किसी देश की मुद्रा क्या है

शेयर बाजार 20 घंटे पहले (04 दिसम्बर 2022 ,12:45)
डिजिटल मुद्रा को अभी तय करना है लंबा सफर: सुभाष चंद्र गर्ग
नयी दिल्ली, चार किसी देश की मुद्रा क्या है दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बहुत सीमित उपयोग के लिये प्रायोगिक आधार पर सरल डिजिटल रुपये की शुरुआत की है और सही मायने में बलॉकचेन आधारित डिजिटल मुद्रा के उलट यह पारंपरिक बैंक खाते की ही तरह है, जिसमें लेन-देन को लेकर रुपये के स्थान पर डिजिटल टोकन का उपयोग किया जाएगा। वास्तव में केंद्रीय बैंक को पूर्ण डिजिटल मुद्रा को लेकर अभी लंबा रास्ता तय करना है। आरबीआई के प्रायोगिक तौर पर खुदरा डिजिटल रुपया शुरू किये जाने के साथ पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यह बात कही है।
उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में मुद्रा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन यह विकास का कोई प्राथमिक कारक नहीं है। डिजिटल व्यवस्था में सहज लोगों के लिये यह अच्छा है, लेकिन नकदी पर भरोसा करने वाले आम आदमी के लिये यह बहुत मायने नहीं रखता है।
e₹-R कैसे काम करेगा?
– बैंक के जरिए e₹-R डिजिटल टोकन हासिल किया जा सकेगा। शुरू में आठ बैकों से ये टोकन मिलेंगे
– e₹-R डिजिटल वॉलेट में उपलब्ध होगा जिसे किसी देश की मुद्रा क्या है मोबाइल फोन या कंप्यूटर-लैपटॉप के जरिए इस्तेमाल करना संभव होगा
– यह सब्सिडियरीज यानी बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा
– दुकानदार के यहां क्यूआर कोड के जरिए e₹-R डिजिटल वॉलेट से भुगतान करना होगा
– e₹-R का व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति व व्यापारियों के बीच लेनदेन किया जा सकेगा
– e₹-R पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा और इसे नकद की तरह बैंक में जमा कराया जा सकेगा
e₹-R को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा
ई डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा लोकेशन पर उपलब्ध होगा। रिटेल डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में चार बैंक शामिल होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक किसी देश की मुद्रा क्या है शामिल हैं। दूसरे चरण के पायलट प्रोजेक्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक व कोटक महिंद्रा बैंक शामिल रहेंगे।
इन शहरों से होंगी डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट की शुरुवात
खुदरा लेन-देन के लिए डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु व भुवनेश्वर जैसे शहरों को शामिल किया गया है। उसके बाद के चरणों में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला शहर शामिल होंगे शामिल होंगे। रिजर्व बैंक ने कहा है आवश्यकतानुसार अधिक बैंकों, उपयोगकर्ताओं और स्थानों को शामिल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
पायलट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इस पायलट से मिले अनुभवों के आधार पर भविष्य के पायलटों में e₹-R टोकन और आर्किटेक्चर की विभिन्न विशेषताओं और अनुप्रयोगों का परीक्षण किया जाएगा।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (central bank digital currency) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की गई। CBDC फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
आरबीआई CBDC की शुरुआत क्यों कर रहा है?
भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा। ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। रिजर्व बैंक का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे किसी देश की मुद्रा क्या है देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।
इन देशों में भारत का 1 रु है 350 रु के बराबर,12 देशों में जमकर चलेगा रुपया, ले लीजिए मजा
भारतीय मुद्रा यानी रुपये को अक्सर हमें शिकायत रहती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमत बेहद कम है। जिसकी वजह से हम अपनी पसंदीदा जगहों पर जाने से पहले कई बार सोचते हैं। लेकिन रुपए के इतिहास पर नजऱ डाले तो 1947 में जहां 1 रुपए की कीमत एक डॉलर के बराबर थी। वहीं आज 1 डॉलर की कीमत 70 रूपए से भी अधिक हो गई है। लेकिन, अभी भी कुछ ऐसे देश हैं जहां रुपया आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता है। अगर आप भी कहीं विदेश जाने का सोच रहे हैं तो हम आपको उन खूबसूरत देशों के बारे में बता देतें हैं किसी देश की मुद्रा क्या है जहां भारतीय रुपया आपको अमीर होने का एहसास कराता है।
हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी में क्यों वसूल करते हैं फिरौती, क्या है इसकी बड़ी वजह
नई दिल्ली. करीब हफ्ते भर किसी देश की मुद्रा क्या है से दिल्ली एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल का सर्वर हैक हो जाने की वजह से डाउन पड़ा हुआ है. इससे ओपीडी और बाकी सर्विस प्रभावित हो रही है. सर्वर हैक होने के चलते करोड़ों मरीजों का डेटा दांव पर लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैकर्स की ओर से क्रिप्टो करेंसी में 200 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी में फिरौती की मांग वाली बात को ख़ारिज कर दिया है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है. लेकिन अगर यह बात सच है तो हैकर्स फिरौती की रकम क्रिप्टोकरेंसी में ही क्यों वसूल करते हैं? हैकर्स इसे क्यों पसंद करते हैं हम यही बताने जा रहे हैं.
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टो करेंसी एक मुद्रा होती है जो पूरी तरह कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है. इसके सारे ट्रांजेक्शन भी कंप्यूटर से ही होते हैं, यानी इसमें कोई फिजिकल करेंसी नहीं होती है. क्रिप्टो करेंसी या वर्चुअल करेंसी को डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है. इसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की सहायता से जेनरेट किया जाता है और उसके बाद रेगुलेट भी किया जाता है.
बिहार के मिथिलांचल के मखाना को अब चाहिए बड़ा बाजार
शेयर बाजार 20 घंटे पहले (04 दिसम्बर किसी देश की मुद्रा क्या है 2022 ,12:45)
© Reuters. बिहार के मिथिलांचल के मखाना को अब चाहिए बड़ा बाजार
दरभंगा, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार के मिथिलांचल में कहा जाता है पग-पग पोखर माछ मखान, मधुर बोल मुस्की मुख पान। विद्या, वैभव शांति प्रतीक, इथीक मिथिल की पहचान। मिथिला की पहचान पोखर (तालाब), मछली, पान और मखाना से जुड़ी हुई है।मिथिलांचल के मखाना की दीवानगी न केवल देश में बल्कि विदेशों से भी जुड़ी हुई है। वैज्ञानिक मखाना को लेकर नए-नए शोध कर नई प्रजाति विकसित कर रहे हैं, जिससे किसानों को लाभ भी हो रहा है, लेकिन यहां के मखाने को सही ढंग से बाजार नहीं उपलब्ध होने के कारण किसानों को वह लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके वे हकदार हैं।