निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान

Q3 में FIIs ने 40 लॉर्जकैप शेयरों में घटाई हिस्सेदारी, क्या मुनाफा बुक करें?
इन 40 में से 4 लॉर्जकैप शेयरों ने 100 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दिखाई है.
भारतीय इक्विटी मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने वित्त वर्ष 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया लेकिन इन्होंने दिसबंर तिमाही निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान में कई 40 लॉर्जकैप कंपनियों में तिमाही आधार पर अपना स्टेक घटा दिया।
इस सूची में हमने उन कंपनियों को शामिल किया है जिनकी मार्केट कैप 25 जनवरी 2021 तक 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा थी।
FIIs ने दिसबंर तिमाही में करीब 45 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई। इनमें TCS, RIL, Avenue Supermarts, Sun Pharma, Bajaj Auto, ONGC, IOC, and Dr Reddy’s Laboratories और Tata Motors जैसे शेयर शामिल है।
जिन कंपनियों में FIIs ने अपने हिस्सेदारी घटाई है उनमें टॉप ब्लूचिप कंपनियों के साथ ही अपने सेक्टर के लीडर भी शामिल है।आकंड़ो से पता चलता है कि इसमें से कई ऐसे शेयर है जो अपने शिखर से कुछ हल्के होते नजर आ रहे हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे चितिंत होने की जरुरत नहीं है।
टॉप लॉर्जकैप कंपनियों में FIIs की बिकवाली इस बात का संकेत हो सकती है कि वह अपने पोर्टफोलियों की री-बैलेसिंग कर रहे हैं या फिर वे हायर लेवल पर कुछ मुनाफावसूली कर रहे हैं।
ऐसे शेयरों की सूची में उन शेयरों का नाम शामिल है जो पहले से ही अपने नए 52 वीक हाई पर ट्रेड कर रहे हैं। इस स्थिति अगर किसी के पास इस तरह का कोई लॉर्जकैप शेयर है तो वह इस शेयर में बना रह सकता है क्योंकि इनका लॉन्ग टर्म आउटलुक अभी भी मजबूत बना हुआ है।
CapitalVia Global Research की Likhita Chepa ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि इन लॉर्जकैप शेयरों में एफआईआई द्वारा स्टेक कम करना उनके रीबैलेसिंग स्ट्रैटजी का हिस्सा हो सकता है। इसमें से कुछ शेयर हाई बिटा वाले सेक्टरों से संबंधित है जिनका वैल्यूएशन काफी हाई हो चुका है। उन्होंने आगे कहा कि एफआईआई की हिस्सा घटाने की रणनीति कुछ मुनाफा वसूली के लिए भी हो सकती है क्योंकि IFB Industries Ltd, Laurus Labs Ltd और Adani Enterprises Ltd जैसे शेयर अब तक 200 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दे चुके है।
Likhita Chepa ने आगे कहा कि एफआईआई की हिस्सा घटाने के पीछे के कारण एक स्टॉक से दूसरे स्टॉक मामले में अलग -अलग हो सकते हैं। इसलिए निवेशकों को सलाह है कि वे इनमें से किसी भी शेयर में निवेश करने के पहले स्टॉक्स स्पेसिफिक जानकारी जुटाएं और उसेक आधार पर ही निवेश निर्णय लें।
क्या हो निवेश रणनीति
किसी शेयर या शेयरों में एफआईआई की हिस्सेदारी घटने-बढ़ने को ही निवेश का मानक नहीं बनाया जा सकता। जानकारों की सलाह है कि निवेश के लिए शेयर का चुनाव करते समय अपने रिस्क प्रोफाइल का ध्यान रखें। शेयरों की खरीद-बिक्री का निर्णय लेते समय टेक्निकल औऱ फंडामेंटल दोनों तरह के मानकों का ध्यान रखें।
फंडामेटल मानक के तहत किसी शेयर के कैशफ्लो, EPS, PEG रेश्यो, बुक्स पर लिवरेज, रेवेन्यू ग्रोथ और कंपनी द्वारा प्रस्तावित पूंजी खर्च पर नजर रखें।
किसी शेयर को खरीदने, होल्ड करने या बेचने के कारण निवेशकों पर निर्भर करते हैं। निवेशक को अपनी वित्तीय स्थिति, जोखिम उठाने की क्षमता और पोर्टफोलियों पोजिशन के हिसाब से निवेश निर्णय लेना चाहिए। निवेशकों को निवेश करते समय कुछ टेक्निकल पैरामीटर्स का भी ध्यान रखना चाहिए और इनके अधार पर ही खरीदारी या बिकवाली का निर्णय लेना चाहिए। इन पैरामीटर्स में किसी भी शेयर की उनके 50, 100 और 200 डीएम के आधार पर स्थिति और दिशा को भी ध्यान में रखना चाहिए।
FYERS की Kavalireddi का कहना है कि कोई ट्रेडर्स या पोजिशनल इन्वेस्टर शॉर्ट टर्म के लिए किसी शेयर में एंट्री हेतु 50-डे मूविंग एवरेज का उपयोग कर सकता है। इसी तरह मध्यम अवधि के लिए निवेश करने के लिए 100/200-डे मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाना चाहिए। निवेश निर्णय के लिए कुछ और पैरामीटर है जिनका ध्यान रखना चाहिए जिसमें वीकली और डेली टाईम फ्रेम चार्ट पर स्टॉक का प्राइस ट्रेड शामिल है। हालांकि ये पैरामीटर आपके निवेश पर रिटर्न की गारंटी नहीं है लेकिन इनसे मार्केट के सेंटिमेंट और मार्केट की स्थिति को समझने में सहायता मिलती है।
शेयर बाजार से पैसा बनाने के कारगर टिप्स, निवेश से पहले ध्यान रखें ये 7 बातें
7 simple ways to make money in stocks: शेयर बाजार में खासकर दो तरह के ट्रेडर होते हैं. एक जो फंडामेंटल पर फोकस रखते हैं और दूसरे जो अटकलों पर फैसला करते हैं.
Stock Market Investment Tips: शेयर निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान बाजार से अगर पैसा बनाना चाहते हैं, कुछ खास बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए. आमतौर पर शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले यह सोचते हैं कि वो कम समय में तगड़ा मुनाफा कमा लेंगे. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. इससे उलट भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. बहरहाल, यह जान लें कि इक्विटी में ट्रेडिंग उतनी आसान भी नहीं है, जितनी आम निवेशक समझते हैं. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. ऐसे 7 ऐसे आसान टिप्स जानते हैं, जिनको फॉलो कर बाजार से अच्छी कमाई की जा सकती है.
फंडामेंटल मजबूती का रखें ध्यान
शेयर बाजार में खासकर दो तरह के ट्रेडर होते हैं. एक जो फंडामेंटल पर फोकस रखते हैं और दूसरे जो अटकलों पर फैसला करते हैं. दोनों में बुनियादी फर्क स्टॉक की कीमत पर उनका नजरिया रहता है. फंडामेंटल निवेशक हमेशा से कंपनी की मजबूती पर ध्यान देता है न कि शेयर की कीमत पर. हमेशा फंडामेटल मैथड पर निवेश की कोशिश करनी चाहिए. बाजार से पैसा बनाने का यह अच्छा तरीका है.
कही-सुनी या दूसरों को देखकर न बनाएं स्ट्रैटजी
शेयर बाजार में इक्विटी की खरीद-बिक्री को लेकर किसी खास तरह की सोच में न रहे. कई ट्रेडर्स स्टॉक खरीदने या बेचने का फैसला ज्यादातर उनके जानकारों के प्रभाव में आकर करते हैं. अगर उनके आस-पास के सभी लोग किसी खास स्टॉक में निवेश कर रहे हैं, तो एक वह ट्रेडर भी उसी स्टॉक में निवेश करता है. इस तरह की स्ट्रैटजी से बचना चाहिए. लॉन्ग टर्म में यह स्ट्रैटजी सही नहीं है. दुनिया के दिग्गज निवेशक वारेन बफेट ने जब दूसरे लालची हो जाएं तो डरने की जरूरत है, वहीं जब जब दूसरे डर रहे हो, तो आप लालची बन जाएं.
बाजार में कभी भी जल्दबाजी न करें
स्टॉक मार्केट में कभी भी जल्दबाजी न करें. शेयर के दाम बढ़ने से पहले खरीदना और गिरने से पहले तुरंत बेचने का फैसला नुकसान करा सकता है. ज्यादातर निवेशक यह मानते हैं कि ट्राइंग टू टाइम इन मार्केट सही स्ट्रैटजी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी स्टॉक में सटीक टॉप और बॉटम का अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं है. अगर बाजार से पैसा कमाना है, तो इस तरह की स्ट्रैटजी से बचें.
निवेश में अनुशासन जरूरी
बाजार में अनुशासन बहुत जरूरी है. बाजार के इतिहास देखें तो बुल मार्केट में भी अधिकांश निवेशकों में डर होता है. शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के चलते निवेशक अपनी कमाई डुबो देते हैं, वो भी तब जब मार्केट में बुलिश ट्रेंड रहा. यानी, तेजी का दौर रहा. इसलिए निवेशकों को निवेश को लेकर अनुशासन भरा रवैया रखना चाहिए. अगर लॉन्ग टर्म में कमाई करना चाहते हैं, तो निवेश का सिस्टमेटिक अप्रोच होना जरूरी है.
बाजार में अपना सरप्लस फंड ही लगाएं
अकसर यह सुनने में आता है कि शेयरों में निवेश के चलते कोई व्यक्ति भारी कर्ज में फंस गया. अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो हमेशा सरप्लस फंड ही निवेश करें. सरप्लस फंड से मतलब कि जो आपके पास आपके खर्चों और अन्य जरूरतों को पूरा करने के बाद बचता है. अगर आपको मुनाफ होने लगता है, तो आप उस पैसे को दोबारा निवेश करेंगे. कभी भी लोन या कर्ज लेकर निवेश न करें.
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भावनाओं पर काबू रखें
बाजार में हमेशा भावनाओं में बहकर फैसला नहीं करना चाहिए. अगर आपका शेयर खरीदने-बेचने को लेकर इमोशंस पर कंट्रोल नहीं है तो आप भारी नुकसान करा सकते हैं. जब बाजार में तेजी रहती है तो ट्रेडर्स ज्यादा आकर्षित होते हैं और उस चक्कर में गलत शेयरों में पैसा लगा बैठते हैं. डर और लालच, ये दो ऐसे फैक्टर हैं, जिन पर शेयर में ट्रेडिंग के दौरान कंट्रोल होना चाहिए.
लक्ष्य हासिल करने लायक रखें
शेयर बाजार में निवेश को लेकर एक वास्तविक गोल रखें. निवेशकों निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान को हमेशा लगता है कि उन्होंने जो निवेश किया है वह बेस्ट रिटर्न देगा. लेकिन अगर आपका फाइनेंशियल गोल रियलस्टिक नहीं है तो आप परेशानी में फंस सकते हैं. बाजार में कभी भी समान रिटर्न की उम्मीद न करें.
(नोट: स्टॉक मार्केट के ये टिप्स ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के ब्लॉग से लिया गया है.)
Money Guru: डेट में निवेश के कितने विकल्प? क्या टैक्स-फ्री बांड में निवेश करें? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
टैक्स-फ्री बांड एक तरह का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है. टैक्स-फ्री बांड पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है. बढ़ती ब्याज दरों के दौर में आकर्षित होती है फिक्स्ड डिपॉजिट: मृन अग्रवाल, फाउंडर, फिनसेफ इंडिया और फिरोज अजीज, डिप्टी CEO, आनंदराठी वेल्थ लिमिटेड.
कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान
इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंट . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 15, 2022, 13:46 IST
नई दिल्ली. अगर आप लंबे समय के निवेश में बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प हो सकता है. ETF शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं और शेयर की तरह ही इनकी खरीद बिक्री होती है. इसमें एक म्यूचुअल फंड की तरह एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए इसे एक निष्क्रिय इक्विटी इन्वेस्टमेंट माना जाता है.
मार्केट में कई प्रकार के है ETF
इंडियन मार्केट में आम तौर पर पांच प्रकार के ETF देखने को मिलते हैं गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF.
निवेश का तरीका
ETF को शेयरों की तरह स्टॉक मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है. ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है. एक ETF की कीमत रीयल टाइम में घट या बढ़ सकती है. यह एक म्यूचुअल फंड के यूनिट की कीमत के विपरीत होता है, जिसे सिर्फ एक ट्रेडिंग सेशन के अंत में तय किया जाता है.
निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को
>> ETF को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
>> ETF की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी.
>> आमतौर पर ETF के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए.
>> किसी भी ETF को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0 2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है.
>> किसी ETF का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.
नॉन इक्विटी ETF जैसे गोल्ड और इंटरनैशनल ETFs में 3 साल से कम समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को शॉर्ट निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है, जबकि 3 साल से ज्यादा समय के लिए किए गए इन्वेस्टमेंट्स को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है. नॉन इक्विटी ETFs के STCG पर मामूली दर से टैक्स लगता है. नॉन इक्विटी ETF के LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.
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म्यूचुअल फंड की रेटिंग क्या होती है, निवेश से पहले किसी Fund में और क्या देखना चाहिए
किसी फंड का तत्काल रिटर्न देखना उसे जज करने का एक अच्छा तरीका नहीं हो सकता. और भी कई फैक्टर हैं जिन्हें निवेश से पहले जान लेना चाहिए. एक फंड एक साल के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकता है और लंबे समय में गिर सकता है.
लंबी अवधि के लिए स्मॉल कैप में निवेश बनाए रखना उनकी क्षमता का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण है. (सांकेतिक तस्वीर)
TV9 Bharatvarsh | Edited By: आशुतोष वर्मा
Updated on: Jul 06, 2021 | निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान 7:23 AM
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपको उसकी रेटिंग के बारे में जरूर पता होगा. रेटिंग देखकर ही लोग किसी भी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं. ऐसा माना जाता है कि रेटिंग जितनी अच्छी होती है, फंड में रिटर्न का उतना ही फायदा मिलने की उम्मीद होती है. म्यूचुअल फंड की रेटिंग को स्टार रेटिंग बोलते हैं. रेटिंग देने का काम म्यूचुअल फंड पर नजर रखने वाली एजेंसियां देती हैं. फिर उसी स्टार रेटिंग के आधार पर लोग म्यूचुअल फंड को खरीदने या नहीं खरीदने का फैसला करते हैं. स्टार रेटिंग से निवेश करने वाला समझ लेता है कि वह कैसा है, क्या 5 स्टार रेटिंग का फंड है या बस काम चलाने वाला है. इसलिए रेटिंग किसी भी म्यूचुअल फंड की खरीदारी से पहले अहम रोल निभा सकती है.
म्यूचुअल फंड को रेटिंग निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान देने के पीछे कुछ फैक्टर होते हैं. पहला तो ये होता है कि उस फंड ने कैसा प्रदर्शन किया है, उस आधार पर उसे 2,3,4 या 5 रेटिंग दी जाती है. दूसरा आधार जोखिम का होता है. इसमें यह देखा जाता है कि फंड लेने में कितना खतरा है या जोखिम है. तीसरे आधार में फंड की क्षमता देखी जाती है कि वह निवेशकों को कितना तक रिटर्न देने का सामर्थ्य रखता है. अगर किसी फंड को 5 स्टार मिला है, तो उसे निवेश के लिहाज से अच्छा मान सकते हैं. इसलिए म्यूचुअल फंड लेने से पहले रेटिंग देखने की सलाह दी जाती है.
रेटिंग पर रिसर्च करें
अगर रेटिंग कम है निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान तो उस पर एक रिसर्च करें और पता करें कि फंड कैसा है. अगर निवेश के लिहाज से वह फायदेमंद नहीं है तो फंड नहीं खरीदने की सलाह दी जाती है. बाजार में कई एजेंसियां हैं जो म्यूचुअल फंड की रेटिंग करती हैं. इन एजेंसियों के माध्यम से म्यूचुअल फंड के बारे में आसानी से समझा निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान जा सकता है. यहां जानना होगा कि किसी फंड का तत्काल रिटर्न देखना उसे जज करने का एक अच्छा तरीका नहीं हो सकता. और भी कई फैक्टर हैं जिन्हें निवेश से पहले जान लेना चाहिए. एक फंड एक साल के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकता है और लंबे समय में गिर सकता है. इसलिए निवेश से पहले आपको इसके प्रदर्शन की समझ लेने के लिए तीन साल के प्रदर्शन और फंड के पांच साल के प्रदर्शन की जांच करनी चाहिए.
सिर्फ प्रदर्शन से काम नहीं चलता
यह भी देखने में आता है कि किसी फंड का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है, लेकिन उसकी रेटिंग कम है. ऐसे में जान लेना चाहिए कि इसकी कोई न कोई वजह होगी. बिना वजह प्रदर्शन और रेटिंग में अंतर नहीं हो सकता. उस कारण का पता करने के बाद ही उस फंड को खरीदना चाहिए. ऐसा निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान भी नहीं होना चाहिए कि किसी फंड की रेटिंग 5 हो लेकिन प्रदर्शन ठीक न हो तो उसे जल्दी में खरीद लेना चाहिए. सिर्फ रेटिंग देखकर ही फंड में गाढ़ी कमाई का पैसा नहीं लगा सकते.
भविष्य भी देखना जरूरी
ऐसे फंड को लेने से पहले भी गंभीर रिसर्च कर लेनी चाहिए. हो सकता है कि किसी फंड का प्रदर्शन पूर्व में ठीक न रहा हो, उसकी रेटिंग 5 हो, तो यह देखना चाहिए कि भविष्य में उसके रिटर्न देने की कितनी संभावनाएं हैं. अगर वह फंड भविष्य में पूर्व की तुलना में ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखता है, तो उसमें पैसा निवेश कर सकते हैं. कोई फंड एक या दो साल के लिए गिर सकता है या रिटर्न घट सकता है, लेकिन आने वाले एक-दो वर्ष में बेहतर प्रदर्शन के साथ औसत रिटर्न में भी काफी वृद्धि कर सकता है. ऐसे में देखने की जरूरत है कि लंबे समय में उसका प्रदर्शन क्या है और भविष्य क्या हो सकता है.
किस फंड की रेटिंग अच्छी
CRISIL म्यूचुअल फंड की रेटिंग का काम करती है. इसके तहत किसी फंड को 1 से लेकर 5 तक की रेटिंग दी जाती है. अगर किसी फंड को 1 रैंकिंग (रेटिंग नहीं) मिली है तो इसका मतलब है उसका ‘वेरी गुड परफॉर्मेंस’ है. इसी तरह आईसीआरए, मॉर्निंग स्टार, वैल्यू रिसर्च भी रेटिंग का काम करती हैं. इन एजेंसियों की रेटिंग को भरोसेमंद माना जाता है. रेटिंग में म्यूचुअल फंड स्कीम के कई पैरामीटर्स देखे जाते हैं. इसमें क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों के आधार पर प्रदर्शन देखा जाता है.
टॉप रेटेड म्यूचुअल फंड में क्वांट टैक्स प्लान डायरेक्ट ग्रोथ, क्वांट इंफ्रास्ट्रक्चर फंड डायरेक्ट ग्रोथ, क्वांट एक्टिव फंड डायरेक्ट ग्रोथ, एक्सिस स्मॉल कैप फंड डायरेक्ट ग्रोथ, पीजीआईएम इंडिया मिडकैप अपॉरचुनिटीज फंड डायरेक्ट ग्रोथ, कोटक स्मॉल कैप फंड डायरेक्ट ग्रोथ, क्वांट एबसोल्यूट फंड डायरेक्ट ग्रोथ, पीजीआईएम इंडिया फ्लेक्स कैप फंड डायरेक्ट ग्रोथ आदि के नाम हैं.