निवेश रणनीति

“फ्लोटिंग अपतटीय पवन क्षेत्र निस्संदेह भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सिम्पली ब्लू में हमारे पहले निवेश के ठीक एक साल बाद, उनकी फ्लोटिंग अपतटीय पवन परियोजना विकास पाइपलाइन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। लागत, प्रौद्योगिकी में सुधार और निवेश की वृद्धि, यह क्षेत्र लगातार मजबूत हो रहा है। हम इस अभिनव बाजार में सबसे आगे हैं और तेजी से बढ़ रहे हैं, एसबीजी के साथ काम कर रहे हैं ताकि इसके विकास में तेजी आए और इसकी विकास पाइपलाइन का विस्तार हो सके।
*प्री-बजट बैठक में उद्योग जगत ने सरकार से कहा- बजट में रोजगार बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत*
उद्योग जगत ने बजट पूर्व पहली बैठक में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये निवेश आधारित वृद्धि रणनीति के साथ पूंजीगत व्यय और रोजगार बढ़ाने के निवेश रणनीति उपायों पर जोर दिया है.
बिजनेस चैंबर्स ने सोमवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट प्री-बजट मीटिंग में हिस्सा लिया. उद्योगजगत ने सरकार से बजट में रोजगार बढ़ाने के उपायों पर जोर देने के लिए कहा है. साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स नेट में लाने और खपत बढ़ाने के लिये जीएसटी और व्यक्तिगत आयकर स्लैब को तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया है. बजट को लेकर सुझावों पर वित्त मंत्री सीतारमण के साथ बैठक में उद्योग जगत ने और भी कई सुझाव दिए हैं.
*सीआईआईअध्यक्ष ने क्या कहा*
सीआईआई के अध्यक्ष संजीव बजाज का कहना है कि, ‘‘वैश्विक परिदृश्य कुछ समय तक प्रतिकूल बने रहने की आशंका है. इसीलिए हमें वृद्धि के नये क्षेत्रों को तैयारकर तथा घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिये रोजगार सृजन को गति देकर अपनी घरेलूअर्थव्यवस्था को व्यापक बनाना चाहिए. उद्योग जगत ने ‘ऑनलाइन’ बैठक में वैश्विक अनिश्चितता के बीच देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये निवेश आधारित वृद्धि रणनीति के साथ पूंजीगत व्यय पर भी जोर देने का सुझाव दिया है.
*एफआईआई ने रोजगार गारंटी योजना पर विचार पर जोर दिया*
फैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (एफआईआई) के डायरेक्टर जनरल दीपक जैन ने देश में नौकरियों के नये अवसर बनाने के लिये रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना लाने का सुझाव दिया है. सरकार शहरी रोजगार गारंटी योजना लाने पर विचार कर सकती है. इस बजट में इसकी शुरुआत पायलट आधार पर महानगरों से हो सकती है. इसके साथ कंपनियों को कर के मामले में निश्चितता प्रदान करने के लिये कंपनी कर की दर मौजूदा स्तर पर बनी रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कर की दरों को युक्तिसंगत बनाने, कर भुगतान व्यवस्था सुगम बनाने तथा कर विवादों में कमी लाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
*पीएचडीसीसीआई ने लिया बैठक में भाग*
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) ने इस ऑनलाइन बैठक में बजट को लेकर अपने सुझाव पेश किये है. पीएचडीसीसीआई ने खपत बढ़ाने, कारखानों में क्षमता उपयोग में वृद्धि, रोजगार सृजन को बढ़ावा, सामाजिक बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार करने और भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के उपायों के माध्यम से निजी निवेश में गति लाने को 5 सूत्री रणनीति का सुझाव दिया है.
*साकेत डालमिया ने क्या कहा*
वही दूसरी ओर उद्योग मंडल के अध्यक्ष साकेत डालमिया का कहना है कि, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट ऐसे समय पेश किया जा रहा है, जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता है और ऊंची महंगाई दर के साथ दुनिया की वृद्धि दर सुस्त पड़ रही है. इस समय, देश को सतत रूप से वृद्धि के रास्ते पर बनाये रखने निवेश रणनीति के लिये वृद्धि के घरेलू स्रोतों को बढ़ाने को लेकर सोच-विचारकर कदम उठाने की जरूरत है.
सिंपल ब्लू ग्रुप: ऑक्टोपस फाइनेंसिंग
ऑक्टोपस एनर्जी से € 25 मिलियन के अलावा, सिंपल ब्लू ग्रुप, इंगित करता है कि अन्य निवेशकों ने अतिरिक्त € 2.5 मिलियन जुटाए। इस प्रकार, कुल निवेश राशि €27.5 मिलियन है। निवेश फ्लोटिंग अपतटीय पवन परियोजनाओं और नीली अर्थव्यवस्था परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
कॉर्क-आधारित कंपनी फ्लोटिंग अपतटीय पवन, ई-ईंधन और तरंग ऊर्जा में परियोजनाएं विकसित करती है। कंपनी एक्वाकल्चर निवेश रणनीति में परियोजनाएं भी विकसित करती है और 10GW से अधिक फ्लोटिंग अपतटीय पवन परियोजनाओं की पाइपलाइन है। सिंपल ब्लू ग्रुप के सीईओ सैम रोच-पर्क कहते हैं:
“हम ऑक्टोपस एनर्जी जनरेशन से पुनर्निवेश का स्वागत करते हैं, जो सिंपली ब्लू ग्रुप और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए कंपनी के समर्थन को प्रदर्शित करता है। वैश्विक परियोजनाओं की हमारी मजबूत पाइपलाइन के साथ, यह निवेश हमें अपनी पाइपलाइन को और विकसित करने और एक सीमा के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देगा। फ्लोटिंग अपतटीय पवन के बाहर अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं की संख्या।”
एक अभिनव बाजार
यह ऑक्टोपस का कंपनी में वित्तपोषण का दूसरा दौर है। दरअसल, ऑक्टोपस एनर्जी ने निवेश रणनीति अगस्त 2021 में €15 मिलियन के निवेश की घोषणा की थी। यह निवेश Octopus Renewables Infrastructure Trust (ORIT) की ओर से किया गया है। वह स्काई फंड (ओआरआई एससीएसपी) के लिए भी काम करता है।
ऑक्टोपस एनर्जी जनरेशन के मुख्य निवेश अधिकारी क्रिस गेडन कहते हैं:
“फ्लोटिंग अपतटीय पवन क्षेत्र निस्संदेह भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सिम्पली ब्लू में हमारे पहले निवेश के ठीक एक साल बाद, उनकी फ्लोटिंग अपतटीय पवन परियोजना विकास पाइपलाइन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। लागत, प्रौद्योगिकी में सुधार और निवेश की वृद्धि, यह क्षेत्र लगातार मजबूत हो रहा है। हम इस अभिनव बाजार में सबसे आगे हैं निवेश रणनीति और तेजी से बढ़ रहे हैं, एसबीजी के साथ काम कर रहे हैं ताकि इसके विकास में तेजी आए और इसकी विकास पाइपलाइन का विस्तार हो सके।
Octopus 3GW से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा संपत्तियों का प्रबंधन करता है। कंपनी विशेष रूप से 11 देशों को कवर करते हुए £5 बिलियन मूल्य के पवन और सौर पार्कों का प्रबंधन करती है।
फुटबौल विश्वकप से सीखें निवेश की रणनीति
फीफा वर्ल्ड कप 15 जून से शुरू हो चुका है. यह खेल निवेश के लिहाज से भी कई रणनीतियों के बारे में बताता है. फुटबौल आपको निवेश करने के कई अहम गुण सिखा सकता है.
फीफा वर्ल्ड कप 15 जून से शुरू हो चुका है. यह खेल निवेश के लिहाज से भी कई रणनीतियों के बारे में बताता है. फुटबौल आपको निवेश करने के कई अहम गुण सिखा सकता है. यह बताने की जरूरत नहीं कि यहां टीम हर मैच के लिए अलग रणनीति बनाती है और टूर्नामेंट में खिताबी कब्जा करने के लिए अपनी विशेष रणनीति पर काम करती है.
फीफा वर्ल्ड कप 2018 हमें खेल के साथ ही कई निवेश मंत्र सिखाता है. यह खबर आपको इन्हीं विशेष रणनीति के निवेश रणनीति बारे में बताएगी.
खुद को रखें अपडेट
फुटबौल टीम प्रतिस्पर्धी टीम के बारे में स्टडी कर रणनीति तैयार करने पर जोर देता है. निवेश के दौरान भी आपको निवेश पर असर डालने वाली क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों की जानकारी होनी चाहिए. इसी तरह आपको भी नियमित रूप से निवेश से पहले पूरी तरह से रिसर्च करनी चाहिए. बाजार की अस्थिरता में कभी भी हड़बड़ाना नहीं चाहिए.
एसेट क्लास का करें सही मिश्रण
जिस तरह संतुलित टीम सफलता हासिल करती है, उसी तरह आपके पास संतुलित पोर्टफोलियो होना चाहिए ताकि आप अधिकतम रिटर्न प्राप्त कर सकें. इस तरह से डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के बावजूद आपको इक्विटी में निवेश और संतुलित पोर्टफोलियो बनाना चाहिए. एक वित्तीय सलाहाकार आपको एसेट का सही मिश्रण बता सकता है, जो आपकी निवेश राशि को बढ़ावा देगा. इससे आप अपना गोल समय अनुसार प्राप्त कर लेंगे.
रणनीति की करें समीक्षा
फुटबौल में खराब या सुस्त प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को बीच खेल से बाहर कर दिया जाता है फिर चाहे वह कितना ही सम्मानित क्यों न हो. इससे यह पता चलता है कि कब और कैसे रिव्यू करना चाहिए. समय-समय पर अपनी निवेश रणनीति की समीक्षा भी करनी चाहिए. कहने का मतलब यह है कि अगर आपको कोई निवेश मनमुताबिक और रणनीति के अनुसार रिटर्न नहीं दे पा रहा है, तो उसकी समीक्षा कर नए निवेश में पैसा लगाना चाहिए.
निवेश रणनीति
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एडिटोरियल
यह एडिटोरियल 19/11/2022 को ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “The Infrastructure Imperative” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के अवसंरचना क्षेत्र को सशक्त करने से संबद्ध प्रमुख चुनौतियों और उन्हें दूर करने के लिये किये जा सकने वाले उपायों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
आधारभूत संरचना या अवसंरचना क्षेत्र (Infrastructure sector) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एक प्रमुख चालक है। यह क्षेत्र भारत के समग्र विकास को आगे ले जाने के लिये प्रमुख रूप से उत्तरदायी है और सरकार द्वारा इस पर गहन ध्यान दिया जाता है। देश भर में आधारभूत संरचना परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने के लिये केंद्र के साथ-साथ राज्य स्तर पर कई पहल की गई है।
- लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट, अत्याधुनिक आधारभूत संरचना निर्माण के मार्ग में अभी भी कई बाधाएँ हैं। सतत उच्च विकास और एक प्रतिस्पर्द्धी विनिर्माण क्षेत्र की ओर भारत की राह सुदृढ़ और विश्वसनीय राष्ट्रीय आधारभूत ढाँचे से होकर ही गुज़रेगी।
भारत में अवसंरचना का वर्तमान परिदृश्य
- ‘इंफ्रा-डेफिसिट इंडिया’: भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा (ब्राजील के बाद) अवसंरचनागत घाटा रखने वाला देश है क्योंकि इसने 1990 निवेश रणनीति के दशक की शुरुआत से ही 6% से अधिक की तीव्र गति से विकास किया है लेकिन आपूर्ति में अनुरूप वृद्धि नहीं हुई है।
- विश्व बैंक की ‘भारत की शहरी अवसंरचना आवश्यकताओं का वित्तपोषण’ (Financing India’s Urban Infrastructure Needs) शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2036 तक 600 मिलियन लोग भारत के शहरी क्षेत्रों में रह रहे होंगे, जो जनसंख्या के 40% भाग का प्रतिनिधित्व करेंगे।
- इससे भारतीय शहरों की पहले से ही तनी हुई शहरी अवसंरचना और सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की संभावना है।
- अवसंरचना क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास के लिये एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह टाउनशिप, हाउसिंग, बिल्ट-अप इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण विकास परियोजनाओं जैसे संबद्ध क्षेत्रों के विकास को संचालित करता है।
- वैश्विक निवेशकों ने आधारभूत संरचना परियोजनाओं के लिये भारत को अपने शीर्ष गंतव्य स्थलों में से एक के रूप में देखना शुरू कर दिया है। भारत अपने युवा उभार, मध्यम वर्ग के उदय और विशाल घरेलू बाज़ार के दम पर अवसंरचनात्मक परियोजनाओं पर उच्च प्रतिफल या रिटर्न दर की की पेशकश करता है।
- सरकार ने वित्त वर्ष 2020-25 की अवधि के लिये अवसंरचना विकास को समर्थन देने हेतु राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) शुरू की है, जहाँ शहरी अवसंरचना प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है।
- सरकार ने लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये आधारभूत संरचना परियोजनाओं की समन्वित योजना और निष्पादन के उद्देश्य से महत्त्वाकांक्षी गति शक्ति योजना भी शुरू की है।
- राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (National Investment and Infrastructure Fund- NIIF) एक सरकार समर्थित इकाई है, जो देश के अवसंरचना क्षेत्र को दीर्घकालिक पूंजी प्रदान करने के लिये स्थापित की गई है। इसे दिसंबर 2015 में श्रेणी-II वैकल्पिक निवेश कोष के रूप में स्थापित किया गया था।
- नवंबर 2021 में भारत, इज़राइल, अमेरिका और यूएई (I2U2) ने क्षेत्र में अवसंरचना विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने तथा द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने के लिये एक नया चतुर्भुज आर्थिक मंच स्थापित किया।
- मार्च 2021 में भारत में अवसंरचना परियोजनाओं को निधि देने के लिये राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (National Bank for Financing Infrastructure and Development- NaBFID) की स्थापना के लिये संसद में इस आशय का एक विधेयक पारित किया गया।
संबंधित चुनौतियाँ
- भारत की सबसे बड़ी चुनौती विशाल अवसंरचनागत वित्तीय अंतराल है, जिसके जीडीपी के 5% से अधिक होने का अनुमान है।
- भूमि अधिग्रहण, आक्रामक बोली लगाना और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ अवसंरचनात्मक PPPs (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) के लिये प्रमुख चुनौतियाँ हैं ।
- भारत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के उच्च स्तर का सामना कर रह है और अर्थव्यवस्था के भविष्य के विकास के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये ऋण वृद्धि को आधार के रूप में बहाल करने की आवश्यकता है।
- बैंकों में तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के साथ-साथ बैंकों की छोटी पूंजी के कारण इन परिसंपत्तियों पर अतिरिक्त और संभावित रूप से गंभीर क्षति की स्थिति बन सकती है।
- यह तथ्य कि भारत में अवसंरचना निवेश आम तौर पर USD पर अपेक्षित प्रतिफल/रिटर्न पर आधारित होता है न कि उपयोगकर्त्ता शुल्क पर, एक असंतुलन का सृजन करता है और देश में विदेशी अवसंरचना निवेश के कुल प्रवाह को प्रभावित करता है।
अवसंरचना क्षेत्र को सशक्त करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- नीति/नियामक ढाँचे में निरंतरता सुनिश्चित करना: निविदा प्रक्रिया में एक बेहतर नियामक वातावरण और निरंतरता की आवश्यकता है। विभिन्न सरकारी विभागों में निरंतरता और नीतिगत सामंजस्य की कमी को प्राथमिकता से संबोधित किया जाना चाहिये।
- तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की समस्या से निपटने के लिये सरकार और RBI के मध्य एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिये। गैर-निष्पादित संपत्तियों, PSUs के पुनरुद्धार के लिये सभी क्षेत्रों में एक समर्पित नीति का निर्माण करने की आवश्यकता है।
- उपयोगकर्त्ता शुल्क महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि देश भर के कई क्षेत्रों में आंशिक रूप से शून्य या बहुत कम उपयोगकर्त्ता शुल्क के कारण कीमती संसाधनों (जैसे भूजल) का अत्यधिक उपयोग एवं अपव्यय होता है।
- उचित उपयोगकर्त्ता मूल्यों से प्रेरित पर्यावरणीय संवहनीयता एवं संसाधन उपयोग दक्षता के अलावा इस नीति प्राथमिकता में अपार संसाधन सृजन क्षमता भी है।
- विश्वव्यापी प्रवृत्ति बहु-क्षेत्रीय नियामकों की ओर है क्योंकि आधारभूत संरचना क्षेत्रों में नियामक भूमिका आम है और निवेश रणनीति ऐसे संस्थान नियामक क्षमता का निर्माण करते हैं, संसाधनों का संरक्षण करते हैं और नियामक कब्जे को रोकते हैं।
- इन परिसंपत्तियों को एक ट्रस्ट (InvITs) या एक कॉर्पोरेट संरचना (TOT मॉडल) में स्थानांतरित किया जा सकता है, जो कैपिटल कंसिडरेशन (जो इन अंतर्निहित परिसंपत्तियों से भविष्य के नकदी प्रवाह के मूल्य पर कब्जा करता है) के बजाय संस्थागत निवेशकों से निवेश प्राप्त करता है।
- भारत के पास अवसंरचना क्षेत्रों में ब्राउनफील्ड संपत्तियों का एक बड़ा भंडार है।
- भारत अवसंरचना विकास को बढ़ावा देने के लिये घरेलू धन के कुशल उपयोग पर कनाडा, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया एवं ऐसे अन्य देशों के अभ्यासों का अनुकरण कर सकता है।
- G20 की अध्यक्षता भारत के लिये एक अवसर है कि वह स्वयं के लिये और विश्व के लिये अवसंरचना एजेंडे को निर्धारित करे।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘वर्ष 2025 तक निवेश रणनीति 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अवसंरचना विकास समय की आवश्यकता है।’’ टिप्पणी कीजिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रारंभिक परीक्षा:
Q 1. 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी अवसंरचना कोष' के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (वर्ष 2017)
- यह नीति आयोग का एक अंग है।
- वर्तमान में इसके पास `4,00,000 करोड़ का कोष है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1 और न ही 2उत्तर: (D)
Q 2. भारत में "सार्वजनिक रूप से महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है (वर्ष 2020)
(A) डिजिटल सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना
(B) खाद्य सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना
(C) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा हेतु बुनियादी अवसंरचना
(D) दूरसंचार और परिवहन बुनियादी अवसंरचनाउत्तर: (A)
मुख्य परीक्षा
Q. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिए बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा करें। (वर्ष 2021)
- विश्व बैंक की ‘भारत की शहरी अवसंरचना आवश्यकताओं का वित्तपोषण’ (Financing India’s Urban Infrastructure Needs) शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2036 तक 600 मिलियन लोग भारत के शहरी क्षेत्रों में रह रहे होंगे, जो जनसंख्या के 40% भाग का प्रतिनिधित्व करेंगे।