शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग

निवेशकों को भाया ऑप्शन कारोबार
इस साल एक्सचेंज पर विकल्प खंड (ऑप्शन) में कारोबार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इसके पीछे नए खुदरा ट्रेडरों के बाजार में आने, वायदा खंड में मार्जिन बढऩे, एल्गो ट्रेडरों की गतिविधियां बढऩे तथा साप्ताहिक सौदा निपटान चक्र जैसे विभिन्न कारकों का योगदान रहा।
ऑप्शन खंड में कुल अनुंबधों की संख्या शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग वित्त वर्ष 2022 में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) अनुबंधों का 97 फीसदी रही। इनमें से ज्यादातर कारोबार निफ्टी और बैंक निफ्टी सूचकांक के ऑप्शन तक केंद्रित है। पांच साल पहले यह आंकड़ा करीब 83 फीसदी था। बाजार के जानकारों का मानना है कि इस तरह की ट्रेडिंग पर अधिकांश पैसे अनुमानों पर लगाए जाते हैं और निफ्टी के किसी खास हफ्ते में चढऩे या उतरने पर दांव लगाया जाता है। 90 फीसदी से अधिक खुदरा या शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग छोटे ट्रेडर इसी तरह निवेश करते हैं और वे अपने पैसे गंवा रहे हैं, जो देश में दीर्घावधि की शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग इक्विटी संस्कृति के लिए अनुकूल नहीं है।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के रिटेल प्रमुख राहुल रेगे ने कहा, 'ऑप्शन ट्रेडिंग रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और इसमें आगे भी इजाफा होगा।' उन्होंने कहा कि कई सारे खुदरा निवेशक वायदा की तुलना में अब विकल्प (ऑप्शन) को पसंद कर रहे हैं। धनाढ्य निवेशक अपने परिवार उद्यम या चुनिंदा एल्गो ट्रेडरों के माध्यम से एल्गो आधारित रणनीति के तहत इस खंड में निवेश कर रहे हैं।
पिछले साल उच्चतम मार्जिन नियमों को लागू करने के बाद से वायदा खंड में मार्जिन की जरूरत काफी बढ़ गई है। नकद खंड में भी इंट्राडे कारोबार के लिए ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली मार्जिन सुविधा 8 से 10 गुना से घटाकर 2 से 3 गुना कर दी गई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में डेरिवेटिव विश्लेषक चंदन तापडिय़ा ने कहा, 'वायदा में कारोबार करने के लिए शुरुआती मार्जिन की जरूरत होती है और पोजिशन अनुकूल नहीं रही तो मार्क टू मार्केट मार्जिन देना होता है। ऑप्शन खरीदार को केवल प्रीमियम चुकाना होता है और ऑप्शन विक्रेता अपने निवेश पोर्टफोलियो को मार्जिन की जरूरत के लिए जमानत के तौर पर रख सकते हैं। यही वजह है कि नए चतुर ट्रेडर वायदा की तुलना में विकल्प को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।'
उदाहरण के लिए निफ्टी के 16,300 के स्तर शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग पर अगर 10 फीसदी मार्जिन की जरूरत हो तो निफ्टी फ्यूचर का एक लॉट खरीदने के लिए निवेशकों को 8,15,000 रुपये के आकार के सौदे के लिए 81,500 रुपये देने होंगे। दूसरी ओर निफ्टी ट्रेडिंग के 2 रुपये पर कॉल या पुट ऑप्शन के लिए निवेशकों के केवल 100 रुपये देने होंगे। अनुबंध के साप्ताहिक निपटान की व्यवस्था 2019 में शुरू की गई थी। इससे भी निवेशक आसानी से मुनाफा कमाने की उम्मीद में इस खंड में आए। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, 'छोटे ट्रेडरों के लिए ऑप्शन खंड किसी खेल की तरह हो गया है, जो इस खंड में 15,000 से 20,000 रुपये की छोटी राशि का दांव लगाते हैं।' उन्होंने कहा कि गुरुवार को सौदे के निपटान खत्म होने के दिन अपराह्नï 2 बजे के बाद अधिकांश पैसा निफ्टी और बैंक निफ्टी के ऑप्शन में लगाया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैसे को म्युचुअल फंड में एसआईपी के जरिये या बेहतर शेयरों में सीधे लगाया जाना चाहिए। अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स ऐंड रिसर्च इनक्रेड इक्विटीज में निदेशक सिद्घार्थ भामरे ने कहा, 'बाजार के कुल वॉल्यूम का करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी एक खंड में होना परिपक्व बाजार का संकेत नहीं है।' उन्होंने कहा, 'वॉल्यूम में इजाफा मुख्य रूप से अटकलों की वजह से है, न कि हेजिंग या वास्तविक रणनीति के कारण। ट्रेडर दो से तीन दिन या महीने शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग भर में दोगुना प्रतिफल चाहते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में वे अपनी पूंजी गंवा देते हैं।'
मान लें कि निफ्टी के 16,300 के स्तर पर अगर अनुबंध का आकार 50 है। यदि आप 100 रुपये में 16,500 कॉल ऑप्शन खरीदते हैं और निफ्टी 16,600 से ऊपर पहुंच जाता है तो आपको 5,000 रुपये का मुनाफा होगा। इसका मतलब हुआ कि आपने 100 रुपये के निवेश पर 5,000 रुपये कमा लिए। टर्नओवर की गणना अनुबंध के मूल्य के आधार पर की जाती है न कि प्रीमियम मूल्य पर, ऐसे में आप प्रभावी रूप से 100 रुपये का प्रीमियम चुकाकर 8,25,000 रुपये का कारोबार करते हैं।
हालांकि बाजार के जानकार इस खंड में गंभीर भागीदारों के आने से उत्साहित हैं। इनमें से कुछ लोग बाजार की बारीकियों को सीखने के लिए पेशेवरों की मदद ले रहे हैं।
शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग
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ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है ?
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Options Trading क्या है? Best Book On Options Trading for Beginners
Best Book On Options Trading for Beginners: क्या आप Options Trading के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप सही जगह पर हैं। आज की पोस्ट में, हम आपको Options शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग Trading Strategies से संबंधित बहुत सारी जानकारी देने जा रहे हैं।
इसके साथ ही हम आपको ऐसे 10 Options Trading for Beginners Book के बारे में बताएंगे। जिसकी मदद से आप Options Trading बहुत अच्छे से कर सकते हैं और उससे काफी पैसे कमा सकते हैं।
कुछ भी करने से पहले आपको सिखना बहुत जरूरी है. यदि आप नहीं पढ़ते हैं तो आप कमाते भी नहीं हैं। Trading के इस धंधे में बहुत से लोग आते और चले जाते हैं। क्योंकि उन्हें इस विषय में ज्यादा ज्ञान नहीं होता है.
इसलिए किसी भी काम को करके कमाई करने से पहले उस काम को अच्छे से सिखना बहुत जरूरी है। जिस वजह से आज हम आपके लिए Options Trading से जुड़ी कुछ जरूरी बातें और 10 Top Options Trading Books लेकर आए हैं। जिसे पढ़कर आप Options Trading अच्छे से कर पाएंगे।
तो आइए बिना देर किए ऑप्शंस ट्रेडिंग पर सबसे अच्छी किताबों के बारे में जानते हैं।
F&O Stocks: HAL समेत 10 स्टॉक्स की फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेग्मेंट में होगी एंट्री, 27 अगस्त से ट्रेडिंग की शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग शुरुआत
F&O Stocks: एनएसई के मुताबिक मार्केट लॉट की जानकारी इन स्टॉक्स की F&O segment में एंट्री के एक दिन पहले उपलब्ध होगी.
स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.
F&O Stocks: अगर आप Futures and Options (F&O) segment में ट्रेडिंग करते हैं तो 27 अगस्त से 10 और विकल्प उपलब्ध हो जाएंगे. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मुताबिक 27 अगस्त से इस सेग्मेंट में 10 और स्टॉक्स की ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी. इसमें डिक्सॉन टेक्नोलॉजीज, कैन फाइनेंस होम्स, इंडियामार्ट, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), पॉलीकैब इंडिया, इप्का लैब, ओरेकल फाइनेंशियल, सिंजीन इंटरनेशनल, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और एमसीएक्स शामिल हैं. एनएसई के मुताबिक मार्केट लॉट की जानकारी इन स्टॉक्स की F&O segment में एंट्री के एक दिन पहले उपलब्ध होगी. इन स्टॉक्स को बाजार नियामक सेबी द्वारा तय मानकों के आधार पर ही सेग्मेंट में शामिल करने का फैसला लिया गया है.
F&O में शामिल होने के लिए ये हैं मानक
- रोलिंग कैलकुलेशन के आधार पर पिछले छह महीनों शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग में डेली बैसिस पर औसतन मार्केट कैप और औसतन डेली ट्रेडेड वैल्यू के आधार पर टॉप 500 स्टॉक्स में शामिल होना चाहिए.
- पिछले छह महीनों में स्टॉक का मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज 25 लाख रुपये से अधिक होना चाहिए. मीडियन क्वार्टर सिग्मा का मतलब है कि ऑर्डर साइज कम से कम इतना होना चाहिए कि इससे स्टॉक के प्राइस पर असर पड़ सके. इस क्राइटेरिया को लेकर सेबी की मंजूरी लेनी होती है.
- रोलिंग बेसिस पर स्टॉक की मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट 500 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए. इसके तहत ये देखा जाता है कि स्टॉक सक्रिय रूप से ट्रेड हो रहा है या सिर्फ कुछ ही लोगों के पास सीमित है.
- सेबी के मुताबिक अगर लगातार तीन महीनों तक एलिजिबिलिटी शर्तें नहीं पूरी होती हैं तो उस सिक्योरिटी के नए मासिक कांट्रैक्ट नहीं जारी होंगे. हालांकि जो वर्तमान कांट्रैक्ट हैं और एक्सपायर नही हुए हैं, उन्हें एक्सपायरी तक ट्रेडिंग की मंजूरी रहेगी. इसके अलावा चालू कांट्रैक्ट महीने में फ्रेश स्ट्राइक्स को इंट्रोड्यूस किया जा सकता है.
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फ्चूयर और ऑप्शंस कांट्रैक्टस क्या हैं?
- फ्यूचर कांट्रैक्ट में दो पार्टियों के बीच एक फ्यूचर डेट पर एक प्राइस में सिक्योरिटीज को बेचने या खरीदने के लिए कांट्रैक्ट होता है. इस प्राइस का निर्धारण कांट्रैक्ट के समय ही हो जाता है. यह कांट्रैक्ट बीएसई या एनएसई के जरिए होता है. वहीं दूसरी तरफ ऑप्शंस कांट्रैक्ट में एक शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग अंडरलाइंग एसेट को किसी खास दिन या प्राइस पर बिक्री या खरीदने के राइट्स मिलते हैं और इसमें कोई ऑब्लिगेशन नहीं होता है.
- फ्यूचर कांट्रैक्ट्स का अधिकतम तीन महीनों का ट्रेडिंग साइकिल होता है, जिसमें नियर (Near), नेक्स्ट (Next) और फार (Far) मंथ हैं. नए कांट्रैक्ट नियर मंथ कांट्रैक्ट्स के एक्सपायरी के बाद आते हैं. किसी भी कारोबारी दिन तीनों कांट्रैक्ट उपलब्ध रहते हैं. ऑप्शंस कांट्रैक्ट्स का भी तीन महीनों का साइकिल होता है.
- F&O contracts तीसरे महीने के अंतिम गुरुवार को समाप्त होते हैं और अगर इस दिन छुट्टी पड़ती है तो उसके एक कारोबारी दिन पहले यह कांट्रैक्ट एक्सपायर होगा.
- निफ्टी50 कांट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज 50 है. इसके अलावा अन्य स्टॉक्स का लॉट साइज 40 है.
(सोर्स: ब्रोकरेज एंड रिसर्च फर्म एंजेल वन)
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