रुझान के साथ व्यापार

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भारत के उत्पादन उद्योग की ग्लोबल वॅल्यू-चेन में सुधरती स्थिति
विश्व व्यापार का लगभग दो-तिहाई हिस्सा ग्लोबल वैल्यू चेनस (जीवीसी) का है; भारत को प्रति वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करते हुए 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, जीवीसी में अपनी भागेदारी बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण होगा।
ओईसीडी ट्रेड इन वैल्यू एडेड (टीआईवीए), जो वैश्विक व्यापार में अग्रणी देशों की क्रमवार सूची तय्यार करता है, के आंकड़ों के अनुसार, रुझान के साथ व्यापार जीवीसी में भारत की भागीदारी जो 1995 में 57वें स्थान पर थी, सुधरकर 2009 में 45वें स्थान पर आ गई।
भारत में मध्यवर्ती उत्पादों और सेवाओं के आयात में से 27.5 प्रतिशत (मूल्य के आधार पर) उत्पाद बाद में निर्यात का हिस्सा बने, जो 2009 में दर्ज 23.5 प्रतिशत से अधिक है।
वर्तमान जीवीसी में भागीदारी बढ़ाने के अलावा, भारत अपने स्वयं के जीवीसी और/या क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाएं (आरवीसी) शुरू करने पर भी विचार कर सकता है, जो क्षेत्रीय व्यापार में अपनी क्षमता का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने में मदद करेगा।
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चिंताजनक रुझान
चित्र का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (रॉयटर्स फोटो)
आयात और निर्यात में थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव आम बात है। लेकिन अभी निर्यात का जो हाल है उसे असामान्य ही कहा जाएगा। अक्तूबर में निर्यात करीब साढ़े सत्रह फीसद घट गया। उदारीकरण के जमाने में निर्यात बढ़ाने पर पहले से अधिक जोर दिया जाता है। इसके लिए वित्त मंत्रालय प्रोत्साहन और रियायत भी देता रहा है। फिर भी, ग्यारह महीनों से निर्यात में गिरावट का सिलसिला बना हुआ है। बेशक यह चिंता की बात है। निर्यात घटने का नतीजा अमूमन व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के रूप में आता है। रुझान के साथ व्यापार पर मजे की बात है कि व्यापार घाटे में कमी दर्ज हुई है। इसलिए कि अक्तूबर में आयात में भी इक्कीस फीसद की कमी आ गई। व्यापार घाटा यानी आयात से निर्यात का अंतर कम होकर सात माह के निचले स्तर पर आ गया। भारत के आयात में सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का रहा है। भारत अपनी जरूरत का तीन चौथाई पेट्रोलियम आयात करता है। रुझान के साथ व्यापार इसके बाद स्वर्ण आयात का नंबर है। आयात के कुल आंकड़े में आई कमी की एक बड़ी वजह सोने के आयात में आई गिरावट है; साल भर पहले के मुकाबले अक्तूबर में सोने के आयात में साठ फीसद की गिरावट आई। लेकिन आर्थिक मामलों के अनेक जानकार विदेश व्यापार की मौजूदा स्थिति को शुभ संकेत नहीं मानते। इसलिए कि व्यापार घाटा भले कम हुआ हो, पर यह निर्यात में बढ़ोतरी का परिणाम नहीं है। निर्यात के साथ-साथ आयात में भी आई कमी को वे वैश्विक बाजार में नरमी के लक्षण के रूप में देखते हैं।
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UNCTAD का निवेश रुझान मॉनिटर: 2021 में भारत में FDI प्रवाह में 26 प्रतिशत की कमी आई
19 जनवरी, 2022 में, संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) के अनुसार ‘निवेश रुझान मॉनिटर’ 19 जनवरी, 2022 में प्रकाशित हुआ, 2021 में भारत रुझान के साथ व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में 26 प्रतिशत की कमी आई थी, मुख्यतः क्योंकि 2020 में दर्ज बड़े विलय और अधिग्रहण (M&A) प्रस्तावों को दोहराया नहीं गया था।
- दुनिया का विदेशी प्रत्यक्ष वित्त पोषण प्रवाह 2021 में फिर से शुरू हो गया है, जो 77 प्रतिशत बढ़कर अनुमानित 1.65 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो 2020 में 929 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।