प्रकार के व्यापारियों

नए कानून को समझने में सभी को दिक्कत
पत्र में जैन ने बताया कि नए कानून को समझने में सभी को दिक्कत हो रही है। लेकिन हेल्पलाइन पर भी समाधानकारक उत्तर नहीं मिल रहा है। सरकार ने जल्दबाजी में जीएसटी तो लागू कर दिया, लेकिन आंतरिक व्यवस्थाओं को अभी तक भी व्यवस्थित नहीं किया है। जीएसटी एक्ट के तहत जिस व्यक्ति को नया जीएसटीएन लेना है, उन्हें 3 दिन में जारी हो जाना चाहिए। लेकिन यह अवधि बीतने के बाद भी उन्हें नंबर जारी नहीं हो रहे हैं।
व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बना जीएसटी
Published: July 23, 2017 07:59:51 pm
सेंधवा.
जुलाई से देश में जीएसटी लागू हुआ। इसके बाद कई प्रकार की व्यवहारिक कठिनाईयां एवं तकनीकी कमियां सामने आई। इससे व्यापारियों को परेशानी हो रही है। हालात यह है कि प्रोवीजनल आईडी जारी होने में 15 से 20 दिन का समय लग रहा है। जिससे जिससे सप्लायर क्रेता को माल नहीं दे रहे हैं। व्यापार बाधित हो रहा है। इसको लेकर वरिष्ठ कर सलाहकार बीएल जैन ने प्रधानमंत्री, जीएसटी काउंसिल एवं वाणिज्यिक कर आयुक्त इंदौर को पत्र प्रेषित किया है। कमियों को जल्द से जल्द समाप्त कराने पर जोर दिया गया।
जैन ने बताया जिन करदाताओं के जीएसटीएन में पैन नंबर या अन्य मामलों को लेकर जो गलती हुई है उसे ठीक कराने के लिए संबंधित वृत्त कार्यालयों में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के बाद ये आवेदन आयुक्त कार्यालय को प्रेषित किए जाते हंै। वहां से 8 से 10 दिनों के बाद इन्हे जीएसटी पोर्टल पर एक साथ भेजा जाता है। वहां भी 8 से 10 दिन का समय लग रहा है। जबकि जीएसटी प्रावधानों के तहत ऑनलाइन प्रक्रिया में कोई भी सुधार 2 से 3 दिनों मे हो जाना चाहिए। लेकिन 15 से 20 दिनों में भी प्रोवीजनल आईडी जारी नहीं हो रही है। कई करदाता वृत्त कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई समाधानकारक प्रत्युत्तर नहीं मिल रहा है। इससे स्थानीय व प्रदेश भर के हजारों व्यापारी परेशान हैं। क्योंकि बगैर जीएसटीएन के सप्लायर क्रेता को माल ही नहीं प्रकार के व्यापारियों दे रहे हैं ना ही ट्रांसपोर्टर माल लोड कर रहे हैं। इससे कई प्रकार के व्यापारियों लोगों का व्यापार बाधित हो रहा है। विधि अनुसार सप्लायर माल देने से मना नहीं कर सकता है, लेकिन वर्तमान हालात में कोई भी व्यापारी उलझनों में नहीं पडऩा चाहता है। जैन ने मांग की है कि आयुक्त कार्यालय से प्रोवीजनल आईडी के आवेदन प्रतिदिन जीएसटी पोर्टल को भेजे जाना चाहिए और जीएसटी पोर्टल से भी तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रकार के व्यापारियों
शिल्पियों एवं व्यापारियों का संगठन
याज्ञवल्क्य के अनुसार विभिन्न वृत्तियाँ बनाकर एक ही नगर अथवा ग्राम में निवास करने वाले विभिन्न जाति के लोगों का वर्ग ''पूग'' था। इस प्रकार ""श्रेणि'' अथवा ""पूग'' संस्थायें जाति- पाति और ऊँच- नीच के बंधन से मुक्त होकर एक ही ग्राम अथवा नगर में निवास करती थी तथा अपने हितों की सुरक्षा स्वयं करती प्रकार के व्यापारियों थी। रमेशचंद्र मजूमदार के अनुसार श्रेणि समाज के भिन्न जाति के परंतु समान व्यापार और उद्योग अपनाने वाले लोगों का संगठन है।
उद्योग और वाणिज्य से संबंधित लोगों का एक अन्य संगठन निगम था। श्रेणि और निगम में क्या अंतर था, इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं प्राप्त होता। परमेश्वरी लाल गुप्त का अनुमान है कि, ""निगम किसी एक व्यवसाय के लोगों का संघटन न होकर अनेक व्यवसायों के प्रकार के व्यापारियों समूह का संघटन था।'' इसमें मुख्य रुप से तीन वर्गों के लोग सम्मिलित थे। उद्योग का काम करने वालों का पहला वर्ग निगम था, जो ""कुलिक'' कहे जाते थे। दूसरा निगम देश- विदेश से माल लाने वाले ""सार्थवाह'' लोगों का था और तीसरा निगम ""श्रेष्ठि'' लोगों का था, जो संभवतः एक स्थान पर अपनी दुकान खोलकर स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। श्रेष्ठि, सार्थवाह और कुलिक तीनों ने सम्मिलित रुप से ""श्रेष्ठि- साथवाह- कुलिक निगम'' की स्थापना की थी। जिस प्रकार शिल्पी श्रेणी में संगठित होकर अपने संबंधित विषयों पर कानून बनाते थे और शिल्प को नियंत्रित करते थे, उसी प्रकार निगम में संगठित व्यापारी अपने व्यापार के संबंध में व्यवस्था करते थे।
व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने पैकटबंद खाद्य पदार्थों पर GST लगाने को बोझ बताया, फैसले पर विचार करने को कहा
दिल्ली: पैक किए गए और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने से खाद्यान्न व्यापारियों को नुकसान होगा, अनुपालन का बोझ बढ़ेगा और रोजमर्रा के इस्तेमाल का जरूरी सामान महंगा होगा। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह बात की। कैट ने यह भी कहा कि संगठन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिलकर इस फैसले पर फिर से विचार करने को कहेगा। जीएसटी परिषद ने पिछले दिनों अपनी बैठक में डिब्बा या पैकेट बंद प्रकार के व्यापारियों और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया था। कर दर में बदलाव 18 जुलाई से प्रभाव में आएंगे।
व्यापारियों के संगठन CAIT ने कपड़ा और फुटवियर पर 12 पर्सेंट GST का किया विरोध, राष्ट्रीय आंदोलन की दी चेतावनी
CAIT ने कहा की तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताये गए जीएसटी ढांचे के विपरीत बना दिया गया है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Nov 26, 2021 | 5:57 PM
उल्टे कर ढांचे ( इनवर्टेड ड्यूटी) को हटाने / ठीक करने के लिए जीएसटी काउंसिल के निर्णय को लागू करते हुए केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना संख्या 14/2021 दिनांक 18.11.201 को लागू कर समस्त प्रकार के कपडे एवं फुटवियर पर जीएससटी की दर 5% से बढ़ाकर 12% कर दी है जो बेहद अनुचित एवं तर्कहीन है और सरकार द्वारा परिकल्पित उल्टे शुल्क को हटाने के मूल उद्देश्य को पूरा नहीं करता है. कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने यह कहते हुए अफसोस जाहिर किया की जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक्तिसंगत बनाने के बजाय, जीएसटी परिषद ने इसे बेहद जटिल जीएसटी कानून में तब्दील कर दिया है. CAIT ने कहा की तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताये गए जीएसटी ढांचे के विपरीत बना दिया है.
इस फैसले को बताया देशहित के खिलाफ
CAIT के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल एवं राष्ट्रीय मंत्री सुमित अग्रवाल ने कहा की रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं है. रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपडा जो सुलभ था उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है. आखिर देश के आम आदमी के साथ यह किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है. इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी पूर्ण रूप से दोषी है क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं. उन्होंने मांग की है की कपडा एवं फुटवियर पर जीएसटी के बढ़ी दर को तुरंत वापिस लिए जाये. उन्होंने कहा की कोविड के कारण व्यापार पहले ही तबाह हो चुका है और अब जब इस वर्ष से व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, ऐसे में जीएसटी की दर में वृद्धि कर व्यापार के ताबूत में कील ठोकने का काम किया गया है.
फिटमेंट कमेटी ने वर्तमान दर को इस तरह बढ़ाने का प्रकार के व्यापारियों दिया सुझाव
CAIT के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी एवं राष्ट्रीय मंत्री संजय पटवारी ने कहा की फिटमेंट कमेटी ने जीएसटी में वर्तमान कर दर 5 % को 7 %, 12 % को 14 % एवं 18 % को 20 % करने की सिफारिश की है. कर दर में प्रस्तावित यह वृद्धि बेहद तर्कहीन एवं औचित्यहीन है और साफ तौर पर फिटमेंट कमेटी की मनमानी है. कपडा एवं फुटवियर पर वृद्धि के मामले में देश के किसी भी व्यापारी संगठन से कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया. जिस तरह से लगातार जीएसटी के स्वरुप को विकृत किया जा रहा है और “एक देश -एक कर” का मजाक उड़ाया जा रहा है वह बेहद निंदनीय है. उन्होंने कहा की इस वृद्धि के खिलाफ देश भर के व्यापारी लामबंद हो गए हैं और एक वृहद आंदोलन की प्रकार के व्यापारियों तैयारी के लिए आगामी 28 नवम्बर को CAIT ने देश के सभी राज्यों के कपड़े एवं फुटवियर व्यापारियों एवं सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक वीडियो के जरिये मीटिंग बुलाई है जिसमें आंदोलन की रणनीति को तय किया जाएगा.