ट्रेडिंग संकेतों

एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें

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उधर, अगर चीन के बैंकों की बात करें, तो वे अपने ग्राहकों को पैसे देने की स्थिति में नहीं हैं। बीते दिनों चीन के हेनान प्रांत में लंबी कतारें देखने को मिली थी। ये सभी लोग अपना रकम लेने की जद्दोजहद में लगे हुए थे, लेकिन बैंक इनके पैसे वापस देने की स्थिति में नहीं दिख रहा था। जिसकी वजह से कई ग्राहकों ने बैंक के खिलाफ अपने रोष का प्रदर्शन भी किया। उधर, चीन की कई कंपनियों में ताले जड़े जा एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें चुके हैं। बेरोजगारी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। लोगों के पास नौकरियां नही हैं। वहां रहने वाले युवाओं को अपना भविष्य अब अंधकारमय नजर आ रहा है। कई जगहों पर शी जिनपिंग के खिलाफ युवाओं में रोष भी देखने को मिल रहा है। कई जगहों पर युवा वर्ग खुलेआम शी जिनपिंग सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए नजर आ रहे हैं। एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें लेकिन, चीन में बदहाल स्थिति यथावत जारी है। अब ऐसे में सरकार आगामी दिनों में वहां की बदहाल स्थिति को दुरूस्त करने की दिशा में क्या कुछ कदम उठाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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भारत का अर्थतंत्र

आदित्य नारायण चोपड़ा; अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय एजैंसियां पहले ही यह अनुमान जता चुकी हैं कि विश्व में आर्थिक मंदी का दौर आने वाला है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन ने हाल ही में अनुमान जताया था कि अगले चार वर्षों में विश्व अर्थव्यवस्था में चार लाख करोड़ डालर की गिरावट आ सकती है और दुनिया की अर्थव्यवस्था लुड़कते हुए ही आगे बढ़ेगी। विश्व व्यापार संगठन ने भी आने वाले दिनों में व्यापार की गति घटने और अगले वर्ष इसकी रफ्तार और भी धीमी होने का अनुमान जताया था। अब अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ष 2022 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को हटाकर 8.8 फीसदी कर दिया है। इसके पहले जुलाई में आईएमएफ ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 रहने का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन भारत के​ लिए राहत की बात यह है कि जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाए जाने के बावजूद भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ ने यह भी कहा है कि दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका, चीन और यूरो एरिया की ग्रोथ रेट 2022 में सुस्त बनी रहेगी। अर्थशा​​​स्त्रियों का कहना है कि भारत ने दक्षिण एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी अच्छा काम किया है। विश्व बैंक के दक्षिण एशिया में उसके मुख्य अर्थशास्त्री हांस टिम्मर ने भी कहा है कि भारत में विशेषकर सैंट्रल बैंक के पास काफी रिजर्व है, जो कि काफी मददगार साबित होगा।उन्होंने कोविड-19 संकट को सम्भालने के लिए भारत सरकार की सराहना भी की। भारत की अर्थव्यवस्था एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें और विकास की रफ्तार को देखा जाए तो भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। अगले वर्ष तक कुछ क्षेत्रीय कारणों के चलते फसलों के कम उत्पाद से खाद्य कीमतों पर असर पड़ सकता है। भारत ने आर्थिक सुधारों को लगातार जारी एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें रखा है और भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका के लिए तैयार है। मंदी की मार से बचने के ​लिए अमेरिका सहित तमाम विकसित देशों ने अपने यहां ब्याज दरों आदि के मामले में कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मगर महंगाई और नए रोजगार सृजन करने के मामले में चुनौतियां सबके सामने खड़ी हैं। ऐसा नहीं है कि भारत के सामने चुनौतियां नहीं हैं। कच्चे तेल, दवाओं के लिए रसायन और कई अन्य चीजों के ​लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में लगातार गई रावट बने रहने से विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार बने रहने के पीछे कई कारण हैं। कोरोना महामारी से उभरने के बाद यद्यपि हमने घरेलू और वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव देखे लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के लगातार पटरी पर आने के संकेत मिलते रहे। सितम्बर माह में जीएसटी का कुल संग्रहण 1,47,686 करोड़ रुपए हुआ जो पिछले वर्ष इसी महीने के संग्रहण से 26 प्रतिशत ज्यादा है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से इशारा करते हैं कि आर्थिक और औद्यो​िगक मोर्चे पर भारत लगातार बढ़ रहा है। संपादकीय :भारत के नये मुख्य न्यायाधीशहैप्पी और सेफ दीवाली. रूस-यूक्रेन युद्ध और भारतअसली–नकली शिवसेना का पेंचमुलायमः जमीन से शिखर तकमहाकाल का महा ​विस्तारइसके अलावा लगभग पांच महीने उत्सवों का मौसम रहेगा तथा इसी अवधि में नई फसलों की आमद भी बाजार में होगी। खरीद-बिक्री बढ़ने से बाजार को भी हौसला मिलेगा तथा मुद्रास्फीति में राहत की उम्मीद भी है। जीएसटी संग्रहण प्रक्रिया के बेहतर हो जाने तथा कराधान के सहज व पारदर्शी होने का लाभ सभी को मिल रहा है। एक ओर संग्रहण बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर कारोबारियों को भी सहूलियत हो रही है। सुधारों का सकारात्मक असर प्रत्यक्ष करों के संग्रहण पर दिख रहा है।​पिछले माह केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने जानकारी दी थी कि कुल प्रत्यक्ष कर संग्रहण में बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बिना आर्थिक गतिविधियों में बढ़ौतरी तथा अधिक आमदनी के इतना बड़ा संग्रहण सम्भव नहीं है। प्रत्यक्ष करों में कार्पोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर (प्रतिभूमि लेन-देन समेत) शामिल है। जैसा कि अनेक विशेषज्ञों ने रेखांकित किया है, करों के अधिक संग्रहण में वृद्धि में आयात बढ़ने तथा महंगाई का भी योगदान है। इन कारकों के पीछे वैश्विक हलचलों की भी भूमिका है। सरकार भारत में उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है तथा रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के ठोस उपाय किए हैं।वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचलों के कारण वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट की आशंका के बावजूद इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष निवेश का आंकड़ा 100 अरब डालर तक पहुंच जाएगा। वित्त वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब डालर की विदेशी पूंजी भारत में निवेश हुई थी जो अब तक सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। यह ​​निवेश 101 देशों से आया था। इसका अर्थ यही है कि कई देशों के निवेशक भारत को एक विश्वस्त निवेश स्थल के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। कई उद्योगों ने चीन को छोड़ कर अन्य देशों की ओर रुख किया है, जिनमें भारत भी है। भारत एक बड़ा बाजार तो पहले से ही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के तहत आर्थिक विकास की दिशा में नए आयाम जुड़ने लगे हैं। भारत का निर्यात बढ़ा है और इस वर्ष इसके 500 अरब डालर तक पहुंचने की उम्मीद है। अर्थव्यवस्था में उत्साहजनक वृद्धि तथा बढ़ते निर्यात ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान भारत की ओर खींचा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के दबाव के बावजूद तेल एवं ऊर्जा मामले में मोदी सरकार ने भारतीय हितों की रक्षा की है। अर्थव्यवस्था के सभी तत्व बेहतर हैं इसलिए तमाम चुनौतियों के बावजूद हिन्दुस्तानी होंगे सबसे आगे।

यूके ट्रेडर्स के लिए एफसीए रजिस्टर की जांच करें

फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी यूके में स्थित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए शासी निकाय है। वे ब्रोकर नियमों को लागू करते हैं जिन्हें सभी वैध प्लेटफार्मों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।

एफसीए व्यापारियों को उन प्लेटफार्मों पर शोध करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो लोग उपयोग कर रहे हैं। वे व्यापारियों को केवल अपनी वेबसाइट पर सूचीबद्ध प्लेटफार्मों में जमा करने के लिए याद दिलाते हैं और एक ट्रेडिंग लाइसेंस है जिसे उपयोगकर्ता ऑनलाइन घोटाले दलालों से बचने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

जर्मन व्यापारियों के लिए BaFin रजिस्टर की जाँच करें

फेडरल फाइनेंशियल सुपरवाइजरी अथॉरिटी (BaFin) एक शासी निकाय है जो व्यापारियों को जर्मनी से बचाता है। न केवल BaFin को उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षा देने का काम सौंपा गया है, बल्कि बैंकों, पेंशन फंड और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को संचालित करने के लिए, उन्हें इस नियामक निकाय से लाइसेंस प्राप्त प्राधिकरण की आवश्यकता है।

कानूनी दलालों की जांच करने के लिए, बाफिन उपयोगकर्ताओं को अपनी वेबसाइट पर शोध करने और यह जांचने के लिए प्रोत्साहित करता है कि वे जिन दलालों का उपयोग कर रहे हैं वे उनकी वेबसाइट पर सूचीबद्ध हैं या नहीं।

यूरोपीय संघ के व्यापारियों के लिए CySEC रजिस्टर की जाँच करें

ईयू से व्यापारियों की रक्षा करना साइप्रस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन है। CySEC एक नियामक निकाय है जो यूरोपीय संघ में वित्तीय बाजारों की अखंडता की सुरक्षा करता है। वे नौसिखिया निवेशकों को अपनी वेबसाइट पर कानूनी दलालों को सूचीबद्ध करके घोटाले के दलालों के शिकार होने से बचाते हैं जो ब्रोकर नियमों का पालन करते हैं।

उपयोगकर्ता अपनी वेबसाइटों पर एक ब्रोकर के बारे में कई जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि ब्रोकर का लाइसेंस नंबर, लाइसेंस तिथि, कंपनी पंजीकरण संख्या, टेलीफोन नंबर, वह देश जहां वे आधारित हैं, और उनकी वेबसाइट ईमेल।

ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर की जाँच करें — MT4 या MT5

MetaTrader 4 और MetaTrader 5 फॉरेक्स मार्केट में सबसे प्रसिद्ध और प्रयुक्त ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर में से दो हैं। जबकि MT4 विदेशी मुद्रा जोड़े के लिए है, नए संस्करण MT5 को उपयोगकर्ताओं द्वारा कहीं अधिक पसंद किया जाता है क्योंकि यह व्यापारियों को स्टॉक, वायदा और एफएक्स ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट्स जैसी विभिन्न आवश्यकताओं तक पहुंचने की अनुमति देता है।

एक अच्छी ब्रोकर प्रतिष्ठा के साथ लगभग हर कानूनी ब्रोकर आमतौर पर उपयोगकर्ताओं को इन प्लेटफार्मों तक पहुंचने की अनुमति देता है। आमतौर पर दलालों से बचना एक अच्छा विचार है जो केवल वेब ट्रेडिंग की अनुमति देते हैं।

Economic Crisis in China: भारत से एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें पंगा लेने वाले चीन की हुई बुरी दुर्गति, दूसरे देशों को कर्जा देते-देते क्या हो गया कंगाल? हो सकती है श्रीलंका जैसी हालत

Economic Crisis in China: हालात अब ऐसे हो चुके हैं कि चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म हो चुका है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर चीन में यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो आगामी दिनों में चीन में भी श्रीलंका जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है। हालांकि, अभी-भी चीन के कई इलाकों में शी जिनपिंग सरकार की कूनीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।

नई दिल्ली। यह दुर्भाग्य है कि कभी-कभी किसी लोकतांत्रिक देश में भी सरकार अपने जेहन में यह मुगालते पाल बैठती हैं कि उनका शासन शाश्वत रहने वाला है, लिहाजा अब उन्हें अधिकार मिल गया है, कोई भी फैसला लेने का। उन्हें अधिकार है, देश की आर्थिक व्यवस्थाओं का पलीता लगाने का। उन्हें अधिकार है, लोगों के अधिकारों को कुचलने का। उन्हें अधिकार है, लोगों के भविष्य के साथ खेलने का। लेकिन वो कहते हैं ना कि किसी भी राजनीतिक व्यवस्था में अंतिम शासन व्यवस्था शक्ति अगर किसी के पास होती है, तो वो जनता होती है, लिहाजा अगर जनता का रोष अपने चरम पर पहुंच गया, तो जलजला उठाना तय माना जाता है, जैसा कि बीते दिनों श्रीलंका में देखने को मिला था। श्रीलंका में सरकार की कूनीतियों के खिलाफ जनता सड़क पर आ गई। सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। नतीजा यह हुआ रानिल विक्रमसिंघे से लेकर गोटबाया राजपक्षे तक को अपनी सत्ता गंवानी पड़ गई।

श्रीलंका संकट में क्यों फंसा, भारत के लिए भी सबक

श्रीलंका में जो हो रहा है, भयावह है। केवल वहां के नागरिकों के लिए यह महा विपत्ति काल नहीं है, बल्कि हमारे लिए भी एक सबक है। किसी देश में जब घनघोर परिवारवाद हो, सत्ता में आने या बने रहने के लिए अर्थव्यवस्था के नियमों को ताक पर रखकर सिर्फ लोकलुभावन नीतियां बनें, जब राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर सत्ता में बैठे लोग अपने हितों की चिंता करें और जो शासक दुश्मन और दोस्त में फर्क ना समझ पाए तो वह श्रीलंका हो जाता है।

भारत के दक्षिणी छोर पर बसे द्वीप श्रीलंका के सामने ईंधन, भोजन, दवा, घर की अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं का संकट है। पेट्रोल-डीजल मिल नहीं रहे। पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात कर दी गई है। 13 घंटे की लंबी बिजली कटौती हो रही है, सार्वजनिक परिवहन समय से चल नहीं रहे हैं। त्यागपत्र दे चुके, प्रधानमंत्री अपनी जान बचाने के लिए श्रीलंका नेवी के बंकर में छुपे हुए हैं। पूरे श्रीलंका में व्यापक सामाजिक अशांति फैली हुई है। श्रीलंका की समस्या बहुत गहरी है और इसका हल फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।

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