म्युचुअल फंड्स

फिलहाल कट ऑफ टाइम में बदलाव अगले आदेश तक जारी रहेंगे
म्युचुअल फंड में शुरू करना चाहते हैं निवेश, पहले समझें कितने तरह के होते हैं फंड्स
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Feb 20, 2022 | 6:44 AM
ऐसे निवेशक जो बाजार में निवेश को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखते और न ही इसे समझने में ज्यादा वक्त लगा सकते हैं लेकिन वो अर्थव्यवस्था में ग्रोथ का फायदा उठाना चाहते हैं उनके लिये म्युचुअल फंड सबसे अच्छा विकल्प होता है. म्युचुअल फंड (Mutual Fund), कई निवेशकों से धन एकत्र करता है और इस रकम को शेयर बाजार (stock market) से लेकर एफडी आदि म्युचुअल फंड्स में निवेश करता है जिससे एक तरफ निवेशक कम पैसे के साथ निवेश शुरू करें वही दूसरी तरफ कई एसेट्स में निवेश की वजह से निवेशकों का जोखिम भी कम हो जाये. आम तौर पर म्युचुअल फंड्स इसी रणनीति पर काम करते हैं हालांकि एसेट्स में निवेश (investment) के आधार पर एमएफ की कई कैटेगरी होती है. फंड्स में निवेश करते वक्त आपको पता होना चाहिये की आप किस कैटेगरी में निवेश कर रहे हैं या फिर करना चाहते हैं. क्योंकि इसी के आधार पर तय होगा आपके निवेश पर जोखिम कितना है और रिटर्न कितना मिलेगा. एक्सिस बैंक ने अपने ब्लॉग के आधार पर फंडस की ये कैटेगरी दी हैं.
कितनी तरह के होते हैं म्युचुअल फंड
म्युचुअल फंड्स कई तरह के हो सकते हैं जैसे स्ट्रक्चर के आधार पर, निवेश के तरीके के आधार पर और मिलने वाले रिटर्न के आधार पर एक्सिस बैंक ने म्युचुअल फंड्स को इन 5 कैटेगरी में बांटा है. 1) इक्विटी स्कीम 2) डेट स्कीम 3) हाइब्रिड स्कीम 4) लक्ष्य आधारित स्कीम 5) अन्य
इक्विटी म्युचुअल फंड्स स्कीम में अधिकांश हिस्सा शेयर बाजार में लगाया जाता है. इन स्कीम का उद्देश्य लंबी अवधि में ऊंची ग्रोथ का फायदा देना होता है. इक्विटी में रकम लगाये जाने की वजह से इसमें रिटर्न और रिस्क दोनो ही काफी अधिक होती है. इक्विटी स्कीम में भी कई तरह की स्कीम शामिल होती हैं, जिसमें अलग अलग खासियतों होती हैं. जैसे लार्ज कैप, स्मॉल कैप, मल्टीकैप, डिविडेंड म्युचुअल फंड्स स्टॉक, सेक्टर बेस्ड, ब्रॉड मार्केट बेस्ड या फिर ऐसा ही कोई खास वर्ग. इक्विटी स्कीम उन निवेशकों के लिये होता है जो कम या ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं और ऊंचे रिटर्न के लिये लंबी अवधि तक पैसा निवेश में बनाये रख सकते हैं,
डेट एमएफ
डेट स्कीम फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में निवेश करते हैं.जैसे बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, गर्वनमेंट सिक्योरिटी और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि. इस स्कीम का लक्ष्य निवेशकों को एक स्थिर और नियमित आय देना होता है. वहीं स्कीम में कई कैटेगरी होती है जो रिटर्न को कुछ बेहतर बनाने पर फोकस होती है. यानि फंड्स आपको साधारण एफडी से बेहतर रिटर्न देने की कोशिश करते हैं. इसमें जोखिम कम लिया जाता है और रिटर्न भी सीमित होता है. लेकिन डेट एमएफ पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं होते क्योंकि कुछ स्कीम में बेहतर रिटर्न के लिये सरकारी सिक्योरिटी के मुकाबले ज्यादा जोखिम वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में भी पैसा लगाया जाता है.
हाइब्रिड म्युचुअल फंड सबसे आम एमएफ स्कीम होता है इसमें इक्विटी, डेट, मनी मार्केट आदि में निवेश किया जाता है. रिटर्न के लिये लक्ष्य जैसा हो फंड मैनेजर उसी के हिसाब से रकम को अलग अलग वर्ग में लगाता है, जैसे ज्यादा रिटर्न के लिये इक्विटी में ज्यादा पैसा लगाया जाता है वहीं एफडी से बेहतर रिटर्न पाने के लिये सिक्योरिटीज में अधिकांश पैसा लगाने के साथ कुछ पैसा इक्विटी में लगाया जाता है.
लक्ष्य आधारित फंड्स
बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर खरीदना, रिटायरमेंट फंड्स म्युचुअल फंड्स जैसी योजना लंबी अवधि का निवेश मांगती हैं. कई स्कीम इस आधार पर डिजाइन होती हैं जो कि एक निश्चित वक्त के बाद आपको एक निश्चित बड़ी रकम दे सके या फिर आपको एक नियमित आय दें. इसमें रिटायरमेंट फंड, चिल्ड्रेन फंड्स जैसी स्कीम आती हैं. इन स्कीम्स पैसा निकालने के लिये खास नियम होतें म्युचुअल फंड्स है
इसके अलावा इंडेक्स फंड्स, ईटीएफ, फंड ऑफ फंड जैसी कई अन्य स्कीम भी होती हैं, जिसकी अपनी खास विशेषताएं होंती हैं. इंडेक्स फंड किसी खास सेक्टर इंडेक्स या ब्रॉड मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करता है, वहीं ईटीएफ एक्सचेंज में खरीदे या बेचे जा सकते हैं. फंड ऑफ फंड ऐसे फंड होते है जो दूसरे फंड्स में अपना पैसा लगाते हैं. इस तरह से देखा जाये तो म्युचुअळ फंड में निवेश विकल्पों की कोई कमी नहीं है. पहले आप ये तय करें की आपको किस कैटेगरी में आगे बढ़ना है फिर उस कैटेगरी के सबसे अच्छी स्कीम की तलाश शुरू करें और बेहतर रिटर्न हासिल करें.
म्युचुअल फंड में शुरू करना चाहते हैं निवेश, पहले समझें कितने तरह के होते हैं फंड्स
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Feb 20, 2022 | 6:44 AM
ऐसे निवेशक जो बाजार में निवेश को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखते और न ही इसे समझने में ज्यादा वक्त लगा सकते हैं लेकिन वो अर्थव्यवस्था में ग्रोथ का फायदा उठाना चाहते हैं उनके लिये म्युचुअल फंड सबसे अच्छा विकल्प होता है. म्युचुअल फंड (Mutual Fund), कई निवेशकों से धन एकत्र करता है और इस रकम को शेयर बाजार (stock market) से लेकर एफडी आदि में निवेश करता है जिससे एक तरफ निवेशक कम पैसे के साथ निवेश शुरू करें वही दूसरी तरफ कई एसेट्स में निवेश की वजह से निवेशकों का जोखिम भी कम हो जाये. आम तौर पर म्युचुअल फंड्स इसी रणनीति पर काम करते हैं हालांकि एसेट्स में निवेश (investment) के आधार पर एमएफ की कई कैटेगरी होती है. फंड्स में निवेश करते वक्त आपको पता होना चाहिये की आप किस कैटेगरी में निवेश कर म्युचुअल फंड्स रहे हैं या फिर करना चाहते हैं. क्योंकि इसी के आधार पर तय होगा आपके निवेश पर जोखिम कितना है और रिटर्न कितना मिलेगा. एक्सिस बैंक ने अपने ब्लॉग के आधार पर फंडस की ये कैटेगरी दी हैं.
कितनी तरह के होते हैं म्युचुअल फंड
म्युचुअल फंड्स कई तरह के हो सकते हैं जैसे स्ट्रक्चर के आधार पर, निवेश के तरीके के आधार पर और मिलने वाले रिटर्न के आधार पर एक्सिस बैंक ने म्युचुअल फंड्स को इन 5 कैटेगरी में बांटा है. 1) इक्विटी स्कीम 2) डेट स्कीम 3) हाइब्रिड स्कीम 4) लक्ष्य आधारित स्कीम 5) अन्य
इक्विटी म्युचुअल फंड्स स्कीम में अधिकांश हिस्सा शेयर बाजार में लगाया जाता है. इन स्कीम का उद्देश्य लंबी अवधि में ऊंची ग्रोथ का फायदा देना होता है. इक्विटी में रकम लगाये जाने की वजह से इसमें रिटर्न और रिस्क दोनो ही काफी अधिक होती है. इक्विटी स्कीम में भी कई तरह की स्कीम शामिल होती हैं, जिसमें अलग अलग खासियतों होती हैं. जैसे लार्ज कैप, स्मॉल कैप, मल्टीकैप, डिविडेंड स्टॉक, सेक्टर बेस्ड, ब्रॉड मार्केट बेस्ड या फिर ऐसा ही कोई खास वर्ग. इक्विटी स्कीम उन निवेशकों के लिये होता है जो कम या ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं और ऊंचे रिटर्न के लिये लंबी अवधि तक पैसा निवेश में बनाये रख सकते हैं,
डेट एमएफ
डेट स्कीम फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में निवेश करते हैं.जैसे बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, गर्वनमेंट सिक्योरिटी और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि. इस स्कीम का लक्ष्य निवेशकों को एक स्थिर और नियमित आय देना होता है. वहीं स्कीम में कई कैटेगरी होती है जो रिटर्न को कुछ बेहतर बनाने पर फोकस होती है. यानि फंड्स आपको साधारण एफडी से बेहतर रिटर्न देने की कोशिश करते हैं. इसमें जोखिम कम लिया जाता है और रिटर्न भी सीमित होता है. लेकिन डेट एमएफ पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं होते क्योंकि कुछ स्कीम में बेहतर रिटर्न के लिये सरकारी सिक्योरिटी के मुकाबले ज्यादा जोखिम वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में भी पैसा लगाया जाता है.
हाइब्रिड म्युचुअल फंड सबसे आम एमएफ स्कीम होता है इसमें इक्विटी, डेट, मनी मार्केट आदि में निवेश किया जाता है. रिटर्न के लिये लक्ष्य जैसा हो फंड मैनेजर उसी म्युचुअल फंड्स के हिसाब से रकम को अलग अलग वर्ग में लगाता है, जैसे ज्यादा रिटर्न के लिये इक्विटी में ज्यादा पैसा लगाया जाता है वहीं एफडी से बेहतर रिटर्न पाने के लिये सिक्योरिटीज में अधिकांश पैसा लगाने के साथ कुछ पैसा इक्विटी में लगाया जाता है.
लक्ष्य आधारित फंड्स
बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर खरीदना, रिटायरमेंट फंड्स जैसी योजना लंबी अवधि का निवेश मांगती हैं. कई स्कीम इस आधार पर डिजाइन होती हैं जो कि एक निश्चित वक्त के बाद आपको एक निश्चित बड़ी रकम दे सके या फिर आपको एक नियमित आय दें. इसमें रिटायरमेंट फंड, चिल्ड्रेन फंड्स जैसी स्कीम आती हैं. इन स्कीम्स पैसा निकालने के लिये खास नियम होतें है
इसके अलावा इंडेक्स फंड्स, ईटीएफ, फंड ऑफ फंड जैसी कई अन्य स्कीम भी होती हैं, जिसकी अपनी खास विशेषताएं होंती हैं. इंडेक्स फंड किसी खास सेक्टर इंडेक्स या ब्रॉड मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करता है, वहीं ईटीएफ एक्सचेंज में खरीदे या बेचे जा सकते हैं. फंड ऑफ फंड ऐसे फंड होते है जो दूसरे फंड्स में अपना पैसा लगाते हैं. इस तरह से देखा जाये तो म्युचुअळ फंड में निवेश विकल्पों की कोई कमी नहीं है. पहले आप ये तय करें की आपको किस कैटेगरी में आगे बढ़ना है फिर उस कैटेगरी के सबसे अच्छी स्कीम की तलाश शुरू करें और बेहतर रिटर्न हासिल करें.
RBI ने म्यूचुअल फंड्स के म्युचुअल फंड्स लिए शुरू की विशेष ऋण सुविधा, उपलब्ध कराएगा 50000 करोड़ रुपए का लोन
आरबीआई ने कहा कि वह सतर्क है और कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए हर म्युचुअल फंड्स संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
कुछ योजनाओं के बंद होने से निवेशक घबराएं नहीं, डेट स्कीम में निवेश सुरक्षित: AMFI
फ्रेंकलिन टेम्पलटन MF ने छह डेट स्कीम को बंद करने का फैसला लिया है।
COVID-19 impact: फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने अपनी छह म्यूचुअल फंड योजनाओं को किया बंद
बाजार भागीदारों को आशंका है कि मौजूदा स्थिति अन्य ऋण योजनाओं को भी प्रभावित कर सकती है।
लंबे समय तक मार्केट में बने रहने से मिलता है फायदा, ये हैं 25 सालों में धमाल मचाने वाले म्यूचुअल फंड्स
पिछले कुछ समय से देश में म्यूचुअल फंड की तरफ लोगों ने अधिक रुचि दिखाई है खासकर युवा वर्ग ने जो ज्यादातर कमाई के पारंपरिक तरीकों के अलावा अधिक इनकम अर्जित करने के इरादे से मार्केट में अलग-अलग तरीके से निवेश कर रहे है. इन्हीं में से एक है सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP).
सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) स्कीम कई म्युचुअल फंड्स द्वारा निवेशकों को पेश किया जाने वाला एक निवेश का तरीका है, जो उन्हें एकमुश्त राशि के बजाय समय-समय पर छोटी राशि का निवेश म्युचुअल फंड्स करने की अनुमति देता है. लेकिन इस दौरान इक्विटी का सबसे ज्यादा लाभ उन निवेशकों को ही मिलता है, जो लम्बे समय तक मार्केट में टिकने की हिम्मत दिखाते हैं.
म्युचुअल फंड्स ने बैंकिंग शेयर में घटाया निवेश, बढ़ता NPA बना वजह
नई दिल्ली। बैंकिंग सेक्टर में बढ़ रहे एनपीए के चलते म्युचुअल फंड भी इस क्षेत्र में अपना निवेश घटा रहे हैं। जुलाई महीने के अंत में म्युचुअल फंड्स ने बैंकिंग सेक्टर में अपना निवेश घटाकर 82000 करोड़ रुपए कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकिंग सेक्टर में लगातार बढ़ते एनपीए के कारण इस सेक्टर के शेयरों में म्युचुअल फंड्स का निवेश घटा है। हालांकि उनका यह भी मानना है कि फाइनेंनशियल सेक्टर का आकार देश में बहुत बड़ा है। इस कारण एक्सपोजर घटाने के बाद भी अन्य सेक्टर्स जैसे ऑटो, सॉफ्टवेयर की तुलना में बैकिंग शेयरों में म्युचुअल फंड्स का निवेस सबसे ज्यादा ही रहेगा।