निवेशकों पर क्या होगा असर

इस समय, निफ्टी50 PR 1X Inv 263.45 पर कारोबार कर रहा है जबकि इंडिया विक्स 28.57 पर है. इसलिए यह रेश्यो 9.22 हो गया है. जैसा कि इस रेश्यो ने पहले ही 25 के ऊपर का संकेत दिया है. इसलिए अगर इंडिया विक्स नीचे नहीं जा पाता है और 22 से ऊपर रहता है तो रेश्यो में तेजी जारी रहेगी और आने वाले दिनों में रेश्यो बढ़ जाएगा. इसलिए अगर संकट आगे बढ़ता है तो भारतीय बाजारों में निकट भविष्य में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आ सकती है. इसलिए, गिरावट पर खरीदारी की रणनीति से बचने की जरूरत है.
RBI Rate Hike Cycle: ब्याज दरों में जारी रहेगी बढ़ोतरी! आपके इक्विटी और बॉन्ड में निवेश पर क्या होगा असर?
RBI ने अनुमान के मुताबिक आज यानी 8 जून को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का एलान किया है. (File)
Rate Hike Impact on Investment: रिजर्व बैंक (RBI) ने अनुमान के मुताबिक आज यानी 8 जून को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का एलान किया है. रेपो रेट में 50 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा हुआ है और यह 4.90 फीसदी पहुंच गया. इसके पहले मई महीने में भी रेपो रेट में 40 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी हुई थी. स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट अब बढ़कर 4.65 फीसदी हो गया है. जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSFR) 5.15 फीसदी हो गया है. हालांकि कैश रिजर्व रेश्यो यानी CRR में कोई बदलाव नहीं हुआ है. एक्सपर्ट का मानना है कि महंगाई जिस तरह से कंट्रोल से बाहर हो चुकी है, रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में आगे भी बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं. ऐसे में इसका असर इक्विटी और बॉन्ड मार्केट पर भी होगा.
ब्याज दरों में और बढ़ोतरी का अनुमान
Kotak Mahindra Bank के चीफ इकोनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज का कहना है कि महंगाई के रिस्क को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने दरों में इजाफा किया है. 3QFY23 तक महंगाई 6 फीसदी के पार बने रहने का अनुमान है, जिसके चलते आरबीआई ने यह कदम उठाया है. महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंक वित्त वर्ष 2023 में दरों में 60-85bps का और इजाफा कर सकता है.
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बाजार के लिए पॉजिटिव!
Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, वीके विजयकुमार का कहना है कि RBI का वित्त वर्ष 2023 में GDP ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी और महंगाई 6.7 फीसदी रहने का निवेशकों पर क्या होगा असर अनुमान है. ऐसे में यह रियलिस्टिक मॉनेटरी पॉलिसी है. हायर इनफ्लेशन प्रोजेक्शन से साफ है कि सेंट्रल बैंक इसके गंभीरता को पहचान कर चल रहा है. महंगाई को सटेबल करने के लिए रेपो रेट में 50 अंकों का इजाफा हुआ है. वहीं गवर्नर का यह संकेत कि अर्थव्यवस्था लचीला बनी हुई है और रिकवरी में मोमेंटम बना हुआ है, बाजार के लिए पॉजिटिव है. वहीं CRR में बढ़ोतरी नहीं हुई है. रेट हाइक के बाद बॉन्ड यील्ड में तेजी के साथ ही बॉन्ड मार्केट में पॉजिटिव रिएक्शन देखने को मिला.
PGIM India MF के हेड, फिक्स्ड इनकम, पुनीत पाल का कहना है कि MPC पॉलिसी अनुमान के मुताबिक रही है. रेपो दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी की बाजार को उम्मीद थी. हालांकि वित्त वर्ष 2023 के लिए इनफ्लेशन का पूर्वानुमान बाजार की उम्मीद 6.70 फीसदी से अधिक है. हमारा अनुमान है कि आरबीआई अगस्त की पॉलिसी में रेपो रेट में 50 बीपीएस की और बढ़ोतरी के साथ लोड रेट में बढ़ोतरी जारी रखेगा. हमारी सलाह है कि निवेशक एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट ड्यूरेशन के प्रोडक्ट में निवेश बढ़ाएं. जबकि चुनिंदा रूप से डायनमिक बॉन्ड फंडों में जोखिम क्षमता के अनुसार पैसे लगाएं.
180 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है कच्चा तेल का भाव
इंडेक्सजिनियस इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के सीएमटी अमित हरचेकर ने टीवी9 से कहा, यूक्रेन-रूस में बढ़ते तनाव के साथ आने वाले दिनों में ब्रेंट क्रूड का भाव 180 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. पिछले 15 वर्षों से यह धारणा थी कि कच्चे तेल की कीमतें बियर मार्केट में है लेकिन एक्टिवेटिंग (1+4) ब्रेकआउट के साथ बुल मार्केट में स्थानांतरित हो गया है.
(1+4) ब्रेकआउट का महत्व अधिक होता है जब इसे मासिक समापन आधार पर ट्रेंड लाइन पर बढ़ाया जाता है. WTI क्रूड और ब्रेंट क्रूड दोनों की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के पार हो गई हैं और आने वाले महीनों में इसकी 180 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना है. कच्चे तेल में उबाल से आम आदमी के साथ-साथ सरकार पर भी बोझ बढ़ेगा.
भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगने का जोखिम
हर्चेकर ने आगे कहा कि रूस के साथ मजबूत और अटूट संबंधों का असर भारत के खिलाफ भी देखने को मिल सकता है. भारत के खिलाफ भी प्रतिबंध लगने का खतरा बढ़ा है. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद भारत असहज स्थिति में आ गया है क्योंकि भारत रूस के खिलाफ कोई रुख अपनाने में असमर्थ है. भारत 60 फीसदी सैन्य हार्डवेयर रूसी निर्मित है और रक्षा उद्योग में कई ज्वाइंट वेंचर हैं. अभी तक पश्चिम देशों ने भारत के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है, लेकिन अगर संकट बढ़ता है तो वे रूस को निवेशकों पर क्या होगा असर विशेष रूप से एशियाई देशों से मिलने वाले सभी समर्थन को रोकने की कोशिश कर सकते हैं.
चीन के इकोनॉमिक सुपरपारव होने के कारण बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत को मिडिल ईस्ट और यूरोप से, खासकर वहां काम करने वाले भारतीय प्रवासियों से रेमिटेंस प्राप्त होता है. रूस का समर्थन करने के लिए भारत के खिलाफ कोई भी वैश्विक आक्रोश कई देशों को भारत को पैसे भेजने पर सीमा लगाने के लिए मजबूर कर सकता है.
6 महीने में विदेशी निवेशकों ने की 2 लाख करोड़ रुपये ज्यादा की बिकवाली
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 2 वर्षों में भारतीय मीडिया में आक्रामक प्रचार देखा गया है कि भारत अब एफआईआई प्रवाह पर निर्भर नहीं है और घरेलू निवेशक भारतीय शेयर बाजारों को सपोर्ट में मददगार हैं. उन्होंने कहा, पिछले 6 महीनों में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) ने कैश मार्केट में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की है, जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) और रिटेल निवेशकों पर क्या होगा असर निवेशकों (Retail Investors) ने इंडेक्स को 17,000 से ऊपर रखने के लिए उनकी खरीदारी की.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उनके पास इस तरह के संकट की जानकारी पहले से थी और उन्होंने 6 महीने पहले ही बिकवाली शुरू कर दी थी. अगर घरेलू निवेशक संकट के बढ़ने के कारण अपने पोर्टफोलियो से बाहर निकलने का फैसला करते हैं, तो वे खरीदार नहीं ढूंढ पाएंगे और इससे निफ्टी 14,000 के नीचे लुढ़क सकता है.
30 फीसदी तक गिर सकता है बाजार, फेल हो सकती बाय ऑन डिप स्ट्रेटजी
इंडिया विक्स इंडेक्स (India VIX Index) ऑप्शन कीमतों पर आधारित एक वोलैटिलिटी इंडेक्स है. इंडिया विक्स इंडेक्स सिस्टम में जोखिम का संकेत देता है और जब भी इंडिया विक्स इंडेक्स 22 से ऊपर ट्रेड करता है तो मंदी के प्रति बेहद सतर्क रहना चाहिए.
हर्चेकर ने कहा, भारतीय बाजारों में निफ्टी पीआर इनवर्स इंडेक्स (Nifty PR inverse Index) और इंडिया विक्स के अनुपात से एक बड़ी चेतावनी शुरू हो गई है. Nifty50 PR 1X Inv Index NSE में ट्रेड किया जाने वाला इंडेक्स है जो निफ्टी 50 इंडेक्स का रिवर्स रिटर्न प्रदान करता है. अगर निफ्टी इनवर्स 3 फीसदी गिरता है तो निफ्टी 50 3 फीसदी बढ़ जाएगा और इसके विपरीत होगा. वास्तव में, यह इंडेक्स एनएसई द्वारा बड़े निवेशकों को इनवर्स ईटीएफ के माध्यम से शॉर्टिंग या हेजिंग अवसर प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया है. इस प्रकार का इनवर्स ईटीएफ अमेरिकी बाजारों में लोकप्रिय है.
आज से क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर लगेगा 30 फीसदी का टैक्स, जानें क्या पड़ेगा असर
बजट 2022 के दौरान क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर कर वसूलने की घोषणा की गई निवेशकों पर क्या होगा असर थी.
आज से क्रिप्टोकरेंसी भी कर के दायरे में आ गई है और शुक्रवार से इसपर 30 प्रतिशत कर लगाया जाएगा. दरअसल एक अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो गई है. जिसके साथ ही आज से क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन से होने वाली आय पर कर देना होगा. जिन लोगों ने क्रिप्टो में निवेश किया है उनपर नए वित्त वर्ष के साथ ही टैक्स का बोझ बढ़ जाएगा.
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बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दौरान क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी या अन्य क्रिप्टो एसेट से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी तक कर वसूलने का ऐलान किया था. इस घोषणा पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन जे बी महापात्र ने कहा था कि बजट में क्रिप्टो करेंसी या ऑनलाइन डिजिटल संपत्तियों को कर के दायरे में लाने की घोषणा आयकर विभाग के लिए देश में इस मुद्रा के कारोबार की ‘गहराई' का पता लगाने, निवेशकों तथा उनके निवेश की प्रकृति को जानने में मददगार होगी. इस कदम का मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन वैध हो जाएगा.
आयकर रिटर्न में मिलेगा संशोधन का विकल्प
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स के अलावा आज से कई आयकर प्रस्ताव भी लागू हो जाएंगे. 50 लाख रुपये से अधिक की अचल संपत्ति की बिक्री पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने के संशोधित दिशा-निर्देश भी एक अप्रैल से लागू होगा. संशोधित नियमों के अनुसार रिटर्न या स्टाम्प शुल्क मूल्य, जो भी अधिक हो, उस पर एक प्रतिशत का टीडीएस काटा जाएगा.
आने वालों दिनों में इसका क्या होगा बाजार पर असर?
विकसित देशों जैसे US, जापान में बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा भारत जैसे बाजारों से पैसे निकाले जा सकते हैं. बाजार की हालिया तेजी में FII निवेश का बड़ा योगदान रहा है. हाल में भारत का 10 वर्षों का बॉन्ड यील्ड भी 5.76% से 6.20% पे आ गया है. विदेशी निवेशक अगर भारतीय बाजार में रहते हुए भी अगर अपने पैसे को डेट मार्केट में डालते हैं तब भी शेयर बाजार पर नकारात्मक असर दिखेगा.
2013 में US में ‘टेपर टैंटरम’ की घटना का उदाहरण देकर भी लोग इस स्थिति को बताने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान US में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी का मार्केट पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव हुआ था.
RBI से क्या करें उम्मीद?
रिजर्व बैंक लांग टर्म बॉन्ड यील्ड को 6% निवेशकों पर क्या होगा असर के पास रखने की कोशिश करेगा. बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से सरकार के बाजार से पैसे जुटाने की योजना पर बड़ा असर पड़ेगा. बजट में इस वर्ष और आने वाले वर्षों में सरकार द्वारा बॉन्ड मार्केट से बड़ी रकम उठाने का ऐलान किया गया है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों संबंधी बदलाव की संभावना कम है. RBI ओपन मार्केट ऑपरेशन और ऑपरेशन ट्विस्ट की सहायता से बॉन्ड यील्ड में कटौती की कोशिश कर सकता है. ऑपरेशन ट्विस्ट के अंतर्गत केंद्रीय बैंक बिना लिक्विडिटी को प्रभावित किए लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में कमी लाने की कोशिश करता है.
निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?
जॉब ग्रोथ घटकर आधी रह सकती है
बीता हुआ सितंबर माह अमेरिका के जॉब मार्केट के लिए मील का पत्थर साबित हुआ था. 40 साल में सबसे ज्यादा महंगाई, बढ़ती ब्याज दरों के बीच मंडराते मंदी के खतरे के बावजूद अमेरिका में बेरोजगारी दर 53 साल के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गई थी. सितंबर में 2.63 लाख नौकरियों के मिलने से बेरोजगारी दर 3.5 फीसदी पर लुढ़क गई थी, जो 1969 के बाद का सबसे निचला स्तर है. लेकिन अब बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट में एक डराने वाली आशंका जाहिर की है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल की पहली छमाही यानी जनवरी-जून में अमेरिका मंदी की गिरफ्त में आ सकता है. जिसके बाद देश में हर महीने 1.75 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं. बैंक ऑफ अमेरिका में यूएस इकनॉमिक्स के हेड माइकल गैपन ने अगले एक साल में अमेरिका में बेरोजगारी दर 5 से 5.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है. ये अनुमान इसलिए ज्यादा खतरनाक नजर आता है क्योंकि फेड ने अगले साल बेरोजगारी दर का अनुमान 4.4 फीसदी लगाया है.