कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें

शेयर बाज़ार में किस महीने में करें निवेश कि ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़ा हो?
परंपरागत रूप से माना जाता है कि गर्मी के महीनों में मई से लेकर अक्तूबर तक शेयर बाज़ार मंदा रहता है और सर्दियों में नवंबर से लेकर अप्रैल तक बाज़ार में तेज़ी रहती है.
कहावत के मुताबिक बसंत में गर्मी शुरू होने से ठीक पहले शेयर बेच देने चाहिए और पतझड़ में, शेयरों की कीमत बढ़ने से पहले उनको फिर से ख़रीद लेना चाहिए.
इसे "हैलोवीन संकेतक" भी कहते हैं. इस कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें कहावत के पीछे बहुत हद तक सच्चाई भी है.
2002 के एक रिसर्च पेपर का निष्कर्ष था कि दुनिया भर के 37 में से 36 विकसित और उभरते हुए बाज़ारों में यह पैटर्न सही पाया गया.
यूरोप में यह पैटर्न विशेष तौर पर मज़बूत था. रिसर्च पेपर में बताया गया कि ब्रिटेन में यह पैटर्न 1694 से ही जारी है.
शेयर बाज़ार पर यह असर निवेशकों के बीच आशावाद के मौसमी उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है.
किसी खास महीने में निवेश की सलाह देने वाली कुछ और कहावतें भी हैं. मिसाल के लिए, "जनवरी इफेक्ट" के मुताबिक साल के पहले महीने में शेयरों की कीमतें बढ़ती हैं.
"सैंटा क्लॉज़ रैली" के मुताबिक क्रिसमस की छुट्टियों के सीज़न में भी निवेशक आशावादी हो जाते हैं और शेयर बाज़ार चढ़ जाता है.
तो क्या शेयर ख़रीदने के लिए साल का कोई एक महीना दूसरे सभी महीनों से बेहतर है?
इमेज स्रोत, Reuters
मूड बदलने का चक्र
असल में लोग मई में शेयर नहीं बेचते. अमरीका और कनाडा के शोधकर्ताओं ने पाया कि बसंत में निवेशक तेजड़िए बन जाते हैं और पतझड़ में वे एहतियात बरतने लगते हैं.
इस अध्ययन में म्युचुअल फ़ंड की अलग-अलग कैटेगरी में पैसे के प्रवाह को देखा गया. पता चला कि गर्मी के महीनों में लोग जोखिम वाले शेयर भी ख़रीद लेते हैं, लेकिन साल के आखिरी महीनों में वे ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार नहीं होते.
सर्दियों में जोखिम वाले स्टॉक को बेचकर सुरक्षित स्टॉक ख़रीदने की संभावना ज़्यादा रहती है.
बसंत के मौसम में तेज़ी का यह माहौल फाइनेंशियल मीडिया में भी दिखता है.
2014 में छपे एक पेपर में जापान के दो शोधकर्ताओं ने 1986 से 2010 के बीच छपे अख़बारों के लेखों के मूड का विश्लेषण करने के लिए टेक्स्ट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया.
उन्होंने पाया कि साल के पहले छह महीने में अख़बार ज़्यादा आशावादी रहते हैं, जबकि आखिरी छह महीनों में वे निराशावादी हो जाते हैं.
मौसम के अनुसार मूड बदलने के इस चक्र की उत्पत्ति खुद मौसम में हो सकती है.
कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक तापमान बढ़ने-घटने, दिन की लंबाई और रोशनी के स्तर से निवेशकों का व्यवहार बदलता है और उसी के मुताबिक बाज़ार भी बदलता है.
लिजा क्रेमर टोरंटो यूनिवर्सिटी में फाइनेंस की प्रोफेसर हैं. उन्होंने मानवीय व्यवहार और निवेश का अध्ययन किया है.
क्रेमर ने पाया कि लोगों के निवेश की आदतों पर मौसम का प्रभाव पड़ता है. वह सीज़नल अफेक्टिव डिस-ऑर्डर (SAD) की तरफ इशारा करती हैं कि कैसे सर्दियों के लंबे, ठंडे और अंधेरे दिन लोगों को निवेश के प्रति निराशावादी बनाते हैं.
"लोगों को यह हमेशा पता नहीं होता कि निवेश पर उनके मूड का भी असर होता है, लेकिन इसके सबूत मिल रहे हैं."
मौसमी निवेश
दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.
2003 में अमरीका और कनाडा के इन्हीं लेखकों ने पता लगाया था कि मौसमी निवेश व्यवहार अलग-अलग तरह के निवेश को वरीयता देने से भी जुड़ा है.
विभिन्न अक्षांश पर बसे देशों और वहां मौसम के अनुरूप सूरज की रोशनी में होने वाले बदलावों को स्टॉक मार्केट इंडेक्स से तुलना करने पर शोधकर्ताओं कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें ने पाया कि शेयरों से होने वाली कमाई के मौसमी चक्र में "SAD इफेक्ट" महत्वपूर्ण भी है और पर्याप्त भी.
सितंबर में सबसे कम मुनाफ़ा हुआ था. फिर वह धीरे-धीरे बढ़ा और दिसंबर के अंत में सबसे ऊपर पहुंच गया. उसके बाद उसमें फिर गिरावट आने लगी और बसंत और गर्मियों में वह पूरी तरह गायब हो गया.
दक्षिणी गोलार्ध के देशों (ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका) में शेयर बाज़ार से होने वाली कमाई का पैटर्न उत्तरी गोलार्ध से छह महीने के अंतर पर देखा गया, जो वहां के मौसम को प्रतिबिंबित करता है.
सबसे महत्वपूर्ण यह कि जो देश ध्रुवों के ज़्यादा निकट थे और जहां सर्दियों के दिन छोटे थे, वहां "विंटर SAD इफेक्ट" ज़्यादा स्पष्ट था.
क्रेमर कहती हैं, "इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि बाज़ार में इतना उतार-चढ़ाव क्यों आता है. यह हमें भावनाओं पर आधारित फ़ैसले लेने से एक कदम पीछे करता है."
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इन 7 बातों का रखें ध्यान
Stock Market: अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
- Jaya Rai
- Publish Date - April 7, 2021 / 01:14 PM IST
सेंसेक्स में एचसीएल टेक दो प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ शीर्ष पर था, वहीं इन्फोसिस, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में भी तेजी देखी गयी
अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. अगर कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें इन बातों को जाने बिना आपने निवेश किया तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. शेयर बाजार (Stock Market) में अगर समझदारी से निवेश किया जाए तो आपको बेहतरीन रिटर्न मिलता है. वहीं कई बार जाने-अनजाने में निवेशकों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. ऐसे में शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने से पहले उसके बारे में अच्छे से जान लेना बेहद जरूरी है. यहां हम आपको 7 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान रखने से आपको शेयर बाजार में अच्छा रिटर्न मिलेगा.
पहले मूल बात को समझें:
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने से पहले आपको इसके बारे में अच्छे से जानकारी होना जरूरी है. वहीं इससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि आप जिस कंपनी के शेयर खरीदने जा कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें रहे हैं उसके बारे में भी अच्छी जानकारी हो. इसी के साथ आपको इस बात का भी अंदाजा होना चाहिए कि शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है.
स्टॉप लॉस का करें इस्तेमाल:
यह शेयर बाजार में आपके नुकसान को कम करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है. ये बाजार में आपके मुनाफे को बनाए रखता है. आप अपने स्टॉक के लिए स्टॉप लॉस को ठीक कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से विशेष स्टॉप लॉस के स्तर पर कीमत हिट होने पर आपका स्टॉक अपने आप बिक जाएगा. वहीं अगर शेयर की कीमत गिरती है तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.
अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं:
केवल एक कंपनी या एक सेक्टर में निवेश करना कभी भी अच्छा विचार नहीं है. इसे ऐसे समझें कि अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो आपको नुकसान होगा. ऐसे में छोटे, मध्य और बड़े-कैप शेयरों में निवेश करना हमेशा अच्छा होता है. इससे शेयर बाजार में आपके मुनाफा कमाने की संभावना ज्यादा होती है.
एक स्थापित व्यवसाय में करें निवेश:
निवेश करने से पहले समझदारी बेहद जरूरी है. हमेशा व्यापार में निवेश न करें बल्कि उन व्यवसायों में निवेश करें जो टर्नअराउंड कंपनियों के लिए जाने के बजाय अच्छी तरह से स्थापित हैं. निवेश करने से पहले कंपनी की बुनियादी बातों के साथ भविष्य के विकास और क्षमता को समझें. वहीं किसी शेयर के मूल्यांकन पर ध्यान दें.
लांग टर्म पर दें ध्यान:
कई बार लोग जब शेयर बाजार में प्रवेश करते हैं तो तुरंत मुनाफा कमाने की सोचने लगते हैं. लेकिन शेयर बाजार में जल्दबाजी ठीक नहीं है. शॉर्ट टर्म के लिए शेयर बाजार में सोचने की जगह इसमें लांग टर्म के लिए निवेश करने के बारे में सोचे. हमेशा लांग टर्म में मिलने वाले रिटर्न को ध्यान में रखकर शेयर खरीदने के बारे में सोचे. इसकी वजह है कि शेयर बाजार में लांग टर्म के लिए निवेश लंबे समय में अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन करते हैं.
अफवाहों से बचे:
शेयर बाजार में हमेशा अपनी योजना से चलना अच्छा होता है. शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं तो कभी भी स्टॉक और उनके प्रदर्शन के बारे में अफवाहों पर ध्यान न दें और इसके आधार पर निर्णय न लें. अफवाहों से दूर रहना हमेशा अच्छा होता है. हमेशा ही ऐसे एक विशेष स्टॉक को खरीदें या बेचे जिसे आप प्रभावित हुए बिना समझते हैं.
ब्रोकर को चुनने में बरतें सावधानी:
जब शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश करते हैं, तो आपको ब्रोकर चुनने में बहुत सावधानी बरतनी होती है. हमेशा उनके साथ अपना ट्रेडिंग खाता खोलने से पहले ब्रोकर की पृष्ठभूमि या प्रतिष्ठा की जांच करें. ब्रोकर चुनने में सावधानी बरतने से आपको बाद में किसी तरह की समस्या नहीं होगी.
अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?
एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकते हैं.
जबरदस्त रिटर्न के लिए अच्छी और मुनाफा बनाने वाली कंपनी की तलाश हर निवेशक को होती है. हो सकता है ऐसे में आपका मन टेस्ला, अमेजन या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनी पर आया हो जो भारतीय बाजार नहीं बल्कि US के बाजार में निवेश के लिए मौजूद है. आइए ऐसे में समझते हैं एक भारतीय निवेशक के लिए अमेरिकी बाजार में निवेश से जुड़े विभिन्न पहलुओं को-
अमेरिका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स अप्रैल में पहली बार 4,000 का स्तर पार कर गया.
कितना बड़ा है US स्टॉक मार्केट?
अमेरिकी शेयर बाजार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है. US के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक में अमेजन, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इत्यादि विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं. अमेरिकी बाजार से जुड़े विभिन्न इंडेक्स जैसे S&P 500 इंडेक्स, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्सों का इस्तेमाल निवेशकों की दृष्टि से US और विश्व की अर्थव्यस्था को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी इनकी दिशा का बड़ा असर होता है. दूसरे देशों की कंपनियां भी विभिन्न वजहों से अपनी लिस्टिंग US बाजार में करवाती है.
निवेश के क्या हो सकते हैं फायदे?
निवेशक हमेशा रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर और अलग अलग तरह के स्टॉक्स रखना चाहते हैं. इस दृष्टि से किसी भी बाहरी बाजार में निवेश कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें नए विकल्पों को खोल देता है. US बाजार में कई दूसरे देशों की कंपनियों भी खुद को लिस्ट करवाती है.
बीते वर्षों में अमेरिकी बाजार में भारतीय बाजार की तुलना में कम वोलैटिलिटी देखी गई है. काफी बार रिटर्न के मामले में भी US के बाजार का प्रदर्शन भारतीय बाजार से बेहतर रहा है. रुपये के डॉलर की तुलना में कमजोर होने का भी निवेशकों को फायदा मिल सकता है.
स्टार्टअप हब होने के कारण US में अच्छी क्षमता वाली कंपनियों में शुरुआत में निवेश का मौका होता है. इसी तरह भारत या अन्य बाजारों में कई बड़ी कंपनियों की सब्सिडियरी लिस्ट होती है जबकि US बाजार में सीधे निवेश से ज्यादातर ऐसी कंपनियों में आसानी से निवेश कर सकते हैं.
कैसे कर सकते हैं निवेश शुरु?
US बाजार में निवेश के दो रास्ते हैं.
पहला तरीका सीधे निवेश का है. इसमें निवेशक भारतीय बाजार की तरह ही ब्रोकर के साथ रजिस्ट्रेशन कर स्टॉक्स में खरीद बिक्री कर सकता है. आजकल भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं. निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ भी बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.
दूसरा तरीका म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश का हो सकता है. भारत में अनेकों म्यूचुअल फंड US बाजार आधारित फंड चलाते हैं. ऐसे फंड या तो सीधा अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं या ऐसे बाजारों से जुड़े दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इस प्रक्रिया में किसी अलग तरह के रजिस्ट्रेशन और बाजार के गहरी समझ की जरूरत नहीं है.
पैसों के लेनदेन की क्या है प्रक्रिया?
अमेरिकी बाजार में निवेश के लिए भारतीय करेंसी को US डॉलर में बदलना होता है. फॉरेन एक्सचेंज संबंधी गतिविधि होने के कारण यहां RBI के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के नियमों का पालन जरूरी है. नियमों के तहत एक व्यक्ति बिना विशेष अनुमति के एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रूपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकता है.
किसी भी बाजार में निवेश से बनाए पैसे पर भारत सरकार टैक्स लगाती है. नियमों के अनुसार अवधि के मुताबिक शार्ट या लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाया जा सकता है. हालांकि डिविडेंड पर टैक्स कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें US गवर्नमेंट लगाती है.
निवेश से पहले किन बातों को समझना जरूरी?
US या अन्य विदेशी बाजारों में निवेश से पहले इन्वेस्टमेंट से जुड़े विभिन्न तरह की फीस और चार्ज को समझना काफी जरूरी है. रुपये को डॉलर में कन्वर्ट करने की प्रक्रिया से लेकर म्यूचुअल फंड द्वारा चार्ज की जाने वाली एक्स्ट्रा फीस कमाई पर असर डाल सकती है. ब्रोकरेज कंपनियां भी स्पेशल दरों पर ब्रोकरेज चार्ज करती है. ऐसे में बेहतर है कि शार्ट टर्म के लिए और ज्यादा समझ के बिना निवेश ना करें. लंबे समय के निवेश ज्यादा रिटर्न दिला सकता है. ज्यादा रिस्क से बचने के लिए इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर हो सकता है.
बाइडेन ने कर दी नोटों की बौछार, क्या करेंगे हमारे शेयर बाजार?
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Benefits of investment in shares : शेयरों में कैसे करें निवेश ताकि मिले बेहतर रिटर्न, जानिए रणनीति
आप ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो शेयर बाजार में निवेश करें। हालांकि इसमें जोखिम होता है। लेकिन यहां जानें इसमें कैसे निवेश करें ताकि आपको बेहतर रिटर्न मिले।
- भारतीय शेयर मार्केट सबसे ऊंचे स्तर पर है।
- शेयर बाजार कभी-कभी तेजी से नीचे भी गिरती है।
- इस जोखिम भरे बाजार में कब निवेश करना चाहिए, इसके बारे में नीचे विस्तार से जान सकते हैं।
अधिक जोखिम उठाने वाले कई निवेशकों को सीधे इक्विटीज में निवेश करना अच्छा लगता है। मौजूदा समय में भारतीय स्टॉक मार्केट अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है, लेकिन निवेशकों को इस बात का अंदाजा नहीं है कि क्या उन्हें निवेश को जारी रखना चाहिए अथवा उन्हें शेयरों में अपने मौजूदा निवेश से निकल जाना चाहिए। उन्हें डर है कि यदि इस स्तर से अगर मार्केट नीचे गिरती है, तो उन्हें शायद नुकसान हो सकता है। और साथ ही, यदि आने वाले दिनों में मार्केट इसी तरह से नई ऊंचाईयां छूती रहती है, तो वे संभावित लाभ को भी नहीं गंवाना चाहेंगे। इसलिए, अब उन्हें क्या करना चाहिए? जब शेयर मार्केट अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर हो तो उनकी निवेश रणनीति क्या होनी चाहिए? मैंने इस संबंध में कुछ उपयोगी बातों पर चर्चा की है।
डिविडेंट का भुगतान करने वाले स्टॉक्स में निवेश करने पर विचार करें
आपको स्टॉक्स में किए गए अपने निवेश पर दो तरह से रिटर्न मिल सकता है: पहला पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) के ज़रिए, या डिविडेंट आय जिसके माध्यम से कंपनियां अपने लाभ को शेयरधारकों के साथ साझा करती हैं। यदि आप जिस कंपनी में निवेश करते हैं, वह कैश-रिच कंपनी है, वह नियमित रूप से आय अर्जित करती है, और जिसका कर्जा कम है, तो इस बात की संभावना है कि वह डिविडेंट का भुगतान जारी रखेगी। आमतौर पर, ऐसी कंपनियां जो नियमित रूप से उच्च डिविडेंट का भुगतान करती हैं, वे बाजार के उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होती हैं। इसलिए, हालांकि स्टॉक-मार्केट इस समय अपने सबसे ऊंचे स्तर पर ट्रेड कर रही है, आप ऐसे स्टॉक्स को लेने पर विचार कर सकते हैं जो फंडामेंटली स्ट्रॉंग रहे हैं, उनका डिविडेंट का भुगतान करने का इतिहास बहुत अच्छा रहा है, जिनकी भविष्य में भी लगातार डिविडेंट का भुगतान करने की संभावना है। लेकिन, डिविडेंट का भुगतान करने वाली कंपनियों में निवेश पर विचार करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप टैक्स से जुड़ी बातों को भी समझ लें। निवेशक को डिविडेंट आय पर टैक्स देना होता है। इसलिए, यदि आपको डिविडेंट आय मिलती है, तो आपको अपने लागू कर स्लैब रेट के अनुसार उस आमदनी पर टैक्स देना होता है।
स्पेकुलेशन (कयास) से बचें
आप अधिक पैसा कमा सकें, ऐसा करने हेतु कम समय के लिए स्टॉक में निवेश करना और फिर बाहर निकल जाना, आमतौर पर स्पेकुलेशन कहलाता है। निवेश और स्पेकुलेशन में मुख्य अंतर यह है कि निवेश में संभावित रिटर्न को कमाने के लिए पूर्व विश्लेषण और जोखिम प्रबंधन पर फोकस किया जाता है, जबकि स्पेकुलेशन में रिसर्च पर भरोसा नहीं किया जाता है- इसकी बजाए इसमें आय कमाने के लिए ‘संभावना’ पर भरोसा किया जाता है। जब मार्केट अपने चरम पर हो, तो आपको संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए सभी रणनीतियों के साथ तैयार रहना पड़ता है। गहन रिसर्च करने के बाद निवेश करने से आपको गैर-ज़रूरी जोखिमों से बचने में सहायता मिल सकती है और हानि की संभावना भी कम हो सकती है।
शॉर्ट-टर्म निवेश पर कड़े स्टॉप-लॉस को फॉलो करें
जैसाकि नाम से ही पता लगता है, ‘स्टॉप लॉस’ निवेशक द्वारा पहले से ही तय की गई सीमा है, जिस सीमा तक पहुंचते ही निवेश पोज़िशन से बाहर निकल जाते हैं ताकि और अधिक हानि को रोका जा सके। उदाहरण के लिए, यदि आपने 1000/- रूपये प्रति शेयर के हिसाब से “XYZ” के 100 शेयरों में निवेश किया है। कुछ दिनों के बाद “XYZ” के शेयरों की कीमत में गिरावट होनी शुरू हो जाती है। जब यह 900/- रूपये पर पहुंच जाती है, तो आप 850/- रूपये स्टॉप-लॉस तय कर देते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी निवेश पोज़िशन से निकलने के लिए इसकी कीमत के 850/- रूपये तक गिरने का इंतजार करेंगे। अगले दिन, स्टॉक का भाव 840/- रुपये के निचले स्तर पर खुलता है, जिसके कारण स्टॉप-लॉस ट्रिगर हो जाता है तथा आप “XYZ” के शेयरों को 840/- के भाव से बेच देते हैं और आप 16,000/- रूपये (1 लाख कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें रूपये – 84,000/- रूपये) की हानि वहन करते हैं। लेकिन बाद में “XYZ” के शेयरों की कीमत गिर कर 600/- रूपये हो जाती है। क्योंकि आपके पास अब “XYZ” के शेयर नहीं हैं, तो आप स्टॉप-लॉस के कारण अधिक हानि से बच गए।
इसलिए, जब आप शेयरों में निवेश करते हैं, तो आपको स्टॉप-लॉस का कड़ाई से पालन करना चाहिए। इससे आपको अपने नुकसान को कम से कम रखने में मदद मिलेगी। जब आपके स्टॉक की कीमत बढ़ती है, तो आपको स्टॉप-लॉस को ऊपर की कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें ओर या स्टॉक की कीमत के पूर्वनिर्धारित प्रतिशत के अनुसार एक ही समय पर शिफ्ट करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप लाभ को लॉक कर सकते हैं। स्टॉक की कीमत के अनुसार ही धीरे धीरे स्टॉप-लॉस को शिफ्ट करने की प्रक्रिया को ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस कहा जाता है।
अपने निवेश को अलग-अलग फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग शेयरों में लगाएं
फंडामेंटली स्ट्रॉंग शेयरों को चुनने से स्टॉक मार्केट में गिरावट होने के बाद तेजी से रिकवरी के लाभ के साथ अनेक दूसरे भी लाभ होते हैं। इसलिए, अपने पोर्टफोलियों के लिए स्टॉक को चुनते समय, सॉलिड ट्रैक रिकॉर्ड, खातों में निम्न या शून्य कर्ज, बेहतर कैश-फ्लो स्तर, रेवेन्यू में उच्च वृद्धि, आकर्षक प्रोफिटेबिलिटी और एक आशाजनक विकास योजना वाले शेयरों सहित फंडामेंटली स्ट्रॉंग शेयरों पर फोकस करना चाहिए। आपका लक्ष्य, अलग-अलग सेक्टर में अपने निवेश को डायवर्सिफाई करने के साथ-साथ, दूसरी कंपनियों के शेयरों में भी निवेश करने का होना चाहिए ताकि आप जोखिम को कम से कम कर सकें। यदि कोई खास सेक्टर या स्टॉक अंडर-परफार्म करता है, तो किसी एक सेक्टर में ज़रूरत से ज्यादा निवेश करने और कुछ कंपनियों में ही निवेश करने से आपका जोखिम बढ़ सकता है।
जरुरत से ज्यादा निवेश करने से बचें और यदि आप बिगनर हैं, तो एसआईपी (SIP) मोड का इस्तेमाल करें
स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम को उठाने की क्षमता का अंदाजा ज़रूर लगा लेना चाहिए। आपको हमेशा उतना ही निवेश करना चाहिए जितनी आप हानि उठाने की क्षमता रखते हैं। स्टॉक मार्केट में बहुत ही उतार-चढ़ाव होते रहते हैं और आपको केवल तभी निवेश करना चाहिए जब हर रोज़ होने वाले उतार-चढ़ाव से आपके फाइनेंस प्रभावित नहीं होते हैं। यदि आप में स्टॉक मार्केट विश्लेषण करने की योग्यता है, तो स्टॉक मार्केट में डायरेक्ट निवेश से लंबे समय में बहुत अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है बशर्ते कि आप जोखिमों को भी समझते हैं। ज़रूरत से ज्यादा निवेश से बचना बहुत ही मायने रखता है यानि अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और वित्तीय क्षमता से अधिक निवेश करना। यदि मार्केट में गिरावट आ जाती है, तो शेयरों में निवेश से बहुत अधिक हानि उठानी पड़ सकती है। बिगनर्स के लिए, सिस्टेमिक निवेश योजना (एसआईपी), टॉप-रेटेड म्यूचुअल फंड्स में निवेश लंबे समय में अच्छा रिटर्न पाने के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।
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(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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शेयर बाजार में निवेश से पैसा बनाने की संभावना एक ऐसा आइडिया है, जो हर नए निवेशक को उत्साहित करता है। साथ ही उन लोगों के लिए भी जो कम अवधि में फायदा कमाना चाहते हैं। हालांकि जब बाजार उतार-चढ़ाव के माहौल में हो, तब किसी भी तरह के तुरंत रिटर्न की संभावना काफी कम हो जाती है। ऐसे में आपको हम बता रहे हैं कि निवेश के समय कौन से नियम का आपको पालन करना चाहिए।
खुद निर्णय न लें
एंजल ब्रोकिंग के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट ज्योति रॉय कहते हैं कि आप खुद निर्णय लेकर अपने लाभ को बढ़ाने के लालच को छोड़ दीजिए। पोर्टफोलियो मैनेजर्स और एक्सपर्ट्स की सलाह पर ध्यान दें। सतर्कता से व सोच-समझकर निवेश करें।
डिविडेंड पर ध्यान दीजिए
जब भी किसी कंपनी के कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें शेयरों में निवेश किया जाता है, तो निवेशक कंपनी के अच्छे प्रदर्शन से लाभ पाने के योग्य होते हैं। जब मुनाफा हो रहा हो तो कंपनियां अक्सर यह तय करती हैं कि वे अपने शेयरधारकों के साथ अपने मुनाफे को बांटें। यह आम तौर पर मुनाफे के एक हिस्से को शेयर करना है, जिसे वे भविष्य के लिए बचाकर रख सकते हैं।
डिविडेंड आमतौर पर वही होता है जो कंपनी आपके द्वारा अर्जित प्रत्येक शेयर पर देने का निर्णय करती है। कंपनियों के रिकॉर्ड और उनके लाभ को जानकर आप अपने निवेश के निर्णय ले सकते हैं।
विविधता पर फोकस करें
यह सबसे स्पष्ट उपाय है, जिसे निवेशकों को आजमाना चाहिए। यह उन्हें अक्सर उतार-चढ़ाव वाले बाजार में बने रहने में सुरक्षा देता है। अधिक जोखिम लेने वाले निवेशक निवेश को कंपनी के शेयरों के हालिया प्रदर्शन ट्रेंड्स के आधार पर देखते हैं। हालांकि इन निर्णयों के समय सलाहकार की मदद काम आ सकती है।
अलग-अलग साधनों में निवेश करें
प्रसिद्ध कहावत है- ‘अपने सभी अंडों को एक टोकरी में नहीं रखना चाहिए’। निवेशकों को इसी का पालन करना चाहिए। एक संतुलित पोर्टफोलियो का निर्माण तभी हो सकता है जब आप अपने निवेश को कई सेक्टर में निवेश करें। बाजार आर्थिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। निवेशकों की भावनाओं में उतार-चढ़ाव हो रहा है। इससे अनिश्चितता बढ़ रही है। यदि पोर्टफोलियो में विविधता रहती है तो गारंटीड रिटर्न प्राप्त करने में मदद मिलती है।
कंपनियों का विश्लेषण करना
फाइनेंशियल सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए। कब स्टॉक खरीदना है और कब बेचना है, उसे समझें। औसत बाजार के रुझान को समझना आपके लिए आधा काम पूरा कर सकता है। निवेशक अक्सर सेक्टोरल ट्रेंड्स, ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक और कंपनी की घोषणाओं की तुलना करने की गलती करते हैं। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि कंपनी की आंतरिक गतिविधियों पर भी बहुत कुछ तय होता है।
कंपनी के मामलों पर नजर रखें
कंपनी के कैश-फ्लो, खर्चों, राजस्व, और उसके निर्णयों को समझना कई पहलुओं में से कुछ एक हैं, जिन पर लोगों को लंबी अवधि के निवेश करने के लिए तैयार होने पर पूरी तरह से रिसर्च करने की आवश्यकता है। कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें निवेशकों के लिए ऐसे पहलुओं पर अपने पोर्टफोलियो मैनेजर्स से सलाह लेना बेहतर होगा, क्योंकि इसमें गहन अध्ययन शामिल है।
सट्टेबाजी से प्रेरित फैसले न लें
अक्सर लोगों को सट्टेबाजी से लाभ होता है और वह इसे ही आधार बना लेते हैं। निरंतर रिटर्न हासिल करने के लिए सट्टेबाजी अच्छा विकल्प नहीं है। यह निरंतर रिटर्न में हानिकारक हो सकता है। बाजार की अटकलों और अफवाहों को फॉलो करना जोखिम हो सकता है। निवेश के प्रमुख तरीकों में से यह भी जानना चाहिए कि न्यूज रिपोर्टों पर फैसला न लें। यह आवश्यक है कि कंपनी के संकट के समय में अपने पोर्टफोलियो को मिस मैनेज न करें और भावनात्मक निर्णय लेकर अपने शेयरों को नहीं बेचें।
कैसे और कब बेचना है
कुछ निवेशकों में जोखिम लेने की ज्यादा चाहत होती है। उनमें कम अवधि के ट्रेड के लिए एक उत्साह हो सकता है। यह संपत्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण हो सकता है। विशेषज्ञों का तर्क है कि यह युवा निवेशकों के लिए अधिक उपयुक्त है। ये निर्णय अक्सर बाजार में उतार-चढ़ाव से जुड़े होते हैं, न कि किसी उद्योग या कंपनी की लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा होते हैं। यहां तक कि रिटर्न की भी गारंटी नहीं है, क्योंकि यह सट्टा खेलने जैसा है।
जो लोग लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, उन्हें बाजार के कम समय के कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें उतार-चढ़ाव या स्टॉक ऑप्शन की मूल्य स्थिरता के आधार पर अपनी खरीदारी या बिक्री का निर्णय नहीं लेने चाहिए। लार्ज-कैप निवेश पर नजर रखते हुए मिड-कैप और स्मॉल कैप निवेशों को छोटे अनुपात में रखना चाहिए। इस तरह जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए।