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चित्र ध्वज

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Indian Flag Text Photo Frame

भारतीय ध्वज टेक्स्ट फोटो फ्रेम कई अलग-अलग शैली और रंग का उपयोग करके एक भारतीय ध्वज फोटो बनाता है।
स्वतंत्रता दिवस फोटो संपादक 2022
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1857 से 1947 तक. 9 बार बदला भारत का राष्ट्रीय झंडा, तस्वीरों में देखिए तिरंगे तक यात्रा की पूरी कहानी

भारत में आजादी के 75 साल के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। घर-घर पर तिरंगे लगाए जा रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया। इस चित्र ध्वज ध्वज में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी लगी है और बीच में अशोक चक्र बना हुआ है। हालांकि, इससे पहले स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलनों में 1857 से लेकर 1947 तक क्रांतिकारियों ने 8 राष्ट्रीय ध्वजों को प्रतीक बनाकर उसने नेतृत्व में लड़ाइयां लड़ीं। आखिर में 1947 में तिरंगे को भारतीय ध्वज की मान्यता मिली।

जफर ने फहराया जो झंडा

जफर ने फहराया जो झंडा

साल 1857 में पहली बार हिंदुस्तान में आजादी की संगठित लड़ाई लड़ी गई। सैनिकों की तरफ से हुए इस विद्रोह को अंग्रेजों ने बेरहमी से कुचल दिया था। भारत के इस प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान जो झंडा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में इस्तेमाल किया गया था, वह कुछ ऐसा दिखता था। इसमें हरे रंग की पृष्ठभूमि में एक चांद और कमल का फूल बना हुआ था। बताया जाता है कि इसे बहादुर शाह जफर ने फहराया था।

​भगिनी निवेदिता का ध्वज

​भगिनी निवेदिता का ध्वज

साल 1904 से 1906 के बीच स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने एक ध्वज तैयार किया था। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला राष्ट्रीय ध्वज कहा जाता है। बाद में इसे सिस्टर निवेदिता के ध्वज के नाम से भी जाना जाने लगा था। इस झंडे में पीला और लाल दो रंग थे। लाल का मतलब स्वतंत्रता के लिए संघर्ष से था। वहीं पीला विजय का प्रतीक था। ध्वज पर बांग्ला में 'बोंदे मातोरम' लिखा था। इसमें एक वज्र भी बना था, जो इंद्र का अस्त्र माना जाता है। यह देश की शक्ति का प्रतीक था। बीच में एक कमल भी बना था, जिसे शुद्धता का प्रतीक बताया गया।

​सूर्य-चंद्र वाला कलकत्ता फ्लैग

​सूर्य-चंद्र वाला कलकत्ता फ्लैग

सिस्टर निवेदिता के झंडे के बाद साल 1906 में एक और राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया। इसमें तीन पट्टियां थीं, जिसके रंग क्रमशः नीला (शीर्ष पर), पीला (मध्य में) और लाल (नीचे) थे। सबसे ऊपर की पट्टी पर कमल के फूल बने थे। मध्य में देवनागरी में वंदे मातरम लिखा था और नीचे वाली पट्टी पर चांद और सूर्य बने थे। 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक कोलकाता में इसे फहराया गया था।

​भीकाजी कामा का झंडा

​भीकाजी कामा का झंडा

साल 1907 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में भीकाजी कामा ने कुछ निर्वासित क्रांतिकारियों के साथ यह ध्वज फहराया था। यह कलकत्ता फ्लैग जैसा ही दिखता था। बस सबसे ऊपर वाली पट्टी में कमल की जगह सात सितारे लगा दिए गए थे, जो सप्तर्षियों का संकेत करते थे। बर्लिन के सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में भी इसे फहराया गया था, इसलिए इसे बर्लिम कमिटी फ्लैग भी कहा जाता है।

पिंगलि वेंकैया का ध्वज

पिंगलि वेंकैया का ध्वज

साल 1916 में लेखक और जियोफिजिसिस्ट पिंगलि वेंकैया गांधी जी से मिले और उन्हें एक ध्वज दिखाते हुए उसे अप्रूव करने को कहा। यह ध्वज खादी के कपड़े पर बना था, जिसमें तीन रंग की पट्टियां थीं और बीच में चरखा बना हुआ था। चरखा भारत के आर्थिक उन्नयन का प्रतीक था। इसमें दो हरा और केसरियां रंग की पट्टियां थीं। गांधी जी ने इस झंडे को मंजूरी देने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि हरा रंग मुस्लिम और केसरिया हिंदू धर्म से संबंधित है। ऐसे में इस झंडे में देश के बाकी धर्मों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।

​होमरूल फ्लैग

​होमरूल फ्लैग

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने होमरूल लीग के साल 1917 में बनाए इस राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था। उस समय में भारत को एक डोमिनियन स्टेट बनाने की मांग की जा रही थी। इस झंडे में ऊपर अंग्रेजों का ध्वज यूनियन जैक बना हुआ था। बाकी के झंडे में 5 लाल और चार हरे रंग की पट्टियां थीं। इनमें सात सितारे भी लगे थे, जो सप्तर्षियों के प्रतीक बताए गए। इसके एक कोने पर चांद-तारा भी बना हुआ था। यह झंडा लोगों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ।

​विजयवाड़ा ध्वज

​विजयवाड़ा ध्वज

विजयवाड़ा में साल 1921 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इस दौरान आंध्र के एक युवा ने एक झंडा तैयार किया और गांधीजी के पास लेकर गया। इस झंडे में दो रंग थे। दोनों रंग दो समुदायों हिंदू और मुस्लिम को रिप्रेजेंट करते थे। इस पर गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के बाकी समुदायों की प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें सफेद रंग की पट्टी भी जोड़ दिया जाए। साथ ही राष्ट्र की प्रगति चित्र ध्वज को दर्शाने के लिए एक चरखा भी लगा दिया जाए। बताते हैं कि यह झंडा आयरलैंड के झंडे से प्रेरित था, जो उस समय ब्रिटेन से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। हालांकि, कांग्रेस ने इस झंडे को मान्यता नहीं दी लेकिन यह भारत की आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में गिना जाता है।

​1931 का राष्ट्रीय ध्वज

​1931 का राष्ट्रीय ध्वज

विजयवाड़ा के झंडे से बहुत से लोग नाखुश थे। ऐसे में पिंगलि वेंकैया ने तीन रंगो का इस्तेमाल कर एक नया ध्वज चित्र ध्वज तैयार किया, जिसमें केसरिया, हरा और सफेद रंग थे। बीच में चरखा बना हुआ था। 1931 में कांग्रेस ने इस ध्वज को मान्यता दी और इसे कमिटी के आधिकारिक ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया। साल 1931 भारतीय ध्वजों के इतिहास में एक उल्लेखनीय वर्ष के रूप में दर्ज है। इस ध्वज को सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज ने भी अपनाया था।

​आजादी और तिरंगा

​आजादी और तिरंगा

सदियों के संघर्ष के बाद वह दिन भी आने वाला था, जब भारत को अंग्रेजों से पूरी तरह आजादी मिलने वाली थी। इस बीच 22 जुलाई 1947 को राजेंद्र प्रसाद की अगुआई में गठित कमिटी ने स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज को मान्यता दी। इस झंडे में तीन रंग केसरिया, हरा और सफेद बरकरार रखे गए थे। चरखे की जगह पर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को रिप्लेस कर दिया गया था। इस तरह से स्वतंत्र भारत को उसका राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा मिल गया था।

चित्र ध्वज

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Har Ghar Tiranga: डीपी में तिरंगा लगाकर मनाएं Independence day, इंस्टा, फेसबुक, Twitter के लिए जानें Shortcut तरीका

इस बार हम 75वां स्वतंत्रा दिवस मनाने जा रहे हैं. इस मौके पर अपने फेसबुक, ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय ध्वज को लगाएं. यहां हम आपको बता रहे हैं कि अपने प्रोफाइल फोटो में तिरंगा लगाने का शॉर्टकट तरीका क्या है.

Updated: August 2, 2022 12:16 PM IST

भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को बनाएं अपनी डीपी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी नागरिकों से आह्वान किया है कि भारत की 75वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पर वे अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर या प्रदर्शित करके और अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की डिस्प्ले पिक्चर के रूप में तिरंगे का उपयोग करके ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को एक जन आंदोलन में बदल दें.

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इस रविवार को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में, पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर एक विशेष आंदोलन – ‘हर घर तिरंगा’ का आयोजन किया जा रहा है और ‘इस आंदोलन का हिस्सा बनकर, 13 अगस्त से 15 तक, आप अपने घर पर तिरंगा फहराएं या अपने घर को उससे सजाएं.’

उन्होंने कहा कि तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है. उन्होंने कहा और लोगों को सुझाव दिया कि लोग 2 अगस्त से 15 अगस्त तक राष्ट्रीय ध्वज को अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल फोटो बनाएं.

यहां हम आपको बताएंगे कि आप अपने फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर डीपी में राष्ट्रीय ध्वज कैसे जोड़ सकते हैं. हम इसे दो भागों में करेंगे – पहला, हम बताएंगे कि अपनी प्रोफाइल पिक्चर में भारतीय ध्वज कैसे जोड़ा जाए और दूसरा भाग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रोफाइल पिक्चर को कैसे बदलें.

पार्ट 1: प्रोफाइल पिक्चर में भारतीय ध्वज (Indian Flag) को लगाएं

आप अपने प्रोफाइल फोटो में भारतीय ध्वज जोड़ने के लिए फेसबुक ऐप का उपयोग कर सकते हैं. यहां आपको क्या करना है जानिये :
– अपने प्रोफाइल पिक्चर पर टैप करें और Add Frame का चुनाव करें.
– अब Flags के विकल्प पर जाएं और लिस्ट से भारत को सेलेक्ट करें. आपको Indian Flag नजर आएगा. उसे सेलेक्ट करें और इसके साथ ही आपकी प्रोफाइल फोटो बदल जाएगी.
– आप इसे एडजस्ट कर सकते हैं.
– अब अपनी फोटो पर जाएं, वहां बने तीन डॉट्स पर टैप करें और सेव करें.

अब, आपके पास भारतीय ध्वज के साथ एक प्रोफाइल छवि है. ध्यान दें कि डाउनलोड छवि का आयाम लगभग 900 गुणा 900 पिक्सेल होगा. तो यह ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ठीक होना चाहिए. हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए प्रोफाइल पिक्चर्स के लिए अनुशंसित आयामों को सूचीबद्ध किया है:
Facebook: 170 by 170 पिक्सेल
Twitter: 400 by 400 पिक्सेल
Instagram: 180 by 180 पिक्सेल
WhatsApp: मेटा ने अभी तक फोटो साइज के बारे में नहीं बताया है. हालांकि हम आपको सुझाव देंगे कि 500 by 500 पिक्सेल की फोटो लगाएं.

दूसरा तरीका

अगर आपके पास फेसबुक अकाउंट नहीं है, तो कई ऐप और ऑनलाइन टूल उपलब्ध हैं जो यूजर्स को अपनी प्रोफाइल फोटो पर झंडा लगाने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अनुसार उनका आकार बदलने की अनुमति देते हैं. इनमें से कुछ हैं flagmyPicture.com, lunapics.com, फ्लैगस्टिकर फॉर पिक्चर, फ्लैग फेस और अन्य हैं. हालांकि, ध्यान रखें कि ये थर्ड-पार्टी ऐप्स और टूल हैं. इसलिए उपयोग करने से पहले समीक्षा रेटिंग को ध्यान से देखें.

अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर ऐसे बदलें प्रोफाइल पिक्चर :

Facebook: फेसबुक के लिये ऊपर दी गई प्रक्रिया का पालन करें. प्रोफाइल पिक्चर बदल जाएगी.

Instagram: अपने प्रोफाइल आईकन पर टैप करें → एडिट प्रोफाइल में जाएं → प्रोफाइल फोटो बदलें → नई प्रोफाइल फोटो → प्रोफाइल फोटो जो पहले से डाउनलोड है, उसे सेलेक्ट करें.

WhatsApp: ऐप पर जाएं → Settings → प्रोफाइल फोटो में जाएं → कैमरा पर क्लिक करें → या तो तिरंगा की फोटो लें या पहले से डाउनलोड फोटो गैलरी से चुनें.

Twitter: प्रोफाइल पर जाएं और एडिट प्रोफाइल बटन पर क्लिक करें. इसके बाद हेडर फोटो जो बैनर के रूप में दिखेगा, उस पर क्लिक करें और फोटो गेट करें. फोटो अपलोड करें और सेव करें.

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Tricolour: आपने वाहन पर गलत तरीके से तो नहीं लगाया है राष्ट्रीय ध्वज? जानें नियम नहीं तो हो सकती है जेल

तिरंगा

हर साल जब भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, 15 अगस्त के आस-पास सड़कों पर निजी वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगा होने का नजारा आमतौर पर दिखाई देता है। लेकिन आजादी के उत्सव के उत्साह के बीच, लोग अक्सर यह भूल जाता है कि तिरंगे के बारे में कुछ नियम हैं, और इसे कहीं भी नहीं लगाया जा सकता है। शायद ही किसी को याद हो कि इस तरह का कृत्य भारत के नेशनल फ्लैग कोड (राष्ट्रीय ध्वज संहिता) के तहत एक दंडनीय अपराध है, और अगर अपराध के लिए मामला दर्ज किया जाता है तो वह जेल में भी जा सकते हैं। यहां उन कारणों पर एक नज़र डालते हैं कि आखिर यह क्यों एक दंडनीय अपराध है।

Loksabha

इन्हें है विशेषाधिकार
भारत ध्वज संहिता नियम कहता है कि सिर्फ कुछ संवैधानिक प्रमुखों को अपने वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का विशेष विशेषाधिकार है। इन गणमान्य व्यक्तियों में भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल, प्रधान मंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य के कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। अन्य लोगों में लोकसभा और राज्यसभा के स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान सभाओं और परिषदों के स्पीकर, भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश और विदेशों में भारतीय मिशन पदों के अध्यक्ष शामिल हैं।

डल झील पर तिरंगा

यहां नहीं फहरा सकते तिरंगा
नागरिकों को घर पर तिरंगा फहराकर या हाथ में लेकर अपने राष्ट्रवादी उत्साह का प्रदर्शन करने की अनुमति है। लेकिन निजी वाहनों पर गलत तरीके से तिरंगा फहराना अपराध है। भारत ध्वज संहिता का उल्लंघन राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के अपमान की रोकथाम के तहत दंडनीय है। धारा 3.23 राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन का कैसे दुरुपयोग हो जाता है उसके बारे में बताता है, इसमें कहा गया है कि, "झंडे को वाहन, ट्रेन या नाव के ऊपर, किनारे और पीछे नहीं लपेटा जाएगा।"

Indian flag

वाहन में ऐसे फहराएं तिरंगा
धारा 3.12 के तहत जो राष्ट्रीय ध्वज के सही प्रदर्शन के तरीकों के बारे में बताता है, में कह गया है कि, "जब एक मोटर कार पर झंडा अकेला प्रदर्शित किया जाता है, तो उसे एक डंडे (स्टाफ) से फहराया जाना चाहिए, जिसे या तो बोनट के सामने बीचो-बीच पर या कार के सामने दाहिनी ओर मजबूती से लगा हुआ होना चाहिए।"

Indian Flag

ऐसे होता है तिरंगे का अपमान
राष्ट्रीय ध्वज का दुरुपयोग, या कोई भी जो 'जलाता है, विकृत करता है, नष्ट करता है रौंदता है या 1 [अन्यथा अनादर दिखाता है या अवमानना करता है], भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या भारत का संविधान या उसके किसी भाग की अवमानना (चाहे शब्दों द्वारा, या तो बोले या लिखित, या कृत्यों द्वारा) उसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।'

नियम यह भी कहता है, "भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अनादर का अर्थ है और इसमें शामिल है- (ए) भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के प्रति घोर निरादार या अपमान।"

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