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एक दलाल का वेतन क्या है?

एक दलाल का वेतन क्या है?
अपराध का तरीका- स्वयं व अपने सहयोगियों के माध्यम से फर्जी ढंग से विभिन्न व्यग्तिगत IRCTC ID व उससे रेल ई टिकट बनाकर/बनवाकर जरूरतमंद ग्राहकों को किराए से 500 से 1000 रुपए प्रति व्यक्ति अतिरिक्त लाभ लेकर बेचना। पकड़ा गया अभियुक्त काफी शातिर किस्म का है जो प्रतिदिन काफी मात्रा में गलत व अवैध ढंग से रेलवे ई टिकट बनाने व बेचने का काम करता है।

VIDEO: दलालों के कब्जे में बक्सर सदर अस्पताल! कैमरे में कैद हुआ 'काला कारोबार'

बक्सर सदर अस्पताल इन दिनों दलालों का अड्डा बन गया है. दलाल इलाज कराने पहुंच रहे मरीजों को लालच देकर निजी जांच घर एवं अस्पतालों में पहुंचा देते हैं. जहां मरीजों का शोषण किया जाता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बक्सर: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था (Poor health system in Bihar) को पटरी पर लाने के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी निरंतर प्रयासरत हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य महकमें से जुड़े कर्मी ही पूरे सिस्टम को बेपटरी पर लाने में जुटे हुए हैं. ताजा मामला बिहार के बक्सर जिले का है. यहां का सरकारी अस्पताल दलालों (Brokers In Buxar Sadar Hospital) का अड्डा बन गया है.

सरकारी अस्पताल में सुबह के 10 बजे जैसे ही रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटाने के लिए मरीजो की लाइन लगती है, वैसे ही अलग-अलग निजी अस्पताल एवं जांच घर के दलालों के अलावा स्वास्थ्यकर्मी एवं सुरक्षाकर्मी इस गोरखधंधे में लग जाते हैं. पहले मरीजों के बीच बैठकर उनके परेशानी को जान लेते हैं और उसके बाद एक दलाल का वेतन क्या है? कम पैसे में बेहतर सुविधा देने का लालच देकर मरीजों को निजी जांच घर एवं अस्पतालों में पहुंचा देते हैं. जहां मरीजों का खूब दोहन किया जाता है. दलालों का जाल रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर, लैब, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एक्सरे रूम, डिलीवरी रूम, इमरजेंसी रूम से लेकर डॉक्टर के चेम्बर तक बिछा हुआ है.

सदर अस्पताल के बाहर मुख्य गेट के सामने राजनीतिक पार्टी के नेताओ के संरक्षण में कई गैर कानूनी निजी अस्पताल और जांच घर चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों के निर्देश पर कई बार छापेमारी की गई. लेकिन इनकी जड़े इतनी मजबूत है कि कार्रवाई करने से पहले ही दिल्ली और पटना वाले नेता जी फोन की घंटियां बजाना शुरू कर देते हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई करने पर अधिकारियो का ही तबादला कर दिया जाता है.

इस मामले को लेकर कुछ ही महीना पहले जिलाधिकारी अमन समीर सामने बात रखी गई थी. जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर एक साथ 5 बड़े अस्पतालों में छापेमारी की गई थी. छापेमारी करने वाले टीम के अधिकारियो ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि कोई भी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नहीं है और झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. वहीं, कार्रवाई होने से पहले ही किसी का तबादला कर दिया गया, तो किसी ने मुंह पर ताला लगा लिया. आज भी सैकड़ो अस्पताल, और हजारों अवैध जांच घर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं राजनीतिक पार्टी के नेताओं के संरक्षण में चल रहा है. इसके बावजूद तमाम अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.

सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों ने ईटीवी भारत की टीम को फोन कर दलालों की सक्रियता की जानकारी दी. जिसके बाद अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर से पर्ची कटाया गया. इस खेल में शामिल कई लोगों से बातचीत उनका वीडियो बनाया गया. इस बात की जानकारी जैसे ही विभाग के वरीय अधिकारियों को हुई, तो उनके हाथ पैर फूलने लगे. उन्होंने आनन-फानन में जिलाधिकारी को इस बात की जानकारी दी और वीडियो को आधार पर इसमे जुड़े तमाम लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की बात कही.

'सदर अस्पताल में दलालों की जानकारी मिली है. स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. जो लोग भी इस खेल में शामिल होंगे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.' -अमन समीर, जिलाधिकारी

गौरतलब है कि जिस जिले का प्रभारी मंत्री पूरे प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री हो, वहां के सरकारी अस्पतालों कि जब यह हाल है, तो प्रदेश के अन्य अस्पतालों की क्या हालात होगी. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. जिस स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार वेतन देती है उनके द्वारा ही इस तरह का कार्य किया जा रहा है, तो देखने वाली बात यह होगी कि मामला सामने आने के बाद क्या कार्रवाई की जाती है.

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रामलुभाया (भाग 1) : कहानी

रामलुभाया (भाग 1) : कहानी
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रामलुभाया की सरकारी नौकरी( कहानी)
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राम लुभाया का बचपन से ही एकमात्र लक्ष्य सरकारी नौकरी में जाना था। पता नहीं कहां से उसे यह ज्ञात हो गया था कि सरकारी नौकरी में वेतन ज्यादा होता है और काम कम करना पड़ता है। इसके अलावा छुट्टियां भी ढेरों मिलती हैं। राम लुभाया से मेरा परिचय था।
मेरी राय उससे कुछ हटकर थी। मेरा मानना था कि सरकारी नौकरी में ज्यादा जिम्मेदारी होती है और सरकारी नौकरी में अगर कोई भूल चूक हो जाए या हिसाब किताब की कोई गड़बड़ हो जाए तब उसमें माफी की कोई गुंजाइश नहीं रहती।
रामलुभाया ज्यादा पढ़ने लिखने में होशियार नहीं था। हाई स्कूल में हिंदी मीडियम से उसकी सेकंड डिवीजन आई थी और इंटर में भी सेकंड डिविजन । मेरा कहना यह था कि इंजीनियरिंग मेडिकल या अन्य कंपटीशन में बैठो ।या फिर किसी बड़ी कंपनी या किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर लो। लेकिन राम लुभाया का अपना तर्क था । उसका कहना था कि प्राइवेट कंपनियों में बड़ा शोषण चलता है। यह लोग सुबह 9:00 बजे से रात के 9:00 बजे तक अपने कर्मचारी को घेर लेते हैं और उसके पास केवल शनिवार और रविवार छुट्टी के दिन रह जाते हैं।
बाद में जब राम लुभाया ने इंटर द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण किया और बीए में आया तब यह निश्चित हो चुका था कि यह व्यक्ति पढ़ाई-लिखाई के हिसाब से कुछ ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाएगा। बी ए पास करने के बाद राम लुभाया ने बहुत सी सरकारी नौकरियों में आवेदन देना शुरू कर दिया । कई लिखित परीक्षाओं में बैठा। इंटरव्यू की नौबत आने से पहले ही उसका नाम नहीं आया। लिखित परीक्षा को पास करना भी उसके लिए कठिन था ।
एक दिन जब उसने बी ए पास कर लिया तो मेरे पास आया और कहने लगा” भाई साहब एक राय दीजिए! एक दलाल मिला है। कह रहा है सरकारी नौकरी लगवा देगा। चार लाख रुपए मांग रहा है।”
मैंने कहा “इस चक्कर में बिल्कुल मत पड़ना ।यह रुपए भी खा जाएंगे और काम भी नहीं करेंगे ।तुम बर्बाद हो जाओगे ।”
लेकिन राम लुभाया पर तो सरकारी नौकरी का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था । बोला “नहीं भाई साहब । आदमी बिल्कुल पक्का है ।भरोसे के लायक है । कह रहा है पैसे पहले दो ,क्योंकि ऊपर तक पहुंचाने हैं । काम तुम्हारा 100% हो जाएगा ”
मैंने कहा “मेरी राय नहीं है। सरकारी नौकरी के नाम पर बहुत बड़े फ्रॉड चारों तरफ चल रहे हैं । तुम इनसे बचकर रहो , तो अच्छा है । जो नौकरी सही रास्ते पर चलकर मिल जाए, वही अच्छी कहलाती है ।”
मेरी बात का राम लुभाया पर कोई असर नहीं था ।वह मेरी राय पूछने तो आया था लेकिन मेरा उपदेश सुनने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी ।यह कहकर चला गया कि “भाई साहब ! लेना तो सरकारी नौकरी ही है ,और बिना पैसा दिए मिलने वाली है नहीं ।”
फिर बात आई गई हो गई । करीब करीब साल भर के बाद राम लुभाया मेरे पास आया मैंने कहा” क्या हुआ ? ”
बोला “साहब! आप भी सही कह रहे थे । मैंने दो लाख में बात करी थी । दो लाख शुरू में दिए , दो लाख काम पूरा होने के बाद देने थे । काम नहीं हुआ और वह मेरे दो लाख रुपए मार कर बैठ गया”
अब मैंने कहा कि “क्या सोचा है ? किसी प्राइवेट में अप्लाई करो ।अच्छी जॉब मिल सकती है ।मेहनत से करोगे तो तरक्की करते रहोगे”
राम लुभाया ने कहा “साहब! चपरासी की नौकरी की बात चल रही है । आठवां पास होना चाहिए और मैं तो बी ए कर चुका हूं ”
मैंने आश्चर्य से मुंह खोलकर उससे कहा “चपरासी की नौकरी तुम करोगे ?”
बोला “साहब ! क्या करें । जो भी मिल जाए ।अच्छी ही है ।प्राइवेट से तो अच्छी रहेगी । ज्यादा काम करना नहीं पड़ेगा और वेतन भरपूर है। छुट्टियां ढेरों मिलेंगी”
मैंने सिर पकड़ लिया और बुदबुदाया “राम लुभाया ! अभी भी तुम्हारे सर पर सरकारी नौकरी का भूत सवार है। तुम देश को बर्बाद किए बगैर नहीं छोड़ोगे।”
राम लुभाया ने मेरी बात सुन ली और बोला “साहब !आप कब तक सरकारी नौकरी में जाने से किसी को रोकेंगे । मैं नहीं जाऊंगा, कोई दूसरा जाएगा ,तीसरा जाएगा ।मान लीजिए दलाल के माध्यम से ना भी गया तो भी जैसे सब लोग काम कर रहे हैं , मैं भी करूंगा ।”
मैंने कहा “राम लुभाया ! मैं भी एक सरकारी कर्मचारी हूं ।मेरे तमाम सगे संबंधी सरकारी नौकरी में है ।मैं सैकड़ों तो नहीं लेकिन कम से कम 40 पचास लोगों को जानता हूं और व्यक्तिगत रूप से मेरा परिचय है कि वे लोग पूरी ईमानदारी और कर्मठता के साथ सरकारी नौकरी में जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं।”
राम लुभाया ने बहुत शांत स्वर में इस बार कहा “मेरा सरकारी नौकरी के बारे में अपना दृष्टिकोण है, जो आपसे अलग है। लेकिन मैं आपको दिखा दूंगा कि सही मैं ही हूं।”- कहकर राम लुभाया चला गया।
इस घटना के करीब 4 महीने के बाद मैंने एक अखबार में खबर पढ़ी शीर्षक था- “चपरासी की कतार में ग्रेजुएट”….खबर में संयोगवश राम लुभाया की फोटो भी छपी थी। मैंने झटपट पूरी खबर पढ़ी और तब जाकर पता चला यह एक सरकारी विभाग में चपरासी के 1 पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था जिस पर लगभग 35 ऐसे आवेदनकर्ता थे जो ग्रेजुएट थे । राम लुभाया भी उनमें से एक था। जब इंटरव्यू शुरू हुआ तब थोड़ी देर में ही भगदड़ मच गई और नारेबाजी चालू होने लगी । अन्य आवेदन कर्ताओं का आरोप था कि राम लुभाया ने नियुक्तिकर्ताओं के साथ सेटिंग कर रखी है और उसका नाम पहले से तय है । अखबार में कहा गया था कि आरोप है कि भ्रष्टाचार में विभाग के उच्च अधिकारी शामिल हैं और रिश्वत का सारा पैसा ऊपर से नीचे तक सबको बँटना था। जब यह शोर ज्यादा मचा तो सबकी चेतना जागी और तब जाकर बहुत ऊंचे स्तर पर अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और नियुक्ति प्रक्रिया को कैंसिल करवाया ।रामलुभाया का रोते हुए फोटो छपा था और उसमें वह कह रहा था कि मेरा सारा पैसा मारा जाएगा । फिर उसे कुछ एहसास हुआ होगा कि मैंने कुछ गलत कह दिया। तब कहीं कहा कि मुझे कुछ नहीं मालूम, मैं बेकसूर हूं ।…इसी प्रकार की अखबार में खबर थी, जिसको पढ़ कर मुझे पक्का विश्वास हो गया कि इस बार भी राम लुभाया दलालों के चक्कर में पड़ चुका है और पूरी तरह बर्बाद हो गया।
मुझे राम लुभाया से गहरी सहानुभूति हो रही थी। वह बेचारा सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार में फँस कर तथा सरकारी नौकरी के आकर्षण में जाकर चपरासी एक दलाल का वेतन क्या है? तक बनने के लिए तैयार था ,जबकि वह एक ग्रेजुएट था और उसने वास्तव में पढ़ाई की थी । यह जरूर है कि राम लुभाया कोई प्रथम श्रेणी का विद्यार्थी नहीं था और उसने परीक्षा में बहुत ऊंचे कीर्तिमान स्थापित नहीं किए थे लेकिन फिर भी वह साफ-सुथरी परीक्षा प्रक्रिया के द्वारा ग्रैजुएट पास करने के स्तर तक पहुंचा था और इससे बड़ा दुर्भाग्य देश का दूसरा नहीं हो सकता कि एक व्यक्ति… और एक नहीं बल्कि 35 ग्रेजुएट व्यक्ति… चपरासी के 1 पद के लिए मारामारी में लगे हुए थे। मैं सोचने लगा कि सरकारी नौकरियां जो निरंतर सिकुड़ रही हैं और देश की जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रही हैं , तो फिर अब इसका विकल्प क्या होना चाहिए ? कुछ तो एक दलाल का वेतन क्या है? सोचना पड़ेगा !
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लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश// मोबाइल 99 97 61 545 1

छपरा जंक्शन: शातिर रेल ई-टिकट दलाल (तत्काल सॉफ्टवेयर यूजर) गिरफ्तार, भारी मात्रा में टिकट बरामद

Chhapra:एक दलाल का वेतन क्या है? एक दलाल का वेतन क्या है? अवैध ई टिकट दलाली के संबंध में प्राप्त सूचना के आधार पर शनिवार को रेसुब पोस्ट छपरा जंक्शन प्रभारी निरीक्षक मुकेश कुमार सिंह, उप निरीक्षक प्रमोद कुमार, सउनि विजय रंजन मिश्रा एवं सीआईबी/रेसुबल/छपरा उप निरीक्षक संजय कुमार राय साथ स्टाफ द्वारा छपरा- माझी रोड, ब्रह्मपुर पुल/छपरा स्थित हरि कम्युनिकेशन सेंटर नामक दुकान के संचालक महेंद्र कुमार शर्मा s/o श्री कृष्णा शर्मा r/o वार्ड नम्बर 03, थाना- भगवान बाजार जिला- छपरा, उम्र- 25 वर्ष को रेल ई टिकटों के अवैध कारोबार के जुर्म में समय – 12:50 बजे हिरासत में लिया गया.

अपराध का तरीका- स्वयं व अपने सहयोगियों के माध्यम से फर्जी ढंग से विभिन्न व्यग्तिगत IRCTC ID व उससे रेल ई टिकट बनाकर/बनवाकर जरूरतमंद ग्राहकों को किराए से 500 से 1000 रुपए प्रति व्यक्ति अतिरिक्त लाभ लेकर बेचना। पकड़ा गया अभियुक्त काफी शातिर किस्म का है जो प्रतिदिन काफी मात्रा में गलत व अवैध ढंग से रेलवे ई टिकट बनाने व बेचने का काम करता है।

👉 कुल व्यक्तिगत पर्सनल ID – 83

👉 एजेंट आईडी- 01 अदद (WGITECH08167)

👉बरामद रेल आरक्षित टिकटों का विवरण- रेलवे तत्काल ई टिकट कुल 75 अदद कीमत ₹ 150452.90/-

👉अपराध में प्रयुक्त उपकरण व बरामद कैश- 01 लैपटॉप, 02 प्रिंटर व 03 मोबाईल, नगद 20560/- रुपया

अपराध का पंजीकरण महेंद्र कुमार शर्मा व अन्य के विरूद्ध रेसुब पोस्ट छपरा जंक्शन पर मु.अ.स. 240/22 U/S-143, 145, 146 RA दिनाँक 04.06.22 S/V- महेंद्र कुमार शर्मा आदि पंजीकृत किया गया ।जांचकर्त्ता- सहायक उप निरीक्षक विजय रंजन मिश्रा /रेसुबल/छपरा ।

👉वांछित अभियुक्त- 02

👉प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर- 01 –

Chhapra Today Central Desk

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बिहार शिक्षक बहाली 2019,नियोजित शिक्षकों के समान काम के बदले समान वेतन ने किया लाखों अभ्यर्थियों को बेरोजगार।

Bihar Teacher Bahali 2019 :- बिहार शिक्षक बहाली 2019,नियोजित शिक्षकों के समान काम के बदले समान वेतन ने किया लाखों अभ्यर्थियों को बेरोजगार।

बिहार के 3 लाख 75 हजार नियोजीत शिक्षकों के लिए खुला पत्र जारी किया है बिहार टीईटी पास सीटीईटी पास अभ्यर्थियों ने अब नियोजित शिक्षकों के प्रति एक खुला पत्र जारी किया है और उनसे जवाब माँगा है।

नियोजित शिक्षक जब यह कहते हैं कि बिहार के पास बेरोजगार युवा शिक्षक नियोजन का विरोध करें तो वह किस आधार पर कहते हैं. जब वे स्वयं नियोजित होने से नहीं चूके तो बिहार टीईटी व सीटेट पास अभ्यर्थियों को मना क्यों कर रहे हैं. और उन्होंने बिहार में शिक्षकों की बहाली निकलवाने के लिये क्या प्रयास किया. कुछ भी नहीं,बल्कि समान काम समान वेतन का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था तो वो लोग संपर्क संपर्क करने पर कहा करते थे कि बहाली भूल जाइए क्योंकि अभी 3 से 4 साल तक बहाली नहीं होगी। जब अब बिहार में शिक्षकों की बहाली की उम्मीद जगी है,तो इनका विरोध करने की सलाह देकर हमें हमेशा के लिए बेरोजगारी की श्रेणी में ही रखना चाहते हैं.

जब बाली का विरोध करते हैं या करने को आते हैं तो भूल जाते हैं उन अभ्यर्थियों को जिन्होंने 2012 से उनके साथ संघर्ष किया पर आज भी बेरोजगार है। उनकी प्रमाण पत्र की एक दलाल का वेतन क्या है? वैधता समाप्त होने को है ऐसे में कोई इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है।

बिहार में नियोजित शिक्षकों को उचित वेतन ना मिलने का सबसे बड़ा कारण है फर्जी शिक्षकों की बहाली एवं एक दलाल का वेतन क्या है? उनका काफी संख्या में होना भी एक प्रमुख कारण है। रोज समाचार पत्रों में कहीं ना कहीं फर्जी शिक्षकों को लेकर खबर प्रकाशित होती रहती है पर उन्हें बाहर करने में किसी संघ या नेता ने कोई प्रयास नहीं किया,बल्कि उन्हें सिस्टम में बनाए रखने के लिए दलाल का काम कर रहे हैं। क्या इन फर्जी शिक्षकों के कारण योग्य शिक्षकों एक दलाल का वेतन क्या है? की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगता है।

अंत में यही कहना चाहते हैं कि सभी मायने में आप बिहार के हितेषी है तो बिहार टीईटी व सीटीईटी पास अभ्यर्थियों को बहाली के बारे में आप सोचे ताकि टीईटी पास अभ्यर्थियों की बहाली शीघ्र हो सके और फर्जी शिक्षकों को बाहर करवा कर अपने सम्मान पर होनेवाले आघात को बचाए। रिंकु मिश्रा सदस्य बिहार की शिक्षा बिहार टीईटी सीटीईटी शिक्षक बहाली मोर्चा।

नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन मामले पर 10 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और बिहार के 3 लाख 75 हजार नियोजित शिक्षकों को एक बड़ा झटका दिया। चुकी पटना हाईकोर्ट ने फैसला नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन देने का सुनाया था लेकिन बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी और सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2019 को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन जब 10 मई 2019 को फैसला आया तो सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसला को ही पलट दिया ऐसे में बिहार के 3 लाख 75 हजार नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया । अब नियोजित शिक्षक आंदोलन की तैयारी कर रहे है।

जिला महिला अस्पताल बना दलाली का अड्डा, 25 हज़ार रुपए बता कर ऐंठ लिए 70 हज़ार

जिला महिला अस्पताल बना दलाली का अड्डा, 25 हज़ार रुपए बता कर ऐंठ लिए 70 हज़ार

प्रतापगढ़ : यूपी में मरीजो के बेहतर इलाज और उत्तम स्वास्थ्य के लिए अस्पतालों को और मजबूत बनाया जा रहा है। जहाँ पर इलाज करने के लिए धरती के भगवान की तैनाती की जाती है और उनको जनता के दिये गए टैक्स से वेतन आदी की सुविधा प्रदान की जाती है, पर यही धरती के भगवान सरकार के दिये गए वेतन से खुश नही रहते है, वह जनता से सीधे टैक्स वसूल लेते है। यैसे ही तमाम आरोपो से घिरा है जनपद प्रतापगढ़ का जिला महिला अस्पताल जहाँ पर आए दिन ऑपरेशन के नाम पर पैसों की डिमांड की जाती है, और फिर ऑपरेशन किया जाता है।

क्या था पूरा मामला:- पूरा मामला जनपद प्रतापगढ़ के जिला महिला अस्पताल का है जहां पट्टी के रामकोला गांव से आए हुए पीड़ित ने गंभीर आरोप लगाए हैं, पीड़ित का कहना है की वह अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए जिला महिला अस्पताल आया हुआ था जहां पर उसके टेस्ट के नाम पर ₹2000 लिए गए और खून की कमी बताकर प्रयागराज के लिए रेफर किया जाने लगा। जब पीड़ित ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि खून की कमी के कारण आपके पेशेंट का यहां पर ऑपरेशन नहीं किया जा सकता और फिर उससे पैसों की डिमांड की गई वह ज्यादा पैसा देने में असमर्थ था। तभी उसको जिला महिला अस्पताल में एक दलाल मिल गया जिसने बेहतर इलाज का वास्ता देकर मरीज को अपने साथ लेकर अन्य किसी प्राइवेट अस्पताल में चला गया। जहां पर उसको पहले ₹25000 में पूरे इलाज का झांसा दिया गया और अस्पताल में भर्ती कराने के बाद पूरे इलाज का खर्चा ₹70000 बताया गया। आपको बता दें जब मरीजों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं जिला महिला मेडिकल कॉलेज में सरकार द्वारा दी गई हैं। तो वहां मरीजों को प्रयागराज क्यों रेफर करते हैं, क्या यहां के डॉक्टर इस काबिल नहीं है और मरीजों का इलाज कर सकें। जबकि यहीं पर ही प्राइवेट अस्पतालों में उस मरीज का इलाज आसानी से हो जा रहा है।

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