इक्विटी सूचकांक

Stock Market Outlook: इस हफ्ते इन बातों पर निर्भर होगी शेयर बाजार की रफ्तार, ये आंकड़े डालेंगे असर, जानें
Stock Market Outlook: कल से शुरू होने वाला नया कारोबारी हफ्ता नए आंकड़ों और ग्लोबल बाजारों से मिले संकतों पर प्रतिक्रिया देगा. इस हफ्ते क्या कारक रहेंगे बाजार के लिए अहम-यहां जानें.
By: ABP Live | Updated at : 06 Nov 2022 03:41 PM (IST)
शेयर बाजार आउटलुक (फाइल फोटो)
Stock Market Outlook: भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ता अच्छा साबित हुआ है. पिछले हफ्ते सेंसेक्स करीब 1000 अंक और निफ्टी 330 अंक की कुल बढ़त दिखाने में सफल रहा है. कल से शुरू होने वाले नए कारोबारी हफ्ते के लिए भी संकेत अच्छे ही लग रहे हैं और इस हफ्ते में पांच नहीं बल्कि चार ट्रेडिंग सेशन होंगे. इस हफ्ते मंगलवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर शेयर बाजार में अवकाश होने से कारोबारी सप्ताह छोटा होगा.
कैसा रहेगा इस हफ्ते कारोबार
कंपनियों के तिमाही नतीजों, वैश्विक संकेतों और विदेशी फंड निवेशकों की गतिविधियों से आने वाले सप्ताह में इक्विटी बाजार की दिशा तय होने की संभावना है. विश्लेषकों ने यह अनुमान जताया है. स्वास्तिका इंवेस्टमेंट लिमिटेड के सीनियर टेक्नीकल एनालिस्ट प्रवेश गौर ने कहा, 'घरेलू मोर्चे पर बाजार बीपीसीएल, कोल इंडिया, टाटा मोटर्स, आयशर मोटर्स, हिंडाल्को और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के तिमाही नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देगा.'
कंपनी नतीजों, वैश्विक संकेतों से तय होगी बाजार की दिशा
उन्होंने कहा कि कंपनी नतीजों के अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा रहा है. एफआईआई की दिलचस्पी एक बार फिर से भारतीय बाजार को लेकर पैदा हुई है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के शोध उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, 'इस हफ्ते में कारोबारी गतिविधियां चार दिन ही रहेंगी. इस दौरान तिमाही नतीजों के अलावा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक जैसे वृहद-आर्थिक आंकड़े भी आने वाले हैं. इसके साथ ही विदेशी पूंजी के रुख और वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन से भी घरेलू बाजार की दिशा तय होगी.' एम्के वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसफ थॉमस ने कहा कि बाजारों में एक तरह की स्थिरता का भाव होने के बावजूद विदेशी घटनाक्रम आने वाले समय में कारोबार की दिशा प्रभावित करते रहेंगे.
SBI के नतीजे रहे शानदार
जहां तक कंपनी नतीजों का सवाल है तो देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अब तक का सबसे ज्यादा तिमाही लाभ हासिल किया है. भारतीय स्टेट बैंक ने शनिवार को कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में उसका एकल आधार पर शुद्ध लाभ 74 फीसदी बढ़कर 13,265 करोड़ रुपये हो गया.
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विदेशी निवेशकों ने नवंबर के पहले हफ्ते में की जमकर खरीदारी
करीब दो महीनों तक भारतीय बाजार से निकासी करने वाले विदेशी निवेशकों ने नवंबर के पहले हफ्ते में जोरदार वापसी की है. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 15,280 करोड़ रुपये की लिवाली की है. अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के सख्त रुख में थोड़ी नरमी आने की उम्मीद में विदेशी निवेशक खरीदार बने हुए हैं. पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 990.51 अंक यानी 1.65 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई जबकि निफ्टी 330.35 अंक यानी 1.85 फीसदी बढ़ा.
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Published at : 06 Nov 2022 03:41 PM (IST) Tags: Stock Market sensex nifty BSE Stocks Quarterly results NSE Stock Market Outlook हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
कोविड-19 का असर: मार्च से लेकर मई के बीच रिकवरी रेट में भारतीय इक्विटी बाजार दुनिया में सबसे पीछे, रसिया का बाजार सबसे आगे
चीन में इस वर्ष के प्रारंभ में जब कोविड-19 चरम पर था, तब सेंसेक्स और निफ्टी सर्वोच्च स्तर पर कारोबार कर रहे थे। उस समय तक कोविड-19 चीन तक ही ज्यादा था। लेकिन मार्च में विश्वभर को चपेट में लेने वाले इस वायरस से पूरी दुनिया के बाजार गिर गए। हालांकि इसके बाद रिकवरी की बात आई तो भारतीय बाजार सबसे धीमे रहे हैं। जबकि रसिया का बाजार सबसे आगे है।
अमेरिकी बाजार ने 3.90 प्रतिशत की रिकवरी की
रिकवरी के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अमेरिका के डाऊजोंस ने 3.इक्विटी सूचकांक 90 प्रतिशत की दर से रिकवरी की है। 11 मार्च को यह 23,553 अंक पर था, जो 23 मई को 24,465 अंक पर पहुंच गया। जर्मनी के डीएएक्स का सूचकांक इसी दौरान 10,438 से बढ़कर 11,074 पर पहुंच गया। यानी रिकवरी रेट 6.10 प्रतिशत की रही। फ्रांस के सीएसी का बाजार 4,610 से घटकर 4,444 पर आ गया। इसमें -3.60 प्रतिशत की रिकवरी रही। हालांकि इसे गिरावट ही माना गया है।
रसिया के बाजार ने 8.70 प्रतिशत की रिकवरी की
लंदन के एफटीएसई का सूचकांक 5,876 से बढ़कर 5,993 पर पहुंच गया। इसमें 1.90 प्रतिशत की दर से रिकवरी दिखी। इसी तरह जापान के निक्केई की उछाल 5 प्रतिशत की रही। यानी यह 19,416 से बढ़कर 20,388 पर चला गया। जबकि रसिया का बाजार सबसे तेज रिकवर हुआ। यह 2,493 से बढ़कर 2,709 पर चला गया। 8.70 प्रतिशत की रिकवरी इसमें इस दौरान देखी गई। ब्राजील का बाजार 85,171 से घटकर 82,173 पर आ गया। इसमें 3.50 प्रतिशत की गिरावट दिखी।
चीन का बाजार अभी भी 5.20 प्रतिशत की गिरावट पर
चीन के शंघाई का सूचकांक 2,968 से गिरकर 2,814 पर आ गया। यह गिरावट 5.20 प्रतिशत की रही। भारत के सेंसेक्स की बात करें ते इसमें अभी तक 14 प्रतिशत की गिरावट रही। यह 35,697 से गिरकर 30,672 पर कारोबार कर रहा है। जबकि निफ्टी का सूचकांक 10,458 से गिरकर 9,039 पर आ गया है। यानी 13.60 प्रतिशत की गिरावट इसमें भी दिखी है।
कोविड-19 का असर अभी भी बना रहेगा
दरअसल पूरी दुनिया में भारत के साथ मार्च में शेयर बाजारों में भारी गिरावट शुरू हुई थी। नई उंचाई छूने का उत्साह महज दो महीने ही टिका। उसके बाद उंचाई से गिरकर जिस स्तर पर बाजार पहुंचा, वहां से अभी तक सुधर नहीं पाया है। थोड़ा बहुत रिकवर जरूर हुआ, पर वह भी अस्थाई रिकवरी है। हालांकि भारतीय बाजार अभी भी कब तक रिकवर करेगा, यह तो पता नहीं है। पर कोविड-19 के गहराते असर से इसमें काफी समय लगने की उम्मीद है।
भारत में राहत पैकेज काफी देर से घोषित हुआ
विश्व के शीर्ष बाजारों से तुलना करें तो भारतीय बाजार का रिकवरी रेट सबसे नीचे रहा है। इसके कारण कई हैं। एक तो भारत ने राहत पैकेज का ऐलान काफी देर से घोषित किया। साथ ही लॉकडाउन लगातार इक्विटी सूचकांक बढ़ता गया और आगे भी इसमें बढ़ने की गुंजाइश ही है। इस समय भारत में चौथे चरण का लॉकडाउन चल रहा है। देश के प्रमुख शहरों में हालात अभी भी गंभीर है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में तो काफी कुछ शुरू हो गया है, पर भारत अभी भी सावधानी बरत रहा है।
जून में भी हालात में सुधार की उम्मीद कम
भारत में अभी ग्रामीण इलाकों में फैक्टरी जरूर शुरू हुई हैं, लेकिन प्रवासियों के गांव जाने से वहां पर कोविड-19 के गहराने की संभावना ज्यादा है। भारत में अप्रैल पूरी तरह से और मई भी पूरी तरह से कारोबारी गतिविधियों के लिए ठप रहा है। स्थिति जून में भी कुछ इसी तरह की रहने की है। जिन सेक्टर्स में काम शुरू हुए, वहां लेबर की कमी के कारण हालत सही नहीं है। क्योंकि लेबर गांव जा चुके हैं।
बाजार अनिश्चितता के दौर में अभी भी है
लॉजिस्टिक सेवा अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में शेयर बाजार में रिकवरी होने की उम्मीद अभी भी काफी कम है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि जून मध्य के बाद बाजार में कुछ रिकवरी दिख सकती है। अभी भी बाजार पूरी तरह से अनिश्चितता के दौर में है। मार्च में जब लॉकडाउन शुरू हुआ था उस समय भारत सहित वैश्विक बाजार 38 प्रतिशत तक टूट गए थे।
FPI ने नवंबर में अब तक किया 19,000 करोड़ का निवेश, आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रूझान?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि एफपीआई आने वाले दिनों में भी खरीदारी का सिलसिला जारी रख सकते हैं.
विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजारों में नवंबर महीने में अब तक करीब 19,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
FPI: विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजारों में नवंबर महीने में अब तक करीब 19,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस निवेश के पीछे अमेरिका में इन्फ्लेशन नरम पड़ने और डॉलर की मजबूती कम होने का हाथ रहा है. आंकड़े बताते हैं कि विदेशी निवेशकों ने एक नवंबर से लेकर 11 नवंबर के दौरान कुल 18,979 करोड़ रुपये का निवेश भारतीय इक्विटी बाजारों में किया है. वर्ष 2022 में अब तक विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार से निकासी 1.5 लाख करोड़ रुपये रही है. आइए जानते हैं क्या है एक्सपर्ट्स की राय.
आने वाले दिनों में कैसा रहेगा रूझान?
- जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि एफपीआई आने वाले दिनों में भी खरीदारी का सिलसिला जारी रख सकते हैं.
- वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों में नरमी का रुख रहने और डॉलर एवं बॉन्ड प्रतिफल घटने से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों के प्रति दिलचस्पी दिखा सकते हैं.
- कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने विदेशी निवेशकों के मौजूदा रुख के लिए मुद्रास्फीति में नरमी, वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल कम इक्विटी सूचकांक होने और डॉलर की मजबूती दर्शाने वाले डॉलर सूचकांक में गिरावट को जिम्मेदार बताया.
- मॉर्निंगस्टार इंडिया के सह निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, “हाल के दिनों में इक्विटी बाजारों के तेजी पकड़ने से विदेशी निवेशकों ने भी संभावित रिटर्न की उम्मीद में इसका हिस्सा बनना पसंद किया है.” हालांकि विदेशी निवेशकों ने नवंबर में अब तक भारतीय ऋण बाजार से 2,784 करोड़ रुपये की निकासी भी की है.
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पिछले लगातार दो महीनों में हुई थी निकासी
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में विदेशी निवेशकों के अनुकूल रुख रहने के पहले लगातार दो महीनों तक निकासी का दौर देखा गया था. सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 7,624 करोड़ रुपये और अक्टूबर में आठ करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी. पहले अगस्त में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 51,200 करोड़ रुपये और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की थी. हालांकि उसके पहले अक्टूबर 2021 से लेकर जून 2022 के दौरान लगातार नौ महीनों तक विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल बने हुए थे.
जलवायु प्रदर्शन सूचकांक में भारत दो पायदान आगे
एक स्वतंत्र विकास संगठन, जर्मनवॉच द्वारा नवीनतम जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक ने भारत को जलवायु कार्रवाई के मामले में 59 देशों और यूरोपीय संघ के समूह में आठवें स्थान पर रखा है, जो कि अधिकांश विकसित देशों से आगे है। ब्रिटेन को 11वें, जर्मनी को 16वें, जबकि चीन और अमेरिका को क्रमशः 51वें और 52वें स्थान पर रखा गया है। डेनमार्क और स्वीडन को इस वर्ष भी शीर्ष प्रदर्शन करने वाला माना गया है।
“जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से भारत जीएचजी उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रेटिंग अर्जित करता है। देश अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैक पर है (2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के साथ संगत)। हालांकि, नवीकरणीय ऊर्जा मार्ग 2030 लक्ष्य के लिए ट्रैक पर नहीं है,” सूचकांक के साथ एक बयान में कहा गया है।
इसने नोट किया कि पिछले साल की रैंकिंग के बाद से, भारत ने एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) में अपने जलवायु लक्ष्यों में वृद्धि की है और 2070 के लिए शुद्ध शून्य लक्ष्य की भी घोषणा की है। अपने उन्नत एनडीसी में, भारत ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि उसका कम से कम 50 प्रतिशत 2030 में बिजली उत्पादन अक्षय ऊर्जा स्रोतों से आएगा, जो पहले 40 प्रतिशत था। इसने उत्सर्जन की तीव्रता में कहीं अधिक गहरी कटौती करने का वादा किया, जो पहले के लक्ष्य 33-35 प्रतिशत के बजाय 2005 के स्तर से 2030 तक 45 प्रतिशत थी।
हालाँकि, बयान में कहा गया है कि भारत की जलवायु गतिविधियाँ अभी भी 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप नहीं हैं। इसमें कहा गया है, ‘भारत की 2030 तक तेल और गैस उत्पादन में 5 फीसदी से अधिक की वृद्धि करने की योजना है। यह 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।’
चीन इस साल रेटिंग में 13 स्थान गिरा है, जिसका मुख्य कारण देश की कोयले पर निरंतर निर्भरता और दीर्घकालिक जलवायु नीतियों पर स्पष्टता की कमी है। बयान में कहा गया है कि चीन के अपने उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाने के लिए 2030 का लक्ष्य पूर्व-औद्योगिक समय से तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के वैश्विक लक्ष्य के अनुरूप नहीं था।
जो बिडेन प्रशासन द्वारा हाल ही में घोषित किए गए जलवायु उपायों के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका रेटिंग में तीन पायदान चढ़ गया है। लेकिन बयान में कहा गया है कि कई नीतियां अनिवार्य नहीं हैं, और कार्यान्वयन बहुत धीमा रहा है।
“मुख्य कमी यह है कि अमेरिका घरेलू जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण को नहीं रोकेगा, और अभी भी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी मौजूद है,” यह कहा।
लिस्टिंग से ठीक पहले 30 रुपये का प्रीमियम, हो सकता है इनवेस्टर्स को तगड़ा फायदा
ग्लोबल हेल्थ के शेयर बुधवार 16 नवंबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट हो सकते हैं। ग्लोबल हेल्थ के शेयरों का ग्रे मार्केट प्रीमियम बढ़कर 30 रुपये पहुंच गया है।
मेदांता हॉस्पिटल चलाने वाली कंपनी ग्लोबल हेल्थ के आईपीओ (Global Health IPO) में शेयरों का अलॉटमेंट फाइनल हो गया है। अब लोगों की निगाहें कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग पर टिकी हैं। ग्लोबल हेल्थ के शेयर बुधवार 16 नवंबर 2022 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट हो सकते हैं। ग्लोबल हेल्थ के शेयरों का ग्रे मार्केट प्रीमियम बढ़कर इक्विटी सूचकांक 30 रुपये पहुंच गया है, ऐसे में शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की तगड़े प्रीमियम के साथ लिस्टिंग हो सकती है।
366 रुपये के करीब हो सकती है शेयरों की लिस्टिंग
बाजार पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि ग्लोबल हेल्थ के शेयरों का प्रीमियम लगातार बढ़ रहा है। ग्लोबल हेल्थ (Global Health) के शेयरों का प्रीमियम पिछले सेशन में 23 रुपये था, जो कि अब बढ़कर 30 रुपये हो गया है। ग्लोबल हेल्थ के आईपीओ का प्राइस बैंड 319-336 रुपये है। शेयर बाजार में बुधवार को ग्लोबल हेल्थ के शेयर 366 रुपये के करीब लिस्ट हो सकते हैं।
9 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था कंपनी का इश्यू
मेदांता ब्रांड के तहत हॉस्पिटल चेन ऑपरेट करने वाली ग्लोबल हेल्थ का आईपीओ ऑफर के आखिरी दिन 9.58 गुना सब्सक्राइब हुआ था। कंपनी के आईपीओ में 4.67 करोड़ शेयर ऑफर पर थे, जिस पर 44.79 करोड़ शेयरों के लिए बिड्स मिली थी। ग्लोबल हेल्थ के आईपीओ में 500 करोड़ रुपये तक के इक्विटी शेयरों का फ्रेश इश्यू और 50761000 इक्विटी शेयरों का ऑफर-फॉर सेल शामिल है।
एंकर इनवेस्टर्स से कंपनी ने जुटाए हैं 662 करोड़ रुपये
फ्रेश इश्यू से मिली रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने और जनरल कॉरपोरेट पर्पज में किया जाएगा। इश्यू से ठीक पहले कंपनी ने एंकर इनवेस्टर्स से 662 करोड़ रुपये जुटाए हैं। गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर, नोमुरा, एक्सिस बैंक म्यूचुअल फंड, HDFC म्यूचुअल फंड, आदित्य बिड़ला सन लाइफ MF, एसबीआई म्यूचुअल फंड, ICICI प्रूडेंशियल MF, कोटक MF, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एंकर इनवेस्टर्स में हैं।
डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।