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मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है
मुद्रा की पूर्ति एक स्टॉक परिवर्तक होती है। एक निश्चित समय में लोगो में संचरण करने वाली कुल मुद्रा को मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है मुद्रा की पूर्ति कहते है। भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रा की पूर्ति मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के वैकल्पिक मपों को चार रूपों में प्रकाशित करता है, नामत: मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है M1, M2,M3 और M4। ये सभी निम्नलिखित रूपों से परिभाषित किए जाते है -

मुद्रा के मूल्यह्रास और अवमूल्यन के अर्थ की संक्षेप में चर्चा

मूल्यह्रास एवं अवमूल्यन, दोनों ही एक ऐसी आर्थिक स्थिति को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें किसी अन्य मुद्रा की तुलना में घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप उस मुद्रा की क्रय शक्ति में गिरावट आती है। हालांकि इनके घटित होने के तरीके मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है भिन्न-भिन्न होते हैं। मूल्यह्रास एवं अवमूल्यन मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के मध्य निम्नलिखित अंतर हैं:

  • मूल्यह्रास नम्य विनिमय दर (floating exchange rate) प्रणाली में घटित होता है, जिसमें बाजार कारकों मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के आधार पर देश की मुद्रा का मूल्य निर्धारित होता है। दूसरी ओर, अवमूल्यन स्थिर विनिमय दर (fixed/pegged exchange rate) प्रणाली के साथ संबद्ध है।
  • मांग एवं आपूर्ति जैसे बाजार कारकों के कारण घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी (मूल्यह्रास) होती है जबकि अवमूल्यन, केंद्रीय बैंक द्वारा जानबूझकर किसी अन्य मुद्रा के सापेक्ष घरेलू मुद्रा के मूल्य में की गई कमी को प्रदर्शित करता है। मूल्यह्रास दैनिक आधार पर हो सकता है, जबकि अवमूल्यन सामान्यतया केंद्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर किया जाता है।

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है

प्रश्न 36. मुद्रा स्फीति अथवा मुद्रा प्रसार का अर्थ बताइए। मुद्रा स्फीति की परिभाषा दीजिए।

उत्तर- मुद्रा स्फीति का अर्थ- 'मुद्रा-प्रसार' दो मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है शब्दों से मिलकर बना है- 'मुद्रा' तथा 'प्रसार' । 'प्रसार' का अर्थ है 'फैलाव' अथवा 'वृद्धि', अतः मुद्रा-प्रसार का शाब्दिक अर्थ हुआ 'मुद्रा की मात्रा में वृद्धि' मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है । लेकिन मुद्रा की मात्रा में प्रत्येक वृद्धि को 'मुद्रा प्रसार” अथवा मुद्रा-स्फीति की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। मुद्रा की मात्रा में केवल वही वृद्धि प्रसार' कहलाती है, जिसके कारण मूल्यों में वृद्धि होती है। यदि मुद्रा की मात्रा में वृद्धि के कारण मूल्य-स्तर में वृद्धि होती है, तो उस स्थिति को मुद्रा-प्रसार अथवा मुद्रा-स्फीति कहा जा सकता है।

मुद्रा-स्फीति की परिभाषा-

1. केमरर के अनुसार- मुद्रा स्फीति वह दशा है जिसमें किये जाने वाले व्यापार की तुलना में चलन तथा जमा की गई मुद्रा की मात्रा अधिक होती है।"

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हालाँकि विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाला बाजार है, खुदरा सेक्टर में इक्विटी और नियत आय बाजार की तुलना में इसकी पहुँच काफी फीकी है। इसका एक बड़ा कारण निवेश समुदाय में विदेशी मुद्रा विनिमय के बारे में जागरूकता की कमी, साथ ही साथ विदेशी मुद्रा मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है में परिवर्तन के कारण और तरीके की समझ की कमी है। NYSE या CME जैसे वास्तविक सेंट्रल एक्सचेंच की कमी इस बाजार मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के रहस्य में इजाफ़ा करती है। संरचना की यही कमी विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार को 24 घंटे परिचालित होने में सक्षम बनाती है, जहाँ कारोबारी दिन न्यूजीलैंड से शुरू होता है और मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है अलग-अलग टाइम ज़ोन में जारी रहता है।

पारंपरिक रूप से, विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बैंक समुदाय तक सीमित थी, जो व्यावसायिक, हेजिंग या सट्टा प्रयोजनों से काफी मात्रा में मुद्राओं को ट्रेड करते थे। USG जैसी कंपनियों की स्थापना ने विदेशी मुद्रा के दरवाजे फ़ंड और मनी मैनेजर्स, साथ ही साथ व्यक्तिगत रिटेल कारोबारी के लिए खोल दिया है। बाजार का यह क्षेत्र पिछले कई सालों में बहुत तेजी से विकसित हुआ है।

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