विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है?

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ निमेश शाह का कहना है कि आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है. ऐसे में अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत के इक्विटी बाजार भी इससे अछूते नहीं रह सकते हैं. हमारा मानना है कि जब अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व यह घोषणा करेगा कि मुद्रास्फीति को सख्ती से निपटाया जा चुका है तो यह इक्विटी के लिए एक बड़े असेट क्लास के रूप में उभरने एसेट क्लास के रूप में मुद्रा का बड़ा मौका होगा. हालांकि ऐसा कब तक होगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. तब तक हम उम्मीद एसेट क्लास के रूप में मुद्रा करते हैं कि मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.

RBI का डिजिटल रुपी क्रिप्टोकरंसी से कैसे अलग है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज 1 दिसंबर से आम जनता के लिए डिजिटल रुपी (RBI Digital Rupee) के पायलट लॉन्च की घोषणा की है. इस लॉन्च के साथ, भारत अपनी खुद की ब्लॉकचेन करेंसी लॉन्च करने वाले चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है. जबकि, अमेरिका जैसे देश ने अभी तक अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च नहीं की है.

वहीं, अब ये सवाल कॉमन है कि क्या डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरंसी में कोई समानता है. खैर, CBDC और क्रिप्टोकरेंसी के बीच समानता इस तथ्य पर समाप्त होती है कि इन दोनों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है. इसलिए, ब्लॉकचेन के कॉमन बेस (आधार) एसेट क्लास के रूप में मुद्रा होने के नाते, सभी ट्रांजेक्शन को लेजर पर ट्रैक किया जा सकता है. पुराने ट्रांजेक्शन को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता. ऐसे में ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और इसे मैनेज करना आसान हो जाएगा. इसलिए, CBDC सप्लाई के साथ-साथ उपयोग पक्ष पर नियंत्रण के साथ RBI की एक टेक्नोलॉजी-आधारित मुद्रा होगी. यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह डिसेंट्रलाइज्ड नहीं होगा.

इन तीन तरीकों से करें निवेश, मंदी के दौरान भी नहीं होगा नुकसान

इन तीन तरीकों से करें निवेश, मंदी के दौरान भी नहीं होगा नुकसान

TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel

Updated on: Nov 04, 2022 | 12:30 PM

Investment Tips बीते एक वर्ष से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है. लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनियाभर के देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं. हालांकि इन चुनौतियों और अस्थिर वातावरण के बीच एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था बना हुआ है. एक से पांच वर्ष के आधार एसेट क्लास के रूप में मुद्रा पर लगभग सभी उभरते बाजारों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए भारतीय बाजार एक अलग मुकाम बनाए हुए हैं. भारतीय बाजारों का मूल्यांकन अभी भी उनके लंबी अवधि के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है. आरबीआइ, सरकार और कारपोरेट एसेट क्लास के रूप में मुद्रा कंपनियों ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है. इसके बावजूद जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है, क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है.

वैश्विक मंदी का भारत पर नहीं होगा खास असर

निमेश शाह का कहना है कि विकसित देशों में बनी मंदी की संभावना का भारत पर कोई खास असर नहीं होगा. बल्कि वैश्विक मंदी से भारत को तेल की ऊंची कीमतें, चालू खाता घाटा और महंगाई जैसी चिंताओं से निपटने में मंदी मदद मिलेगी. शेयर बाजारों में गिरावट पर ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद यूरोप और एशिया में भी भू-राजनीतिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, लेकिन भारतीय बाजारों ने इन पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में यह भी देखना होगा की वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे आगे बढ़ते हैं. इस उतार-चढ़ाव और संभावित मंदी के माहौल में निवेश में विविधता लाना आवश्यक है ताकि किसी भी नुकसान का कम या टाला जा सके.

शाह के मुताबिक, एक एसेट क्लास डेट म्यूचुअल फंड को अब तक ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है, जबकि बीते 18-20 महीनों में अच्छे रिटर्न ने इसे काफी आकर्षक बना दिया है. उपभोक्ता वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होने के कारण आने वाले समय में आरबीआई रेपो रेट में और वृद्धि कर सकता है. निवेश के दौरान हायर यील्ड को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक (attractive) लग रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है और इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी मुद्रास्फीति और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है.

समाधान प्रदान करने वाले म्यूचुअल फंड ऑफर

जब तक फेडरल रिजर्व महंगाई से निपटने के लिए सभी उपायों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव एसेट क्लास के रूप में मुद्रा बना रहेगा. ऐसे में निवेशकों, खासतौर पर भारतीय निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसेट क्लास के रूप में मुद्रा एसआईपी के माध्यम से निवेश करना चाहिए. इक्विटी निवेश के नजरिये से निवेशकों को असेट एलोकेशन जैसे संतुलित लाभ या बहु-परिसंपत्ति श्रेणी पर विचार करना चाहिए. योजनाबद्ध अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसी फीचर्स पर भी विचार किया जा सकता है.

एसेट क्लास में एक विविध (diversified) पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम (concentration risk) को कम किया जाए. अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेशक करने का एक बेहतर मौका सामने होता है. वे न केवल महंगाई के खिलाफ, बल्कि मुद्रा मूल्यह्रास (currency depreciation) के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं. निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिये निवेश पर विचार कर सकते हैं. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर और फंड ऑफ फंड्स एक बेहतर निवेश विकल्प हैं.

Investment Portfolio: अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करें ये तीन चीजें, बाजार के उतार-चढ़ाव में भी होगा मुनाफा

By: ABP Live | Updated at : 14 Nov 2022 12:58 PM (IST)

अस्थिर बाजार में निवेश की रणनीति

इस साल की शुरुआत से ही ग्‍लोबल और भारतीय बाजार (Indian Equity Market) में अस्थिरता देखी जा रही है. महंगाई में होती लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्‍याज दरों में अच्‍छा-खासा इजाफा किया है और इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, अगर आप विदेशी बाजारों से तुलना करेंगे तो पाएंगे भारत की अर्थव्‍यवस्‍था (Indian Economy) तुलनात्‍मक रूप से ज्‍यादा स्थिर है. दूसरे उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं (Emerging Economies) के मुकाबले भारतीय बाजार का प्रदर्शन एक या पांच साल में बेहतर रहा है. इक्विटी वैल्‍यूएशन की बात करें तो भारत का लॉन्‍ग टर्म एवरेज भी दूसरे बाजारों की तुलना में अच्‍छा रहा है. हालांकि, इन सब के बावजूद रिस्‍क के प्रति सचते रहने की जरूरत है क्‍योंकि मार्केट वैल्‍यूएशन सस्‍ता नहीं है.

डेट म्‍यूचुअल फंड में करें निवेश

डेट म्‍यूचुअल फंड्स अबतक लोकप्रिय नहीं हो पाए हैं. हालांकि, निवेश के दौरान हायर यील्ड को देखते हुए, एक एसेट क्लास के तौर पर डेट फिर से आकर्षक लग रहा है. शाह के अनुसार, रिजर्व बैंक की आगामी बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है और इसने आरबीआई के सामने एक चुनौती खड़ी की है. इसलिए भविष्य में हाई अक्रूअल स्कीम और डायनामिक ड्यूरेशन वाली स्कीम फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं. फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी भी भविष्‍य में अच्‍छा प्रदर्शन कर सकते हैं. इनवेस्टर्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डेट म्यूचुअल फंड की पोर्टफोलियो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

जब तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई पर नियंत्रण के लिए सभी उपलब्‍ध विकल्‍पों का सहारा ले रहा है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा. शाह कहते हैं कि बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ सिस्‍टेमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के जरिये इक्विटी म्‍यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहिए. योजनाबद्ध, अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न फाइनेंशियल गोल्‍स को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसी फीचर्स पर भी विचार किया जा सकता है.

गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ करें पोर्टफोलियो में शामिल

एक डायवर्सिफायड पोर्टफोलिया में निवेश से जुड़ा जोखिम कम हो जाता है. डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करता है किकंसेन्‍ट्रेशन रिस्‍क (Concentration Risk) को कम किया जाए. अनिश्चितता को देखते हुए सोना और चांदी निवेश के अच्‍छे विकल्‍प हो सकते हैं. शाह कहते हैं कि ये न सिर्फ महंगाई के खिलाफ, बल्कि रुपये के अवमूल्‍यन (Currency Depreciation) से भी बचाव के रूप में काम करते हैं. निवेश गोल्‍ड और सिल्‍वर में में ईटीएफ (Exchange Traded Funds) के जरिये निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर फंड ऑफ फंड्स निवेश का एक विकल्‍प हो सकता है.

Published at : 14 Nov 2022 11:52 AM (IST) Tags: Debt Mutual Funds systematic investment plan Gold ETF investment strategy Volatile Market Nimesh Shah हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

पराग पारिख म्यूचुअल फंड - शीर्ष पराग पारिख MF योजनाएं, जोखिम और विशेषताएं

  • फंड ऋण प्रतिभूतियों की विभिन्न श्रेणियों में निवेश का लचीलापन और जोखिम प्रदान करता है।
  • यह एक सरल और स्पष्ट ऋण उत्पाद है।
  • फंड की इक्विटी की गहरी जानकारी अच्छे शेयरों को चुनने में मदद कर सकती है।
  • निवेशक इनविट और आरईआईटी जैसे उभरते परिसंपत्ति वर्गों में निवेश प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह अपनी अधिकांश परिसंपत्तियों को ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करेगा जिसे अधिकांश निवेशकों द्वारा समझना आसान नहीं है।

ऋण पोर्टफोलियो निर्माण चालक:

  • पोर्टफोलियो में 'डिउरेशन' और 'अक्कुरल' प्रतिभूतियां शामिल होंगी।
  • फंड मुख्य रूप से राज्य सरकार, संप्रभु और उच्च गुणवत्ता वाली पीएसयू प्रतिभूतियों और AAA-रेटेड कागजात में निवेश करेगा।
  • फंड कॉर्पोरेट क्रेडिट जोखिम को सीमित करने का प्रयास करेगा।
  • डेब्ट पोर्टफोलियो कम अस्थिरता के साथ उचित रिटर्न प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

किसे निवेश करना चाहिए?

यह योजना उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो हैं -

  • नियमित आय और दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि में रुचि रखते हैं।
  • ऋण, मुद्रा बाजार लिखतों और इक्विटी प्रतिभूतियों में निवेश में रुचि रखते हैं।
  • 2-3 साल और उससे अधिक के निवेश क्षितिज वाले निवेशकों के लिए अनुशंसित।

संपत्ति एलोकेशन पैटर्न

उपकरणकुल संपत्ति का न्यूनतम% (सांकेतिक)कुल संपत्ति का अधिकतम% (सांकेतिक)जोखिम प्रोफाइल
ऋण और मुद्रा बाजार के साधन75%90%निम्न से मध्यम
इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियां10%25%मध्यम से उच्च
InvITs और REITs द्वारा जारी इकाइयाँ0%10%मध्यम से उच्च

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड

एसबीआई मल्टीपरिसंपत्ति आवंटन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड दोनों मल्टी एसेट एलोकेशन श्रेणी के हैंम्यूचुअल फंड्स. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड हाइब्रिड कैटेगरी का हिस्सा हैं। इस स्कीम की खास बात यह है कि फंड तीन एसेट क्लास में निवेश कर सकता है। इसका मतलब है कि मल्टी एसेट एलोकेशन डेट, इक्विटी और एक और एसेट क्लास में निवेश कर सकता है। नियमों के मुताबिक, फंड को हर एसेट क्लास में कम से कम 10 फीसदी निवेश करना चाहिए। एसेट क्लास के रूप में मुद्रा हालांकि एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड और एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड दोनों एक ही श्रेणी के हैं; उनके बीच कई अंतर मौजूद हैं। तो, आइए इस लेख के माध्यम से दोनों योजनाओं के बीच के अंतरों को समझते हैं।

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड, जिसे पहले एसबीआई मैग्नम के नाम से जाना जाता थामासिक आय योजना फ्लोटर, वर्ष 2005 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य नियमित प्रदान करना हैआय, आकर्षक रिटर्न औरलिक्विडिटी के सक्रिय रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो के माध्यम से ब्याज दर जोखिम के प्रभाव को कम करने के अलावाअस्थाई दर और निश्चित दर ऋण साधन,मुद्रा बाजार उपकरण, डेरिवेटिव और इक्विटी।

एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड (पूर्ववर्ती एचडीएफसी मल्टीपल यील्ड फंड - प्लान 2005)

एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड, जिसे पहले एचडीएफसी मल्टीपल यील्ड फंड - प्लान 2005 के रूप में जाना जाता था, को वर्ष 2005 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य मध्यम समय सीमा में कम जोखिम के साथ सकारात्मक रिटर्न उत्पन्न करना है।पूंजी हानि मध्यम समय सीमा में।

फंड की कुछ शीर्ष होल्डिंग्स (30 जुलाई 2018 तक) गोल्ड बार 1 किलोग्राम (0.995 शुद्धता), कोटक महिंद्रा प्राइम लिमिटेड, एचडीएफसी हैं।बैंक लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड, आदि।

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड

कई मापदंडों पर एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी एसेट क्लास के रूप में मुद्रा मल्टी-एसेट फंड के बीच कई अंतर हैं। तो, आइए नीचे दिए गए चार वर्गों की मदद से इन योजनाओं के बीच के अंतर को समझते हैं।

मूल बातें अनुभाग

फिनकैश रेटिंग, वर्तमाननहीं हैं, एयूएम, व्यय रायटो, योजना श्रेणी, आदि, कुछ तुलनीय तत्व हैं जो मूलभूत अनुभाग का हिस्सा हैं। योजना श्रेणी के संबंध में, दोनों योजनाएँ बहु संपत्ति आवंटन की एक ही श्रेणी की हैं-हाइब्रिड फंड.

फिनकैश रेटिंग की तुलना से पता चलता है कि, एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड है a4-सितारा रेटेड योजना और एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड है a3-सितारा रेटेड योजना*.

मूल बातें अनुभाग का सारांश इस प्रकार है।

Parameters
BasicsNAV
Net Assets (Cr)
Launch Date
Rating
Category
Sub Cat.
Category Rank
Risk
Expense Ratio
Sharpe Ratio
Information Ratio
Alpha Ratio
Benchmark
Exit Load
रेटिंग: 4.66
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 387
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