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ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना

ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना

ग्रिड ट्रेडिंग क्या है?

ग्रिड ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग बॉट है जो फ्यूचर्स अनुबंधों की खरीद और बिक्री को स्वचालित करती है। इसे एक कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित अंतराल पर बाजार में ऑर्डर देने के लिए डिजाइन किया गया है।

ग्रिड ट्रेडिंग तब होती है जब ऑर्डर एक निर्धारित मूल्य से ऊपर और नीचे रखे जाते हैं, जिससे बढ़ती कीमतों पर ऑर्डर का एक ग्रिड तैयार होता है। इस तरह, यह एक ट्रेडिंग ग्रिड का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यापारी बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर खरीद-ऑर्डर दे सकते हैं, साथ ही बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर बिक्री-ऑर्डर भी दे सकते/सकती हैं। यह विभिन्न परिस्थितियों का लाभ उठाता है।

ग्रिड ट्रेडिंग अस्थिर और साइडवे मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है जब मूल्य में एक निश्चित दायरा के अंदर उतार-चढ़ाव होता है। यह तकनीक छोटे मूल्य परिवर्तनों पर लाभ कमाने के लिए है। आप जितने अधिक ग्रिड शामिल करेंगे/करेंगी, व्यापारों की आवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। हालांकि,यह एक खर्च के साथ आता है क्योंकि प्रत्येक ऑर्डर से आपको होने वाला लाभ कम होते हैं।

इस प्रकार, यह कई व्यापारों से कम लाभ कमाने वाली रणनीति बनाम कम आवृत्ति वाली रणनीति के बीच एक ट्रेडऑफ है लेकिन प्रति ऑर्डर एक बड़ा लाभ उत्पन्न करता है।

बायनेन्स ग्रिड ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना ट्रेडिंग अब USDⓈ-M फ्यूचर्स पर लाइव है। उपयोगकर्ता ग्रिड की ऊपरी और निचली सीमा और ग्रिड की संख्या निर्धारित करने के लिए ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना ग्रिड के मापदंडों को अनुकूलित और सेट कर सकते हैं। एक बार ग्रिड बन जाने के बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित कीमतों पर ऑर्डर खरीदेगा या बेचेगा।

मान लीजिए कि आप अगले 24 घंटों में बिटकॉइन की कीमत $50,000 से $60,000 के आसपास रहने की उम्मीद करते/करती हैं। इस मामले में, आप इस अनुमानित सीमा के अंदर व्यापार करने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग सिस्टम सेट कर सकते/सकती हैं।

  • मूल्य दायरा की ऊपरी और निचली सीमा,
  • कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर रखे जाने वाले ऑर्डर की संख्या,
  • प्रत्येक खरीद और बिक्री-सीमित ऑर्डर के बीच की चौड़ाई।

इस परिदृश्य में, जैसे ही बिटकॉइन की कीमत $ 55,000 तक गिरती है, ग्रिड ट्रेडिंग बॉट बाजार की तुलना में कम कीमत पर खरीद पोजीशन को जमा करेगा। जैसे ही कीमतों में सुधार होगा, बॉट बाजार की तुलना में अधिक कीमत पर बेचेगा। यह रणनीति अनिवार्य रूप से मूल्य प्रत्यावर्तन ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना से लाभ का प्रयास करती है।

जोखिम चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने स्वयं के जोखिम पर किया जाता है। आपके द्वारा सुविधाओं के उपयोग किए जाने से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके प्रति ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना उत्तरदायी नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि उपयोगकर्ताओं को ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए।

अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति सेट करें

यदि आप बायनेन्स एप का उपयोग कर रहे/रही हैं, तो [फ्यूचर्स] - [USDⓈ-M फ्यूचर्स] - [ग्रिड ट्रेडिंग]पर टैप करें।

2. रणनीति को निष्पादित करने के लिए एक संकेत चिह्न का चयन करें और ग्रिड मापदंड सेट करें। पुष्टि करने के लिए [बनाएं] पर क्लिक करें।

  1. जब आप वर्तमान में चयनित संकेत चिह्न पर ग्रिड ट्रेडिंग चला रहे/रही हों।
  2. जब आपके पास चयनित संकेत चिह्न पर ओपन ऑर्डर या पोजीशन हों।
  3. जब आप हेज पोजीशन मोड में हों, तो कृपया वन-वे मोड में समायोजित करें।
  4. जब आप काम करने की कुल मात्रा और ट्रिगर ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना ग्रिड ट्रेडिंग की सीमा 10 से अधिक हो जाते/जाती हैं।

ग्रिड ट्रेडिंग युक्ति

उपयोगकर्ता तुरंत ग्रिड लिमिट ऑर्डर शुरू करना चुन सकते हैं या जब बाजार मूल्य एक निश्चित मूल्य पर पहुंच जाए तो ट्रिगर करना चुन सकते हैं। जब चयनित ट्रिगर मूल्य (अंतिम मूल्य या अंकित मूल्य) आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर मूल्य से ऊपर या नीचे गिर जाते हैं, तो ग्रिड ऑर्डर ट्रिगर हो जाएंगे।

प्रारंभिक संरचना नवीनतम बाजार मूल्य (खरीद, बिक्री, मध्य-मूल्य) के अनुसार मूल्य स्तरों की एक श्रृंखला निर्धारित करने के लिए है, बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री सीमित ऑर्डर दें, और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर एक खरीद सीमित ऑर्डर दें, और मूल्य के ट्रिगर होने की प्रतीक्षा करें।

ध्यान दें कि प्रारंभिक निर्माण के समय सीमित ऑर्डर की संख्या ग्रिड +1 की संख्या है क्योंकि कोई पोजीशन नहीं है। उनमें से एक (नवीनतम बाजार मूल्य के पास वाला) आरंभिक ओपनिंग ऑर्डर है जो निष्पादित होने की प्रतीक्षा कर रहा है;

तटस्थ ग्रिड के लिए, रणनीति बिना किसी प्रारंभिक पोजीशन के शुरू होगी। प्रारंभिक पोजीशन तब शुरू होगा जब बाजार प्रारंभिक निर्माण के बाद निकटतम मूल्य बिंदु से आगे व्यापार करेगा।

Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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Olymp Trade के साथ वित्त बाजारों में ट्रेड शुरू करने से पहले पता होने वाली ये अहम बातें

online trading

नई दिल्ली। ट्रेडिंग केवल एक कौशल ही नहीं, बल्कि कुछ आदतों को बनाए रखने का अभ्यास भी है। ऑनलाइन ट्रेडिंग के बारे में कई भ्रांतियां और अपवाहें भी हैं लेकिन इतनी सारी अलग-अलग राय और आवाजें ट्रेडिंग से जुड़ी भ्रांतियों को वास्तविकता से अलग करना मुश्किल बनाती हैं। फ़ॉरेक्स और ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में ये गलत बातें कई जगहों और लोगों से आती हैं। हालांकि, जहां कोई पोडकास्ट डे ट्रेडिंग को लाखों कमाने का तरीका बता सकता है, या कोई यूट्यूबर पूरे उद्यम को धोखाधड़ी कह सकता है, यह जरूरी नहीं कि इनमें से कोई भी पूरी तरह सही हो।

Technical Analysis Time Frame

जब हम किसी शेयर का टेक्निकल एनालिसिस करते हैं तब Time Frame का बहुत अधिक महत्व होता है, आप किस टाइम फ्रेम में किस शेयर का एनालिसिस कर रहे है उसके आधार पर यह तय होता है की आपकी एनालिसिस सही होगी या नहीं!

टाइम फ्रेम किसको कहते है?

जब आप Candlestick चार्ट में एक कैंडल या ट्रेडिंग के लिए सही समय चुनना LINE चार्ट में एक पॉइंट जितने समय का होता है उसको हम उस चार्ट का टाइम फ्रेम कहते है, आप अपने ट्रेडिंग टर्मिनल में जिस भी टाइम फ्रेम का चार्ट देखना चाहते है, उस टाइम फ्रेम का चार्ट देख सकते है!

सही टाइम फ्रेम का चुनाव कैसे करे

शेयर मार्केट में सही टाइम फ्रेम का चुनाव करने के लिए आपको यह पता होना चाहिए की आप कितने समय के लिए शेयर में ट्रेडिंग करना चाहते है, अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए एनालिसिस कर रहे है तो उसके लिए टाइम फ्रेम अलग होगा, वही स्विंग ट्रेडर और पोजीशन ट्रेडिंग के लिए फ्रेम दूसरा होगा! आप किस तरह के ट्रेडर या निवेशक है, उसके आधार पर आपको टाइम फ्रेम को चुनना चाहिए, तभी आप एक अच्छा ट्रेडर बन सकते है!

Best Time Frame For Intraday Trading

जब लोग इंट्राडे ट्रेडिंग करते है तो वे 1-2 मिनट के कैंडल के आधार पर ट्रेडिंग करते है जबकि 1 से 3 मिनट कैंडल पर ट्रेडिंग करते है, जबकि ये काम Scalper Trader करते है अगर आप एक इंट्राडे ट्रेडर है, तो आपको शुरू में 10 मिनट से 5 मिनट का चार्ट को देखना चाहिए, जो एक इंट्राडे ट्रेडर के लिए सही होता है!

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