है। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि मैंने किसी महिला का अपमान नहीं किया है और न ही ऐसा करने का मेरा कोई इरादा था।"
उन्होंने कहा कि उनका यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण थीम पर आधारित था और उन्होंने इस कार्यक्रम में एक घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिए, जिसमें महिलाओं के पक्ष में तमाम बातें कहीं, लेकिन उनके कुछ सेकंड की टिप्पणियों पर वीडियो क्लिप को गलत मंशा से पेश किया गया।
बाबा रामदेव ने कहा कि उनके मन में माँ और मातृ-शक्ति के लिए सबसे अधिक सम्मान है। पोशाक पर टिप्पणी 'सादा कपड़े' के लिए थी। अगर इससे किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मुझे इसका गहरा खेद है। उन्होंने कहा कि "मैं उनसे किसी भी तरह की परेशानी के लिए माफी भी मांगता हूं।"
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अंग्रेजों ने सुनियोजित तरीके से भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बर्बाद क्यों किया?
अंग्रेजों ने भारत को पूर्ण रूप से बर्बाद कर दिया, यह सर्वविदित है लेकिन आज भी कई बुद्धिजीवी ये कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को संवारने का प्रयास किया था. ये रही सच्चाई.
भारत, एक ऐसा नाम जो अपने-आप में ही अद्भुत, अतुलनीय और अकल्पनीय रहस्यों को समेटे हुए है। परन्तु जब इसके इतिहास की बात आती है तो हमें अरबी लुटेरों के आक्रमण से लेकर अंग्रजी लुटोरों के शासन करने तक कई ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जोकि भारत के लोगों के ऊपर हुए अत्याचारों को बयां करती हैं। यही नहीं, ये अत्याचार आज भी लोगों के मन में एक घाव की तरह बैठे हुए हैं। अंग्रेजों ने भारत को पूर्ण रूप से बर्बाद कर दिया, यह सर्वविदित है लेकिन आज भी कई बुद्धिजीवी ये कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को संवारने का प्रयास किया था, जो सरासर गलत है। आज के इस लेख में हम भारतीय कपड़ा उद्योग को अंग्रेजों ने किस प्रकार सुनियोजित तरीके से बर्बाद किया था, उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
अंग्रेजों ने भारतीय बाजार को बर्बाद कर दिया
दरअसल, भारतीय उपमहाद्वीप अपने सूती वस्त्रों के लिए दुनियाभर में जाना जाता था और यूरोप में औद्योगिक युग के पहले से ही पुर्तगाल, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों में भारत से सूती कपड़ा आयात किया जाता था। शुरूआती दौर में भारत और यूरोप के साथ वस्त्रों का व्यापार सीमित मात्रा में हुआ करता था। परन्तु 15वीं शताब्दी में वास्को डी गामा द्वारा केप ऑफ़ गुड होप के रास्ते समुद्री मार्ग की खोज ने इंग्लैंड के साथ भारत के व्यापार को और बढ़ा दिया या यूं कहें कि भारत की मुश्किलों को बढ़ा दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने धीरे-धीरे अपने बाजार में भारतीय सूती वस्त्रों का व्यापार करना चालू कर दिया। परन्तु इन सूती कपड़ों का व्यापार अंग्रजी अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध होने लगा।
यही नहीं, इंग्लैंड के लोगों के बीच में भारतीय सूती कपड़े इतने प्रसिद्धि प्राप्त करने लगे कि वहां के बुनकरों द्वारा बनाए गए कपड़ों को लोगों ने लगभग खरीदना ही बंद कर दिया। जिसके कारण अंग्रजों के लिए यह चिंता का विषय बन गया और अंत में वहां की सरकार ने वर्ष 1700 में आयात पर बैन लगा दिया। परन्तु फिर भी लोगों के बीच में कपड़ो की प्रसिद्ध कम नहीं हुई क्योंकि मध्ययुगीन इंग्लैंड में भारतीय वस्त्रों के आने से पहले वहां के लोगों के पास पहनने के लिए सिर्फ चमड़े या मोटे वस्त्र ही हुआ करते थे। इसलिए जब इंग्लैंड के लोग आरामदायक सूती वस्त्रों से परिचित हुए तो उन्होंने सूती वस्त्रों को हाथों-हाथ लिया, जिसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे इंग्लैंड का वस्त्र उद्योग घाटे में जाने लगा। जब लोग भारत से आए कपड़ों को खरीदना बंद नहीं कर रहे थे तो अंग्रजों ने पुनः वर्ष 1721 में एक और कानून बनया, जिसके अंतर्गत भारतीय कपड़े पहनने पर पेनल्टी लगाना चालू किया गया।
अंग्रेज यहीं पर नहीं रूके, उन्हें आभास हो चुका था कि वे जबतक भारतीय कपड़े के स्रोत पर आक्रमण नहीं करेंगे और अपने यहां पर मशीनीकरण नहीं करेंगे, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा। इसलिए हमें इतिहास में वर्ष 1735 से 1765 के बीच इंग्लैंड में कपड़ा उद्योग में कई प्रकार के प्रयोग देखने को मिलते हैं। जैसे पहले वहां पर कपड़ा बुनने के लिए काठ की सप्ताहांत पर व्यापार क्यों कंघी का उपयोग किया जाता था परन्तु इस दौर में उन्होंने उत्पादन बढ़ाने के लिए स्टील की कंघी, स्पिनिंग जेनी नामक सूत कातने की मशीन, क्रॉम्पटन कताई खच्चर (क्रॉम्पटन म्यूल स्पिंडल) नामक कताई मशीन का आविष्कार किया और उससे कपड़ा बुना जाने लगा। इससे भारतीय कपड़ा उद्योग को एक बड़ा झटका लगा था।
प्लासी युद्ध के बाद भारतीय कपड़ा उद्योग की स्थिति
इधर अंग्रजों को भारत की समृद्धि के बारे में पता चल चुका था कि यह एक ऐसा देश है, जहां से बहुत कुछ लूटा जा सकता है। इसीलिए लूट हेतु बनाई गई ईस्ट इंडिया सप्ताहांत पर व्यापार क्यों कंपनी को अंग्रजी सरकार धीरे-धीरे भारत में अपने पैर पसारने के लिए प्रोत्साहित करने लगी। उसके बाद भारतीय कपड़ा उद्योग के विस्तार में प्लासी का युद्ध रोड़ा बनकर आया। 1757 में इसे बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया था और इसी युद्ध के बाद सप्ताहांत पर व्यापार क्यों भारतीय कपड़ा उद्योग के ऊपर भारी मात्रा में टैक्स लगने की कहानी शुरू हो गई।
असल में बंगाल का मुर्शीदाबाद बलचूरी कपड़े और मलमल के कपड़े के लिए जाना जाता था, इसलिए अंग्रेजों ने इसे समाप्त करने लिए बुनकरों पर भारी मात्रा में टैक्स लगाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे भारतीय कपड़ा उद्योग पूरी तरह बर्बादी की कगार पर जाकर खड़ा हो गया और बुनकरों ने कपड़ा बुनना बंद कर दिया। इसके बाद भारत में धीरे-धीरे उत्तर से लेकर दक्षिण तक कपड़ा उद्योग को सुनियोजित तरह से बर्बाद कर दिया गया और अंत में भारत के लोग कपड़ो के लिए इंग्लैंड के ऊपर निर्भर होते चले गए। इसी कड़ी में एक और बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि अंग्रजों ने भारत के कच्चे माल का उपयोग कर कपड़ों का निर्माण किया और भारत में ही उन्हें बेचा या यूं कहें कि लोगों को खरीदने पर मजबूर किया।
अंग्रजों ने भारत को सिर्फ ‘लूटा’ था
आपको बताते चलें कि आज के समय में अंग्रजी मानसिकता से ग्रसित लोग बेवजह की एक बहस खड़ी करते हैं कि भारत में अगर अंग्रेज नहीं आए होते तो भारत में औद्योगीकरण नहीं हुआ होता। इसके लिए हमें यहां पर कुछ आंकड़े रखना आवश्यक है, जिससे पता चलता है कि भारत में अगर अंग्रेज नहीं आए होते तो भारत की स्थिति तो छोड़िए परन्तु इंग्लैंड में इतना विकास कतई नहीं हुआ होता, जितना हुआ है। उदाहरण के लिए आप मध्ययुगीन इंग्लैंड और वर्तमान समय में इंग्लैंड के संग्रहालयों को देख सकते हैं किस प्रकार वहां पर दुनियाभर से चोरी किया गया समान रखा गया है।
खैर, वापस आंकड़ो पर आते हैं। ब्रिटिश इतिहासकार “एंगस मैडीसन” के अनुसार 18वीं शताब्दी की शुरुआत में दुनिया की अर्थव्यवस्था में अकेले भारत की 23 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था मिलाकर भी इतनी नहीं थी। इसके आलावा शोषण की बात की जाए तो आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 1947 में अंग्रेज जब भारत छोड़कर गए तो भारतीय अर्थव्यवस्था 23 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ पहुंची थी। ऐसे में यदि भारत में अंग्रजों के समय का ठीक तरह से विश्लेषण किया जाए तो हमें एक बात सामान्य रूप से देखने को मिलती है कि उनका एक ही काम था- विकास करने के नाम पर आर्थिक लूट-खसोट और भारत के लोगों पर अत्याचार करना।
Source- An Era of Darkness: The British Empire in India by Shashi Tharoor
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डेली मार्केट से रतन टॉकीज तक फुटपाथ दुकान लगाने पर रोक क्यों नहीं- संजय सेठ
Ranchi: सांसद संजय सेठ ने राजधानी के कचहरी से सर्जना चौक तक फुटपाथ दुकान लगाने पर रोक लगाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जाम डेली मार्केट से रतन टॉकीज के बीच लगता है. हनुमान मंदिर के आसपास के रोड के किनारे अतिक्रमण कर लिया गया है. सैकड़ों की संख्या में फुटपाथ पर ठेला लगता है. वहां फुटपाथ दुकान लगाने पर रोक क्यों नहीं लगती है. सांसद ने कहा कि प्रशासन रतन टॉकीज तक अतिक्रमण हटाए और ट्रैफिक की व्यवस्था को सुदृढ़ करे ताकि लोगों को जाम से मुक्ति मिल सके.
Saptahik Rashifal 27 Nov To 03 Dec 2022: सिंहवालों की लव लाइफ रहेगी शानदार, पढ़ें कर्क-कन्या का राशिफल
Saptahik Rashifal 27 Nov To 03 Dec 2022: यह सप्ताह 27 नवंबर से 03 दिसंबर तक है. कैसी रहेगी आपकी लव लाइफ? आइए जानते हैं . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : November 27, 2022, 09:10 IST
हाइलाइट्स
यह सप्ताह आपके लिए मध्यम रूप से फलदायक रहेगा.
प्रेम जीवन बिता रहे लोगों के लिए यह सप्ताह शानदार रहेगा. आपकी लव लाइफ परवान चढ़ेगी.
Saptahik Rashifal 27 Nov To 03 Dec 2022: नवंबर 2022 का नया सप्ताह आज 27 नवंबर से शुरू हो रहा है. यह सप्ताह 27 नवंबर से 03 दिसंबर तक है. इस सप्ताह में किसे मिलेगी तरक्की? किसको होगा बिजनेस में फायदा? किसकी किस्मत देगी साथ? कैसी रहेगी आपकी लव लाइफ? कैसा रहेगा सप्ताहांत पर व्यापार क्यों सेहत का हाल? आइए जानते हैं कर्क, सिंह और कन्या का साप्ताहिक राशिफल.
कर्क साप्ताहिक राशिफल
यह सप्ताह आपके लिए मध्यम रूप से फलदायक रहेगा. वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा, लेकिन बीच-बीच में निराशा हो सकती है. प्रेम जीवन प्यार से भरपूर रहेगा. हल्की-फुल्की झड़प होने की संभावना बनी रहेगी. आपके व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी होगी. इसके बावजूद आप किसी बात को लेकर चिंतित हो सकते हैं. आपको अपने काम को लेकर थोड़ा गंभीर होना होगा. कुछ जगह लूपहोल्स हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश करें. नौकरीपेशा लोगों के लिए यह सप्ताह अच्छा रहेगा. आप अपने काम में मेहनत से आगे बढ़ेंगे. गवर्नमेंट से कोई अच्छा लाभ मिलने के योग बन रहे हैं.
प्रॉपर्टी से संबंधित कोई बात बन सकती है, जिससे आपका घर लेने का सपना पूरा हो सकता है. भाग्य मजबूत रहेगा. कार्य में सफलता मिलेगी. विद्यार्थियों की बात करें तो अभी उन्हें ध्यान भटकाव की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. आपको इससे बच कर रहना होगा और पढ़ाई पर ध्यान देना होगा. स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो अभी आपको मानसिक रूप से तनाव हो सकता है. शारीरिक रूप से कमजोरी का भी अहसास होगा. ऐसे में अपने खानपान पर ध्यान दें. यात्रा के लिए सप्ताह के अंतिम दिन अच्छे रहेंगे.
सिंह साप्ताहिक राशिफल
यह सप्ताह आपके लिए सामान्य रूप से फलदायक रहेगा. विवाहितों का गृहस्थ जीवन सामान्य रहेगा. आपको जीवनसाथी की फिक्र रहेगी. प्रेम जीवन बिता रहे लोगों के लिए यह सप्ताह शानदार रहेगा. अभी आपकी लव लाइफ परवान चढ़ेगी. परिवार में खुशियां रहेंगी. खर्चों में थोड़ी तेजी आएगी. ये खर्च खासतौर से बीमारी सप्ताहांत पर व्यापार क्यों पर हो सकते हैं, इसलिए थोड़ा ध्यान रखें. सेहत को छोड़ दें तो यह सप्ताह काफी हद तक आपके लिए अच्छा रहेगा. नौकरीपेशा लोग अपने काम को एंजॉय करेंगे और मेहनत से आगे बढ़ेंगे.
व्यापारियों के काम में मजबूती आएगी, जिसका उन्हें अच्छा लाभ भी मिलेगा. विद्यार्थियों की बात करें तो अभी उन्हें पढ़ाई में मजा आएगा और आप एक से ज्यादा विषयों में तेजी से पकड़ बनाएंगे. स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो इस सप्ताह आप बीमार पड़ सकते हैं. ऐसे में आपको अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखना होगा. यात्रा के लिए सप्ताह का अंतिम दिन अच्छा होगा.
कन्या साप्ताहिक राशिफल
आपके लिए यह सप्ताह सामान्य तौर पर फलदायक रहेगा. सप्ताह की शुरुआत में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाएंगे. सप्ताह के बीच में आप अपनी संतान का खास ध्यान रखेंगे. प्रेम जीवन बिता रहे लोग अपने रिश्ते में काफी सीरियस रहेंगे. विवाहितों का गृहस्थ जीवन खुशनुमा रहेगा. सप्ताह के अंतिम दिनों में आप नौकरी को लेकर कुछ नया सोचेंगे. आपके मन में भावना आएगी कि आप अच्छा काम कर रहे हैं तो क्यों न उसका फायदा उठाया जाए. नौकरीपेशा लोग अपने काम में मजबूती से टिके रहेंगे. वे दूसरी नौकरी की तलाश भी शुरू कर सकते हैं.
व्यापारियों के लिए सप्ताह ठीक-ठाक रहेगा. आपका बिजनेस आगे बढ़ सके, इसके लिए आपको थोड़े ज्यादा प्रयास करने होंगे. विद्यार्थियों की बात करें तो अभी वे पढ़ाई को लेकर कोताही बरतने के मूड में नहीं होंगे. उन्हें इसके जबरदस्त नतीजे मिलेंगे. स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो अभी उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा. छोटी-मोटी शारीरिक समस्या हो सकती है. इस स्थिति में आपको डॉक्टर से सलाह लेकर इसका निदान करने की जरूरत है. यात्रा करने के लिए सप्ताह के शुरुआती दो-तीन दिन अच्छे रहेंगे.
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