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मोबाइल ट्रेडिंग

मोबाइल ट्रेडिंग
वर्तमान में भारत में केवल गोल्ड डेरिवेटिव्स और गोल्ड ईटीएफ का मोबाइल ट्रेडिंग कारोबार होता है। इसमें गोल्ड कमोडिटी सिक्योरिटी को ईजीआर में बदला जाता है। जिसके पास भौतिक सोने का जिम्मेदार स्रोत होगा, सोने को खजाने में जमा किया जाएगा। वहां उसे सोने की इलेक्ट्रॉनिक रसीद मिलेगी। जिसे वह बिक्री और खरीद के बदले रखेगा। अब यह सोने की कीमत और मांग पर निर्भर करता है।

इस कंपनी खरीदने की रेस में अडानी-अंबानी, शेयरों में लगातार लगा सर्किट, अब रोक दी गई ट्रेडिंग

इस कंपनी खरीदने की रेस में अडानी-अंबानी, शेयरों में लगातार लगा सर्किट, अब रोक दी गई ट्रेडिंग

फ्यूचर रिटेल के शेयरों में लगातार अपर या लोअर सर्किट लग रहा था. अब कंपनी की ट्रेडिंग रोक दी मोबाइल ट्रेडिंग गई है. गौतम अडानी और मुकेश अंबानी दोनों ही इसे खरीदने के लिए कतार में हैं.

कर्ज में डूबी किशोर बियानी (Kishore Biyani) की कंपनी फ्यूचर ग्रुप (Future group) के शेयरों में पिछले दो हफ्तों में तगड़ी तेजी देखने को मिली है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इस कंपनी को खरीदने के लिए गौतम अडानी (Gautam Adani) और मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) दोनों ही कतार में हैं. ऐसे में निवेशकों को इस बात की खुशी हो रही है कि यह कंपनी जिसके भी हाथ में जाएगी, इसका कायाकल्प होना तो तय है. यही वजह है कि फ्यूचर ग्रुप के शेयरों में ट्रेडिंग बंद होने से पहले कई दिन तक अपर सर्किट लगा. इस वक्त कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और तमाम लोग इसे खरीदने की रेस में हैं. दिवाला प्रक्रिया के दौरान कंपनी के शेयरों मोबाइल ट्रेडिंग में ट्रेडिंग को रोक दिया जाता है.

कब-कब लगा अपर सर्किट?

मौजूदा समय में फ्यूचर रिटेल का शेयर 3.65 रुपये के स्तर पर है. 9 सितंबर से इस शेयर में तगड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. 9 मोबाइल ट्रेडिंग सितंबर के बाद 14 सितंबर तक शेयर में अपर सर्किट लगा, लेकिन उसके बाद इसमें 2 नवंबर तक लगातार लोअर सर्किट लगा. उसके बाद फिर 11 नवंबर तक लगातार अपर सर्किट लगा.

फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए पहली दावेदार है April Moon Retail Private Ltd, जो अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स और फ्लेमिंगो ग्रुप का ज्वाइंट वेंचर है. इसके अलावा दूसरी दावेदार है मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल. इनके अलावा 13 और कंपनियों ने भी फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि (Expressions Of Interest) दिखाई है.

फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए रुचि पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख इसी महीने मोबाइल ट्रेडिंग निकल चुकी है. बता दें कि आज जो फ्यूचर रिटेल बिक रही है, वह कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिटेलर थी. यह कंपनी अपना बिजनस 3.4 अरब डॉलर में अपने असेट रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचना चाह रही थी. हालांकि, अमेजन के साथ लीग फाइट के चलते यह डील फाइनल नहीं हो सकी और कंपनी के खिलाफ दिवालिया की प्रक्रिया शुरू हो गई.

अमेजन क्यों करता रहा सौदे का विरोध?

इस विलय समझौते की घोषणा के बाद से ही अमेजन इसका विरोध कर रही थी. विभिन्न अदालती मुकदमों में अमेजन ने यह कहते हुए इस सौदे का विरोध किया कि उसके साथ हुए फ्यूचर समूह के निवेश समझौते का यह करार उल्लंघन करता है. दरअसल, ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन ने साल 2019 में एफआरएल की प्रवर्तक कंपनी फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक निवेश करार किया था. इसके आधार पर उसने भविष्य में फ्यूचर रिटेल को खरीदने की योजना तैयार की थी. लेकिन इस बीच फ्यूचर रिटेल ने रिलायंस के साथ सौदा कर लिया.

फ्यूचर रिटेल पर 29 लेंडर्स के एक कंसोर्टियम का 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. वहीं फ्यूचर ग्रुप पर कुल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. रिलायंस के साथ सौदे से मिलने वाले पैसे से एफआरएल अपना कर्ज चुकाने चाहता था. हालांकि, अब रिलायंस के साथ सौदा खत्म होने के बाद एफआरएल ने बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज के भुगतान में चूक कर दी. इसके बाद इस साल अप्रैल में बैंक एफआरएल के खिलाफ एनसीएलटी में गया था.

दिवालियापन के बीच संघीय जांच के तहत क्रिप्टो ट्रेडिंग साइट एफटीएक्स

इस महीने की शुरुआत में, एफटीएक्स में वित्तीय अस्थिरता की चिंता - एक शीर्ष मंच जहां उपयोगकर्ता क्रिप्टो खरीदते और बेचते हैं - ने कुल अरबों डॉलर की निकासी की लहर को ट्रिगर किया। लेकिन FTX के पास विक्रेताओं को भुगतान करने के लिए पर्याप्त धन की कमी थी, इसके बजाय निकासी पर पूरी तरह से रोक लगा दी।

कंपनी की एक घोषणा में कहा गया मोबाइल ट्रेडिंग है कि शुक्रवार को, FTX ने अमेरिका में दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की, क्योंकि यह अपनी शेष संपत्ति के मूल्य का आकलन करता है।

एक प्रमुख क्रिप्टो उद्यमी और एफटीएक्स के सीईओ बैंकमैन-फ्राइड, 30 ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया, घोषणा में कहा गया है।

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क्या होता है शेयर मार्केट में Upper और Lower Circuit

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अपने पैसे का निवेश करने के लिए आज के समय में अधिकतर युवा शेयर मार्केट का ही चयन करते हैं। समझदारी व सही जानकारी के साथ किया गया निवेश अच्छा रिटर्न भी प्रदान करता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि किसी दिन मार्केट के तेजी से ऊपर जाने पर कुछ शेयर्स की खरीद को रोक दिया जाता है। ये स्थिति तेजी से नीचे गये स्टॉक्स में भी होती है। हमने अक्सर शेयर मार्केट के एक्सपर्ट्स से सुना है कि आज इस शेयर ने सर्किट हिट किया है। क्या आप जानते हैं ये सर्किट क्या होते हैं और शेयर मार्केट में इसका क्या महत्व है। आज इस आर्टिकल में हम इसी पर बात करेंगे-

क्या होता है सर्किट

किसी शेयर की कीमतों में अचानक से आने वाले उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बचाने के लिए एक्सचेंज पिछले दिन की शेयर की कीमतों के आधार पर एक शेयर की कीमत पर एक बैंड लगाते हैं। यह बैंड पिछले दिन की प्राइस का 5% या 2% हो सकता है। इससे शेयर की कीमत उस बैंड के बीच में ही रहती है। फिर चाहे मार्केट कितना भी ऊपर या नीचे क्यों न चला जाए। इस बैंड को ही सर्किट कहते हैं। यह सर्किट दो तरह के होते हैं- अपर सर्किट (Upper Circuit) और लोवर सर्किट (Lower Circuit)।

अपर सर्किट किसी शेयर की उस दिन की अधिकतम कीमत होती है, तो वहीं लोवर सर्किट उस शेयर की न्यूनतम कीमत होती है। मान लीजिए किसी कम्पनी के शेयर कल 200 रुपये की कीमत पर बंद हुए और उन पर 25 रुपये की सर्किट लगी है। तो वो शेयर अगले दिन 225 रुपये से ज्यादा और 175 रुपये से कम नहीं हो सकते। ऐसे में 225 रुपये अपर सर्किट हुआ मोबाइल ट्रेडिंग व 175 रुपये लोवर सर्किट।

क्यों लगता है सर्किट

सर्किट की सुविधा निवेशकों के लिए एक्सचेंज द्वारा प्रदान की जाती है। इससे निवेशक एक दिन में अचानक से आने वाली तेजी व गिरावट से बच सकते हैं। जब भी कोई शेयर सर्किट हिट करता है तो उस दिन के लिए उसकी ट्रेडिंग रोक दी जाती है। फिर कोई भी उस शेयर को न तो खरीद सकता मोबाइल ट्रेडिंग है और न ही बेच सकता है।

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Electronic Gold Receipt | सोने की खरीद-फरोख्त पर नए नियम, निवेशकों को होगा बड़ा फायदा

Gold Price Today HIndi

Electronic Gold Receipt | पेपर गोल्ड खरीदने और बेचने वाले पेशेवरों के लिए अच्छी खबर है। अब इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स में ट्रेडिंग करने पर आईटीसी रिफंड नहीं अटकेगा। सीएनबीसी आवाज़ के सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ईजीआर यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स के जरिए निवेश और ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहा है।

सरकार पेपर गोल्ड की खरीद-बिक्री के संबंध में जीएसटी से जुड़े नियमों में ढील देने पर भी विचार कर रही है। ईजीआर यानी इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीद अन्य प्रतिभूतियों के समान ही होगी। इसकी ट्रेडिंग क्लियरिंग और सेटलमेंट भी अन्य प्रतिभूतियों की तरह किया जा सकता है।

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