विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है?

बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ?

बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ?
सांकेतिक चित्र।

Bitcoin में खरीदा गया 2 BHK का अपार्टमेंट, जानें कहां हुआ ऐसा

Bitcoin की कीमत लगातार नीचे आ रही है, यही हाल तमाम क्रिप्टोकरेंसी का है. लेकिन दुनियाभर में इन करेंसीज को लेकर लोगों का उत्साह कम नहीं हो रहा है. अब Bitcoin के जरिए टू BHK वाला घर खरीदा गया है. इस घर को 3 बिटकॉइन में बेचा गया है.

Bitcoin की कीमत लगातार नीचे आ रही है, यही हाल तमाम क्रिप्टोकरेंसी का है. लेकिन दुनियाभर में इन करेंसीज को लेकर लोगों का उत्साह कम नहीं हो रहा है. अब Bitcoin के जरिए टू BHK वाला घर खरीदा गया है. इस घर को 3 बिटकॉइन में बेचा गया है. बता दें कि अभी Bitcoin की वैल्यू लगभग 25 लाख रुपये है जबकि 6 महीने पहले 10 नवंबर को यही वैल्यू 50 लाख की थी. इस हिसाब से देखें तो घर के लिए लगभग 75 लाख रुपये अदा किए गए.

घर की ये डील पुर्तगाल में हुई. दुनिया में यह अपने आप में पहली तरह की डील है. इसके लिए खरीदार ने सीधे Bitcoin (BTC) में ही पेमेंट किया. घर की पेमेंट वर्चुअल करेंसी में करने से लोगों में इसके भविष्य को लेकर नई उम्मीदें जग गई हैं.

पुर्तगाल में रियल एस्टेट के लिए लीगल हुई वर्चुअल करेंसी

बता दें कि कुछ वक्त पहले ही पुर्तगाल ने रियल एस्टेट सौदे, वर्चुअल करेंसी में करने की इजाजत दे दी थी. पुर्तगाल के रियल एस्टेट एजेंसी Zome ने लीगल फर्म Antas da Cunha Ecija और स्विट्जरलैंड की Crypto Vallery के साथ ये डील को अंजाम तक पहुंचाया. Zome ने अपने फेसबुक पोस्ट पर इसका आधिकारिक तौर पर ऐलान भी किया.

Bitcoin.com की रिपोर्ट ने बताया है कि डील में Portuguese नोटरी चेंबर के चेयरमैन भी लूप में थे. पुर्तगाल क्रिप्टोकरेंसी को एसेट की बजाय करेंसी के तौर पर देखता है. इसी वजह से इसपर कोई कैपिटल गेन या पर्सनल इनकम टैक्स नहीं लगाया जाता है.

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बिटकॉइन (Bitcoin) क्रिप्टोकरेंसी ने दुनियाभर में कई लोगों की किस्मत बदली है। इसमें चांगपेंग झाओ (Changpeng Zhao) भी हैं जो महज साढ़े चार साल में दुनिया के टॉप अमीरों की लिस्ट में आ गए। ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की मानें तो उनकी नेटवर्थ (Net worth) एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani Net worth) से अधिक है।

how ex-mcdonalds worker became richer than mukesh ambani know here

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मुकेश अंबानी से ज्यादा नेटवर्थ

ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक झाओ की नेटवर्थ 96 बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? अरब डॉलर है जबकि अंबानी की नेटवर्थ 93.3 अरब डॉलर है। ब्लूमबर्ग ने पहली बार 44 साल के झाओ की नेटवर्थ का अनुमान लगाया है। लेकिन उनकी नेटवर्थ इससे कहीं अधिक हो सकती है। इसकी वजह यह है कि इसमें उनकी व्यक्तिगत क्रिप्टो होल्डिंग्स को शामिल नहीं किया गया है। उनकी बिटकॉइन (Bitcoin) और अपनी कंपनी के क्रिप्टो Binance Coin में भी तगड़ी हिस्सेदारी है। पिछले साल इसमें Binance Coin में 1,300% तेजी आई थी।

बिल गेट्स के बराबर पैसा

अगर उनकी के पर्सनल क्रिप्टोकरेंसी होल्डिंग्स को भी कैलकुलेट किया जाए तो उनकी नेटवर्थ फेसबुक (Facebook) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और गूगल (Google) के संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन से भी ज्यादा हो सकती है। उनकी नेटवर्थ माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) के फाउंडर बिल गेट्स के बराबर हो सकती है। गेट्स अभी दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति है और उनकी नेटवर्थ 134 अरब डॉलर है।

सेवा में रहते हैं अरब शेख

उनकी अमीरी का आलम यह है कि आज अरब के शेख भी उनकी खातिरदारी करने में खुद को सम्मानित महसूस कर रहे हैं। अबू धाबी ग्रां प्री (Abu Dhabi Grand Prix ) में अरब शहजादे, मूवी स्टार्स और दुनियाभर की मशहूर हस्तियां Yas Island में जुटती हैं। पिछले महीने इस पार्टी में झाओ भी नजर आए। यूएई में उनका रुतबा बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह यह है कि वहां की सरकार Binance एक्सचेंज को अपने यहां लाना चाहती है और इसके लिए उन पर डोरे डाल रही है।

चीन में जन्म

झाओ का जन्म चीन के जिआंगसु प्रांत में हुआ था लेकिन अब वह कनाडा के नागरिक हैं। उनके पिता यूनिर्वसिटी में प्रोफेसर थे लेकिन सांस्कृतिक क्रांति (Cultural Revolution) के दौरान उन्हें निर्वासित कर दिया गया था। तब झाओ की उम्र महज 12 साल थी। बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? उनका परिवार कनाडा के वैंकूवर आ गया। इस तरह कम उम्र में ही वह टेक्नोलॉजी से रूबरू हो गए और बाद में उन्होंने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने टोकियो और न्यूयॉर्क में फाइनेंस कंपनियों में काम किया।

कैसे हुई शुरुआत

झाओ ने क्रिप्टो से पैसा बनाने की शुरुआत 2013 में शंघाई में की। वह BTC China के सीईओ बॉबी ली और इनवेस्टर रॉन काओ के साथ एक पोकर गेम बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? खेल रहे थे। दोनों को उन्हें अपनी नेटवर्थ का 10% हिस्सा बिटकॉइन में निवेश करने को कहा। लेकिन झाओ तुरंत इसके लिए राजी नहीं हुए। कुछ समय तक उन्होंने इसकी स्टडी की और फिर क्रिप्टो की दुनिया में कूद गए। बिटकॉइन के लिए उन्होंने अपना अपार्टमेंट भी बेच दिया।

2017 में Binance की स्थापना

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क्रिप्टो की दुनिया में CZ के नाम से मशहूर झाओ की करियर में अहम मोड़ 2017 में आया जब उन्होंने Binance की स्थापना की। जल्दी ही यह क्रिप्टो की दुनिया में धूमकेतु बनकर उभरा। झाओ ने अपनी बांह पर कंपनी के लोगो का टैटू भी बनवाया था। उसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज यह दुनिया का सबसे सफल क्रिप्टो एक्सचेंज है। पिछले साल उसने 20 अरब डॉलर का रेवेन्यू जुटाया। यह पब्लिकली ट्रेडेड कंपनी Coinbase Global Inc. से तीन गुना है।

कंपनी के साथ विवाद

Binance की स्थापना चीन में हुई थी लेकिन आज चीन में इसका वजूद नहीं है। साथ ही दुनियाभर में इसके खिलाफ रेग्युलेटरी जांच चल रही है। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस एंड इंटरनल रेवेन्यू सर्विस इस बात की जांच कर रही है। कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी का आरोप है। पिछले साल बिनांस ने कम से कम 20 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू अर्जित किया। कंपनी का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह दुनिया के रेग्युलेटर्स के नियमों का पालन करती है या नहीं। लेकिन फिलहाल तो कंपनी पर पैसा बरस रहा है।

मस्क से ज्यादा नेटवर्थ!

कानूनी पचड़ों के बावजूद निवेशक दुनिया के सबसे सफल क्रिप्टो बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? एक्सचेंज में डुबकी लगाने को बेकरार हैं। पिछले साल नवंबर में Wall Street Journal ने कहा था कि Binance की नेटवर्थ 300 अरब डॉलर हो सकती है। अगर ऐसा है तो झाओ की नेटवर्थ टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) और ऐमजॉन (Amazon) के जेफ बेजोस (Zeff Bezos) से अधिक हो सकती है। मस्क फिलहाल 271 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के सबसे बड़े रईस हैं। वहीं बेजोस 187 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। झाओ खुद बेजोस के प्रशंसक रहे हैं।

राजनीति: बिटकॉइन से नए खतरे

बिटकॉइन माइनिंग के लिए सुपर कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ना पड़ेगा। इंटरनेट से किसी परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर जुड़ने के अत्यंत गंभीर परिणाम आ सकते हैं। इस दौरान किसी आतंकवादी समूह के हैकर्स अगर सुपर कंप्यूटर को हैक कर लेते हैं तो यह संपूर्ण विश्व के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

राजनीति: बिटकॉइन से नए खतरे

सांकेतिक चित्र।

राहुल लाल

बिटकॉइन प्राय: अपनी कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि या कमी के कारण चर्चा में रहा है। इसके दुष्प्रभावों का आकलन भी सामान्यत: निवेशकों के धनराशि डूबने तथा समांतर आर्थिक व्यवस्था की चुनौती के रूप में देखा गया है। बिटकॉइन काला धन, हवाला, मादकपदार्थों की तस्करी जैसे आर्थिक अपराधों के लिए भी जाना जाता है। लेकिन अब बिटकॉइन परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए खतरे व पर्यावरणीय संकट जैसे कारणों से भी चर्चा में है। रूस के परमाणु हथियार केंद्र के कई वैज्ञानिक सुपर कंप्यूटर का प्रयोग बिटकॉइन माइनिंग के लिए कर रहे थे। यह सुपर कंप्यूटर रूस के सबसे शक्तिशाली और सुरक्षित सुपर कंप्यूटरों में एक माना जाता है। इन आरोपी परमाणु वैज्ञानिकों को गिरफ्तार कर ‘संघीय सुरक्षा सेवा’ को सौंप दिया गया है।

बिटकॉइन को लेकर यह घटना रूस के अतिसुरक्षित ‘सोरोव’ संघीय परमाणु केंद्र में घटित हुई। यह उच्च खुफिया केंद्र कंटीले तारों से घिरा था। शीतयुद्ध के समय स्टालिन ने ‘सोरोव’ में ही सोवियत संघ के परमाणु बम का निर्माण कराया था। मास्को से तीन सौ किलोमीटर पूर्व में स्थित इस शहर को सुरक्षा तथा गोपनीयता के कारण कभी सोवियत मानचित्रों पर भी अंकित नहीं किया गया। अब भी रूसियों को इसकी यात्रा के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती है। इस परमाणु हथियार केंद्र की प्रेस सेवा की ओर से भी कहा गया है कि यहां सुपर कंप्यूटर का प्रयोग निजी मकसद, जैसे बिटकॉइन माइनिंग के लिए हो रहा था। सभी आरोपी वैज्ञानिकों पर आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया है।

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अब प्रश्न उठता है कि आखिर परमाणु वैज्ञानिक बिटकॉइन माइनिंग के लिए परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर का प्रयोग क्यों कर रहे थे? इसके लिए आवश्यक है कि पहले बिटकॉइन माइनिंग को समझें। इसके साथ ही दूसरा अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि आखिर परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर के प्रयोग से परमाणु सुरक्षा के लिए विश्वव्यापी संकट कैसे उत्पन्न हो गया? पहले संक्षेप में दूसरे प्रश्न का उत्तर। बिटकॉइन माइनिंग के लिए सुपर कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ना पड़ेगा। इंटरनेट से परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर जुड़ने बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? के अत्यंत गंभीर परिणाम आ सकते हैं। इस दौरान किसी आतंकवादी समूह के हैकर्स अगर सुपर कंप्यूटर को हैक कर लेते हैं तो न केवल परमाणु हथियारों से संबंधित अति संवेदनशील जानकारी बाहर आ सकती है, बल्कि वे परमाणु हथियारों का प्रयोग भी अपनी मर्जी से कर सकते हैं। यह संपूर्ण विश्व के लिए खतरे की घंटी है। इस तरह अगर हैकर्स के हाथों में परमाणु बटन की कमान आ गई, तो यह संपूर्ण विश्व के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है। यही कारण है कि रोसोव परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर को आज तक कभी इंटरनेट से नहीं जोड़ा गया था। अब पुन: प्रथम प्रश्न की ओर। आखिर वैज्ञानिकों ने बिटकॉइन माइनिंग के लिए सुपर कंप्यूटर का प्रयोग क्यों किया?

जिस तरह तेल, सोना आदि के माइनिंग से उन भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है, उसी तरह एक विशिष्ट माइनिंग की प्रक्रिया द्वारा बिटकॉइन की प्राप्ति होती है। बिटकॉइन ब्लॉकचेन पद्धति पर कार्य करता है, जिसका बहीखाता सार्वजनिक, स्थायी तथा विकेंद्रीकृत होता है। इसमें बिटकॉइन के सभी लेन-देन सामूहिक लेन-देन (बंडल आॅफ मल्टिपल ट्रांजैक्शन) के रूप में दर्ज होते हैं, जिसे ब्लॉक कहते हैं। बिटकॉइन के माइनर्स (बिटकॉइन माइनिंग करने वाले) इन ब्लॉकों को चेन में जोड़ देते हैं। दरअसल, बिटकॉइन के माइनिंग में उन्हीं ब्लॉकों का बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? परीक्षण कर उन्हें जोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया ही संपूर्ण ब्लॉकचेन प्रक्रिया को भी पूर्ण करती है। एक तरह से इस पद्धति में एक-एक ब्लॉक को जोड़ा जाता है।

बिटकॉइन माइनिंग की संपूर्ण प्रक्रिया के लिए शक्तिशाली कंप्यूटर क्षमताओं की आवश्यकता होती है, जो रीयल टाइम में जटिलतम गणितीय समस्याओं का समाधान कर सकें। बिटकॉइन माइनिंग कीजटिलताओं में अब लगातार वृद्धि हो रही है तथा अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर क्षमताओं की आवश्यकता होती बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? है। अगर भारी-भरकम कंप्यूटर क्षमता की आवश्यकता हो तो भला ‘सुपर कंप्यूटर’ से अच्छा विकल्प क्या हो सकता है!यही कारण है कि लोभ की पराकाष्ठा में रूसी परमाणु वैज्ञानिकों ने बिटकॉइन माइनिंग के लिए सुपर कंप्यूटर के बारे में सोचा। पर वे इस लालच में भूल गए कि अगर सुपर कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ा जाता है, तो विश्व के तमाम हैकर्स उस सुपर कंप्यूटर का दुरुपयोग कर सकते हैं और संपूर्ण विश्व खतरे में आ सकता है। शस्त्र नियंत्रण संघ के निदेशक किंगस्टन रेफ ने कहा है कि यह घटना परमाणु सुरक्षा संबंधी कई सवाल उठाती है। अमेरिका और रूस के पास परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन इनके रख-रखाव पर अब दोनों देश मिलकर काम नहीं करते। कुछ वर्ष पूर्व ही यह सहयोग खत्म हो चुका है। विश्व को परमाणु हथियारों के भय से मुक्त करने के लिए रूस और अमेरिका को जिम्मेदारी का पालन अत्यंत गंभीरतापूर्वक करना चाहिए। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि रूस के परमाणु हथियारों से उसके अपने लोगों को भी खतरा है। अच्छी बात यह है कि अब तक कभी भी इस परमाणु हथियार केंद्र के सुपर कंप्यूटर को इंटरनेट से नहीं जोड़ा गया था। जब वैज्ञानिकों ने बिटकॉइन माइनिंग के लिए इसे सुपर कंप्यूटर से जोड़ा तो सुरक्षा सिस्टम के सभी अलार्म बजने लगे और इन वैज्ञानिकों को गिरफ्तार कर लिया गया।

दिनोंदिन बिटकॉइन माइनिंग की प्रक्रिया जटिल होती जा रही है। यह भी गौरतलब है कि बिटकॉइन माइनर्स को रिवॉर्ड के रूप में जो बिटकॉइन प्राप्त होता है, वह प्रत्येक चार वर्ष में आधा हो जाता है। बिटकॉइन के इतिहास में अब तक ऐसा दो बार हो चुका है। बिटकॉइन ने 2016 में ही माइनर्स के लिए रिवार्ड आधा किया है। वर्तमान में प्रति ब्लॉक माइन की दर 12.5 बिटकॉइन है। इसके साथ ही ज्यादा लोगों के माइनिंग में भाग लेने से बिटकॉइन माइनिंग की जटिलता बढ़ेगी। जैसे ही जटिलता बढ़ेगी, और भी अधिक कंप्यूटिंग पॉवर की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए, जब 2009 में बिटकॉइन का जन्म हुआ, तब सामान्य कंप्यूटर और लैपटॉप से भी बिटकॉइन माइनिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाती थी। लेकिन आज एक बिटकॉइन की प्राप्ति के लिए लैपटॉप से माइनिंग की जाएगी, तो लगभग 1197 वर्ष लग जाएंगे। स्पष्ट है कि भविष्य में बिटकॉइन की प्राप्ति के लिए और भी ज्यादा कंप्यूटर शक्तियां प्रयुक्त होंगी। ऐसे में लालची वैज्ञानिक संवेदनशील स्थानों पर स्थित सुपर कंप्यूटर का दुरुपयोग पुन: कर सकते हैं। अत: मानवता की रक्षा के लिए ऐसे सुपर कंप्यूटरों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है।

बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में बिजली की भारी खपत होती है। सबसे खतरनाक बात यह है कि चीन अपने सस्ते कोयले की खपत के लिए तापीय ऊर्जा के द्वारा बिटकॉइन माइनिंग को प्रोत्साहन दे रहा है। चीन का ‘बिटकॉइन माइनिंग’ को यह प्रोत्साहन सामान्य प्रकृति का नहीं है। यह पर्यावरण के लिए गंभीर संकट है। चीन के उत्तरी हिस्से में बिटकॉइन माइनिंग से संबंधित सुप्रसिद्ध कंपनी बिटमैन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सौ-सौ मीटर लंबे 8 वेयरहाउस हैं। इस एक स्थान पर ही लगभग पच्चीस हजार भारी-भरकम कंप्यूटर बिटकॉइन माइनिंग में लगे हुए हैं। अब भी दुनिया भर में बिजली उत्पादन का सबसे प्रचलित माध्यम तापीय ऊर्जा ही है। ऐसे में बिटकॉइन माइनिंग से पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। शीघ्र अमीर बनने के प्रयासों में बिटकॉइन की भयावह होड़ में लगे लोग अगर जल्द ही इससे बाहर नहीं आएंगे, तो यह परमाणु सुरक्षा तथा पर्यावरण, दोनों के लिए काफी खतरनाक होगा।

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अपने जन्म के बाद से, बिटकॉइन ने लगभग 440 altcoins का उत्पादन किया है

बिटकॉइन ने लगभग 440 altcoins को जन्म दिया। वे “हार्ड फोर्क्स” नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाए गए थे, उनमें से 90% अब भंग हो गए हैं, और विलय किए गए altcoin खंड का बाजार मूल्य मूल क्रिप्टोक्यूरेंसी से छोटा है।

बिटकॉइन एक निर्जीव वस्तु है। इसके बावजूद, यह अपने जन्म के बाद से एक बहुत ही उत्पादक पूर्वज कहा जा सकता है, लगभग 440 altcoin वंशजों के लिए जीवन प्रदान करता है। इन altcoins में क्रिप्टोकरेंसी की कुल संख्या का लगभग 6% है।

लेकिन यह कैसे हुआ? “वास्तविक जीवन” में, प्रजनन आमतौर पर मैत्रीपूर्ण कारणों से हावी होता है। बीटीसी में, यह आमतौर पर क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य पर संघर्ष और असहमति के कारण होता है।

बिटकॉइन में विश्वास था और इसके नेटवर्क प्रोटोकॉल के प्रोग्रामिंग कोड द्वारा नियंत्रित किया गया था। जब भी कुछ सुविधाओं को जोड़ना या हटाना विकास कार्य का विषय बन जाता है, तो इसका समर्थन और विरोध किया जाएगा।

इस स्थिति के परिणामस्वरूप डेवलपर्स को उन डेवलपर्स में विभाजित किया गया है जो कोड के पुराने और नए संस्करणों को बनाए रखते हैं। इस बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? विभाजन को “शाखा” कहा जाता है, क्योंकि जिस तरह एक सड़क में एक कांटा एक सड़क को दो में विभाजित करता है, यह प्रोग्रामिंग कांटा दो अलग-अलग दिशाओं में नेटवर्क कोड के विकास को विभाजित करता है।

कांटा नरम या कठोर हो सकता है। एक नरम कांटा तब होता है जब नेटवर्क प्रोटोकॉल कोड में लागू कुछ परिवर्तन पुराने संस्करणों को चलाने वाले नोड्स को अभी भी नेटवर्क के हिस्से के रूप में कार्य करने की अनुमति देते हैं। जब परिवर्तन इसकी अनुमति नहीं देते हैं, तो एक कठिन कांटा उत्पन्न होगा, और प्रोटोकॉल के एक नए संस्करण के साथ सभी नोड्स एक स्वतंत्र नेटवर्क बन जाएंगे।

2009 में बिटकॉइन के लॉन्च के बाद से, इसके नेटवर्क प्रोटोकॉल कोड में 430 से अधिक कठिन कांटे हैं। दूसरे शब्दों में, इसने लगभग 440 संतानों को जन्म दिया है।

बिटकॉइन बच्चे कौन हैं?

पहली क्रिप्टोकरेंसी से पैदा हुआ पहला altcoin Namecoin था। 2011 की शुरुआत में, इस शाखा ने ब्लॉकचेन और प्रूफ ऑफ़ वर्क एल्गोरिथम में सीधे डेटा डालने का कार्य शुरू किया।

जल्द ही, टेनेब्रिक्स दिखाई दिया, यह एक सीपीयू-अनुकूल शाखा थी, और फेयरबिक्स इसका व्युत्पन्न था। इन दो altcoins जो अब ज्यादातर लोगों द्वारा भुला दिए गए हैं, उन्होंने Litecoin को जन्म दिया, जो कि केवल राजा के लिए एक क्रिप्टोक्यूरेंसी है।

LTC तेजी से ब्लॉक जेनरेशन, बढ़ी हुई आपूर्ति और अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी एल्गोरिदम का परिचय देता है। लिटकोइन के नए कांटे विकसित होने के बाद, कई नए उत्पाद सामने आए हैं। कुछ उल्लेखनीय हैं बिटकॉइन कैश और बिटकॉइन क्लासिक 2017 में एक ही दिन लॉन्च किए गए।

इस संतान का भाग्य क्या है?

कम से कम 90% लोगों के लिए, यह एक अस्पष्ट और गायब भाग्य है। “एक जो सभी पर शासन करता है” और लगभग 7,000 ढोंगियों के साथ, वे सभी भयंकर प्रतिस्पर्धा का सामना करते हैं।

आज, हजारों क्रिप्टोकरेंसी का आदान-प्रदान किया जाता है और एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है। इस संख्या में से, केवल 40 से थोड़ा अधिक बिटकॉइन का एक कांटा है।

बिटकॉइन अभी भी क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार पर हावी है, लगभग 330 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार में यूएस $ 117 बिलियन का लेखा-जोखा है।

सूचना स्रोत: CRYPTOPOLITAN से संकलित 0x जानकारी। कॉपीराइट लेखक गोरिका ग्लेगोरिजेविक का है, और बिना अनुमति के पुन: पेश नहीं किया जा सकता है

Bitcoin बिटकॉइन का मालिक कौन है? और बिटकॉइन किस देश की करेंसी है?

दोस्तों आपने तो बिटकॉइन का नाम सुना ही होगा। बिटकॉइन दुनिया की सबसे महगी क्रिप्टोकरंसी है।देश-विदेश क्या छोटे से छोटे बच्चे के मुंह पर भी बिटकॉइन का नाम है।बिटकॉइन आज की डेट में पूरे देश विदेश में फेमस है जिसकी चर्चा आपको दिन-ब-दिन न्यूज़ बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? एवं समाचार पत्रों मे सुनने को मिलती है।

Bitcoin का मालिक कौन है?

बिटकॉइन का आविष्कारक सतोशी नाकामोतो(Satoshi Nakamoto) हैं। 9 जनवरी 2009 को बिटकॉइन का आविष्कार हुआ था। जो कि जापान का रहने वाले थे इनका जन्म 5 अप्रैल 1975 (दावा किया गया) हैं।

बिटकॉइन क्या है?(Bitcoin Kya Hai)

बिटकॉइन एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है। इसका कोई अस्तित्व नहीं होता आप इसे ना देख सकते हैं ना छू बिटकॉइन का जन्म कैसे हुआ? सकते हैं।कुछ देशों में तो आप बिटकॉइन से लेनदेन कर सकते हैं।जैसा कि आप कुछ सामान ले रहे हैं। सामान लेने के बाद आपको बिटकॉइन अपने वॉलेट से उन्हें सेंड कर देना है।जैसे कि भारत में UPI से एक दूसरे को पैसे ट्रांसफर किया जाता है।

बिटकॉइन की कीमत कभी भी स्थिर नहीं रहती जबकि यह कम ज्यादा होती रहती है।

2009 में लॉन्च हुआ बिटक्वाइन

9 जनवरी उस दिन सतोशी नाकामोतो के लिए काफी खुशी का दिन था। क्योंकि उस दिन बिटकॉइन लांच होने वाला था। नाको मोटो ने उस दिन अपने सभी दोस्तों के साथ एक मीटिंग की और 9 जनवरी को उन्होंने बिटकॉइन लांच ही कर दिया।

बिटकॉइन कैसे काम करता है?

बिटकॉइन Blockchain Technology पर काम करता है। पूरा डाटा ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्टोर किया जाता है। जितनी भी क्रिप्टोकरंसी Cryptocurrency है वह Blockchain Technology पर आधारित है।

बिटकॉइन कैसे खरीदे?

यह एक मुख्य टॉपिक है। कि आप बिटकॉइन कैसे खरीद सकते हैं।भारत में 1 से अधिक क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज है जिससे बिटकॉइन खरीद लिया बेच सकते हैं। wazirx, Binance, zebpay, Coinswitch भारत में यह चारों पॉपुलर है।

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