मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें

बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज सृजन योजना
इस स्कीवम का उद्देश्यय, कच्चीट सामग्री की उपलब्धयता और बाजार के साथ जुड़ाव के संबंध में आपूर्ति श्रृंखला में अंतर को भरते हुए प्रसंस्कृ।त खाद्य उद्योग के लिए प्रभावी एवं निर्बाध बैकवर्ड एवं फारवर्ड एकीकरण उपलब्धए कराना है । स्की म के अंतर्गत, खेत के समीप प्राथमिक प्रसंस्क्रण केंद्रों/संग्रहण केद्रों की स्थागपना और आग के छोर पर इन्यूमिक लिटिड/रेफ्रीजरिटिड ट्रांसपोर्ट के माध्याम से जुड़ाव के साथ आधुनिक खुदरा बिक्री केंद्रों के लिए वित्ती्य सहायता दी जाती है ।
यह स्कीतम शीघ्र खराब होने वाली बागवानी एवं गैर-बागवानी उपज जैसे कि फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पाैदों, मांस, पॉल्ट्री , मछली, पकाने के लिए तैयार खाद्य उत्पाोदों, शहद, नारियल, मसाले, मशरूम तथा शीघ्र खराब होने वाले खाद्य उत्पानदों की खुदरा दुकानों के लिए लागू है । यह स्कीमम कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्यए सुनिश्चित करने हेतु किसानों को प्रसंस्करणकर्ताओं तथा बाजार के साथ जुड़ाव के योग्य् बनाएगी । इस स्की्म का कार्यान्व यन एजेंसियों/संगठनों जैसे कि सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम/संयुक्तव उपक्रम/एनजीओज/सहकारिताओं/एसएचजीज/एफपीओज/निजीक्षेत्र/व्यवक्तियों आदि के द्वारा किया जाता है ।
स्कीधम के अंतर्गत उनकी प्रतिभागिता को सुगम बनाने के लिए मंत्रालय ने कृषक उत्पाएदक कंपनियों, कृषक उत्पाीदक संगठनों, स्वए-सहायता समूहों समेत किसान/उत्पाकदक समूहों की सहायता के लिए तकनीकी एजेंसियों (टीएज) का नियोजन किया है । तकनीकी एजेंसियां, व्यातपार योजना, विस्तृंत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण तथा अन्य संबंधित सहायक सेवाओं के लिए जिम्मे दार हैं । टीएज के उत्तोरदायित्वोंी के लिए (यहॉं क्लिक करें). और संपर्क हेतु (यहॉं क्लिक करें).
स्कीाम के अंतर्गत सहायता के प्रस्ता।वों को समय-समय पर जारी अभिरुचि की अभिव्यएक्ति के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है । प्रस्तााव आमंत्रण की नोटिस देखने के लिए (यहॉं क्लिक करें) और ऑनलाइन प्रस्ताेव प्रस्तुऑत करने के लिए (यहॉं क्लिक करें).
इस स्कीम को वर्ष 2018 से कार्यान्वित किया जा रहा है । बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज सृजन परियोजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति को देखने के लिए । (यहां क्लिक करें).
सम्पर्क विवरण
श्री संजय कुमार सिंह,
निदेशक
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय,
पंचशील भवन, अगस्त क्रांति मार्ग,
नई दिल्ली -110049
दूरभाष :011-26499177
ईमेल: - sks[dot]singh[at]nic[dot]in
News Details
भारत की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आश्रित है। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनानें में भी कृषि का अहम् योगदान है।देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करनें के लिए सरकार कृषि कार्यों में आने वाली असुविधाओं को दूर करनें के लिए समय-समय पर योजनायें संचालित करती रहती है, ताकि किसान इन योजनाओं के माध्यम से अपनी समस्याओं का निराकरण मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें कर सके ।
सरकार द्वारा किसानों के हित में संचालित योजनाओं में खेत से लेकर घर तक की व्यवस्था तक का उद्देश्य निहित है । आज हम आपको यहाँ आपको किसानों के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारें में जानकारी देने जा रहे है ।
1) देश भर में सभी मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें किसानों के परिवारों को आय सहायता प्रदान करने के लिए, उन्हें कृषि और संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू जरूरतों से संबंधित खर्चों की देखभाल करने में सक्षम बनाने के लिए, केंद्र सरकार ने एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की, अर्थात् , प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)। इस योजना का उद्देश्य रुपये का भुगतान प्रदान करना है। 6000/- प्रति वर्ष, तीन 4 मासिक किश्तों में रु. 2000/- किसान परिवारों को, उच्च मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें आय समूहों से संबंधित कुछ बहिष्करणों के अधीन।
2) इसके अलावा छोटे और सीमांत किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करने की दृष्टि से, क्योंकि उनके पास वृद्धावस्था प्रदान करने के लिए न्यूनतम या कोई बचत नहीं है और परिणामस्वरूप आजीविका के नुकसान की स्थिति में उनका समर्थन करने के लिए, सरकार ने निर्णय लिया है इन किसानों को वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करने के लिए एक और नई केंद्रीय क्षेत्र योजना यानी प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (PM-KAY) लागू करें। इस योजना के तहत, न्यूनतम निश्चित पेंशन रु 3000/- पात्र लघु और सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर, कुछ अपवर्जन शर्तों के अधीन, प्रदान किया जाएगा।
3) जोखिम न्यूनीकरण के लिए फसलों को बेहतर बीमा कवरेज प्रदान करने की दृष्टि से, एक फसल बीमा योजना अर्थात् प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) खरीफ 2016 सीजन से शुरू की गई थी। यह योजना फसल चक्र के सभी चरणों के लिए बीमा कवर प्रदान करती है, जिसमें निर्दिष्ट मामलों में फसल के बाद के जोखिम शामिल हैं, जिसमें किसानों द्वारा कम प्रीमियम योगदान दिया जाता है।
4) किसान की आय को बड़ा बढ़ावा देते हुए, सरकार ने 2018-19 सीजन के लिए सभी खरीफ और रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उत्पादन लागत के कम से कम 150 प्रतिशत के स्तर पर वृद्धि को मंजूरी दी है। .
5) किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण की फ्लैगशिप योजना का क्रियान्वयन ताकि उर्वरकों के उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जा सके।
6) "प्रति बूंद अधिक फसल" पहल जिसके तहत पानी के इष्टतम उपयोग, इनपुट की लागत कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
8) किसानों को एक इलेक्ट्रॉनिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए ई-एनएएम पहल का शुभारंभ।
9) "हर मेढ़ पर पेड़" के तहत मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें अतिरिक्त आय के लिए कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय वन अधिनियम, 1927 के संशोधन के साथ, बांस को वृक्षों की परिभाषा से हटा दिया गया है। गैर वन सरकारी के साथ-साथ निजी भूमि पर बांस के रोपण को बढ़ावा देने और मूल्यवर्धन, उत्पाद विकास और बाजारों पर जोर देने के लिए वर्ष 2018 में एक पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू किया गया है।
10) किसान हितैषी पहलों को बढ़ावा देते हुए सरकार ने एक नई अम्ब्रेला योजना 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' (पीएम-आशा) को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य 2018 के केंद्रीय बजट में घोषित किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। यह सरकार द्वारा उठाया गया एक अभूतपूर्व कदम है। भारत के किसानों की आय की रक्षा करने के लिए जो किसानों के कल्याण की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करने की उम्मीद है।
11) परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि करने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया गया है।
12) पर्याप्त ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए, सरकार कृषि क्षेत्र को ऋण के प्रवाह के लिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है, बैंक लगातार वार्षिक लक्ष्य को पार कर रहे हैं। कृषि ऋण प्रवाह लक्ष्य रुपये पर निर्धारित किया गया था। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 13.50 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष के लिए 15.00 लाख करोड़ रुपये। 2020-21।
13) अधिक से अधिक किसानों तक संस्थागत ऋण की पहुंच सरकार का प्राथमिकता क्षेत्र है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार 3.00 लाख रुपये तक के अल्पकालिक फसल ऋण पर 2% का ब्याज सबवेंशन प्रदान करती है। वर्तमान में, किसानों को शीघ्र पुनर्भुगतान पर 4% प्रति वर्ष की ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध है।
14) इसके अलावा, ब्याज सबवेंशन योजना 2018-19 के तहत, प्राकृतिक आपदाओं की घटना पर किसानों को राहत प्रदान करने के लिए, पुनर्गठित राशि पर पहले वर्ष के लिए 2% की ब्याज सबवेंशन बैंकों को उपलब्ध रहेगी। किसानों द्वारा संकटग्रस्त बिक्री को हतोत्साहित करने और उन्हें परक्राम्य रसीदों के खिलाफ गोदामों में अपनी उपज को स्टोर करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, ब्याज सबवेंशन का लाभ किसान क्रेडिट कार्ड वाले छोटे और सीमांत किसानों को फसल कटाई के बाद छह महीने तक की अवधि के लिए उपलब्ध होगा। फसल ऋण के लिए उपलब्ध दर के समान।
15) सरकार ने पशुपालन और मत्स्य पालन से संबंधित गतिविधियों का अभ्यास करने वाले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा प्रदान की है। KCC के नए सिरे से नवीनीकरण के लिए सभी प्रसंस्करण शुल्क, निरीक्षण, खाता बही शुल्क और अन्य सभी सेवा शुल्क माफ कर दिए गए हैं। लघु अवधि के कृषि ऋण के लिए संपार्श्विक शुल्क ऋण सीमा 1.00 लाख मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें रुपये से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये कर दी गई है। पूर्ण आवेदन प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर केसीसी जारी किया जाएगा।
महंगाई के हिसाब से कितनी होनी चाहिए किसान परिवारों की औसत मासिक इनकम?
Farmers Income: केंद्र सरकार के एक सर्वे में 2018-19 के दौरान किसान परिवारों की औसत मासिक आय 10,218 रुपये आंकी गई थी. अब नीति आयोग की बैठक में अशोक गहलोत ने कहा कि 21,600 रुपये प्रतिमाह होनी चाहिए किसानों की औसत आय.
Updated on: Aug 08, 2022 | 11:12 AM
मोदी सरकार ने अप्रैल 2016 में वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय डबल हो जाएगी. इस पर अब सियासत शुरू हो गई है. क्योंकि अभी तक किसानों की आय को लेकर न कोई नया सर्वे हुआ है और न कोई आंकड़ा सामने आया है. लेकिन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने हाल ही में देश के ऐसे 75 हजार किसानों की सक्सेस स्टोरी पर एक ई-बुक रिलीज की है कि जिनकी आय डबल या उससे अधिक हो चुकी है. सरकार मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें ने लोकसभा में भी किसानों की आय को लेकर 2018-19 का डाटा दिया है. जब किसान परिवारों की औसत मासिक आय लगभग 10,218 रुपये आंकी गई थी.
दूसरी ओर, अब कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार ने नीति आयोग की बैठक में एक नया राग अलाप दिया है. सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि महंगाई के हिसाब से किसानों की औसत मासिक आय 21,600 रुपये प्रतिमाह होनी चाहिए. इस लक्ष्य को हासिल मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें करने के लिये सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे. इसके बाद किसानों की आय को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. हालांकि, राजस्थान में भी किसानों की औसत मासिक आय सिर्फ 12520 रुपये ही है. वैसे यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है. केंद्र में कांग्रेस शासन के वक्त 2013 में किसानों की औसत मासिक आय 6426 रुपये ही थी.
किसानों की इतनी आय संभव है लेकिन…
एमएसपी और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन के लिए हाल ही में बनाई गई केंद्र सरकार की कमेटी के सदस्य गुणवंत पाटिल का कहना है कि किसानों की औसत मासिक आय 21,600 रुपये होना संभव है. लेकिन, किसानों को खेती के पारंपरिक तौर-तरीके बदलने होंगे. टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना होगा. धान और गेहूं की खेती से तो इतनी आय संभव नहीं है. इसीलिए फसल विविधीकरण पर फोकस किया जा रहा है. ताकि किसानों की आय बढ़े और पानी की बचत हो.
पीएम किसान: 24000 रुपये सालाना देने की मांग
सीएम अशोक गहलौत से पीएम किसान योजना के तहत सालाना मिल रही 6000 रुपये की रकम को बढ़ाकर 24,000 रुपये करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान परिवारों को दी जाने वाली राशि बढ़ाकर 2000 रुपये प्रतिमाह करने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिये मनरेगा, ग्रामीण विकास और कृषि के बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी करने की मांग उठाई.
राजस्थान ने किसानों के लिए क्या किया?
गहलोत ने बताया कि राजस्थान सरकार प्रत्येक किसान परिवार को बिजली सब्सिडी के रूप में 1,000 रुपये प्रतिमाह का लाभ दे रही है. राजस्थान सरकार ने वर्ष 2022-23 से अलग कृषि बजट लागू किया मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें है. किसानों की सुविधा के लिए समग्र कृषि पोर्टल विकसित किया है. उन्होंने कहा कि कृषि संबंधित सभी योजनाओं पर केन्द्र सरकार को अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 75 प्रतिशत करनी चाहिये. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा बाजार हस्तक्षेप योजना में संशोधन की मांग करते हुए हानि सीमा 25 प्रतिशत से अधिक होने पर उसका भार राज्य सरकार पर डालने के प्रावधान को समाप्त करने की मांग की है.
मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें
नीति आयोग ने शासन के सभी स्तरों पर अत्याधुनिक क्षमता प्रसार के साथ अवसंरचना परियोजनाओं की परिवर्तनकारी , सतत प्रदायगी को हासिल करने के उद्देश्य से ‘‘अवसंरचना परियोजनाओं हेतु राज्यों के लिए विकास सहायता सेवाओं (डीएसएसएस)’’ के लिए एक संरचित पहल लागू की है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य पीपीपी की सफलता की गाथाएं सृजित करना और अवसंरचना परियोजना प्रदायगी मॉडलों को फिर शुरू करना है ताकि एक संधारणीय अवसंरचना सृजन चक्र स्थापित हो सके।
डीएसएसएस अवसंरचना पहल में राज्य सरकारों / संघ राज्य-क्षेत्रों को संकल्पना योजना से लेकर वित्तीय समापन तक परियोजना स्तर का समर्थन प्रदान करना शामिल है। नीति आयोग ने इस पहल को औपचारिक रूप देने और परियोजना की लघु सूची चिहि्नत करने और चयनित अवसंरचना परियोजनाओं का ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन करने के लिए संव्यवहार प्रबंधन प्रदान करने हेतु राज्यों के साथ जुड़ने के लिए मैसर्स अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी (ईवाईएलएलपी) को अपने परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया है।
इस पहल का चरण I वित्त वर्ष 2018 में पूरा किया गया था , जिसमें प्रस्तुतिकरणों की अनुक्रियाशीलता , तत्परता , भूमि की उपलब्धता , प्रभाव , प्रतिकृतिशीलता , जोखिम , व्यवहार्यता मूल्यांकन और राज्य की प्रतिबद्धता जैसे मानदंडों पर आधारित एक बहु-चरण परियोजना चयन ढांचे के मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें आधार पर राज्यों से प्राप्त 400 से अधिक परियोजनाओं में से 10 परियोजनाओं वाले एक प्रमाण्य परियोजना शेल्फ का चयन किया गया था। लघु सूची में शामिल आठ राज्यों की 10 परियोजनाओं को राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापन आधारित साझेदारी के माध्यम से पीपीपी पद्धति के तहत विकास के लिए चुना गया:
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान , इस पहल का चरण II पूरा हो गया था और चयनित परियोजनाएं कार्य-सम्पादन चरण पर आगे बढ़ गई हैं। द्वितीय चरण के भाग के रूप में , परियोजना की तैयारी संबंधी कार्यकलाप किए गए और कार्यान्वयन की योजना बनाई गई थी।
10 चयनित परियोजनाओं के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्टें और कार्यान्वयन योजनाएं तैयार की गई थीं। परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्टों में परियोजना की उच्च-स्तरीय अवधारणा योजना , कार्यान्वयन कार्ययोजना और पीपीपी संरचना विकल्प शामिल थे।
संबंधित राज्य सरकार के प्राधिकारियों से चर्चा और प्रस्तुतियों के आधार पर इन व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्टों पर विचार-विमर्श किया गया और उन्हें अंतिम रूप दिया गया। संबंधित राज्य सरकारों द्वारा 10 परियोजनाओं में से छह के लिए व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्टों पर सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी।
इन परियोजनाओं में निवेशकों का विश्वास जागृत करने के लिए , दस में से निम्नलिखित तीन परियोजनाओं के लिए निवेशक परामर्श-बैठकें आयोजित की गईं: भुवनेश्वर में बीटीसीडी क्षेत्र के लिए स्मार्ट मल्टी-यूटिलिटी , तमिलनाडु के चिहि्नत जिलों में फसल-कटाई के बाद एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन अवसंरचना और हरियाणा में चयनित कमान कवरेज क्षेत्र (सीसीए) कलस्टरों में एकीकृत समुदाय आधारित सूक्ष्म सिंचाई अवसंरचना।
डीएसएसएस अवसंरचना के तहत ईवाई एलएलपी (परामर्शदाता) को अतिरिक्त सात द्वीप परियोजनाओं के लिए चरण III के मुख्य लक्ष्यों हेतु अधिदेश दिया गया था। अतिरिक्त द्वीप परियोजनाओं के लिए , वर्ष के दौरान निवेशक परामर्श बैठक आयोजित की गई और मसौदा बोली दस्तावेज तैयार किए गए। परियोजनाओं के लिए वर्तमान में बोली प्रक्रिया शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों से अनुमोदन की प्रतीक्षा है।
परियोजना के चरण III के एक भाग के रूप में , नीति आयोग ने ईवाई एलएलपी के साथ मिलकर दो परियोजनाओं नामतः पीपीपी पद्धति के तहत रुड़की क्लस्टर का एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हरियाणा में चयनित कमान कवरेज क्षेत्र (सीसीए) समूहों में एकीकृत समुदाय आधारित मासिक बाजार अनुसंधान के लिए एक योजना लागू करें सूक्ष्म सिंचाई अवसंरचना के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए तकनीकी परामर्शदाताओं की नियुक्ति हेतु बोलियों को तैयार करने और जारी करने में सहायता प्रदान की।