रुझान रेखाएं

रुझान रेखाएं
कीमतों की गति एकरेखीय नहीं होती है। कुछ समय तक एक दिशा में चलने के बाद एक नई चाल से पहले उनमें मजबूती (कंसोलिडेशन) आती है। समय के साथ ही वे एक अलग पैटर्न बनाते हैं।
संभावनाओं की जानकारी के लिए मजबूती की अवधि महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसके बाद किसी दिशा में आई गति लंबे समय तक चल सकती है। कंसोलिडेशन के चरण में विभिन्न प्रकार के पैटर्न बनते हैं और कीमतों के ग्राफ पर बनने वाले ये पैटर्न कभी कभार खुद में अविश्वसनीय लगते हैं।
पैटर्न देख कर कीमतों के रुझान की दिशा का ठीक-ठीक पता करना कठिन होता है। ऐसे मामलों में एक विश्वसनीय पैटर्न काफी मदद कर सकता है। ट्राईऐंगल पैटर्न तीन तरह के होते हैं-सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल, एसेंडिंग ट्राईऐंगल और डिसेंडिंग ट्राईऐंगल।
सबसे पहले हम सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल पैटर्न पर नजर डालेंगे। इसमें कम से कम दो निम् स्तर के उच्च बिंदु और दो उच्च स्तर के ऐसे बिंदु होते हैं। जब उन्हें जोड़ा जाता है तो सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल का आकार बनता है। कभी कभार सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल रुझान परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेत देते रुझान रेखाएं हैं।
पैटर्न चाहे आगे बढ़ने का हो या रुख के पलटने की, एक अच्छे खासे ब्रेकआउट के बाद ही किसी प्रमुख दिशा में गतिविधि का निर्णय किया जा सकता है। रुझान कीमतों के बढ़ने का हो इसके लिए पहले से ही ऐसे रुझान का होना जरुरी है।
ऐसे रुझान दीर्घावधि में बन सकते है, जैसा कि दैनिक, साप्ताहिक, मासिक चार्ट आदि में देखा जाता है। या फिर ये अल्पावधि के हो सकते हैं जैसे कि किसी दिन के कारोबार के 60 मिनट या 5 मिनट में और इन्हीं के आधार पर कीमतें कितनी ऊपर या नीचे जाएंगी तय की जाती है। ये रुझान या तो ऊपर की दिशा में हो सकते हैं या फिर नीचे की दिशा में।
रुझान की एक रेखा के लिए कम से कम दो बिंदुओं की जरूरत होती है और ऐसी दो रेखाएं मिल कर एक सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल बनाती है। इसलिए सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल के लिए कम से कम चार बिंदुओं का होना जरूरी है। दूसरा उच्च बिंदु पहले वाले से अपेक्षाकृत नीचे और ऊपरी रेखा नीचे की ओर आती हुई होनी चाहिए। आदर्श तौर पर एक ब्रेकआउट से पहले पैटर्न कम से कम छह बिंदुओं को लेकर बनना चाहिए।
ब्रेकआउट
ब्रेकआउट (ऊपर या नीचे) के बाद जहां समर्थन या प्रतिरोध एक दूसरे को काटते हैं वहां कीमतें ब्रेकआउट स्तर को आजमाती हैं और उस समय समर्थन के टूटने का स्तर डाउनट्रेंड में प्रतिरोध बन जाता है और प्रतिरोध के स्तर का टूटना अपट्रेंड में समर्थन स्तर बन जाता है। ट्राईऐंगल के बनने में इस्तेमाल हुई रुझान रेखाएं रुझान रेखाएं इसे पहचानने में मदद करती हैं।
सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल के विस्तार के साथ कारोबारी दायरा सिमटने से कारोबार में कमी की शुरुआत होनी चाहिए। यह तूफान के आने से पहले की नीरवता होती है या ब्रेकआउट से पहले कंसोलिडेशन की मजबूती होती है।
ब्रेकआउट के समय कारोबार बढ़ना रुझान के जारी रहने का संकेता देता है और अक्सर ही विश्वसनीय होता है। लक्ष्य दो सिमेट्रिकल ट्राईऐंगल के बीच की सबसे अधिक दूरी के आधार पर तय की जा सकती है।
एसेंडिंग ट्राईऐंगल
एसेंडिंग ट्राईऐंगल एक बुलिश पैटर्न है जो आम तौर पर अपट्रेंड के समय बनता है। हालांकि, कई ऐसे उदाहरण है जब एसेंडिंग पैटर्न किसी डाउनट्रेंड के अंत में रिवर्सल पैटर्न के तौर पर बने हैं लेकिन ये आम तौर पर रुझान के जारी रहने के पैटर्न होते हैं।
यह मायने नहीं रखता कि वे कहां बन रहे हैं, ये एसेंडिंग ट्राईऐंगल बुलिश पैटर्न के संकेत देते हैं। इनके आकार को देखते हुए पैटर्न को राइट-ऐंगल ट्राईऐंगल भी कहा जा सकता है। शीर्ष में समान ऊंचाई पर दो या अधिक उच्च बिंदु एक क्षैतिज रेखा बनाते हैं।
लेखक एनाग्राम कैपिटल के शोध प्रमुख तथा निदेशक हैं।
Assembly Election Results 2021: कहां कौन आगे, कौन पीछे, पश्चिम बंगाल सहित पाचों राज्यों में क्या है शुरुआती आधे घंटे के रुझान, जानिए
Assembly Election Results 2021 : आज सुबह 8 बजे पश्चिम बंगाल सहित पांचों राज्यों में वोटों की गिनती शुरु हो गई हैं. शुरुआती आधे घंटे में सिर्फ पोस्टल बैलेट की गिनती हो रही है. EVM अभी तक खुले भी नहीं हैं. आपको बताते हैं कि 8.30 बजे तक आए रुझानों में सभी राज्यों में कौन आगे और कौन पीछे चल रहा है.
By: एबीपी न्यूज़ वेब डेस्क | Updated at : 02 May 2021 08:41 AM (IST)
ममता बनर्जी, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी
Assembly Election Results 2021 : पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरु हो चुकी है. आधे घंटे बाद (8.30 बजे तक) इन पांचों राज्यों में कौन सी पार्टी कहां आगे, कौन पीछे, ये आपको बताते हैं.
पश्चिम बंगाल- यहां 294 में से 292 सीटों पर वोटिंग हुई थी. राज्य में बीजेपी और टीएमसी में कांटे की टक्कर हैं. यहां शुरुआती आधे घंटे के रुझान में टीएमसी और बीजेपी में कांटे की टक्कर देखने को मिली है. दोनों पार्टियां 37-37 सीटों पर आगे चल रही हैं.
असम- असम की 126 सीटों में से बीजेपी 11 सीटों पर आगे चल रही हैं, वहीं कांग्रेस 7 सीटों पर आगे चल रही है.
तमिलनाडु- तमिलनाडु की 234 सीटों पर वोटिंग हुई थी. राज्य में कांग्रेस 15 आगे चल रही है और बीजेपी चार सीटों पर लीड कर रही है.
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केरल- राज्य में 140 सीटों पर वोटिंग हुई थी. राज्य में शुरुआती रुझानों में लेफ्ट 52 सीटों पर आगे है और कांग्रेस 37 सीटों पर आगे चल रही है.
पुदुचेरी- पुडुचेरी की 30 सीटों पर मतदान हुआ था. यहां पर बीजेपी 5 और कांग्रेस चार सीटों पर आगे चल रही है.
आपको बता दें कि ये अभी पोस्टल बैलेट की गिनती हो रही रुझान रेखाएं है. खबर लिखे जाने (8.30 बजे) तक इवीएम अभी तक खुले भी नहीं हैं.
पश्चिम बंगाल का सियासी गणित
पश्चिम बंगाल में सबसे रुझान रेखाएं ज्यादा आठ चरणों में चुनाव कराए गए थे. वहीं असम में तीन चरणों में वोटिंग हुई थी, बाकी के तीन राज्यों ने रुझान रेखाएं एक ही चरण में चुनाव संपन्न हुए. बंगाल की दो सीटों शमशेरगंज और जंगीपुर पर चुनाव नहीं हुआ था क्योंकि शमशेरगंज सीट पर रुझान रेखाएं कांग्रेस उम्मीदवार और जंगीपुर सीट से आरएसपी उम्मीदवार का निधन हो गया था.
असम का सियासी गणित
असम में 126 विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल यहां एनडीए की सरकार है और सर्वानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी 89 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 60 सीटें जीती थीं. वहीं असम गण परिषद ने 30 सीटों पर चुनाव लड़कर 14 सीटें और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट ने 13 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 जीती थीं. कांग्रेस ने 122 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 26 सीटों पर कब्जा किया था. यहां बहुमत के लिए 64 सीटें चाहिए.
आपको बता दें कि आज इन पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की कुल 822 विधानसभा सीटों पर पड़े मतों की गणना हो रही है. इस दौरान कोविड नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. पांचों सूबों में कुल 2364 केंद्रो में मतगणना हो रही है. साल 2016 में मतगणना केन्द्रों की कुल संख्या 1002 थी. इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए चुनाव द्वारा सोशल दूरी के नियम का पालन किए जाने के चलते मतगणना केंद्रों की संख्या में 200 प्रतिशत वृद्धि की गई है.
आलेखों से परिचय
निम्न आलेख, किसी अस्पताल में एक रोगी का प्रति घंटे लिया गया रुझान रेखाएं तापमान दर्शाता है:
i) रोगी का तापमान बजे दोपहर क्या था।
ii) रोगी का तापमान 38.5 o C स कब था
iii) इस पूरे अंतराल में रोगी का तापमान दो बार एक सामान ही था ये दो समय क्या क्या थे।
iv) बजे दोपहर रोगी का तापमान क्या था इस निष्कर्ष पर आप कैसे पहुँचे।
v) किन अंतरालों में रोगी का तापमान बढ़ने का रुझान दर्शाता है।
i) रोगी का तापमान बजे दोपहर 36.5 C था।
ii) रोगी का तापमान दोपहर १२ बजे 38.5 C था।
iii) रोगी का तापमान दोपहर 1 बजे व 2 बजे एक सामान था।
iv) 1:30 बजे दोपहर रोगी का तापमान 36.5 C था x-अक्ष पर 1 बजे दोपहर के बीच के बिंदु की दुरी; बिंदु दोपहर 2 बजे और 2 बजे के बराबर है अतः यह 1:30 दोपहर दर्शाया है।
v) सुबह 9 बजे से 10 बजे से, 10 बजे बजे से 11 बजे और दोपहर बजे 2 से 3 बजे के दौरान रोगी का तापमान बढ़ने का रुझान दर्शाता है।
निम्न आलेख, किसी सप्ताह के प्रत्येक दिन के लिए पूर्वानुमानित तापमान तथा वास्तविक तापमान दर्शाता है:
(a) किस दिन पूर्वानुमानित तापमान व वास्तविक तापमान समान था?
(b) सप्ताह में पुर्वनुमानित अधिकतम तापमान क्या था?
(c) सप्ताह में वास्तविक न्यूनतम तापमान क्या था?
(d) किस दिन वास्तविक तापमान व पूर्वानुमानित तापमान में अंतर सर्वाधिक था?
(a) मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को पूर्वानुमानित तापमान व वास्तविक तापमान समान था।
(b) सप्ताह में पुर्वनुमानित अधिकतम तापमान 35 C था।
(c) सप्ताह में वास्तविक न्यूनतम तापमान 15 C था।
(d) वृहस्पतिवार को वास्तविक तापमान व पूर्वानुमानित तापमान में अंतर सर्वाधिक था।
वनस्पति -विज्ञान के एक प्रयोग में समान प्रयोगशाला परिस्थितियों में दो पौधे ा तथा बी उगाए गए तीन सप्ताहों तक उनकी ऊँचाइयों को हर सप्ताह के अंत में मापा गया परिणामों को निम्न आलेख में दर्शाया गया है:
(a) (i) 2 सप्ताह बाद (ii) 3 सप्ताह बाद पौधे A की ऊँचाई कितनी थी?
(b) (i) 2 सप्ताह बाद (ii) 3 सप्ताह बाद पौधे B की ऊँचाई कितनी थी?
(c) तीसरे सप्ताह में पौधे A की ऊँचाई कितनी बढ़ी?
(d) दूसरे सप्ताह के अंत से तीसरे सप्ताह के अंत तक B पौधे की ऊँचाई कितनी बढ़ी?
(e) किस सप्ताह में पौधे A की ऊँचाई सबसे अधिक बढ़ी?
(f) किस सप्ताह में पौधे B की ऊँचाई सबसे काम बढ़ी?
(g) क्या किसी सप्ताह में दोनों पौधों की ऊँचाई सामान थी? पह्चानिए
(a) पौधे की ऊँचाई
(i) 2 सप्ताह बाद 7 cm थी।
(ii) 3 सप्ताह बाद 9 cm थी।
(b) पौधे B की ऊँचाई
(i) 2 सप्ताह बाद 7 cm थी।
(ii) 3 सप्ताह बाद 10 cm थी।
(c)तीसरे सप्ताह में पौधे A की ऊँचाई 2cm बढ़ी।
(d) दूसरे सप्ताह के अंत से तीसरे सप्ताह के अंत तक पौधे B की ऊँचाई 3 cm बढ़ी।
(e) दूसरे सप्ताह में पौधे A की ऊँचाई सबसे अधिक बढ़ी।
(f) पहले सप्ताह में पौधे B की ऊँचाई सबसे कम बढ़ी।
(g) दूसरे सप्ताह के अंत में दोनों पौध की ऊँचाई समान थी।
पृष्ठ : रश्मि-रेखा.pdf/४७
रश्मि रेखा प्रियतम, तव अग राग गमक उठा है स्मृति म प्रियतम तव नासा में लहर रहा वह तब मादक पराग । अग-राग भेजी है क्या तमने यह रस मय निज सुगन्ध अनिल-लहर लाई है परिरम्भण-गध मद मम गत आया सम्मख तोड कठिन काल वध जाग उठा है फिर से मेरा विगतानराग प्रियतम तव अग-राग । काई इक गध लहर कोह मृदु एक तान कोई सी एक झलक मन की कोई रुझान कर दत्ती है क्षण में अति गत को बत्त मान मानों सवेदन है स्मरण सुमन माल ताग 1 प्रियतम तष अग राग। १
‘मुझे तो मार-मार कर…’ एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थीं रेखा, 13 साल की उम्र में आना पड़ा था मुंबई
Rekha: रेखा नहीं चाहती थीं कि वह एक्टिंग करियर को अपनाएं। बिना इच्छा के रेखा ने 3 साल की उम्र से काम करना शुरू किया। 13 साल की उम्र में भी एक्ट्रेस का फिल्म और एक्टिंग की तरफ कोई खास रुझान नहीं था, फिर भी वह फिल्में कर रही थीं औऱ रुझान रेखाएं उनकी फिल्में औऱ रेखा को दर्शक देखना पसंद कर रहे थे।
बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस रेखा
Rekha: हिंदी सिनेमा की बेहद खूबसूरत औऱ दिग्गज एक्ट्रेस रेखा ने 3 साल की उम्र से ही एक्टिंग का काम करना शुरू कर दिया था। माता पिता साउथ की फिल्मों के कलाकार थे, तो वह चाहते थे कि उनकी बेटी भी एक एक्ट्रेस बने। वहीं रेखा नहीं चाहती थीं कि वह एक्टिंग करियर को अपनाएं। बिना इच्छा के रेखा ने 3 साल की उम्र से काम करना शुरू किया। 13 साल की उम्र में भी एक्ट्रेस का फिल्म और एक्टिंग की तरफ कोई खास रुझान नहीं था, फिर भी वह फिल्में कर रही थीं औऱ उनकी फिल्में औऱ रेखा को दर्शक देखना पसंद कर रहे थे।
रेखा ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था- ‘मैं ओवरनाइट स्टार बन गई थी। मैं बहुत छोटी थी उस वक्त। मैं नहीं चाहती थी कि मैं कभी एक्ट्रेस बनूं, आप और स्टार्स से पूछेंगे तो वो बताएंगे कि वह तो बचपन से बनना चाहते थे एक्टर, मेरे केस में उल्टा है मुझे तो मार मार के बनाया गया। 3 साल की उम्र से मैंने काम करना शुरू कर दिया था। 13 साल की उम्र में मैं बंबई आई थी।’
रेखा ने बताया कि हिंदी इंडस्ट्री में उनकी एंट्री कैसे हुई- ‘कुलजीत पाल औऱ शत्रुजीत पाल दोनों हिरोइन की तलाश में थे, वह मद्रास आए थे, तो उन्हें किसी ने कहा कि एक साउथ इंडियन लड़की है। थोड़ी बहुत हिंदी बोल लेती है। लेकिन मैं हिंदी नहीं रुझान रेखाएं जानती थी। तो वो लोग मुझे देखने आए। वो मेरी मां के पास आए। फिर मुझसे पूछने लगे-आपको हिंदी आती है, तो मैंने कहा नो। उन्होंने कहा- आपको हिंदी फिल्मों में काम करना है? तो मैंने कहा नो। तो वो बोले ठीक है आपको कल आकर के साइन कर लेते हैं हम। मुझे लगता है कि ये भाग्य में था, तो मिला।’
रेखा ने कहा- ‘मेरे माता पिता भी साउथ में एक्टर थे। मेरी मां बड़ी कलाकार थीं। तो वो बहुत चाहती थीं कि मैं भी एक्ट्रेस बनूं। पहली पिक्चर के बाद भी मेरा ज्यादा काम करने का मन नहीं हुआ। कम से कम 6-7 साल तक मैं जबरदस्ती ये काम करती रही। दिन की 2 शिफ्ट किया करती थी, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। बचपन से लेकर तब तक रेखा 400 फिल्में कर चुकी थीं।’